शनिवार, 9 जून 2018

समरसता के पक्ष में प्रबलता से कार्य होना जरूरी-डा. भगवती प्रकाश

समरसता के पक्ष में प्रबलता से कार्य होना जरूरी-डा. भगवती प्रकाश

संतों की तरह संघ भी परमार्थ के कार्य के लिए ही है
-डा. रूपचन्द दास

संघ शिक्षा वर्ग द्वितीय वर्ष (सामान्य) 2018 समारोह पूर्वक सम्पन्न
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र संघचालक माननीय भगवती प्रकाश जी उध्बोधन देते हुए 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. रूपचन्द दास जी गादीपति कबीर आश्रम माधोबाग मार्गदर्शन करते हुए  


मंच का एक दृश्य 

 जोधपुर 09 जून। दया, गरीबी, बंदगी, समता और शील ये संतों के गुण है, इसी द्वारा संत, सरोवर, वृक्ष एवं वर्षा परोपकार के लिए कार्य करते है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक में भी उपरोक्त सभी गुण समाविष्ट होते है। अतः इसीलिए संघ एवं संतों को परमार्थ का पर्याय माना जाता है। ये विचार राजस्थान क्षेत्र के द्वितीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग सामान्य के समापन के अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. रूपचन्द दास जी गादीपति कबीर आश्रम माधोबाग जोधपुर ने रखे।
                संघ शिक्षा वर्ग गत 20 मई से प्रारम्भ हुआ जिसमें राजस्थान के सभी 33 सरकारी एवं संघ दृष्टि से 63 जिलों के 278 शिक्षार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया इसके साथ 4 शिक्षार्थी राजस्थान से बाहर के भी आये। इन शिक्षार्थियों में 5 अभियन्ता, 5 वकील, 63 शिक्षक-प्राध्यापक, 1 पत्रकार, 1 मजदूर, 67 व्यवसायी व कर्मचारी, 112 महाविद्यालय विद्यार्थी, एवं 24 विद्यालय विद्यार्थी ने भाग लिया।
                शिक्षार्थियों ने पर्यावरण संरक्षण हेतु रेत से बर्तन मांझकर जल बचाया, तो एक दिन परिसर में वृक्षारोपण कर सभी को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया। शिक्षार्थियों को प्रत्यक्ष श्रमानुभाव हेतु 20 मिनट का प्रतिदिन सेवा कार्यों का अभ्यास कराया गया। संघ के कार्य हेतु आवश्यक कार्य प्रचार, सम्पर्क, व्यवस्था, गौ सेवा, ग्राम विकास, धर्म जागरण समन्वय का भी प्रशिक्षण दिया गया।
                वर्ग के समापन अवसर पर शिक्षार्थियों एवं समाज बन्धुओं को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र संघचालक माननीय भगवती प्रकाश जी ने कहा कि स्वस्थ समाज से ही सबल राष्ट्र का निर्माण होता है। राष्ट्र का प्राचीन गौरव बोध, राष्ट्र भाव का जागरण एवं स्वत्व जगाने हेतु हम सब स्वयंसेवक है। हमारी सभ्यता एवं संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृति है। इसका प्रचार-प्रसार सम्पूर्ण विश्व में हुआ है। आज इस संस्कृति पर आन्तरिक एवं बाह्य दोनों ओर से आक्रमण हो रहा है।

 आज राष्ट्र में जातिवाद, अलगाववाद, भाषा, प्रान्त, अगड़े-पिछड़े के झगड़ों में समाज को बाँटने के षड्यन्त्र चल रहे है, ऐसी परिस्थितियों में सामाजिक समरसता के पक्ष में प्रबलता से कार्य होना जरूरी हो गया है। प्राचीन समरसता का भाव पुनः स्थापित करना स्वयंसेवक का लक्ष्य होना चाहिए। मन्दिर, श्मशान और जल स्थान, इन तीनों जगहों पर बिना भेदभाव प्रवेश होना चाहिए। राष्ट्र के बारे में विचार करने वाले सभी बन्धु भगिनी को जाग्रत होने की आवश्यकता है। आर्थिक विषयों की चर्चा करते हुए श्री भगवती प्रकाश जी ने कहा कि आज चीन हमारे आर्थिक क्षेत्र में कब्जा जमाने के प्रयासों में है। वही बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत के रिटेल एवं online व्यापार को भी हथियाने का प्रयास कर रही है। साथ ही देश में वामपंथी एवं विदेशी इशारों पर कार्य करने वाले कुछ स्वयंसेवी संगठनों द्वारा देश के विकास एवं सामाजिक तानाबाना खत्म करने के कुत्सित प्रयास हो रहे है।
इन सबका सामना राष्ट्रीय सोच को विकसित कर संगठित हिन्दू समाज की कर सकता है। संघ इसी पुनीत कार्य में लगा हुआ है, संघ की शाखाओं के माध्यम से सम्पूर्ण देश में सामाजिक समरसता, एकात्मता का भाव विकसित कर चरित्र वान, राष्ट्रभक्त नागरिकों का निर्माण किया जा रहा है। जो कि आज की आवश्यकता है। उन्होंने समाज बन्धुओं का भी आहृान किया कि वे इस पुनीत कार्य में सहभागी-सहयोगी बनें।
महानगर संघचालक खूबचन्द जी खत्री ने मंच का परिचय कराया।
कार्यक्रम में शिक्षार्थियों ने प्रत्युत प्रचलनम् प्रदक्षिणा संचलन, निःयुद्ध, दण्ड युद्ध, पद विन्यास, सामान्य दण्ड, योगासन, गण समता, सामूहिक समता, दण्ड एवं व्यायाम योग का सामूहिक प्रदर्शन कर सभी का मन मोह लिया तो सभी शिक्षार्थियों ने एक स्वर में ‘‘स्वयं अब जागकर हमको जगाना देश है अपना’’ के गीत के सम्वेत स्वर से मैदान को गुंजायमान कर दिया।
                कार्यक्रम में वर्ग के सर्वाधिकारी हरदयाल जी वर्मा ने आभार प्रकट किया

                कल सुबह दीक्षान्त समारोह के पश्चात् सभी शिक्षार्थी अपने-अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करेंगे।

शुक्रवार, 8 जून 2018

संघ को समझकर फिर सहकार्य करने के लिए आगे आये - डॉ मोहन भागवत


संघ को समझकर फिर सहकार्य करने के लिए आगे आये - डॉ मोहन भागवत
 
नागपुर-७ जून – विविधता मे एकता पर संघ का दृढ़ विश्वास है | इस भूमी को माता मानने वाला हर व्यक्ति भारतीय है | विवधता मे एकता यही भारत की विशेषता है और यही संस्कृति है | यह प्रतिपादन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने नागपुर मे चल रहे संघ शिक्षा वर्ग के तृतीय वर्ष के समापन समारोह मे अपने उध्बोधन मे कही |

“ संघ संस्थापक डॉ हेडगेवारजी ने  देश की स्वतंत्रता संग्राम मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया | दो बार वो कारावास भी गये | देश स्वतंत्रता के लिए उन्होंने अनेक प्रयास किये | उनका क्रन्तिकारको के साथ सम्बन्ध था, समाज सुधारको के साथ सम्बन्ध रहा , धर्म के प्रति जागरूकता से कार्य करने वालो धर्म मार्तण्ड से उनके अच्छे सम्बन्ध थे | उन्होंने यह सारे क्षेत्र मे कार्य किया सफल भी रहे | परन्तु उन्हें यह ध्यान आया की अनेक महापुरुषों द्वारा चलाये जा रहे आन्दोलन तो चलेंगे लेकिन जब तक इस देश का मुख्य समाज संस्करो से युक्त बनकर नव चैतन्य से भरकर संघटित होकर भारतमाता को फिर विश्व गुरु बनाने का संकल्प नहीं लेता और जब तक पूर्ण नहीं करता तब तक संघ का काम चलता ही रहेगा | यही संघ का गंतव्य है | “
१९२५ से संघ बढ़ता जा रहा है | अनेक बाधाये मार्ग मे आयी , प्रतिकूल परिस्थिति बनी पर हमने इन सारे विपरीत बाधाओं को पार किया | अनुकूलता आयी , ठीक है पर विश्राम हमें नहीं लेना है | जबतक भारत विश्व गुरु नहीं बनेगा तब तक व्यक्ति निर्माण का संघ का कार्य चलता ही रहेगा | ”

श्री प्रणव मुखर्जी की इस कार्यक्रम मे उपस्थिति के बारे मे अनेक वाद / विवाद हुये , जिसकी आवश्यकता नहीं थी | यह एक परंपरा है , प्रतिवर्ष की तरह कोई विशिष्ट  व्यति यहाँ आकर कोई पाथेय देता है | संघ समाज का संघठन है | इसलिए आदरणीय प्रणव मुखर्जी के बारे मे ऐसी चर्चाए नहीं होनी चहिये थी | ”

इस वर्ष सारे दुनिया की नजरे इस कार्यक्रम को लेकर थी | रेशिम बाग स्थित मैदान पर सोस्ताह सम्प्पन हुये इस कार्यक्रम की शुरुआत सायं ठीक ६:३० बजे हुयी | ध्वजारोहण , दंड प्रयोग ,नियूध प्रयोग ,सांघिक समता ,सांघिक गीत आदी शारीरिक कार्यक्रम शिबिरार्थी स्वयंसेवको ने किये | सर्वाधिकारी सरदार गजेन्द्र सिंह संधू ने परिचय कराया | महानगर संघ चालक राजेश लोया ने उपस्थित  विशित्ष्ट व्यक्तिओ का स्वागत परिचय कराया | वर्ग कार्यवाह श्याम मनोहर ने वर्ग का प्रतिवेदन दिया |

कार्यक्रम का आकर्षण रहे भूतपूर्व राष्ट्रपती श्री प्रणवदा ने देश, राष्ट्रीयता ,और देशभक्ति अपने भाषण का केंद्र बिंदु रखा | “ भारत एक प्राचीन संकृति और सभ्यतासे भरा एक सम्पन्न देश रहा है | भारत का व्यापार सिल्क रूट, स्पाइस रूट से समुद्री मार्ग से सारे विश्व से जुडा  था | भारत १८०० वर्ष तक शिक्षा का केंद्र तह , एक अर्थ मे गुरु था | नालंदा , तक्षशिला आदि अनेक शिक्षा के केंद्र मे जगत मे प्रतिष्टा प्राप्त किये हुये थे | विदेशों से अनेक विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने भारत आते थे | 

लेकिन कालांतर मे विदेशी आक्रमण हुये मुघलो ने ६०० वर्ष तक , ईस्ट इंडिया क. तथा बाद मे ब्रिटिश रुल भारत पर रहा पर वो भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति को तोड़ न सका | भारत एक स्वतंत्र विचारों का देश है | विविधामे एकता यही भारत की जीवनशैली है | भेदभाव से अलगाववाद से भारत कमजोर होगा | आज भारत तेजी से विकास कर रहा है लेकिन अभी हमें सुखी, खुशहाल ,संपन्न समाज         बनाने दृष्टि से आगे कदम बढ़ाना होगा | ”

इस कार्यक्रम के लिए पधारे भूतपूर्व राष्ट्रपति ने आज संघ संस्थापक डॉ केशव ब हेडगेवार जी के निवासस्थान को भेट दी | सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जी ने उनका स्वागत किया | सारा माहोल संघमय था | भेट पुस्तिका मे प्रणवदा ने लिखा ,“ मे यहाँ भारत माँ के महान सपूत डॉ के.ब.हेडगेवार को श्रधासुमन अर्पित करने हेतु आया हु ” | 

बड़े ही उत्साह के साथ सम्पन्न इस कार्यक्रम के लिये भारी संख्या मे जनता एकत्रित हुयी थी |

स्त्रोत: विश्व संवाद केंद्र,  नागपुर

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित