हिंदुस्तान के नागरिक बनेंगे
पाकिस्तानी हिंदू
नारायण बारेठ
जयपुर से बीबीसी
हिंदी डॉटकॉम के लिए
गुरुवार, 30 अगस्त, 2012 को 16:38 IST तक के समाचार
भारत ने राजस्थान
में रह रहे उन पाकिस्तानी हिंदुओं को नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो सात साल से भारत में हैं.
जोधपुर में
प्रसाशन ने ऐसे नौ से ज़्यादा पाकिस्तानी हिंदू नागरिको के लिए भारतीय नागरिकता
देने के लिए प्रक्रिया शुरू की है.
लेकिन पाकिस्तान
से आए इन हिंदुओं के लिए कही ख़ुशी तो कही
गम सी स्थिति है क्योंकि इन हिंदू अल्पसंख्यको का कहना है कि भारत ने नागरिकता का बहुत ऊंचा शुल्क रखा है, जो उनके बूते से बाहर है.
सरकार ने अपनी इस
सूची में उन हिंदू अल्पसंख्यको को शामिल किया है, जो 31 दिसंबर 2004 से पहले भारत आए और फिर नहीं लौटे.
इन हिंदुओं का
नेतृत्व कर रहे सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढा ने इस क़दम का स्वागत
किया है.
उनका कहना है, ''एक तो ये सूची बहुत छोटी है. अभी पांच-छह हज़ार और लोग भी हैं, जो हाल के वर्षो में भारत आए और फिर
लौटने से इनकार कर दिया. दूसरे नागरिकता पाने के लिए
फ़ीस इतनी ज़्यादा है कि शायद ही कोई पाकिस्तानी हिंदू आवेदन के लिए आगे आएगा.''
नागरिकता का आवेदन
जोधपुर के अतिरिक्त ज़िला मजिस्ट्रेट राजेंद्र सिंह राठौर ने बीबीसी को बताया, ''चूँकि ये लोग भारत में सात साल तक रह चुके हैं, लिहाजा इन लोगों और इनके संगठन को कहा
गया है कि वो नागरिकता क़ानून के तहत अपनी
कार्रवाई कर सकते है. भारत के नागरिकता कानून के तहत ऐसे लोग भारत में अपनी रिहायश के सात वर्ष पूरा करने के बाद
नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते है.''
प्रशासन ने पुलिस और ख़ुफ़िया पुलिस से भी इन लोगों के बारे मे जानकारी मांगी
है.
सीमांत लोक संगठन के मुताबिक़ भारत ने नागरिकता के लिए शुल्क राशि बढ़ा कर तीन
हज़ार रूपए से लेकर बीस हजार रूपए तक कर दी है.
इतनी बड़ी राशि देने का सामर्थ्य किसी भी हिंदू परिवार में नहीं है क्योंकि इनमें से ज्यादातर या तो
भूमिहीन दलित है या फिर भील आदिवासी.
हिंदू सिंह सोढ़ा का कहना था, ''भारत ने वर्ष 2005 में इस शुल्क में बेतहाशा बढ़ोतरी कर भारत में शरण ले रहे
पाकिस्तानी हिंदू को हतोत्साहित करने का काम किया
है. हम इसके लिए आंदोलन कर रहे है.''
फीस ज्यादा
पाकिस्तान के सूबा सिंध से आए सोढ़ा राम भील इस बात को लेकर खुश हुए कि उन्हें नागरिकता मिल सकती है लेकिन
फीस की रकम सुन कर मायूस हो गए. उनके परिवार में 13 सदस्य है. उनका कहना है, ''हम वर्ष 2002 में सिंध से आए और अब लगा नागरिकता मिलने वाली है. लेकिन इसके लिए भारी भरकम फीस जुटाना हमारे लिए मुशिकल है.
मेरे परिवार में 13 सदस्य हैं. इस
हिसाब से ये फीस कई हजार रूपए होती
है. एक दिहाड़ी मजदूर कहां से इतनी फीस दे सकता है.''
भारत ने वर्ष 2005 में 13 हज़ार ऐसे पाकिस्तानी हिंदुओं को नागरिकता दी थी, जो धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर भारत
चले आए और फिर जाने से इनकार कर दिया.
उस समय भारत ने क़ानून में थोड़ी ढ़ील दी और ज़िला मजिस्ट्रेट को नागरिकता देने
का अधिकार दे दिया था. साथ ही फीस भी बहुत कम रखी थी.
हिंदू सिंह सोढ़ा का कहना था, ''हम एक बार फिर भारत से उसी तरह की प्रक्रिया अपनाने का अनुरोध कर रहे है जैसा पहले किया गया था क्योंकि पाकिस्तान में इन
अल्पसंख्यको के साथ धार्मिक आधार पर जुल्म बढ़ा है और वो इंसाफ की आरजू लिए भारत का रुख कर रहे हैं.''
पाकिस्तान के सांगड से आए अर्जुन राम को भारत आए आठ साल हो गए हैं. लेकिन अब
भी दस्तावेज़ उसके पाकिस्तानी होने की मुनादी करते है.
अर्जुन राम कहते है, ''हम लोग बड़ी मुश्किल से भारत पहुंचे है क्योंकि पाकिस्तान में जिंदगी बहुत कठिन हो
गई थी. भारत से हमें बहुत उम्मीदें हैं लेकिन नागरिकता
का कागज देखने के लिए आंखे तरस गई हैं.''
भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों की रेल थार एक्सप्रेस हर हफ्ते ऐसे हिंदुओ को भारत लाने का ज़रिया बनी
हुई है. पाकिस्तान ने वहां अल्पसंख्यक आबादी के
साथ भेदभाव की बात से इनकार किया है. लेकिन लोग आ रहे हैं और वापस नहीं जा रहे हैं.
"हम लोग बड़ी मुश्किल से भारत पहुंचे है
क्योंकि पाकिस्तान में जिंदगी बहुत कठिन हो गई थी. भारत से हमें बहुत
उम्मीदे हैं, लेकिन नागरिकता का कागज देखने के लिए आंखे तरस गई हैं"
अर्जुन सिंह
Source: http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/08/120830_pakistani_hindu_ss.shtml