शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

हिंदुस्तान के नागरिक बनेंगे पाकिस्तानी हिंदू


हिंदुस्तान के नागरिक बनेंगे पाकिस्तानी हिंदू

नारायण बारेठ
जयपुर से बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
 गुरुवार, 30 अगस्त, 2012 को 16:38 IST तक के समाचार

भारत ने राजस्थान में रह रहे उन पाकिस्तानी हिंदुओं को नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो सात साल से भारत में हैं.
जोधपुर में प्रसाशन ने ऐसे नौ से ज़्यादा पाकिस्तानी हिंदू नागरिको के लिए भारतीय नागरिकता देने के लिए प्रक्रिया शुरू की है.
लेकिन पाकिस्तान से आए इन हिंदुओं के लिए कही ख़ुशी तो कही गम सी स्थिति है क्योंकि इन हिंदू अल्पसंख्यको का कहना है कि भारत ने नागरिकता का बहुत ऊंचा शुल्क रखा है, जो उनके बूते से बाहर है.
सरकार ने अपनी इस सूची में उन हिंदू अल्पसंख्यको को शामिल किया है, जो 31 दिसंबर 2004 से पहले भारत आए और फिर नहीं लौटे.
इन हिंदुओं का नेतृत्व कर रहे सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढा ने इस क़दम का स्वागत किया है.
उनका कहना है, ''एक तो ये सूची बहुत छोटी है. अभी पांच-छह हज़ार और लोग भी हैं, जो हाल के वर्षो में भारत आए और फिर लौटने से इनकार कर दिया. दूसरे नागरिकता पाने के लिए फ़ीस इतनी ज़्यादा है कि शायद ही कोई पाकिस्तानी हिंदू आवेदन के लिए आगे आएगा.''
नागरिकता का आवेदन

जोधपुर के अतिरिक्त ज़िला मजिस्ट्रेट राजेंद्र सिंह राठौर ने बीबीसी को बताया, ''चूँकि ये लोग भारत में सात साल तक रह चुके हैं, लिहाजा इन लोगों और इनके संगठन को कहा गया है कि वो नागरिकता क़ानून के तहत अपनी कार्रवाई कर सकते है. भारत के नागरिकता कानून के तहत ऐसे लोग भारत में अपनी रिहायश के सात वर्ष पूरा करने के बाद नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते है.''
प्रशासन ने पुलिस और ख़ुफ़िया पुलिस से भी इन लोगों के बारे मे जानकारी मांगी है.
सीमांत लोक संगठन के मुताबिक़ भारत ने नागरिकता के लिए शुल्क राशि बढ़ा कर तीन हज़ार रूपए से लेकर बीस हजार रूपए तक कर दी है.
इतनी बड़ी राशि देने का सामर्थ्य किसी भी हिंदू परिवार में नहीं है क्योंकि इनमें से ज्यादातर या तो भूमिहीन दलित है या फिर भील आदिवासी.
हिंदू सिंह सोढ़ा का कहना था, ''भारत ने वर्ष 2005 में इस शुल्क में बेतहाशा बढ़ोतरी कर भारत में शरण ले रहे पाकिस्तानी हिंदू को हतोत्साहित करने का काम किया है. हम इसके लिए आंदोलन कर रहे है.''
 

फीस ज्यादा
पाकिस्तान के सूबा सिंध से आए सोढ़ा राम भील इस बात को लेकर खुश हुए कि उन्हें नागरिकता मिल सकती है लेकिन फीस की रकम सुन कर मायूस हो गए. उनके परिवार में 13 सदस्य है. उनका कहना है, ''हम वर्ष 2002 में सिंध से आए और अब लगा नागरिकता मिलने वाली है. लेकिन इसके लिए भारी भरकम फीस जुटाना हमारे लिए मुशिकल है.
मेरे परिवार में 13 सदस्य हैं. इस हिसाब से ये फीस कई हजार रूपए होती है. एक दिहाड़ी मजदूर कहां से इतनी फीस दे सकता है.''

भारत ने वर्ष 2005 में 13 हज़ार ऐसे पाकिस्तानी हिंदुओं को नागरिकता दी थी, जो धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर भारत चले आए और फिर जाने से इनकार कर दिया.
उस समय भारत ने क़ानून में थोड़ी ढ़ील दी और ज़िला मजिस्ट्रेट को नागरिकता देने का अधिकार दे दिया था. साथ ही फीस भी बहुत कम रखी थी.
हिंदू सिंह सोढ़ा का कहना था, ''हम एक बार फिर भारत से उसी तरह की प्रक्रिया अपनाने का अनुरोध कर रहे है जैसा पहले किया गया था क्योंकि पाकिस्तान में इन अल्पसंख्यको के साथ धार्मिक आधार पर जुल्म बढ़ा है और वो इंसाफ की आरजू लिए भारत का रुख कर रहे हैं.''
पाकिस्तान के सांगड से आए अर्जुन राम को भारत आए आठ साल हो गए हैं. लेकिन अब भी दस्तावेज़ उसके पाकिस्तानी होने की मुनादी करते है.
अर्जुन राम कहते है, ''हम लोग बड़ी मुश्किल से भारत पहुंचे है क्योंकि पाकिस्तान में जिंदगी बहुत कठिन हो गई थी. भारत से हमें बहुत उम्मीदें हैं लेकिन नागरिकता का कागज देखने के लिए आंखे तरस गई हैं.''
भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों की रेल थार एक्सप्रेस हर हफ्ते ऐसे हिंदुओ को भारत लाने का ज़रिया बनी हुई है. पाकिस्तान ने वहां अल्पसंख्यक आबादी के साथ भेदभाव की बात से इनकार किया है. लेकिन लोग आ रहे हैं और वापस नहीं जा रहे हैं.

"हम लोग बड़ी मुश्किल से भारत पहुंचे है क्योंकि पाकिस्तान में जिंदगी बहुत कठिन हो गई थी. भारत से हमें बहुत उम्मीदे हैं, लेकिन नागरिकता का कागज देखने के लिए आंखे तरस गई हैं"
अर्जुन सिंह
Source: http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/08/120830_pakistani_hindu_ss.shtml

गुरुवार, 30 अगस्त 2012

हिन्दू स्वयंसेवक संघ का विश्व संघ शिक्षा वर्ग सम्पन्न दुनिया की सभी समस्याओं की जड़ है भौतिकवाद -भैयाजी जोशी, सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ

हिन्दू स्वयंसेवक संघ का विश्व संघ शिक्षा वर्ग सम्पन्न दुनिया की सभी समस्याओं की जड़ है भौतिकवाद -भैयाजी जोशी, सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ

तारीख: 8/25/2012 4:46:24 PM
हिन्दू स्वयंसेवक संघ का 21 दिवसीय विश्व संघ शिक्षा वर्ग गत दिनों त्रिनिदाद-टोबेगो में सम्पन्न हो गया। त्रिनिदाद-टोबेगो के दिवाली नगर में सम्पन्न हुए वर्ग के सार्वजनिक सामारोह के मुख्य अतिथि स्थानीय सरकार में मंत्री डा. सुरुजरतन रामबचन थे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता थे रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेशराव उपाख्य भैयाजी जोशी।
वर्ग के सार्वजनिक समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि दुनिया की सभी समस्याओं की जड़ भौतिकवाद और प्राकृतिक संसाधनों का तेजी के साथ शोषण है। श्री जोशी ने हिन्दू का अर्थ, उसके मूल्य और सिद्धांतों पर गहराई से प्रकाश डालते हुए कहा कि सम्पूर्ण मानवता एक पूजा-पद्धति पर नहीं चल सकती, लेकिन सबका लक्ष्य परमात्मा को पाना है। इसलिए सब अलग-अलग तरीके से पूजा-अर्चना करते हैं।
मुख्य अतिथि डा. सुरुजरतन रामबचन ने कहा कि बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि हम मानव परिवर्तन और युवाओं के विकास के लिए सिर्फ पश्चिमी मॉडल की ओर देख रहे हैं। प्रशिक्षणार्थियों द्वारा किए गए शारीरिक कार्यक्रमों से प्रभावित होकर उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम त्रिनिदाद-टोबेगो के हर गांव में आयोजित किए जाने चाहिए।
शिविर के सार्वजनिक कार्यक्रम में प्रशिक्षणार्थियों द्वारा विभिन्न प्रकार के सार्वजनिक कार्यक्रमों- योगासन, नि:युद्ध और घोष वादन का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में हिन्दू समाज के गण्यमान्य नागरिक उपस्थित थे। सभी ने प्रशिक्षणार्थियों द्वारा प्रस्तुत किए गए कार्यक्रमों की सराहना की। इस अवसर पर राज्य मंत्री श्री मबऊ मोहिनी, नेशनल काउंसिल ऑफ इंडियन कल्चर के अध्यक्ष श्री देवकीनंदन शर्मा, महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट फॉर कल्चरल कोआपरेशन के निदेशक श्री जगदीश पी. आर्य, स्वामी अक्षरानंद, हिन्दू स्वयंसेवक संघ, त्रिनिदाद-टोबेगो के संघचालक श्री देओरूप तीमल विशेष रूप से उपस्थित थे। हिन्दू स्वयंसेवक संघ के अंतरराष्ट्रीय संयोजक श्री सौमित्र गोखले ने विश्व संघ शिक्षा वर्ग के बारे में जानकारी दी। धन्यवाद ज्ञापन किया हिन्दू स्वयंसेवक संघ, त्रिनिदाद-टोबेगो के कार्यवाह श्री लालचन ने।
शिविर में इंग्लैंड, अमरीका केनिया सहित 6 देशों के 58 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया। यह पहला विश्व संघ शिक्षा वर्ग है जो भारत से बाहर सम्पन्न हुआ है। विश्व संघ शिक्षा वर्ग हर 3-4 साल में एक बार आयोजित होता है। इसमें हिन्दू स्वयंसेवक संघ के ऐसे स्वयंसेवक भाग लेते हैं जो 7 दिन के तीन संघ शिक्षा वर्ग पूर्ण किए होते हैं। हिन्दू स्वयंसेवक संघ का यह छठा विश्व संघ शिक्षा वर्ग था।
source: http://panchjanya.com

शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

सत्य, शिव, सुन्दरता यही कला के मूल आधार : डॉ मोहनराव भागवत

सत्य, शिव, सुन्दरता यही कला के मूल आधार : डॉ मोहनराव भागवत

Source: newsbharati      Date: 8/24/2012 6:55:15 PM
(संस्कार भारती, नागपुर स्थापना के २५ वर्ष निमित्त समारोह)undefinedन्यूजभारती : नागपुर : २३ अगस्त २०१२ : कला का सीधा संबंध मानव के हृदय से होता है. उसी प्रकार संस्कार भी सीधे ह्रदय से संबंधित होते है. सुप्रसिद्ध असमिया गायक भूपेन हजारिका जब बहुत बीमार थे तब सुश्री लता मंगेशकर जी के फोन पर स्वर सुनते ही उन्होंने प्रतिसाद दिया था, इस की याद दिलाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहनराव भागवत ने कहा कि, कला मनुष्य के ह्रदय को छूती है और प्रभावित करती है. तर्क से तो केवल बुद्धि से संवाद स्थापित किया जा सकता है; पर कला मानव के जीवन को प्रभावित कर सकती है. इसलिए यह आवश्यक है की कला बहुजन हिताय हो.
डॉ भागवत नागपुर में संस्कार भारती के नागपुर शाखा के २५ वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित एक शानदार समारोह में उपस्थित समुदाय को संबोधित कर रहे थे. मंच पर संस्कार भारती के संरक्षक योगेन्द्र जी, संस्कार भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष सुप्रसिद्ध मराठी सिने दिग्दर्शक राज दत्त, मंत्री कामतानाथ वैशम्पायन, विदर्भ प्रान्त अध्यक्ष राजेंद्र जैसवाल, नागपुर महानगर अध्यक्षा कांचन गडकरी तथा कार्याध्यक्ष वीरेंदर चांडक उपस्थित थे.
संस्कार भारती गीत और गणेश वंदना के पश्चात राज दत्त जी ने सरसंघचालक डॉ भागवत का शाल, श्रीफल और तुलसी का पौधा देकर सम्मान किया. डॉ भागवत जी के हाथो योगेन्द्र जी को शाल श्रीफल तथा मानपत्र देकर सम्मानित किया गया. उसी प्रकार राज दत्त जी, राजेंद्र जैसवाल, कामता नाथ जी का भी सम्मान किया गया.
अपने उद्बोधन में सरसंघचालक डॉ भागवत ने कहा कि, कला के बारे में अपनी दृष्टि सत्यम, शिवम्, सुन्दरम् ऐसी है. कला सत्य को प्रकट करती है और कला के शिवत्व तक इसी सत्य के आधार पर पहुँच पाना संभव होता है. इसी प्रवास में सुन्दरता की सृष्टि होती है. सुन्दरता के बिना आनंद नहीं मिलता, इसलिए कला सुन्दर होनी चाहिए. सुन्दरतापूर्वक शिवत्व की अनुभूति सत्य के प्रतिपादन से करना यह कला का उद्देश्य है. कला की यही भारतीय जीवन दृष्टी है. जीवन में जितनी सत्य, शिव और सुन्दरता की मात्रा होगी जीवन उतना ही सुखकर और सुन्दर होगा. असत्य, अशिव और असुन्दरता को जीवन से हटाना और सत्य, शिव और सुन्दरता के भाव को जगाना यही कला का प्रधान कार्य है.
संस्कार भारती के माध्यम से कलाकारों के कला गुणों को सदा प्रज्वलित रखना और भारतीय दृष्टि को विश्व के कला जगत में प्रस्थापित करना यह संस्कार भारती का कार्य है, डॉ भागवत ने कहा.
आज संस्कार भारती नागपुर ने २५ वर्ष पूर्ण किये है. किसी भी कार्य के सिंहावलोकन के कार्यक्रम, उपक्रम, प्रभाव और परिणाम यह चार लक्षण होते है. परन्तु कार्य तो इनके परे होता है. वह दिखाई नहीं देता; वह अनुभवगम्य है. इसलिए आज का प्रसंग हमारे लिए अंतर्मुख हो कर कार्य के बारे में विचार करने का है.
आज देश के बहुत से क्षेत्रो में परिस्थिति चिंताजनक है. उसके जंजाल से सुखरूप निकल कर अपने गंतव्य की ओर बढ़ना यह संस्कार से ही संभव है. हमारे संस्कारो का अनुभव हमारे आचरण में दिखना चाहिए. संस्कारों का सम्बन्ध सीधा ह्रदय से होता है. पशुओ में यह विचार नहीं होता पर मनुष्यों में होता है. वह विचारों से नारायण या राक्षस बन सकता है. हमारे अन्दर एकत्व की भावना जागृत हुई तो हमारा आचरण भी संस्कारयुक्त हो सकता है.
संघ के प्रमुख ने कहा की कला सत्य को प्रकट करती है परन्तु वह सत्य हर बार आनंद देने वाला होगा यह हमेशा संभव नहीं होता इसलिए उस को शिवत्व का आधार चाहिए. उस के कारण कला में पावित्र्य निर्माण होता है और सुन्दरता की अनुभूति होती है. सुन्दरता पूर्वक शिवत्व की अनुभूति सत्य के प्रतिपादन से करना यह कलाकार का काम है. कला की यही जीवनदृष्टि है.
संस्कार भारती के कार्यकर्ताओं को आवाहन करते हुए डॉ भागवत ने कहा कि, कला के क्षेत्र के कार्यकर्ताओं ने इन विचारों को कला जगत में प्रस्थापित और प्रतिष्ठित करना आज की परिस्थिति में अतीव आवश्यक है. परिश्रम से जन शक्ति का निर्माण हो सकता है और उसी जन शक्ति से प्रभावी कार्यकर्ता मिलते है; जिन के आधार पर हम समाज में संस्कार युक्त वातावरण निर्माण कर अपेक्षित परिवर्तन ला सकेंगे. इस हेतु हमें आत्मचिंतन करना चाहिए.
अपने सम्मान के उत्तर में योगेन्द्र जी ने कहा कि, आज उन्हें विशेष आनंद की अनुभूति हो रही है. हिन्दू राष्ट्र के संगठन का मंत्र जिस महापुरुष ने दिया उस डॉ हेडगेवार की भूमि में हम है. आज डॉ हेडगेवार की विशेष रूप से याद आ रही है. हमारी शक्ति कार्यकर्ताओं की शक्ति है.
इस कार्यक्रम के लिए ईटानगर से नागपुर आये ९० वर्ष के ‘युवा’ योगेंद्रजी, जिन को सब ‘बाबाजी’ नाम से आदर से पुकारते है, ने कहा कि, असम में कोकराझार की स्थिति गंभीर है. लोग वहां अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए लड़ रहे है. उनके विधायक को ही सरकार ने हिंसा फ़ैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है. वहां के लोग उस का विरोध कर रहे है. आज बंगलादेशी मुसलमानों के घुसपैठ के कारण असम तथा पूर्वांचल की स्थिति गंभीर बनी है. ऐसी पारिस्थिति में भी संस्कार भारती के कार्यकर्ता वहां के २७ जिलो में काम कर रहे है.
योगेन्द्र जी ने आगे कहा कि, उधर अरुणाचल प्रदेश में ईसाइयत के आक्रमण से बचने के लिए वहां के युवा आगे आ रहे है. चार पत्रकारों ने गाँव-गाँव जा कर संस्कार भारती के लिए कार्यकर्ता जोड़े है. आगामी २५-२६-२७ अक्तूबर को सुबनसिरी जिले के एक गाँव में ५००० युवकों का एक संमेलन होने जा रहा है. विदर्भ ने अरुणाचल प्रदेश को ‘गोद’ लिया है; अतः यहाँ से कुछ लोगो ने वहां जा कर उन युवको का अभिनन्दन करना चाहिए और उन का हौसला बढ़ाना चाहिए.
ईशान्य भारत के ८ राज्यों में संस्कार भारती का काम अच्छा बढा है और कलाकारों के माध्यम से समाज में देशप्रेम के संस्कार एवं राष्ट्रभक्ती का संचार करने में संस्कार भारती को यश मिल रहा है, योगेन्द्र जी ने कहा.
कार्यक्रम के दुसरे अंतराल में संस्कार भारती के कलाकारों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये. ‘संस्कृति उत्सव’ इस नाम से सादर इस कार्यक्रम के अंतर्गत ‘संगीत सौभद्र’ नाटक से नांदी गायन, सुबोध सुर्जिकर द्वारा सादर ‘कलौत्पत्ति का मूक नाट्य’, स्वाति भालेराव की टीम ने ‘गोंधळ’, ‘श्रीमंत योगी’ नाटक का एक प्रवेश, सिक्किम का लोक नृत्य, मंगलागौरी गीत, कोली नृत्य और अरुंधती देशमुख का रबिन्द्र संगीत तथा डॉ संगीता नायक ने सादर किया ‘राग वृन्द’ कार्यक्रम ने सब रसिक जनों का मन मोह लिया. सरसंघचालक डॉ भागवत पूर्ण समय इस कार्यक्रम में उपस्थित थे.
ज्येष्ठ विचारक मा गो वैद्य, प्राचार्य अरविन्द खांडेकर, डॉ श्रीरामजी जोशी, संस्कार भारती के गणेश रोड़े, नागपुर महानगर संघचालक डॉ दिलीप गुप्ता, डॉ मन्दाकिनी गुप्ता, विश्राम जामदार, पंडित प्रभाकर देशकर आदि उपस्थित थे.
कार्यक्रम का सफल सञ्चालन दीप्ती कुशवाह ने किया और धन्यवाद् ज्ञापन संस्कार भारती नागपुर के कार्याध्यक्ष वीरेंदर चांडक ने किया.
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बंगलादेशियों की पहचान कर उन्हें उनके देश वापस भेजा जाए : संघ

बंगलादेशियों की पहचान कर उन्हें उनके देश वापस भेजा जाए : संघ

Source: http://www.vskbharat.com     Date: 8/24/2012 5:04:47 PM
नई दिल्ली : २४ अगस्त २०१२ ; राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह (Jt. Gen. Sec.)  डा. कृष्ण गोपालजी ने पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि, बंगलादेशी घुसपैठियों के सम्बन्ध में अनेक वर्षों के प्रयासों के बावजूद अभी तक कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिल पायी। कोई भी सकारात्मक परिणामकारी कदम न उठाने के कारण यह समस्या आज इतने विकराल रूप में सामने आई है। उत्तर पूर्वांचल के सभी प्रान्त बंगलादेशी घुसपैठ से त्रस्त हैं। संघ यह मांग करता है कि बंगलादेशियों की पहचान कर उन्हें नौकरी, आरक्षण से वंचित किया जाए और उन्हें उनके देश वापस भेजा जाए।
असम की स्थिति आज चिन्ताजनक है। जुलाई मास से प्रारम्भ हुई हिंसक घटनाओं के कारण लाखों लोगों का विस्थापन हुआ है। यह दु:ख की बात है कि ‘बोडोलैण्ड टेरीटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट्स’ (BTAD) नामक भारतीय क्षेत्र में हुई घटनाओं से अपने ही देश के नागरिक शरणार्थी बन गये हैं। वहॉं पर हमारे कार्यकर्ता बड़ी मात्रा में सहायता कार्यों में जुटे हैं। बाहर से भी चिकित्सक वहॉं पहुँचे हैं। मुंबई (आजाद मैदान), लखनऊ, कानपुर, बरेली आदि स्थानों पर हुए हिंसक और उपद्रवी प्रदर्शनों ने सभी को चौंका दिया है। साथ ही बंगलौर, पूना, मुम्बई, हैदराबाद से भी बड़ी मात्रा में उत्तर पूर्वांचल के लोग वापस गये हैं। उनके मध्य भय का वातावरण बनाने वालों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए। संघ के स्वयंसेवकों ने स्थान-स्थान पर इन लोगो की सहायता की है।
 बंगलादेशी घुसपैठियों के सम्बन्ध में अनेक वर्षों के प्रयासों के बावजूद अभी तक कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिल पायी। सर्वोच्च न्यायालय ने IMDT-ACT को निरस्त करते समय 2005 में तथा एक बार पुन: 2006 में सरकार की मंशा पर तीखी टिप्पणियॉं की थीं तथा साथ ही इस समस्या के समाधान हेतु गंभीर निर्देश भी दिये थे। किन्तु, कोई भी सकारात्मक परिणामकारी कदम न उठाने के कारण यह समस्या आज इतने विकराल रूप में सामने आई है। उत्तर पूर्वांचल के सभी प्रान्त बंगलादेशी घुसपैठ से त्रस्त हैं। स्वतंत्रता के बाद भी घुसपैठ का क्रम रुका नहीं और इस कारण इन घुसपैठियों की उपस्थिति के कारण असम के 9 जिले मुस्लिम बहुल जिलों में बदल गये हैं।
इन घुसपैठियों के कारण वहॉं के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक वातावरण में उनकी पहचान का भी संकट खड़ा हो गया है। स्थानीय लोगों के अन्दर भविष्य में अपनी सुरक्षा को लेकर भय व्याप्त है। इसी कारण स्थान-स्थान पर संघर्ष का वातावरण बन गया है। स्थिति लगातार विस्फोटक होती जा रही है। असम के मुख्यमंत्री तथा अनेक वरिष्ठ लोगों ने भी यही बात स्वीकार की है।
सर्वोच्च न्यायालय ने 2005 में इन गंभीर खतरों की चेतावनी दे दी थी। किन्तु, सर्वोच्च न्यायालय, विभिन्न उच्च न्यायालयों, (दिल्ली, गुवाहाटी आदि) शासन, प्रशासन, सेना, जॉंच एजेन्सियों के वरिष्ठ लोगों के निर्देशों की अभी तक अनदेखी ही की गई है। इसी का दुष्परिणाम है कि हम इस समस्या के योग्य समाधान की ओर बिल्कुल भी नहीं बढ़ सके।
गंभीर बात यह है कि अब बंगलादेशी घुसपैठियों ने सम्पूर्ण देश में अपनी जगह बना ली है। ऐसे समाचार आ रहे हैं कि देश के प्रत्येक शहर में वे उपस्थित हैं। आवश्यकता यह है कि अब बिना किसी विलम्ब के राष्ट्रीय नागरिक पंजिका में (National Register for Citizens, NRC) का व्यवस्थित निर्माण हो। विदेशी घुसपैठियों की पहचान कर पुलिस थानों (Police Stations) के अनुसार उनकी तालिकाएँ (Lists) बनाई जाएँ और उनके विरुद्ध भारत के कानून (Foreigners Act) के अनुसार कार्यवाही की जाय।
संघ यह मांग करता है कि बंगलादेशियों की पहचान कर उन्हें नौकरी, आरक्षण से वंचित किया जाए और उन्हें उनके देश वापस भेजा जाए।
हमारे कार्यकर्ता इस दृष्टि से देशभर में जनजागरण का कार्य करेंगे। देशभक्त नागरिकों से हमारा निवेदन है कि इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्रश्‍न पर जागरूक हों और इस गंभीर समस्या के समाधान हेतु प्रयत्नशील हों।

कतरन

गुरुवार, 23 अगस्त 2012

पूर्वांचल वासियों के समर्थन एवं सुरक्षा के लिये हजारो लोगो ने लिया संकल्प


बंगलादेशी घुसपेटियों  के समर्थन  में देश में जगह जगह हुए हिंसक आन्दोलन के विरुद्ध  गूंजी आवाज 

पूर्वांचल वासियों के समर्थन  एवं सुरक्षा के लिये  हजारो लोगो ने लिया संकल्प 

विश्व  हिन्दू  परिषद् के तत्वाधान में आसाम में बंगलादेशी घुसपेटियों द्वारा  हुए अत्याचार के विरुद्ध विशाल  धरना एवं प्रदर्शन

 जोधपुर  23 अगस्त 2012 . विश्व  हिन्दू  परिषद् के तत्वाधान में आसाम में बंगलादेशी घुसपेटियों द्वारा  हिन्दुओ पर  हुए अत्याचार तथा बंगलादेशी घुसपेटियों  के समर्थन  में देश में जगह जगह हुए हिंसक आन्दोलन के विरुद्ध विशाल  धरना एवं प्रदर्शन आज आयोजित किया गया।   

 






राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के खिलाफ विश्व हिंदू परिषद के तत्वावधान में मौन रैली निकालकर रोष जताया।

मंगलवार, 21 अगस्त 2012

राष्ट्रधर्म के प्रति समर्पित : राष्ट्र सेविका समिति प्रमुख शांताक्का का भाषण

राष्ट्रधर्म के प्रति समर्पित : राष्ट्र सेविका समिति प्रमुख शांताक्का का भाषण

स्रोत: News Bharati Hindi      तारीख: 8/21/2012 9:34:08 AM

$img_titleनागपुर, अगस्त 21
: हमारा समाज सदियों पुराने मूल्यों, परंपराओं एवं जीवनशैली को भूल चुका है। जिस वजह से हमारा समाज जाति, भाषा आदि  भेदभावों से टुकड़ों में बंट गया है। इसमें बदलाव लाने के लिए यह आवश्यक है कि हम पुरानी जीवनशैली, मूल्यों व परंपराओं को दोबारा अपनाएं ताकि समाज में एकता की भावना पैदा हो सके एवं हमारा देश महान बन सके। यह राष्ट्र सेविका समिति का मिशन है। यह बातें समिति की प्रमुख संचालिका वंदनीय शांताक्का ने सोमवार को यहां कहीं।
हिन्दू महिलाओं के लिए देश की सबसे बड़ी संस्था की प्रमुख संचालिका के तौर पर अपने पहले भाषण में शांताक्का ने सेविकाओं का आहवान किया कि वे समाज के सदस्यों के बीच सद्बभावना, सौहार्द्र और समझ पैदा कर समिति के मिशन के कामों को पूरा करने में तन्मयता से जुट जाएं।
नयी नेता ने कहा कि सौहार्द्र पैदा करना हिन्दू जीवनशैली का हिस्सा है और केवल हिन्दू इस मिशन की महत्ता समझ सकते हैं। इस तरह की सदभावना पैदा करना और मस्तिष्क की पवित्रता समिति का मिशन है।
आज हिंदू समाज छोटी-छोटी बातों में बिखरा पड़ा है और ऐसा करने वाले भारत को नष्ट करना चाहते हैं। ऐसे लोगों की वजह से हम अपनी पुरानी जीवनशैली भूल गए हैं। हमारा मिशन इसमें बदलाव लाएगा और मुलभूत जीवनशैली बरकरार रखेगा जिसमें शारीरिक सौंदर्य की जगह आंतरिक सौंदर्य को महत्ता दी जाती है।
कोका कोला की सीईओ इंदिरा नूयी का उदाहरण देते हुए समिति प्रमुख ने कहा कि उनकी तरह की महिला ने भी विश्वभर में जहां कही भी गईं, भारतीय मूल के होने के अपने गौरव को नहीं भूला। हमें इंदिरा नूयी और जमशेदजी टाटा जैसे लोगों का उदाहरण देकर नयी पीढ़ी के सामने अपनी संस्कृति, परंपरा के प्रति आत्मविश्वास पैदा करना चाहिए। यह हमारा राष्ट्रधर्म है।
वर्तमान में हमारा देश कठिन दौर से गुजर रहा है। यह हमारा आहवान कर रहा है कि हम राष्ट्रधर्म में जुट जाएं। इसलिए समिति ने राष्ट्रधर्म परिवर्तन संकल्पिता वयन अंगीकार किया है।
$img_titleइससे पहले वंदनीय प्रमिलाताई मेधे ने समिति की जिम्मेदारी शांताक्का को सौंपी। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि समिति का काम लगातार चलने वाली धारा की तरह है। नेतृत्व में परिवर्तन से हमारे काम में कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यह बदलाव भी हमारे संगठन प्रणाली का हिस्सा है।
 सदभावना दिवस के दिन यह बदलाव किया गया है। यह सदभावना हमारे काम का अनिवार्य हिस्सा है जो हमें समाज से जोड़ता है। शांताक्का की गणितीय पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इससे समिति को फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि हिंदूत्व हमेशा से एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत हमलों का सामना कर रहा है। युवा पीढ़ी को हमारे समाज के मुलभूत सिद्धांतों से अलग किया जा रहा है। इस तरह की स्थिति में यह आवश्यक है कि हम अपने काम में तेजी लाएं जिससे हिन्दू समाज मजबूत बन सके और आत्मसम्मान और सौहार्द्र की भावना का विकास हो।
प्रमुख कार्यवाहिक के पद पर चुनी गईं ए. सीता ने अपने संक्षिप्त भाषण में आशा व्यक्त किया कि सभी वरिष्ठ एवं कनिष्ठ सेविकाओं के सहयोग से समिति नई ऊंचार्इयों को छुएगा।
इससे पहले चित्राताई जोशी ने समिति की सदस्यों से शांताक्का और सीता का परिचय कराया। देवी अहिल्या मंदिर में आयोजित एक समारोह में समिति की सेविकाओं ने प्रमुख संचालिका का स्वागत किया।

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित