शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2014

युवाओं में भारत का गौरव व संस्कृति जानने की जिज्ञासा और समाज के लिए कुछ न कुछ करने की ललक - डॉ. मनमोहन वैद्य

युवाओं में भारत का गौरव व संस्कृति जानने की जिज्ञासा और समाज के लिए कुछ न कुछ करने की ललक - डॉ. मनमोहन वैद्य

भारत में कोई अल्पसंख्यक नहीं, सभी हिंदू

अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ  मनमोहन वैद्य प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए 
लखनऊ।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने फिर कहा है कि भारत में कोई अल्पसंख्यक नहीं। सब हिंदू हैं। इसीलिए संघ अपनी शाखाओं व संगठन में मौजूद कार्यकर्ताओं का हिंदू-मुस्लिम और ईसाई या जातीय दृष्टि से अगड़े-पिछड़े या अन्य श्रेणीवार आंकड़े नहीं रखता।

संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य ने बृहस्पतिवार को यहां पत्रकारों के सवाल पर कहा कि संघ, धर्म और पंथ को अलग-अलग मानता है। इसी नाते संघ में हिंदू शब्द का प्रयोग पंथ, मजहब या रिलीजन के नाते नहीं होता है। हिंदू, मुसलमान और ईसाई जैसे वर्गीकरण पंथ के आधार पर हैं। इसलिए संघ की नजर में भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू हैं।
अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ  मनमोहन वैद्य एवं सह प्रचार प्रमुख नन्द कुमार जी प्रेस वार्ता के लिए जाते हुए

हिंदू व मुसलमान के आधार पर भेद दूसरे लोग करते हैं। भारतीय संस्कृति की जीवन दृष्टि हिंदू जीवन दृष्टि है। इसलिए संघ, देश में रहने वाले सभी नागरिकों को एक ही सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, हिंदुत्व का मानता है। वह शुक्रवार से राजधानी में शुरू हो रही केंद्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक की पूर्व संध्या पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
वैद्य ने बताया कि बैठक का उद्घाटन शुक्रवार सुबह 8.20 पर होगा। उद्घाटन सरसंघचालक मोहन भागवत करेंगे। बैठक संघ की कार्यसंस्कृति का नियमित हिस्सा है। बैठक में प्रस्ताव लाने या न लाने पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।

अलबत्ता देश के सामने भीतर व बाहर मौजूद तात्कालिक समसामायिक स्थितियों के बारे में एक-दूसरे से चर्चा जरूर होगी। साथ ही इनके मद्देनजर संघ की भूमिका पर भी बातचीत होगी। जरूरत पड़ी तो प्रस्ताव भी लाने का फैसला हो जाएगा।

बैठक में संघ के केंद्रीय पदाधिकारी, संघ के लिहाज से तय सांगठनिक रचना के अनुसार 11 क्षेत्रों व 41 प्रांतों के संघ चालक, संघ कार्यवाह और इनमें नियुक्त क्षेत्र प्रचारक व प्रांत प्रचारक तथा संघ के सहयोगी संगठन के रूप में काम करने वाले 33 संगठनों के एक या दो राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी कुल लगभग 390 लोग भाग ले रहे हैं।
पत्रकार ने पूछा: संघ में कितने मुस्लिम
 
वैद्य ने कहा- बहुत सारे, पर हम इस आधार पर रिकॉर्ड नहीं रखते
डॉ. वैद्य ने जब कहा कि संघ पंथ व मजहब को लेकर भेद नहीं करता तो पत्रकारों ने सवाल पूछा- कितने मुसलमान संघ से जुड़े हैं? डॉ. वैद्य ने जवाब दिया कि इस आधार पर कोई रिकॉर्ड नहीं रखते। यह वर्गीकरण मीडिया ही करता है। फिर भी अगर यह सवाल एक विशेष उपासना पद्धति मानने वालों के बारे में है तो ‘बहुत सारे लोग हैं और लगातार जुड़े रहे हैं।’

डॉ. वैद्य ने बताया कि जिन्हें माइनॉरिटी बोला जाता है वे काफी संख्या में आरएसएस से जुड़े हैं। हालांकि उन्होंने कोई संख्या बताने से इनकार कर दिया। उनका तर्क था कि संघ में जुड़ने वाले कार्यकर्ताओं को कभी जाति या संप्रदाय के आधार पर विभाजित नहीं किया जाता, वे संघ में केवल कार्यकर्ता होते हैं।  

मुस्लिम भी राष्ट्रभक्त
मनमोहन वैद्य ने कहा, ‘मैं जब नागपुर में एक शाखा लगाता था तो उस समय भी उसमें तमाम ऐसे मित्र संघ में थे। मुसलमानों में तमाम ऐसे लोग हैं जिनमें भारत व भारतीय संस्कृति से प्रेम हैं।’

संघ से बड़ी संख्या में जुड़ रहे युवा
वैद्य ने बताया कि संघ से जु़ड़े वाले लोगों का आंकड़ा प्रतिवर्ष औसतन एक लाख से ऊपर पहुंच गया है। इनमें ऐसे युवाओं की संख्या भी बहुत ज्यादा है जो शिक्षा के विशिष्ट क्षेत्रों में अध्ययनरत हैं या अध्ययन करके अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।

इसकी वजह युवाओं में भारत का गौरव व संस्कृति जानने की जिज्ञासा और समाज के लिए कुछ न कुछ करने की ललक है।
भारत का युवा अपनी कल्चरल आइडेंटिटी की तलाश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ रहा है।  यह कहना है आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य का। उनके मुताबिक आज के युवा में अपनी कल्चरल आइडेंटिटी के लिए भूख जगी है। इसलिए वे अपनी जड़ों की तलाश और समाज के लिए कुछ करने की ललक के चलते आरएसएस की ओर रुख कर रहे हैं। 
बढ़ी है संघ से जुड़ने वालों की संख्या
डॉ. मनमोहन वैद्य ने बताया कि देश में विस्तार के लिए विशेष योजना तैयार की गई है। पिछले कुछ वर्षों में संघ से जुड़ने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल जहां 80 हजार लोग जुड़े थे, वहीं इस साल करीब 50 फीसदी लोग ज्‍यादा जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि प्रत्येक महीने संघ से जुड़ने वालों की संख्या करीब आठ हजार है।  


 


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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित