सोमवार, 14 मार्च 2016

मान. सुरेश भैय्या जी जोशी की प्रेस कांफ्रेंस - वीडियो 2

मान. सुरेश भैय्या  जी जोशी की प्रेस कांफ्रेंस - वीडियो 

मान. सुरेश भैय्या जी जोशी की प्रेस कांफ्रेंस - वीडियो

मान. सुरेश भैय्या  जी जोशी की प्रेस कांफ्रेंस - वीडियो 

clip 2 Man Bhaiyya ji on Reservation issue #ABPS2016

Clip -Man. Suresh Bhayya ji Joshi on Reservation Issue माननीय सुरेश भैय्या जी जोशी आरक्षण विषय पर पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए

माननीय सुरेश भैय्या जी जोशी आरक्षण विषय पर पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए  


प्रस्ताव 3. दैनन्दिन जीवन में समरसतापूर्ण व्यवहार करें --राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (नागौर)

प्रस्ताव क्र 3.
दैनन्दिन जीवन में समरसतापूर्ण व्यवहार करें

भारत एक प्राचीन राष्ट्र है और इसकी चिन्तन परम्परा भी अति प्राचीन है। हमारी अनुभूत मान्यता है कि चराचर सृष्टि का निर्माण एक ही तत्व से हुआ है और प्राणिमात्र में उसी तत्व का वास है। सभी मनुष्य समान हैं, क्योंकि प्रत्येक मनुष्य में वही ईश्वरीय तत्व समान रूप से व्याप्त है। इस सत्य को ऋषियों, मुनियों, गुरुओं, संतगणों तथा समाज सुधारकों ने अपने अनुभव एवं आचरण के आधार पर पुष्ट किया है।

जब-जब इस श्रेष्ठ चिन्तन के आधार पर हमारी सामाजिक व्यवस्थाएँ तथा दैनन्दिन आचरण बना रहा तब-तब भारत एकात्म, समृद्ध और अजेय राष्ट्र रहा। जब इस श्रेष्ठ जीवन दर्शन का हमारे व्यवहार में क्षरण हुआ, तब समाज का पतन हुआ, जाति के आधार पर ऊँच-नीच की भावना बढ़ी तथा अस्पृश्यता जैसी अमानवीय कुप्रथा का निर्माण हुआ। 

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने दैनन्दिन जीवन में व्यक्तिगत, पारिवारिक तथा सामाजिक स्तर पर अपने इस सनातन और शाश्वत जीवन दर्शन के अनुरूप समरसतापूर्ण आचरण करना चाहिए। ऐसे आचरण से ही समाज से जाति भेद, अस्पृश्यता तथा परस्पर अविश्वास का वातावरण समाप्त होगा एवं तभी हम सब शोषणमुक्त, एकात्म और समरस जीवन का अनुभव कर सकेंगे।

राष्ट्र की शक्ति समाज में और समाज की शक्ति एकात्मता, समरसता का भाव व आचरण और बंधुत्व में ही निहित है। इसका निर्माण करने का सामथ्र्य अपने सनातन दर्शन में है। ‘‘आत्मवत् सर्व भूतेषु’’ (सभी प्राणियों को अपने समान मानना) ‘‘अद्वेष्टा सर्वभूतानां’’ (सभी प्राणियों के साथ द्वेषरहित रहना) तथा ‘एक नूर ते सब जग उपज्या, कौण भले, कौ मन्दे’ (एक तेज से पूरे जग का निर्माण हुआ तो कौन बड़ा और कौन छोटा) के अनुसार सबके साथ आत्मीयता, सम्मान एवं समता का व्यवहार होना चाहिए। समाज जीवन सें भेदभाव पूर्ण व्यवहार तथा अस्पृश्यता जैसी कुप्रथा जड़ मूल से समाप्त होनी चाहिए। समाज जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए समाज की सभी धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं को इसी दिशा में कार्यरत होना चाहिए, यह महती आवश्यकता है। 

सनातन काल से समाज जीवन की आदर्श स्थिति का समग्र विचार राष्ट्र के सामने रखते समय अनेक महापुरूषों एवं समाज सुधारको ने समतायुक्त व शोषणमुक्त समाज निर्मिति के लिए व्यक्तिगत तथा सामूहिक आचरण में देश, काल, परिस्थिति सुसंगत परिवर्तन लाने पर बल दिया है। उनका जीवन, जीवनदर्शन और कार्य समाज के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहा है। 

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा सभी पूज्य संतों, प्रवचनकारों, विद्वज्जनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से विनम्र अनुरोध करती है कि इस हेतु समाज प्रबोधन में वे भी अपना सक्रिय योगदान दें। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा स्वयंसेवकों सहित सभी नागरिकों से समरसता के अनुरूप व्यवहार करने का तथा सभी धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों से समरसता का भाव सुदृढ़ करने के हर संभव प्रयास करने का आग्रह करती है।


रविवार, 13 मार्च 2016

संघ युगानुकूल चलने वाला संगठन-भैय्याजी उपाख्य सुरेश जोशी सरकार्यवाह  

संघ युगानुकूल चलने वाला संगठन- सरकार्यवाह



नागौर 13 मार्च । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैय्याजी उपाख्य सुरेश जोशी ने कहा कि संघ जड़वादी नहीं अपितु काल के अनुसार चलने वाला संगठन है, इसलिए समय समय पर हम परिवर्तन करते आए हैं। संघ की पहचान केवल नेकर ही नहीं बल्कि दूसरे कारणों से भी है, पेंट भी आने वाले समय में संघ की पहचान बन जाएगा।



भैय्याजी जोशी रविवार को संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। पेंट का डिजायन ऐसा तैयार किया जाएगा, जिससे शारीरिक कार्यक्रमों में बाधा न आए। वैसे भी आज योग, क्रिकेट, कराटे समेत कई खेलों में ट्राउजर पहने जाते हैं। नई गणवेश लागू करने में चार से छह माह का समय लगेगा।



सरकार के कारण संघ कार्य नहीं बढ़ा है। पिछले एक साल में साढ़े 5500 शाखाएं बढ़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सतत चलने वाली प्रक्रिया है। समाज के बीच में संघ की स्वीकार्यता बढ़ी है, देशभर में 58000 हजार गांवो तक संघ की पहुंच है। उन्होंने कहा कि करीब ढ़ाई लाख गांवो में संघ की विभिन्न जागरण पत्र- पत्रिकाएं जाती है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष घर से दूर रहकर विस्तारक के रूप में संघ कार्य करने वाले 14500 कार्यकर्ता रहे।



संघ से आईएस तुलना करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देने वाले की जानकारी का स्तर देखकर पीड़ा होती है। उन्होंने अपने राजनीतिक अज्ञान को व्यक्त किया है।

आरक्षण –

हरियाणा और गुजरात में आरक्षण की मांग को लेकर हुए हिंसक आंदोलन पर उन्होंने कहा कि वास्तव में यह हम सबके लिए सोचने का विषय है। डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर ने संविधान में आरक्षण का प्रावधान किया था यह न्योचित था। इससे देश के वंचित वर्ग का बड़ा तबका लाभान्वित हुआ। दलितों में शिक्षा का स्तर बढ़ा। सम्पन्न वर्ग द्वारा आरक्षण की मांग करना उचित दिशा में सोच नहीं है, जो सम्पन्न उन्हें समाज के दुर्बल वर्ग के लिए अधिकार छोड़ने चाहिए।



क्रिमीलेयर को आरक्षण का लाभ पर उन्होंने कहा कि इस पर शास्त्र शुद्ध अध्ययन और सामाजिक स्तर पर विचार विमर्श की आवश्यकता है। किन व्यक्तियों और किन जातियों को अभी तक इसका लाभ मिला नहीं मिला है और वे पिछड़े हुए हैं, इसका अध्ययन होना चाहिए।



श्रीश्री रविशंकर के कार्यक्रम में बाधाएं क्यों-



श्रीश्री रविशंकर के कार्यक्रम पर उन्होंने कहा कि इसके कई पहलु हो सकते है। हो सकता है पर्यावरण को लेकर कुछ कमियां रही होगी। सरकार ने उन्हें सचेत किया और करना भी चाहिए। ऐसे विशाल और गरिमामय कार्यक्रम के लिए कोई मार्ग निकालना चाहिए। लेकिन कानून बताकार दंडित करते रहेंगे तो समाज जीवन में परिवर्तन लाने वाली संस्थाएं दुर्बल होगी। पर्यावरण नियमों का पालना सभी संस्थाओं करने की आवश्यकता है।



जेएनयू मामले में



उन्होंने कहा कि देशभक्त नागरिकों के लिए यह चिंता का विषय है। देशद्रोहियों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने वाली मानसिकता को हम क्या मानें। कानून अपना काम करेगा। भले ही ये लोग कानून के दायरे से बाहर आ जाए, लेकिन परिसर में ऐसे वातावरण का पोषण किसने किया, इस पर प्रबुद्ध वर्ग को सोचना चाहिए। इस विषय पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। सत्ता में चाहे जो भी बैठे सबसे पहले देश हित, राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता का विचार करना ही सर्वश्रेष्ठ है। इस मामले में जागरूक नागरिकों द्वारा इस घटना पर दी गई प्रतिक्रिया का उन्होंने स्वागत किया।



महिला मंदिर प्रवेश



भारत में हजारों मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश पर कोई रोक नहीं रही है। हमारें यहां महिलाएं वेदाध्यन और पौरोहित्य कार्य कर रही है, सन्यासी और प्रवचनकार है। कुछ स्थानों पर प्रवेश को लेकर विवाद हुए, वहां के प्रबंधन ने किसी कारण से ऐसा किया होगा। अनुचित प्रथा को संवाद, समझदारी व आपसी विचार विमर्श से दूर किया जाना चाहिए। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति से प्रेरित आंदोलन चलाना अनुचित है।



मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा विश्वविद्यालयों को बजट स्वयं सृजित करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह तकनीकी विषय है। हमारा यह मानना है कि आर्थिक दुर्बलता के कारण कोई शिक्षा से वंचित नहीं रहे, इसके लिए समाज और सरकार को भी आगे आना चाहिए

संघ युगानुकूल चलने वाला संगठन- सरकार्यवाह  

संघ युगानुकूल चलने वाला संगठन- सरकार्यवाह



नागौर 13 मार्च । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैय्याजी उपाख्य सुरेश जोशी ने कहा कि संघ जड़वादी नहीं अपितु काल के अनुसार चलने वाला संगठन है, इसलिए समय समय पर हम परिवर्तन करते आए हैं। संघ की पहचान केवल नेकर ही नहीं बल्कि दूसरे कारणों से भी है, पेंट भी आने वाले समय में संघ की पहचान बन जाएगा।



भैय्याजी जोशी रविवार को संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। पेंट का डिजायन ऐसा तैयार किया जाएगा, जिससे शारीरिक कार्यक्रमों में बाधा न आए। वैसे भी आज योग, क्रिकेट, कराटे समेत कई खेलों में ट्राउजर पहने जाते हैं। नई गणवेश लागू करने में चार से छह माह का समय लगेगा।



सरकार के कारण संघ कार्य नहीं बढ़ा है। पिछले एक साल में साढ़े 5500 शाखाएं बढ़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सतत चलने वाली प्रक्रिया है। समाज के बीच में संघ की स्वीकार्यता बढ़ी है, देशभर में 58000 हजार गांवो तक संघ की पहुंच है। उन्होंने कहा कि करीब ढ़ाई लाख गांवो में संघ की विभिन्न जागरण पत्र- पत्रिकाएं जाती है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष घर से दूर रहकर विस्तारक के रूप में संघ कार्य करने वाले 14500 कार्यकर्ता रहे।



संघ से आईएस तुलना करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देने वाले की जानकारी का स्तर देखकर पीड़ा होती है। उन्होंने अपने राजनीतिक अज्ञान को व्यक्त किया है।

आरक्षण –

हरियाणा और गुजरात में आरक्षण की मांग को लेकर हुए हिंसक आंदोलन पर उन्होंने कहा कि वास्तव में यह हम सबके लिए सोचने का विषय है। डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर ने संविधान में आरक्षण का प्रावधान किया था यह न्योचित था। इससे देश के वंचित वर्ग का बड़ा तबका लाभान्वित हुआ। दलितों में शिक्षा का स्तर बढ़ा। सम्पन्न वर्ग द्वारा आरक्षण की मांग करना उचित दिशा में सोच नहीं है, जो सम्पन्न उन्हें समाज के दुर्बल वर्ग के लिए अधिकार छोड़ने चाहिए।



क्रिमीलेयर को आरक्षण का लाभ पर उन्होंने कहा कि इस पर शास्त्र शुद्ध अध्ययन और सामाजिक स्तर पर विचार विमर्श की आवश्यकता है। किन व्यक्तियों और किन जातियों को अभी तक इसका लाभ मिला नहीं मिला है और वे पिछड़े हुए हैं, इसका अध्ययन होना चाहिए।



श्रीश्री रविशंकर के कार्यक्रम में बाधाएं क्यों-



श्रीश्री रविशंकर के कार्यक्रम पर उन्होंने कहा कि इसके कई पहलु हो सकते है। हो सकता है पर्यावरण को लेकर कुछ कमियां रही होगी। सरकार ने उन्हें सचेत किया और करना भी चाहिए। ऐसे विशाल और गरिमामय कार्यक्रम के लिए कोई मार्ग निकालना चाहिए। लेकिन कानून बताकार दंडित करते रहेंगे तो समाज जीवन में परिवर्तन लाने वाली संस्थाएं दुर्बल होगी। पर्यावरण नियमों का पालना सभी संस्थाओं करने की आवश्यकता है।



जेएनयू मामले में



उन्होंने कहा कि देशभक्त नागरिकों के लिए यह चिंता का विषय है। देशद्रोहियों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने वाली मानसिकता को हम क्या मानें। कानून अपना काम करेगा। भले ही ये लोग कानून के दायरे से बाहर आ जाए, लेकिन परिसर में ऐसे वातावरण का पोषण किसने किया, इस पर प्रबुद्ध वर्ग को सोचना चाहिए। इस विषय पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। सत्ता में चाहे जो भी बैठे सबसे पहले देश हित, राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता का विचार करना ही सर्वश्रेष्ठ है। इस मामले में जागरूक नागरिकों द्वारा इस घटना पर दी गई प्रतिक्रिया का उन्होंने स्वागत किया।



महिला मंदिर प्रवेश



भारत में हजारों मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश पर कोई रोक नहीं रही है। हमारें यहां महिलाएं वेदाध्यन और पौरोहित्य कार्य कर रही है, सन्यासी और प्रवचनकार है। कुछ स्थानों पर प्रवेश को लेकर विवाद हुए, वहां के प्रबंधन ने किसी कारण से ऐसा किया होगा। अनुचित प्रथा को संवाद, समझदारी व आपसी विचार विमर्श से दूर किया जाना चाहिए। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति से प्रेरित आंदोलन चलाना अनुचित है।



मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा विश्वविद्यालयों को बजट स्वयं सृजित करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह तकनीकी विषय है। हमारा यह मानना है कि आर्थिक दुर्बलता के कारण कोई शिक्षा से वंचित नहीं रहे, इसके लिए समाज और सरकार को भी आगे आना चाहिए

प्रतिनिधि सभा ने किया समाज में समरसता का आव्हान  

प्रतिनिधि सभा ने किया समाज में समरसता का आव्हान



नागौर 13 मार्च । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैय्याजी उपाख्य सुरेश जोशी ने कहा कि समाज के अंदर भेदभावपूर्ण वातावरण चिंतनीय है। मीरा की धरती से अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने एक प्रस्ताव पारित कर समाज में समरसता लाने का आव्हान किया है। प्रत्येक व्यक्ति को दैनंदिन जीवन में व्यक्तिगत, पारिवारिक, तथा सामाजिक स्तर पर समरसता पूर्ण आचरण करना चाहिए।



भैय्याजी जोशी रविवार को पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत का तत्व ज्ञान जो मनीषियों ने दिया है, हिन्दू चिंतन के नाम से जाना जाता है वो श्रेष्ठ है। समाज जीवन में कुछ गलत पंरपराओं के कारण मनुष्य मनुष्य में भेद करना ठीक नहीं है। समाज के अंदर भेदभावपूर्ण वातावरण अपने ही बंधुओं के कारण आया है, जो उचित नहीं है।



पिछड़े समाज की वेदनाओं को समझकर सबके साथ समानता का व्यवहार हो, परिस्थितियों को आधार बनाकर किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। समाज में जाति भेद, अस्पृश्यता हटाकर शोषण मुक्त, एकात्म और समरस जीवन का निर्माण करना है। भेदभाव जैसी कुप्रथा का जड़ मूल से समाप्त होनी चाहिए। उन्होंने कहा व्यक्तिगत तथा सामूहिक आचरण में देशकाल परिस्थिति के अनुसार सुसंगत परिवर्तन होना चाहिए। इसके लिए समाज में कार्यरत धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं को भी आगे आना होगा। प्रस्ताव में पूज्य संतो, प्रवचनकारों, विद्वजनों, तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं को समाज प्रबोधन हेतु सक्रिय सहयोग देने का अनुरोध किया है।

शनिवार, 12 मार्च 2016

सामान्य व्यक्ति की पहुंच में हो शिक्षा और स्वास्थ्य- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

सामान्य व्यक्ति की पहुंच में हो शिक्षा और स्वास्थ्य- संघ  
शिक्षा की गुणवत्ता और प्रभावी स्वास्थ्य रक्षा के लिए नियामक आयोग सशक्त बने

नागौर 12 मार्च 2016। देश में मंहगी होती शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गहरी चिंता जताई है। सरकार से शिक्षा के व्यापारीकरण पर अंकुश लगाने के लिए नियामक आयोग को प्रभावी बनाने की मांग की है। सस्ती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए प्रतिनिधि सभा ने शिक्षा और स्वास्थ्य पर दो प्रस्ताव एकमत से पारित किए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख अनिरूद्ध देशपांडे ने शनिवार को पत्रकारों को प्रस्तावों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सरकार से शिक्षा का बजट कम मिल रहा है। निजी संस्थाओं का व्यवसायीकरण के उद्देश्य से इस क्षेत्र में आना चिंता का विषय है। निजीकरण की प्रक्रिया के बाद शिक्षा मंहगी हुई है। आज प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालयीन स्तर तक की शिक्षा का व्यापारीकरण हो रहा है। इसके चलते सामान्य घर से आने वाले छात्रों के लिए शिक्षा प्राप्त करना कठिन हो गया है। मंहगी होती शिक्षा से अभिभावक भी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि शुल्क निर्धारण और सुविधाओं का मापदंड तय करने के लिए नियामक आयोग को और अधिक शक्तियां देकर इसे प्रभावी बनाया जाना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर सरकार भौगोलिक या संख्या के आधार पर आयोग का विकेन्द्रीरण करें। उन्होंने शिक्षा को व्यापक बनाने के लिए धार्मिक, सामाजिक एवं उद्योग समूहों से आगे आने का आव्हान भी किया।

देशपांडे ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा तो अत्यन्त ही महंगी हो गई है, डिग्री पूरी करते ही चिकित्सक डिग्री में लगा पैसा निजी व्यवसाय द्वारा सामान्य व्यक्ति से वसूलना प्रारंभ कर देता है।

उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं अनुपलब्ध है, जहां है वहां भी बहुत महंगी है। जो सामान्य व्यक्ति की पहुंच के बाहर है। स्वास्थ्य सेवाएं सहज और सबको सस्ती उपलब्ध हो। सरकार जेनेरिक औषधियों को प्रोत्साहन दे ताकि सभी को सस्ती दवाईयां मिले। केन्द्र सरकार द्वारा हाल के बजट में 3000 जेनेरिक औषधि केन्द्र खोलने का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा इनका प्रभावी क्रियान्वयन हो। उन्होंने आयुर्वेदिक, यूनानी व अन्य पद्धतियों की औषधियों का प्रमापीकरण व उनके परीक्षण की विधियों के विकास की बात भी कही। समाज को भी रोगमुक्त रहने के लिए दिनचर्या, कुपोषण व नशामुक्ति के लिए जनजागरण का प्रयास करना चाहिए।

कांग्रेस का बौद्धिक दिवालियापन बाहर उभर कर आया है - जे नन्द कुमार

नागौर १२ मार्च २०१६।  गुलाम नबी  आज़ाद  के उस व्क्तवय पर  जिसमे उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना ISIS से  की  उस पर पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख   ने कहा की कांग्रेस का बौद्धिक दिवालियापन  बाहर  उभर कर आया है।


प्रस्ताव क्रमांक दो – गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती शिक्षा सबको सुलभ हो--राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (नागौर)

प्रस्ताव क्रमांक दो – गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती शिक्षा सबको सुलभ हो

प्रस्ताव क्रमांक दो
किसी भी राष्ट्र व समाज के सर्वांगीण विकास में शिक्षा एक अनिवार्य साधन है, जिसके संपोषण, संवर्द्धन व संरक्षण का दायित्व समाज व सरकार दोनों का है. शिक्षा छात्र के अन्दर बीज रूप में स्थित गुणों व संभावनाओं को उभारते हुए उसके व्यक्तित्व के समग्र विकास का साधन है. एक लोक कल्याणकारी राज्य में शासन का यह मूलभूत दायित्व है कि वह प्रत्येक नागरिक को रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार के साथ-साथ शिक्षा व चिकित्सा की उपलब्धता सुनिश्चित करे.
भारत सर्वाधिक युवाओं का देश है. इस युवा की अभिरूचि, योग्यता व क्षमता के अनुसार उसे उचित शिक्षा के निर्बाध अवसर उपलब्ध कराकर देश के वैज्ञानिक, तकनीकी, आर्थिक व सामाजिक विकास में सहभागी बनाना समाज एवं सरकार का दायित्व है. आज सभी अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं. जहां शिक्षा प्राप्त करनेवाले छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है वहां उन सबके लिए सस्ती व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाना दुर्लभ हो गया है. विगत वर्षों में सरकार द्वारा शिक्षा में अपर्याप्त आवंटन और नीतियों में शिक्षा को प्राथमिकता के अभाव के कारण लाभ के उद्देश्य से काम करने वाली संस्थाओं को खुला क्षेत्र मिल गया है. आज गरीब छात्र समुचित व गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. परिणामस्वरूप समाज में बढ़ती आर्थिक विषमता समूचे राष्ट्र के लिए चिंता का विषय है.
वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य में सरकार को पर्याप्त संसाधनों की उपलब्धता तथा उचित नीतियों के निर्धारण के अपने दायित्व के लिए आगे आना चाहिए. शिक्षा के बढ़ते व्यापारीकरण पर रोक लगनी चाहिए ताकि छात्रों को महंगी शिक्षा प्राप्त करने को बाध्य न होना पड़े.
सरकार द्वारा शिक्षा संस्थानों के स्तर, ढांचागत संरचना, सेवाशर्ते, शुल्क व मानदण्ड़ आदि निर्धारण करने की स्वायत्त एवं स्व-नियमनकारी व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए ताकि नीतियों का पारदर्शितापूर्वक क्रियान्वयन हो सके.
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का यह मानना है कि प्रत्येक बालक-बालिका को मूल्यपरक, राष्ट्र भाव से युक्त, रोजगारोन्मुख तथा कौशल आधारित शिक्षा समान अवसर के परिवेश में प्राप्त होनी चाहिए. राजकीय व निजी विद्यालयों के शिक्षकों का स्तर सुधारने हेतु शिक्षकों को यथोचित प्रशिक्षण, समुचित वेतन तथा उनकी कर्त्तव्य परायणता दृढ़ करना भी अतिआवश्यक है.
परम्परा से अपने देश में सामान्य व्यक्ति को सस्ती व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने में  समाज ने महती भूमिका निभाई है. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी सभी धार्मिक-सामाजिक संगठनों, उद्योग समूहों, शिक्षाविदों व प्रमुख व्यक्तियों को अपना दायित्व समझकर इस दिशा में आगे आना चाहिए.
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा केन्द्र, राज्य सरकारों व स्थानीय निकायों से आग्रह करती है कि सस्ती व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सबको उपलब्ध कराने के लिए समुचित संसाधनों की व्यवस्था तथा उपयुक्त वैधानिक प्रावधान सुनिश्चित करें. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा स्वयंसेवकों सहित समस्त देशवासियों का भी आवाहन करती है कि शिक्षा प्रदान करने के पावन कार्य हेतु विशेषकर ग्रामीण, जनजातीय एवं अविकसित क्षेत्र में वे आगे आवें ताकि एक योग्य, क्षमतावान व ज्ञानाधारित समाज का निर्माण हो सके जो इस राष्ट्र के उत्थान व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

प्रस्ताव क्रमांक एक – प्रभावी स्वास्थ्य रक्षा एवं सस्ती व सुलभ चिकित्सा की आवश्यकता - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (नागौर)


प्रस्ताव क्रमांक एक – प्रभावी स्वास्थ्य रक्षा एवं सस्ती व सुलभ चिकित्सा की आवश्यकता

प्रस्ताव क्रमांक एक
देश में सभी नागरिक आजीवन स्वस्थ व निरोग रहें इस हेतु स्वास्थ्यपूर्ण जीवनशैली का अनुसरण एवं सर्व साधारण के लिये चिकित्सा की सुलभता परम आवश्यक है. आज देश में जहां अस्वास्थ्यकर जीवन शैली से उत्पन्न होनेवाले रोग तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं चिकित्सा सेवाएं महंगी होने से ये सामान्य नागरिकों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं. परिणामस्वरूप, अनगिनत परिवार ऋणग्रस्त हो रहे हैं अथवा परिवार के कार्यशील सदस्यों का रोगोपचार नहीं हो पाने की दशा में बड़ी संख्या में परिवारों का जीवन यापन भी कठिन हो रहा है. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करती है.
उत्तम स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्यवर्द्धक आहार-विहार व जीवनचर्या, सात्विकता, आध्यात्मिक वृत्ति, योग, दैनिक व्यायाम व स्वच्छता को महत्व दिया जाना आवश्यक है. शिशुओं का समयोचित टीकाकरण होना चाहिए. समाज सभी प्रकार के नशे से मुक्त हो यह भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का मानना है कि स्वयंसेवकों सहित देश के सभी जागरूक नागरिकों को इस दिशा में जनजागरण के व्यापक प्रयास करने चाहिए.
चिकित्सा सेवाओं के बड़े नगरों में केन्द्रित होने से देशभर में दूरस्थ व ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं का भारी अभाव है. सभी स्तरों पर इन सुविधाओं व चिकित्साकर्मियों की भारी कमी और भर्ती, जांच व उपचार के लिए लम्बी प्रतीक्षा सूचियों के कारण बड़ी संख्या में लोग चिकित्सा सुविधा से वंचित रह जाते हैं. चिकित्सा शिक्षा की बढ़ती लागतें भी देश में चिकित्सा सेवाओं के मंहगा होने एवं उनकी गुणवत्ता व विश्वसनीयता में गिरावट का एक प्रमुख कारण है. देश में महिलाओं व शिशुओं सहित सभी नागरिकों को अच्छी गुणवत्ता  वाली सब प्रकार की चिकित्सा सेवाएं उनके द्वारा वहन करने योग्य लागत पर सुलभ होनी चाहिये. इस हेतु देशभर में विशेषकर ग्रामीण व जनजातीय क्षेत्रों तक सभी प्रणालियों की सब प्रकार की चिकित्सा सेवाओं का सुचारू विस्तार आवश्यक है. चिकित्सा में निरन्तरता व विशेषज्ञ परामर्श हेतु सूचना प्रौद्योगिकी का भी प्रभावी उपयोग किया जाना चाहिए.
देश में अनेक स्थानों पर विविध सामाजिक, धार्मिक व सामुदायिक संगठनों द्वारा दानशीलता व परोपकार के भाव से संचालित चिकित्सालयों में सामान्य समाज का उपचार अत्यन्त प्रभावी व न्यायसंगत रीति से किया जा रहा है. समाज के ऐसे अनुकरणीय प्रयासों में भी शासकीय सहयोग का विस्तार आवश्यक है. प्रतिनिधि सभा ऐसे सभी प्रयासों की सराहना करते हुए देश के उद्यम समूहों, स्वैच्छिक व सामाजिक संगठनों व दानशील न्यासों आदि का आवाहन करती है कि उन्हें इस दिशा में और आगे आना चाहिए. इस दृष्टि से सार्वजनिक व सामुदायिक सहभागिता एवं सहकारी संस्थानों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों में प्रारम्भ की गई नि:शुल्क औषधि वितरण योजनाएं एवं केन्द्र सरकार द्वारा हाल के बजट में 3000 जेनेरिक औषधि केन्द्रों का प्रस्ताव स्वागत योग्य है. दवाईयों के मूल्य को आम व्यक्ति की पहुंच में लाने हेतु जेनेरिक औषधियों को प्रोत्साहन, औषधि-मूल्यों पर प्रभावी नियन्त्रण, एवं पेटेण्ट व्यवस्था को मानवोचित बनाया जाना आवश्यक है. औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु उनके सभी प्रकार के नियमित प्रयोगशाला परीक्षण भी होने चाहिए. आयुर्वेदिक, यूनानी व अन्य पद्धतियों की औषधियों का प्रमापीकरण व उनके परीक्षण की विधियों का विकास भी महत्वपूर्ण है.
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा स्वयंसेवकों सहित सभी देशवासियों, स्वैच्छिक संगठनों व सरकार का आवाहन करती है कि सभी नागरिकों के जीवन को निरामय बनाने हेतु स्वास्थ्यप्रद जीवनचर्या, शिशु व जननी स्वास्थ्य रक्षा और कुपोषण व नशा विमुक्ति हेतु समाज जागरण के प्रयास करें. केन्द्र व राज्य सरकारों से आग्रह है कि सभी प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं की सर्वसाधारण के लिए सुलभता हेतु पर्याप्त संसाधन आवंटन करते हुए इन सेवाओं में अपेक्षित ढांचागत, नीतिगत व प्रक्रियागत सुधार करने चाहिए. इसके लिए देश में सभी प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों के समन्वित विस्तार, नियमन, शिक्षण व अनुसन्धान को समुचित प्रोत्साहन देवें तथा नियामक व्यवस्था व वैधानिक प्रावधानों को पारदर्शिता पूर्वक लागू करें.

शुक्रवार, 11 मार्च 2016

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा 2016, नागौर:- सरकार्यवाह प्रतिवेदन

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा 2016, नागौर:- सरकार्यवाह प्रतिवेदन
परम पूजनीय सरसंघचालक जी, अखिल भारतीय पदाधिकारी गण, अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के निमंत्रित एवं विशेष निमंत्रित सदस्य, अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के समस्त प्रतिनिधि बंधु तथा सामाजिक जीवन के विविध क्षेत्रों में कार्यरत ऐसे निमंत्रित सम्माननीय बहनों तथा बंधुओं, नागौर में संपन्न हो रही अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में आप सभी का स्वागत है।
श्रद्धांजलि

अपनी प्रदीर्घ यात्रा में अपने साथ रहे ऐसे कई महानुभावों की अनुपस्थिति हम अनुभव कर रहे हैं। वैसे ही राष्ट्रजीवन में अपनी समर्पित प्रतिभा, ज्ञान तथा कर्तृत्व आदि से समाज में स्वनामधन्य हो गए ऐसे महानुभाव भी आज हमारे मध्य नहीं रहे।
1) श्री अशोक जी सिंघल - विश्व हिन्दू परिषद के मार्गदर्शक, 2) श्री मधुजी लिमए - पूर्व प्रान्त प्रचारक असम, 3) श्री मुकुंदराव पणशीकर - अ.भा. कार्यकारिणी सदस्य एवं धर्मजागरण विभाग प्रमुख, 4) श्री संजय कुलासपुरकर - वनवासी कल्याण आश्रम के क्षेत्र संगठन मंत्री, असम क्षेत्र, 5)मा. राजनारायण ठाकूर - अ.भा.प्रतिनिधि एवं महानगर संघचालक, मुजफ्फरपुर, 6) श्री कृष्णचंद्र सूर्यवंशी - वरिष्ठ प्रचारक एवं किसान संघ के अ.भा. पूर्व कोषाध्यक्ष, मध्यभारत, 7) श्री रामदौरसिंह - भारतीय मजदूर संघ के राजस्थान क्षेत्र संगठन मंत्री, 8) श्री नित्यानंद जी - पूर्व प्रांत कार्यवाह, उत्तरांचल, 9) श्री अरुणभाई यार्दी - अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व अ.भा.अध्यक्ष, गुजरात, 10) श्री नेकशाम समशेरी - पूर्व क्षेत्र संघचालक, पश्चिम उत्तरप्रदेश क्षेत्र, 11) श्री वीरेन्द्र प्रसाद अग्रवाल - पूर्व प्रांत संघचालक, जयपुर प्रांत, 12) श्री जगन्नाथ गुप्ता - पूर्व प्रदेशाध्यक्ष विहिप एवं कल्याण आश्रम, जयपुर प्रांत, 13) श्री सुजीत - कन्नूर जिले के स्वयंसेवक, 14) Dr. K. N. Sengottaiyan - अध्यक्ष, सेवाभारती तमिलनाडु, 15) श्री जे. दामोदर राव - पूर्व प्रांताध्यक्ष भारतीय किसान संघ एवं पूर्व विधायक, भा. ज. पा., तेलंगाणा, 16) श्री व्ही. रामा राव - पूर्व राज्यपाल, सिक्किम, 17) श्री शरद जोशी - किसान नेता, महाराष्ट्र, 18) श्री मुफ्ती मुहम्मद सईद – मुख्यमंत्री जम्मू कश्मीर 19) श्री ए. बी. बर्धन - मजदूर नेता, नागपुर 20) श्री बलराम जाखड़ - पूर्व लोकसभा अध्यक्ष, 21) श्री भंवरलाल जैन - प्रसिद्ध उद्योगपति, जळगांव 22) श्री मंगेश पाडगांवकर - ख्यातनाम कवि, महाराष्ट्र, 23) श्री सईद जाफरी - सिने अभिनेता, 24) श्रीमती साधना - सिने अभिनेत्री, 25) श्रीमती मृणालिनी साराभाई - प्रसिद्ध नृत्यांगना, 26) आचार्य बलदेव जी -गुरुकुल कालवा, 27) पी.ए.संगमा-पूर्व लोकसभा अध्यक्ष।
वैसे ही चेन्नई में आयी बाढ़ के कारण एवं समय-समय पर घटित प्राकृतिक आपदाओं में काल के ग्रास बने, आतंकवादी घटनाओं के शिकार बने, सियाचिन में बर्फ के तूफान में तथा सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की बलि चढ़ाई ऐसे सुरक्षाबलों के जवान, ऐसे समस्त महानुभावों के समस्त परिवार-जनों के प्रति अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा अपनी गहरी शोक संवेदना प्रकट करती है। ईश्वर उन्हें सद्गति प्रदान करें। उन्हें हम हमारी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
2015-16 में संपन्न संघ शिक्षा वर्ग तथा प्राथमिक शिक्षा वर्ग

कुल संघ शिक्षा वर्ग :- 83






परम पूजनीय सरसंघचालक जी का 2015-16 का प्रवास
सभी 11 क्षेत्रों का प्रवास, प्रमुख कार्यकर्ताओं की बैठकें संघ दायित्व और पांच गतिविधियों की जानकारी

धर्मसभा, महिमा गढ़ी, जोरान्डा, ओडिशा पूर्व, मंच पर साधु रघुनाथ बाबा एवं साधु पवित्र बाबा

स्वामी ज्ञानानन्दजी रामकृष्ण मठ, हैदराबाद

पूज्य संतों के साथ भोजन, महिमा गढ़ी
इस वर्ष परम पूजनीय सरसंघचालक जी को 60 से अधिक महानुभावों से व्यक्तिगत संवाद का अवसर मिला। जिनमें महामहिम राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी, संत देवसिंह अद्वैती (वाल्मिकी समाज के संत), उदासीन संप्रदाय के श्री चंद्रस्वामी, देहरादून के महंत श्री देवेन्द्रनाथ, केरल के पूज्य स्वामी चिदानंद जी पुरी एवं भाग्यनगर (हैदराबाद) के रामकृष्ण मठ के स्वामी ज्ञानानंद जी विशेष उल्लेखनीय है।
जी.व्ही.के. ग्रुप के श्री वेंकट कृष्णमूर्ति, टी.व्ही.एस्. मोटर्स के श्री वेणु श्रीनिवासन्, मुंबई के श्री समीर सोमय्या ऐसे उद्यमी, दैनिक पुढ़ारी (मराठी दैनिक) के श्री प्रतापसिंह जाधव, कन्नड दैनिक के श्री शांताकुमार, हिन्दुस्थान टाईम्स की श्रीमती शोभना भारतीय, ‘आजतक’ के श्री अरुण पुरी, कोलकाता के वर्तमान साप्ताहिक के श्री रंतीदेव सेनगुप्ता, तन्थी टी. व्ही. के श्री रंगराज ऐसे प्रसार माध्यमों के महानुभावों से भी मिलना हुआ।
न्यायविद श्री कनकराज एवं श्री बालसुब्रम्हण्यम् तथा जोधपुर के महाराजा श्रीमान गजसिंह जी से भी वार्तालाप हुआ।
प.पू.सरसंघचालक विभिन्न 20 गोष्ठियों में भी उपस्थित रहे जिसमें लगभग 600 महानुभाव उपस्थित थे।
अन्य अधिकारी प्रवास
माननीय सरकार्यवाह तथा सह-सरकार्यवाहजी का प्रवास सभी प्रान्तों में तथा अन्य पदाधिकारियों का सभी प्रान्तों में विभागशः संपन्न हुआ। कार्य की समीक्षा, कार्य विस्तार की योजना इत्यादि विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई।
अखिल भारतीय शृंग वाद्य शिविर, स्वरांजलि, बंगलुरु
7-10 जनवरी 2016, बंगलुरु
स्थान - 407,
शृंग वादक - 1393,
कुल वादक - 2185
प.पू.सरसंघचालक जी की उपस्थिति और इसरो के पूर्व अध्यक्ष पद्मभूषण श्री डॉ.के.राधाकृष्णन् की प्रकट कार्यक्रम में उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय है।
प्रहार महायज्ञ
प्रहार महायज्ञ :- गत वर्ष के अनुसार इस वर्ष भी प्रहार यज्ञ का आयोजन।
सहभागी शाखा - 26,074
45 आयु से कम उम्र के सहभागी - 2,29,221
कुल स्वयंसेवक - 2,93,741
1000 से अधिक प्रहार लगानेवाले स्वयंसेवक - 63,836,
कुल प्रहार - 15,68,27,219,
25 से अधिक संख्या रही ऐसी शाखाएं - 2,712
अखिल भारतीय खेल कार्यशाला

मुंबई में खेल विषय की एक कार्यशाला संपन्न हुई। शाखाओं पर विभिन्न आयु के स्वयंसेवक आते है, यह ध्यान में रखते हुए खेलों का विभाजन एवं नये-नये खेलों पर चर्चा हुई। लगभग 200 नये खेल सामने आये। प्रशिक्षण की दृष्टि से उनका दृष्यांकन भी किया गया है।
बौद्धिक विभाग

बौद्धिक विभाग एवं शारीरिक विभाग की अखिल भारतीय टोली तथा प्रांत प्रमुखों की सामूहिक बैठक झांसी में संपन्न हुई। अपने-अपने विषयों के चिंतन के साथ ही ‘संगठन श्रेणी के कार्य’ इस संदर्भ में विस्तार से सभी बिंदुओं पर चर्चा हुई। बैठक में आयुनुसार शाखा, बौद्धिक कार्यक्रम, जिला केन्द्रों में बौद्धिक विभाग का क्रियान्वयन, अध्ययन केन्द्र इत्यादि विषयों पर सघन चर्चा संपन्न हुई।
विशेष बौद्धिक वर्ग प्रशिक्षण :- चार क्षेत्रों में प्रशिक्षण वर्ग संपन्न हुए है। इसमें मुख्यतः विकास की अवधारणा, समरसता और हिन्दुत्व इन तीन विषयों पर चिंतन हुआ।
प्रांतशः कार्यशाला :- समाचार समिक्षा, कथा-बोधकथा, प्रार्थना (शुद्धता एवं भावार्थ) इत्यादि विषयों पर प्रायोगिक प्रशिक्षण हुआ है। 35 प्रांतों में 1661 कार्यकर्ता सहभागी हुए।
विशेष उपक्रम
स्तंभलेखक गोष्ठी :- देशभर में कुल 500 स्तंभलेखक संपर्क में है। इस वर्ष तीन विषयों पर गोष्ठियों का आयोजन हुआ।
(1) महिला विषयक भारतीय दृष्टिकोण,
(2) सेक्युलरिज्म - भारत के संदर्भ में, तथा
(3) उत्तर-पूर्वांचल (असम और 6 राज्य)
वर्तमान परिस्थिति। इसमें 37 प्रांतों से 230 स्तंभलेखक सहभागी हुए।
सोशल मीडिया प्रमुख कार्यशाला :-
इसमें 35 प्रांतों से 76 कार्यकर्ता उपस्थित थे। अनुवर्तन में 78 स्थानों पर 2,902 कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण हुआ। इस विषय में 256 स्थानों पर 4,044 कार्यकर्ता सक्रिय है।
नियमित कार्यक्रम
नारद जयंती के अवसर पर देशभर में पत्रकार सम्मान तथा प्रबोधन के 135 स्थानों पर कार्यक्रम संपन्न हुए जिसमें 3,922 पत्रकार एवं 17,857 नागरिक उपस्थित रहे। इसमें कुल 649 पत्रकारों को सम्मानित किया गया।
जागरण पत्रिका संपूर्ण देशभर में 2,31,282 ग्रामों तक पहुंचाती है।
दो स्थानों पर मीडिया प्रशिक्षण कार्यशालाएं संपन्न हुई जिसमें 33 प्रांतों से 50 कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
36 प्रांतों में 2,443 स्थानों पर 18,528 कार्यकर्ताओं द्वारा 4,79,444 पुस्तकों की विक्री हुई।
विश्व संवाद केन्द्र, जागरण पत्रिकाओं के संपादक, साप्ताहिक/मासिक पत्रिकाओं के संपादक और विभिन्न साहित्य प्रकाशनों के प्रमुख संचालकों की सामूहिक बैठक नागपुर में संपन्न हुई। इसमें 39 प्रांतों से 183 बंधु उपस्थित रहे।
सम्पर्क विभाग
समाज के प्रभावी तथा ‘समाजमन’ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है ऐसे व्यक्तियों से संपर्क स्थापित करने का प्रयास ‘‘संपर्क विभाग’’ के द्वारा होता है। समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा के कारण प्रतिष्ठा प्राप्त महानुभावों की विभिन्न श्रेणियां जैसे व्यावसायिक, शिक्षा, सेवा, उद्योजक, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, बनाकर संपर्क की व्यवस्था बनती है।
परम पूजनीय सरसंघचालक जी तथा अन्य अधिकारियों के प्रवास में व्यक्तिगत संपर्क की योजना बनती है। गत वर्ष के प्रवास में श्री अजीम प्रेमजी, श्री नारायण मूर्ति, पूज्य श्री श्री रविशंकरजी, पूज्य माता अमृतानंदमयी, सेवानिवृत्त न्यायाधीश स्व. कृष्ण अय्यर जी ऐसे महानुभावों से मिलना हुआ था। इस वर्ष भी इसी प्रकार मिलना हुआ।
संपर्क विभाग द्वारा समसामायिक विषयों पर संगोष्ठियों का आयोजन होता है। भाग्यनगर (हैदराबाद) में आयोजित ‘‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’’ पर परिचर्चा तथा बंगलुरु में आयोजित ‘‘लघु उद्योजकों’’ का एकत्रीकरण विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
सेवा विभाग
सेवा विभाग के तत्वावधान में विकसित होते हुए विभिन्न प्रयोग चल रहे हैं। संपूर्ण देश में विभिन्न राज्यों में स्वयंसेवकों द्वारा संचालित न्यासों के माध्यम से लगभग 1,52,388 सेवा कार्य चल रहे हैं।
सेवा प्रकल्पों के संकलन, प्रशिक्षण इत्यादि दृष्टि से अखिल भारतीय स्तर पर ‘राष्ट्रीय सेवा भारती’ एक छत्र संस्था के रूप में कार्यरत हैं। राष्ट्रीय सेवा भारती के नेतृत्व में राज्यों-राज्यों में ‘सेवा संगम’ आयोजित किए जाते हैं। 3 से 5 अप्रैल, 2015 को अखिल भारतीय स्तर पर भव्य ‘‘सेवा संगम’’ दिल्ली में आयोजित किया गया। ‘‘जी’’ टीवी के श्री सुभाष चंद्राजी ने स्वागताध्यक्ष के रूप में दायित्व वहन किया। पूज्य माता अमृतानंदमयी की गरिमामय उपस्थिति में उद्घाटन हुआ एवं समापन में प्रतिष्ठित उद्योगपति सन्माननीय श्री अजीम प्रेमजी और जी.एस.आर.ग्रुप के संचालक सन्माननीय श्री जी.एम.राव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। परम पूजनीय सरसंघचालक जी श्री मोहन जी भागवत, माननीय सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी, सह-सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय जी एवं डॉ. कृष्णगोपाल जी ने उपस्थित रहकर मार्गदर्शन किया।
‘‘सेवा संगम’’ में सभी राज्यों से 700 से अधिक सेवा संस्थाओं से 3,050 प्रतिनिधि सहभागी हुए।
वर्तमान में सेवा कार्य :-
शिक्षा - 81,278
स्वास्थ्य - 22,741
सामाजिक संस्कार - 26,388
स्वावलंबन - 21,981
कुल -1,52.388
‘‘तरुणोदय-2015’’
हरियाणा प्रांत में महाविद्यालयीन कार्य के सशक्तिकरण के उद्देश्य से इस शिविर का आयोजन 1 मार्च, 2015 में रोहतक ( हरियाणा) में किया गया।
पूर्व तैयारी - 23 मार्च, 2014 को सभी शाखाओं पर शहिदी दिवस मनाया गया। विभागश: प्राध्यापकों के परिचय वर्ग हुए। 14 अगस्त, 2014 को अखंड भारत दिवस मनाया गया। जिलाशः संकल्प सम्मेलन हुए। नगर/खण्डशः महाविद्यालयीन विद्यार्थियों का एकत्रीकरण हुआ। गुणात्मक परिक्षाओं की कसौटी पर कुल 6,500 विद्यार्थियों का पंजीकरण हुआ। कुल 819 स्थानों से विद्यार्थी उपस्थित रहे।
अनुवर्तन :- वर्तमान में महाविद्यालयीन विद्यार्थियों की 180 शाखा और 139 साप्ताहिक मिलन प्रारंभ हुए हैं। 536 कार्यकर्ताओं को नया दायित्व दिया गया। 583 स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। 26 विद्यार्थी विस्तारक बनें। 254 विद्यार्थी अल्पकालिन विस्तारक (1 से 2 सप्ताह) गये। अखंड भारत दिन के 115 कार्यक्रमों में 5,037 विद्यार्थी उपस्थित रहे। 17 स्थानों पर प्राध्यापक मिलन प्रारंभ हुए। इसके लिए 28 नवंबर, 2015 को एक दिन की योजना बनाई गई थी। विक्री हेतु 4 पुस्तकों का चयन किया गया था। (1) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ - एक परिचय, (2) अपना परिवार हिन्दू परिवार, (3) सामाजिक समरसता - हमारा दृष्टिकोण, (4) बोधकथाएं।
स्थान 342, कुल कार्यकर्ता 2,200,
गुट (थैला/1000 रु. का साहित्य)650,
पुस्तक संख्या 52,000, राशि 6.50 लाख रु.
‘ग्राम संगम’ - 3 दिवसीय सम्मलेन – बंगलुरु

‘समग्र ग्राम विकास‘ के कार्य को गति प्राप्त हो, इस कार्य में सक्रिय बंधुओं में अनुभवों-विचारों का आदान-प्रदान हो, इस दृष्टि से कर्नाटक दक्षिण प्रांत का, 12-14 जून 2015, ‘ग्राम संगम’ बंगलुरु के निकट प्रशांति कुटिरम् में आयोजित किया गया। ग्राम स्वावलंबी हो इस दृष्टि से 18 विषयों पर चर्चा सत्र रखे थे। जैसे जैविक कृषि, जल संवर्धन, पशु संवर्धन, पर्यावरण, स्वसहाय समूह, बालगोकुलम्, मातृ मंडली, आप्त सलाह केन्द्र, घरेलु उपचार, धार्मिक केन्द्र, स्वास्थ्य जागृति आदि।
विभिन्न विषयों की जानकारी के साथ प्रशिक्षण देने का कार्य भी ‘ग्राम संगम’ में संपन्न हुआ। अपना ग्राम स्वावलंबी, नशामुक्त, भेदभाव अस्पृश्यता मुक्त, सामाजिक कुरीतियों से मुक्त करने का संकल्प सभी सहभागियों द्वारा लिया गया।
‘ग्राम संगम’ की व्यवस्था में पूर्ण रूप से जैविक कृषि से निर्मित खाद्य सामग्री का ही उपयोग किया गया। तुमकुर जिले के जैविक कृषि करनेवाले कृषक बंधुओं ने ही भोजन, अल्पाहार बनाने का दायित्व लिया था। संपूर्ण परिसर में कहीं पर भी प्लास्टिक अथवा थर्माकोल का उपयोग वर्ज्य था। संगम में फहराया हुआ ‘भगवद्ध्वज’ भी जैविक कृषि द्वारा निर्मित कपास से बुने वस्त्र से ही तैयार किया गया था। विभिन्न विषयों को दर्शानेवाली प्रदर्शनी भी लगाई गई थी।
ग्राम संगम में 13 जिलों के 673 ग्रामों से 1819 प्रतिभागी सम्मिलित हुए जिनमें 1238 पुरुष तथा 581 महिलाएं थी। सहभागी बंधुओं में 70 बंधु, 35 वर्ष से कम आयु के थे यह विशेष बात है।
विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. बालसुब्रम्हण्यम् जी के द्वारा उद्घाटन हुआ। अखिल भारतीय ग्राम विकास प्रमुख डॉ.दिनेश जी, अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख श्री मंगेश जी भेंडे एवं अखिल भारतीय सह-बौद्धिक प्रमुख श्री मुकुंद जी ने ग्राम संगम में विशेष रूप से उपस्थित रहकर मार्गदर्शन किया।
‘शिवशक्ति संगम’, पुणे - पश्चिम महाराष्ट्र

पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत के स्वयंसेवकों का गणवेश में विशाल एकत्रीकरण, ‘शिवशक्ति संगम’, 3 जनवरी, 2016 को पुणे में प.पू सरसंघचालक जी की उपस्थिति में संपन्न हुआ। कार्यविस्तार की दृष्टि से ही कार्यक्रम का आयोजन किया था। अपेक्षानुसार कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ है।
पूर्व तैयारी
लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व योजना पर क्रियान्वयन प्रारंभ किया था। प्रति माह सभी उपखण्डश: तथा नगरीय क्षेत्र में नगरशः एकत्रीकरण। जून, 2015 में ‘हिन्दू साम्राज्य दिन’ उत्सव सभी मंडलों में और नगर में बस्तीशः करने की योजना। 21 जून, 2015 को संकल्प पूर्ति दिन 238 स्थानों पर 773 शाखा, 504 साप्ताहिक मिलन और 50 संघ मंडली के स्थानों पर किया गया। सभी पूर्व प्रचारकों की बैठक हुई और अपने पूर्व प्रचारक क्षेत्र में विस्तारक जाने की योजना बनी। सितंबर में जिला और उपर के अधिकारी 130 खण्डों में विस्तारक के नाते गए। खण्डशः और पुणे महानगर में नगरशः गणवेष में संचलन हुए। 194 संचलनों में 23,169 स्वयंसेवक सहभागी हुए। सभी सामाजिक, धार्मिक नेतृत्व, संत आदि से विशेष संपर्क किया गया। महाराष्ट्र के प्रमुख देवस्थानों पर मा. प्रांत संघचालक जी द्वारा देवताओं को निमंत्रण। 31 अगस्त, (गुरुपूर्णिमा) से 20 दिसंबर तक दो चरणों में पंजीकरण हुआ। 5700 ग्रामों से (57) 1 लाख, 60 हजार स्वयंसेवकों का पंजीकरण हुआ।
कार्यक्रम की विशेषता
6,500 प्रबंधक स्वयंसेवक और 500 बहनों ने व्यवस्था में सहयोग किया।
लगभग 3000 वनवासी बंधुओं की उपस्थिति थी।
कार्यक्रम हेतु तैयार की गई ‘‘शिवशक्ति’’ रचना का शृंगदल के 1,048 स्वयंसेवकों द्वारा वादन किया गया।
संपर्क विभाग के प्रयास से 15,000 विभिन्न जाति, समुदाय, मठ, मंदिरों के प्रमुखों की विशेष उपस्थिति रही।
सभी समाचार पत्रों एवं इलेक्ट्रॉनिक मिडिया द्वारा कार्यक्रम को अच्छी प्रसिद्धि दी गई। विदेशी पत्रकारों भी उपस्थिति रही। 30-35 अन्यान्य देशों के समाचार पत्रों में भी इस कार्यक्रम का उल्लेख किया।
अनुवर्तन
प्रत्येक सहभागी स्वयंसेवक द्वारा मकर संक्रमण के पर्व पर 10 परिवारों से संपर्क करने की योजना।
26 जनवरी को सभी मंडल तथा बस्तियों में भारतमाता पूजन के कार्यक्रम।
14 फरवरी को प्रतिनिधित्व हुआ है ऐसे सभी ग्रामों में शाखा।
प्राथमिक शिक्षा वर्ग में अधिक स्थानों से स्वयंसेवक आए ऐसा प्रयास किया गया।
आगामी कालखंड में जागरण श्रेणी के कार्य, गतिविधि के कार्य हेतु प्रशिक्षण योजना।
विस्तृत बैठकें, कर्नाटक उत्तर

कार्यविस्तार और अधिकाधिक स्वयंसेवकों की सक्रियता में वृद्धि हो इस दृष्टि से कर्नाटक उत्तर प्रांत में खण्डश: विस्तृत बैठकों का आयोजन किया गया।
सेवा, संपर्क, प्रचार विभागों के कार्यों के साथ ही धर्मजागरण, ग्राम विकास, गौसेवा, कुटुंब प्रबोधन ऐसे कार्यों में भी स्वयंसेवक अपनी रुची, आवष्यकतानुसार प्रत्यक्ष सहभागी हो इसी अपेक्षा के साथ बैठकों का आयोजन किया गया। विषेषतः ग्रामीण क्षेत्र के बंधुओं को केन्द्रित कर बैठकें हुई। अत्यंत सफल आयोजन रहा। अनुवर्तन की दृष्टि से प्रशिक्षण की योजना पर भी विचार किया है।
82 खण्डों की बैठकें संपन्न हुई। 2,124 ग्रामों का प्रतिनिधित्व हुआ। 12,269 कार्यकर्ता उपस्थित रहे। 4,216 नए व्यक्ति बैठकों में सम्मिलित हुए।
खण्डश: एकत्रीकरण, देवगिरी

एक वर्ष पूर्व देवगिरी प्रांत में ‘‘महासंगम’’ का आयोजन किया था। परिणामतः शाखा, साप्ताहिक मिलन, संघ मंडली की संख्या में अच्छी वृद्धि हुई है। 2015-16 के कालखंड में प्रांत ने खण्डशः एकत्रीकरण की योजना बनाई थी। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा तक 102 खण्डों के और 23 नगरों के एकत्रीकरण संपन्न हुए है। गणवेश में शारीरिक प्रदर्शन का भी आग्रह रहा। सभी एकत्रीकरण प्रभावी रहे।
2,985 ग्रामों से 887 मंडलों से 41,545 कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही। कार्यक्रमों में 35,000 से अधिक गणमान्य नागरिक बहनों, भाइयों की उपस्थिति रही।
सातपुडा संगम, नंदुरबार, देवगिरी प्रांत

सातपुडा पर्वत श्रेणी के परिसर में रहनेवाले हिन्दू बंधुओं में संपर्क, संवाद वृद्धिंगत हो, विभिन्न प्रश्नों पर हिन्दू शक्तियों की गतिविधियों के कारण जनजाति वर्ग में निर्माण होनेवाली समस्याओं पर जनजागरण हो, इसी दृष्टि से ‘सातपुडा संगम’ का आयोजन देवगिरी प्रांत में नंदुरबार स्थान पर 14 जनवरी, 2016 को आयोजित किया गया। कार्यक्रम की संपन्नता हेतु अवकाशप्राप्त उपमहानिरिक्षक, महाराष्ट्र पुलिस, श्री मधुकर गावित जी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया। धुले जिले के बारीपाडा निवासी ‘‘विकास रत्न’’ श्री चैवाम पवार समिति के कार्याध्यक्ष थे। कार्यक्रम में धुले, जलगाव, नंदुरबार जिले के लगभग 1,100 ग्रामों से 70 हजार से अधिक हिन्दू सम्मिलित हुए। जनजाति बंधुओं की संख्या अधिकतम रही। इस क्षेत्र में रहनेवाली सभी जनजातियों का प्रतिनिधित्व रहा। महिलाओं की संख्या बहुत अच्छी रही। कार्यक्रम के पूर्व पूज्य संतों की शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें लगभग 18,000 महिला, पुरुष सहभागी हुए।
नंदुरबार शहर के बाजार स्वयंप्रेरणा से बंद रहे और नगरवासी भी कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
पूर्व तैयारी :- 11 स्थानों पर सामाजिक सद्भावना बैठकों का आयोजन जिसमें विभिन्न जाति-जनजाति के प्रमुख उपस्थित रहे। वनवासी क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न संस्था-संगठनों के प्रमुखों से विविध जनजाति समस्याओं पर विचार-विमर्श किया गया। ग्राम-ग्राम में बैठकों का आयोजन किया। प.पू.सरसंघचालक जी तथा संन्यास आश्रम, मुंबई के श्रीश्री 1008 प.पूमहामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानन्द जी की प्रेरक उपस्थिति में कार्यक्रम संपन्न हुआ। तीन बिंदुओं पर विशेष मार्गदर्शन रहा।
(1) एकरस, समर्थ हिन्दू समाज विश्व की समस्याओं का समाधान दे सकता है। (2) जनजाति बंधु अपने संस्कृति के रक्षक हैं। (3) समस्त विविधताओं का सम्मान करते हुए हमें एकता का मंत्र धारण करना होगा। यह सातपुडा संगम एक सफल आयोजन सिद्ध हुआ है।
आए हुए सभी के लिए भोजन प्रबंध किया गया था। 4,500 घरों से सामग्री संकलन की गई।
प्रबंधक के नाते 1800 कार्यकर्ता और ग्राम-ग्राम में प्रचार-प्रसार हेतु 2000 से अधिक कार्यकर्ता।
परिसर में 1000 विशेष गणमान्य बंधु उपस्थित रहे।
व्यवस्था में पर्यावरण का ध्यान रखा गया।
प्रशासन तथा प्रसार माध्यमों का सकारात्मक सहयोग।
शाखा टोली शिविर, अवध

शाखा टोली की सक्रियता में वृद्धि और शाखा दृढ़ीकरण की दृष्टि से प्रांत में 2 स्थानों पर शाखा टोली शिविर आयोजित किया गया। माननीय सरकार्यवाह जी दोनों स्थानों पर पूर्ण समय उपस्थित रहे।
कुल अपेक्षित शाखा - 968
उपस्थित - 732
अपेक्षित प्रवासी कार्यकर्ता - 1185
उपस्थित - 608
अपेक्षित मुख्यशिक्षक - 998
उपस्थित - 656
अपेक्षित कार्यवाह - 814
उपस्थित - 529
अपेक्षित गटनायक एवं गणशिक्षक - 3412
उपस्थित - 1878
कार्यक्रमोपरांत टोली युक्त शाखाओं में वृद्धि हुई है। 236 शाखाओं के वार्षिक उत्सव संपन्न हुए।
सामूहिक श्रमसाधना, महाकौशल
स्वामी विवेकानन्द जयंती प्रांत में 778 स्थानों पर ‘सामूहिक श्रमसाधना’ के रूप में मनाई गई। 22,900 स्वयंसेवक सहभागी हुए। स्थान-स्थान पर तालाब की स्वच्छता, नदी तटों की सफाई, शासकीय अस्पताल, विद्यालय, सार्वजनिक मंदिर आदि स्थानों पर श्रमदान के द्वारा स्वच्छता की गई। समाज का योगदान भी अच्छा रहा।
ग्राम विकास कार्यकर्ता सम्मेलन, गुजरात

उत्तर गुजरात में गांधीनगर के निकट ‘‘माणसा’’ ग्राम में संपन्न हुआ। 7 जिलों से 45 खंडों से 137 ग्राम के 411 कार्यकर्ता उपस्थित रहे और तीन स्थानों पर ऐसे वर्ग करने की आगामी योजना है। संमेलन में जैविक कृषि, जल संधारण, सप्तसंपदा संरक्षण, पंचगव्य आदि विषयों पर प्रशिक्षणात्मक चर्चा हुई। परस्पर अनुभवों का आदान-प्रदान भी उपयुक्त रहा है।
सामाजिक सदभाव बैठक, गुजरात
प्रांत में माननीय सरकार्यवाह जी की उपस्थिति में एक सामाजिक सदभाव बैठक का आयोजन किया गया। 74 जाति-बिरादरियों से 183 महानुभाव उपस्थित रहे। समसामायिक विषयों पर संतोषजनक चर्चा रही।
समरसता माह, मध्य भारत

मध्यभारत प्रांत में माह जनवरी, 2016 को ‘समरसता माह’ के रूप में विविध उपक्रमों से संपन्न किया गया।
समरसता सप्ताह (3 से 10 जनवरी) - अधिकतम उपस्थिति दिवस - 1208 शाखाओं में 29479 की उपस्थिति। सभी शाखाओं पर ‘‘हिन्दवः सोदरा सर्वे’’ इस पुस्तिका का वाचन।
नगरशः एकत्रीकरण – सामाजिक समरसता इस विषय पर उद्बोधन 160 नगरों में संपन्न - उपस्थिति - 11451 तरुण + 3228 बाल = 14,679
ग्राम सर्वेक्षण - जलस्रोत, श्मशान एवं मंदिर इन तीन बिन्दुओं का 9603 ग्रामों में सर्वेक्षण किया गया।
गांव में सभी के लिए उपलब्ध - जलस्रोत - 8463, मंदिर - 7453 एवं श्मशान – 7824 गांवों में। इस कार्य हेतु अल्पकालिन विस्तारक योजना (3 से 7 दिन) - 1334 विस्तारक गए।
अनुवर्तन :- फरवरी मास में समरसता यज्ञ का आयोजन 99 नगरों में संपन्न - कुल सहभागिता (महिला+पुरुष+युवा) - 35201 यज्ञ की आयोजक समिति में तथा यज्ञ में विभिन्न जाति-बिरादियों के बंधु सहभागी हुए।
राष्ट्रीय परिदृश्य :-

1) महिला और मंदिर प्रवेश :- गत कुछ दिनों से महिलाओं के मंदिर प्रवेश को लेकर कुछ समूहों द्वारा विवाद का मुद्दा बनाया जा रहा है। भारत में प्राचीन काल से ही धार्मिक, आध्यात्मिक क्षेत्र में पूजा-पाठ की दृष्टि से महिला-पुरुषों की सहभागिता सहजता से रही है, यह अपनी श्रेष्ठ परम्परा है। सामान्यतः सभी मंदिरों में महिला-पुरुष भेद न रखते हुए सहजता से प्रवेश होता ही है। महिलाओं द्वारा वेदाध्ययन, पौरोहित्य के कार्य भी सहजता से संपन्न हो रहे हैं। अनुचित रुढ़ी परंपरा के कारण कुछ स्थानों पर मंदिर प्रवेश को लेकर असहमति दिखाई देती है। जहां पर यह विवाद है संबंधित बंधुओं से चर्चा हो एवं मानसिकता में परिवर्तन लाने का प्रयास हो। इस प्रकार के विषयों का राजनीतिकरण न हो एवं ऐसे संवेदनशील विषयों का समाधान संवाद, चर्चा से ही हो नहीं कि आंदोलन से। इसे भी ध्यान में रखना आवश्यक है। सामाजिक, धार्मिक क्षेत्र का नेतृत्व, मंदिर व्यवस्थापन आदि के समन्वित प्रयासों से सभी स्तर पर मानसिकता में परिवर्तन के प्रयास सामाजिक स्वास्थ्य की दृष्टि से आवश्यक है।
2) सुरक्षा संस्थान, देश विरोधी शक्तियों का लक्ष्य :- गत कुछ दशकों से बार-बार सुरक्षा संस्थानों को लक्ष्य बनाकर किए गए हमले देश की सुरक्षा व्यवस्था के सामने एक आह्वान है। सुरक्षा बल के जवानों द्वारा पूरे साहस के साथ संघर्ष करते हुए देश विरोधी शक्तियों के प्रयासों को विफल करने में अच्छी सफलता पायी है। अभी-अभी पठानकोट स्थित वायुसेना के मुख्य शिविर पर किया गया आक्रमण तजा उदाहरण है। इस प्रकार के घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इस दृष्टि से सुरक्षा व्यवस्थाओं को अधिक सक्षम बनाने की आवश्यकता है। सुरक्षाबलों की कार्यक्षमता, साधन एवं नियुक्त अधिकारियों की समुचित समीक्षा करते हुए आवश्यक सुधारों पर भी अधिक ध्यान देना होगा। सीमाओं से अवैध नागरिकों का प्रवेश, होनेवाली तस्करी तथा पाक प्रेरित आतंकवादी तत्वों के गतिविधियों की और अधिक कड़ी निगरानी आवश्यक है। इस दृष्टि से समय-समय पर सीमावर्ती क्षेत्र का विकास, सीमा सुरक्षा एवं सुरक्षा संसाधनों की ढांचागत व्यवस्थाओं की समीक्षा भी आवश्यक है। ऐसा लगता है कि भारत के संदर्भ में पाकिस्तान की नीति चयनीत सरकार नहीं तो वहां की सेना तय करती है। मुंबई में हुए हमले से लेकर पठानकोट की घटना इस बात की पुष्टि करती है। आज सारा विश्व समूह बढ़ती आतंकवादी घटनाओं से चिंतित है।
3) देश में बढ़ता साम्प्रदायिक उन्माद :- देश में विभिन्न स्थानों पर घटित हिंसक उग्र घटनायें, देशभक्त, शांतिप्रिय जन एवं कानून व्यवस्था के सम्मुख गंभीर संकट का रूप ले रही हैं। छोटी-मोटी घटनाओं को कारण बनाकर शस्त्र सहित विशाल समूह में सड़कों पर उतरकर भय-तनाव का वातावरण निर्माण किए जाने की मालदा जैसी घटनाएं विविध स्थानों पर गत कुछ दिनों में हुई हैं। सार्वजनिक तथा निजी संपत्ति का नुकसान, कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाकर पुलिस दल पर हमले की घटनाएं और विशेषतः हिन्दू बंधुओं के व्यावसायिक केन्द्र, सभी लूटपाट-आगजनी के भक्ष बनते हैं। राजनीतिक दलों ने तुष्टिकरण की नीति छोड़कर ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए, कानून-प्रशासन व्यवस्था को शांति बनाई रखने में सहयोगी बनने की आवश्यकता है। यह तभी संभव है जब राजनीतिक दल, सत्ता दल संकुचित ओछी राजनीति से मुक्त होकर सामूहिक प्रयास करेंगे। देश की सुरक्षा से महत्वपूर्ण कोई राजनीतिक दल अथवा कोई व्यक्ति नहीं हो सकता। प्रशासनों का कर्तव्य है कि कानून एवं व्यवस्था बनाए रखे और सुरक्षा की दृष्टि से देशवासियों को आश्वस्त करें।
4) विश्वविद्यालय परिसर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के केन्द्र :- विगत कुछ महिनों से, देश के कुछ विश्वविद्यालयों में, अराष्ट्रीय और देश विघातक गतिविधियों के जो समाचार मिल रहे हैं वे चिंताजनक हैं। देश के प्रतिष्ठित एवं प्रमुख विश्वविद्यालयों से तो यह अपेक्षा थी कि वे देश की एकता, अखण्डता की शिक्षा देकर देशभक्त नागरिकों का निर्माण करेंगे, किन्तु जब वहां पर देश को तोड़नेवाले और देश की बर्बादी का आवाहन देनेवाले नारे लगते हैं तब देशभक्त लोगों का चिंतित होना स्वाभाविक है। यह चिन्ता तब और भी बढ़ जाती है जब यह देखने को मिलता है कि कुछ राजनीतिक दल ऐसे देशद्रोही तत्वों के समर्थन में खड़े दिखाई देते हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर यह कैसे स्वीकार किया जा सकता है कि देश को तोड़नेवाले और देश को बर्बाद करनेवाले नारे लगाए जाए तथा देश की संसद को उड़ाने की साजिश करनेवाले अपराधियों को शहीद का दर्जा देकर सम्मानित किया जाए। ऐसे कृत्य करनेवालों का देश के संविधान, न्यायालय तथा देश की संसद आदि में कोई विश्वास नहीं है। इन देश विघातक शक्तियों ने लम्बे समय से इन विश्वविद्यालयों को अपनी गतिविधियों का केन्द्र बनाकर रखा है। संतोष की बात यह भी है कि जैसे ही इन गतिविधियों के बारे में समाचार सार्वजनिक हुए देश में सर्वदूर इसका व्यापक विरोध हुआ है। केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों से यह अपेक्षा है कि ऐसे राष्ट्र, समाज विरोधी तत्वों के साथ कठोरता से कारवाई करते हुए कोई भी शैक्षिक संस्थान राजनीतिक गतिविधि के केन्द्र न बने और उनमें पवित्रता, संस्कारक्षम वातावरण बना रहे यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। सामाजिक वातावरण प्रदूषित करनेवाली उपरोक्त घटनाओं से समाज जीवन प्रभावित होता है।
गत वर्ष राजनीतिक क्षेत्र में आए परिवर्तन से जन सामान्य और भारत के बाहर अन्य देशों में रह रहे भारतवासी संतोष और गर्व का अनुभव कर रहे हैं। भारत बाहरी देशों में विविध स्थानों पर आयोजित भारत मूल समूहों के सम्मेलनों से यही मनोभाव प्रकट हुआ है। वैश्विक स्तर पर बहुसंख्य देशों द्वारा ‘‘योग दिन’’ की स्वीकार्यता भारतीय आध्यात्मिक चिंतन एवं जीवन शैली की स्वीकार्यता ही प्रकट करती है। स्वाभाविक रूप से सभी देशवासियों की अपेक्षाएं बढ़ी है। एकता का वातावरण बना हुआ है। अतः सत्ता संचालक उस विश्वास को बनाए रखने की दिशा में उचित हो रही पहल अधिक प्रभावी एवं गतिमान करें, यही अपेक्षा है।
राष्ट्रीय विचारधारा को प्राप्त हो रही स्वीकृति से अराष्ट्रीय, असामाजिक तत्वों की अस्वस्थता गत कुछ दिनों में घटित घटनाओं से प्रकट हो रही है। भाग्यनगर (हैदराबाद) विश्वविद्यालय और जे.एन.यू. परिसर में नियोजित देशविरोधी घटनाओं ने इन षड्यंत्रकारी तत्वों को ही उजागर किया है। गुजरात, हरियाणा राज्यों में आरक्षण की मांग को लेकर किया गया हिंसक आंदोलन समस्त प्रशासन व्यवस्था के सम्मुख चुनौतियों के रूप में खड़ा होता ही है परंतु सामाजिक सौहार्द्र और विश्वास में भी दरार निर्माण करता है। सामाजिक जीवन निश्चित ही ऐसी घटनाओं से प्रभावित होता है। यह सबके लिए गंभीर चिंता का विषय है। किसी के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय, अत्याचार न हो लेकिन योजनापूर्वक देश विरोधी गतिविधि चलानेवाले व्यक्ति एवं संस्थाओं के प्रति समाज सजग हो और प्रशासन कठोर कार्रवाई करें। ऐसी विभिन्न समस्याओं का समाधान सुसंगठित समाज में ही है। अपने विभिन्न कार्यक्रमों में बढ़ती सहभागिता, शाखाओं में निरंतर हो रही वृद्धि यह हम सभी के लिए समाधान का विषय है। आज सर्वत्र अनुकूलता अनुभव कर रहे हैं। सुनियोजित प्रयास और परिश्रमपूर्वक, व्याप्त अनुकूलता को कार्यरूप में परिवर्तित किया जा सकता है। एक दृढ़ संकल्प लेकर हम बढ़ेंगे तो आनेवाला समय अपना है, यह विश्वास ही अपनी शक्ति है।
विजय इच्छा चिर सनातन नित्य अभिनव,
आज की शत व्याधियों का श्रेष्ठतम उपचार है,
चिर विजय की कामना ही राष्ट्र का आधार है।।
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संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि की बैठक शुरू एक साल में बढ़ी साढ़े पांच हजार शाखाएं


संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि की बैठक शुरू

नागौर,11मार्च। राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक शुक्रवार सुबह से शुरू हुई। बैठक का उद्घाटनसरसंघचालक डॉ.मोहनराव भागवत और सरकार्यवाह भैय्याजी (सुरेशजोशी ने भारत माता के चित्र पर पुष्प चढ़ाकर की। प्रतिनिधि सभा मेंदेशभर के करीब 1300 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

उद्घाटन सत्र में विश्व हिन्दू परिषद के मार्गदर्शक अशोक सिंहल से लगाकर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा तक समाज जीवन मेंउल्लेखनीय काम करने वाले एवं प्राकृतिक आपदाओं में दिवंगत हो चुके महानुभाओं को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

एक साल में बढ़ी साढ़े पांच हजार शाखाएं

नागौर, 11 मार्च। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ.कृष्णगोपाल ने कहा कि देशभर में संघ के काम में वृद्धि हुई है। पिछले एकवर्ष में 5524 शाखाएं और 925 साप्ताहिक मिलन बढ़े है।

डॉ.कृष्णगोपाल शुक्रवार को पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 में 40922 शाखाएं थीं जो वर्ष 2015 में बढ़कर 51335हो गई। इन तीन वर्षों में 10413 शाखाएं बढ़ी है। वहीं वर्ष 2016 में 5524 शाखाओं की बढ़ोतरी के साथ कुल 56859 शाखाएं हो गई है।उन्होंने बताया कि देश के कुल 840 जिलों में से 820 में संघ कार्य चल रहा है। कुल 90 प्रतिशत ब्लाकों में संघ की उपस्थिति है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि संघ की शाखाओं की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में ही ज्यादा है। 2594 नगरों में से 2406 में संघ काकार्य है। पिछले वर्ष संघ के विभिन्न शिक्षा वर्गों में 137351 स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।

प्रतिनिधि सभा में शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक समरसता संबंधित प्रस्तावों पर चर्चा होगी और सभा की सहमति से यह प्रस्ताव पारितकिए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि प्रतिनिधि सभा में समाज के विभिन्न वर्गों यथा चिकित्सक, इंजिनियर, प्राध्यापक, मजदूर, किसान, व्यापारी, महिला औरअधिवक्ताओं समेत करीब 1300 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

डॉ.कृष्णगोपाल ने बताया कि यह वर्ष रामनुजाचार्य की जयंती का हजारवां वर्ष,  डॉ.भीमराव अंबेडकर की जयंती का 125 वां, पंडित दीनदयालउपाध्याय और संघ के तृतीय सरसंघचालक बाला साहब देवरस का जन्मशताब्दी वर्ष है। इन चारों ही महापुरूषों ने देश में सामाजिक समरसताके लिए उल्लेखनीय काम किया। इस बात को ध्यान में रखते यह वर्ष सामजिक समरसता के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने सामाजिकविषमता पर चिंता जताते हुए कहा कि आज भी समाज में जाति, सम्प्रदाय, वर्ण और जन्म के आधार पर भेदभाव होता है, यह समाप्त होनाचाहिए।


बैठक में ये भी उपस्थित है-

प्रतिनिधि सभा में संघ के शीर्ष पदाधिकारियों के अलावा विश्व हिन्दू परिषद के संगठन महामंत्री दिनेश चन्द्रराष्ट्रीय अध्यक्ष चम्पतरायकार्यकारीअध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगडि़याभारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाहसंगठन महामंत्री रामलालराम माधवशिवकुमारराष्ट्रीयशैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संगठनमंत्री महेन्द्र कपूरकिसान संघ से दिनेश कुलकर्णीप्रभात केलकरस्वदेशी जागरण मंच से कश्मीरी लालडॉ.भगवती प्रसादभारतीय मजदूर संघ से वीसुरेन्द्रनवनवासी कल्याण आश्रम से सौमेया जूरूअतुलसुरेन्द्र सूरीअखिल भारतीय विद्यार्थी परिषदसे सुनील आंबेकरकेरघुनंदनलक्ष्मणश्रीनिवासडॉ. कैलाश शर्मामिलिंद मराठेहिन्दू जागरण मंच से कमलेशअशोक पाठकपूर्व सैनिककल्याण परिषद से विजय कुमारलघु उद्योग भारती प्रकाशचन्द्रइसके अलावा विद्याभारतीसीमा जन कल्याण समितिसेवा भारतीभारतविकास परिषदसहकार भारतीइतिहास संकलन समितिप्रज्ञा प्रवाह, आरोग्य भारती, विज्ञान भारती, क्रीड़ा भारती एवं भारतीय शिक्षण मंडल समेत करीब 45 संगठनों और 42 प्रांतो के प्रतिनिधि बैठक में शामिल हैं।

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित