शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

पाकिस्तानी चैनल ने किया हिंदू बच्चे के धर्मपरिवर्तन का लाइव प्रसारण

पाकिस्तानी चैनल ने किया हिंदू बच्चे के धर्मपरिवर्तन का लाइव प्रसारण

इस्लामाबाद। पाकिस्तान मे एक हिंदू बच्चे के इस्लाम धर्म परिवर्तन अनुष्ठान को टेलीविजन पर लाइव प्रसारित करने के बाद माहौल विवादास्पद हो गया है। इस लाइव प्रसारण पर टिप्पणी करते हुए एक पाकिस्तानी समाचारपत्र ने लिखा है “यह साफ संकेत है कि पाकिस्तान में गैरइस्लामी लोग इस्लाम धर्म जैसा सम्मान और स्टेटस नहीं पा सकते।”
समाचार पत्र डॉन में शुक्रवार को प्रकाशित संपादकीय में कहा गया है पाकिस्तान की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चीजों को मसालेदार बनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है और अब वे धर्म को भी इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस मामले की आलोचना करते हुए इस संपादकीय में यह भी लिखा गया है कि व्यवसायीकरण की दौड़ में मीडिया अपनी नीतियों और व्यावहारिक बुद्धि का इस्तेमाल नहीं कर रहा है। मंगलवार को प्रसारित किए गए इस शो में स्टूडियो में मौजूद दर्शकों के बीच इमाम ने एक हिंदू बच्चे का धर्म परिवर्तन किया था।
शो के बारे में लिखते हुए समाचार पत्र में यह भी कहा गया है “बच्चा अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन कर रहा था या नहीं, यह एक अलग मुद्दा है। लेकिन इस शो के प्रसारण से गैर इस्लामी मजहब के लोगों में एक गलत संदेश जरूर गया है, जोकि दुखदायी है।”
शो की आचोलना करते हुए ‘डॉन’ ने लिखा है कि इस मामले में सबसे अधिक दुखदायी यह है कि चैनल ने कार्यक्रम से संबंधित कोई भी डिस्क्लेमर नहीं चलाया था, जिसमें कार्यक्रम के अल्पसंख्यकों से जुड़े होने की बात कही गई हो। डॉन के लेख में यह भी कहा गया है कि जिस उल्लास और खुशी से यह पूरा अनुष्ठान दिखाया गया है उससे गैर इस्लामी लोगों के बीच यह संदेश साफ तौर से गया होगा कि पाकिस्तान में हर किसी की स्थिति समान नहीं है।
मजहब परिवर्तन के अनुष्ठान के लाइव टेलीकास्टिंग की आलोचना करने वाले समाचार पत्र में पाकिस्तानी मीडिया की कमजोरियां भी गिनाई गई हैं। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तानी मीडिया अपने उद्देश्य और दायित्वों से भटक रहा है।
स्त्रोत : http://www.bhaskar.com/article/INT-pakistani-channel-live-brodcast-religion-change-ceremony-3578798.html

बुधवार, 25 जुलाई 2012

आसाम में मूल वनवासियों और हिन्दुओ के नरसंहार का कारन : बंगलादेशी घुस्पेठिये और वोटो के लोभी राजनेता

 
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रविवार, 22 जुलाई 2012

हमारा कार्य हिन्दू समाज को संगठित करते हुए अपने राष्ट्र को परम वैभव पर पहुचाना - सरसंघचालक मोहन जी भागवत

जसोल २२ जुलाई २०१२ . तेरापंथ के आचार्यश्री महाश्रमण चातुर्मास के अवसर पर बालोतरा जिले के स्वयंसेवको का  जिला सम्मलेन तेरापंथ भवन में आयोजित किया गया. इस शुभावसर पर परम पूजनीय सर संघचालक मोहन जी भागवत का मार्गदर्शन स्वयंसेवको को तथा तेरापंथ समाज के श्रावको को मिला. कार्यक्रम का शुभारंभ  बढे  निरंतर हो निर्भय गूंजे भारत की जय जय  से हुआ. 
धव्जारोहन  के पश्चात प्रार्थना हुई तत्पश्चात आचार्यश्री महाश्रमण ने स्वयंसेवको को संबोधित करते हुए कहा कि संकल्प में शिथिलता  नहीं होनी चाइये सपने लेने से कार्य पूरा नहीं होता है संकल्प लेने से कार्य पूरा होता है. संकल्प बल का साहस हो तो सब कुछ संभव है. 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओ में अनुशाशन की शक्ति , संयम की शक्ति तथा राष्ट्र भक्ति की शक्ति .होती है।   किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए समर्पण की शक्ति आवश्यक होती है और यह स्वयंसेवको में देखने को मिलती है। नाम  की कामना समर्पण में कमी की घोतक है। 
उन्होंने राष्ट्रीयस्वयंसेवक संघ को अनुशासन का दूसरा नाम बताया। 

 आचार्यश्री ने कार्यकर्ताओ की तीन श्रेणिया बतलाई - निम्न श्रेणी  न उत्साह न कठिन कार्य करने का साहस, मध्यम श्रेणी जो उत्साह से कार्य शुरू करता है बाधा  आने पर कार्य बंद कर देता है तथा उत्तम श्रेणी का कार्यकर्त्ता उत्साह साहस से कार्य प्रारंभ करता है तथा कठिनाइयों को चीर कर आगे बढ़ता है एवं लक्ष्य प्राप्ति तक रुकता नहीं है.
कार्यकर्ताओ के कई प्रकार का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा की गुरु से ज्ञान लेना चाहिए ज्ञानवान से ज्ञान लेना ही चाहिए.  दाता कौन होता है ? अर्थ व् दान देने वाले दाता  नहीं होता।दुसरो को सम्मान देने वाला दाता होता है। भाषा एवं व्यवहार में विनम्रता होनी कहिये। विद्या के साथ विनय होना चाहिए. विद्या के विकास के लिए ज्ञानियों से ज्ञान लेना चाहिए। गीता का उदहारण देते हुए उन्होंने कहा की ज्ञान के लिए गुरु के सामने झुको , जिज्ञाशु तथा परिश्रमी बनो और गुरु की सेवा करो।
आचार्यश्री महाश्रमण जी ने कहा की विद्या बल, यश, बलम, दक्षता, कार्य को सुन्दर व्यवस्थित और दक्षता से कार्य करे वही कार्यकर्त्ता जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त कर सकता है।
कार्यकर्त्ता नशामुक्त, राष्ट्र धर्म में ईमानदारी और नैतिकता , समर्पण का भाव, संस्कार दिलो में बने होते है और यही कार्यकर्त्ता सामान्य आदमी से बड़ा होता है, सेवाभाव उसमे होता है।
आचार्यश्री ने आव्हान किया की अपने जीवन में विशेष करो लक्ष्य राष्ट्र सेवा का बन जायेगा। बूंद बूंद विशेष से विशेषताओ का घड़ा भरना चाहिए।

प्रकाश माली कैसेट आचार्यश्री  महाश्रमण जी को भेंट करते हुए
कैसेट का विमोचन करते हुए परम पूजनीय सरसंघचालक जी
परम पूजनीय सरसंघचालक मोहन जी भागवत  कैसेट का अवलोकन करते हुए

क्षेत्रीय प्रचारक माननीय दुर्गादास जी , माननीय मूलचंद जी, माननीय प्रकाश जी,क्षेत्रीय संपर्क प्रमुख राजेंद्र जी, माननीय नन्दलाल जी जोशी
अनुशाषन की परिभाषा - स्वयंसेवक 
तेरापंथ भवन में कार्यक्रम का इक दृश्य 



परम पूजनीय सरसंघचालक मोहन जी भगवत उध्बोधन  देते हुए 


परम पूजनीय सरसंघचालक मोहन जी भागवत ने स्वयंसेवको तथा उपस्थित तेरापंथ समाज के धर्मप्रेमियों को उधबोधन देते हुए कहा कि हम सब लोगो को महाश्रमण जी ने सटीक शब्दों में कार्यकर्त्ता का स्मरण कराया है. हमारा कार्य हिन्दू समाज को संगठित करते हुए अपने राष्ट्र को परम वैभव पर पहुचाना है. देश के स्वतंत्र होने के ६५ वर्ष बाद भी कुछ बातें ठीक हें और कुछ नहीं है. राष्ट्र कि सब बातों को ठीक करते हुए राष्ट्र कि सर्वांगीन उन्नति होनी चाहिए . राष्ट्र यानि सबका विकास है. आज से २००-२५० वर्ष पहले भारतीय को विदेशो में मजदूर बना कर भेजा और उन्होंने विदेशो में नया भारत बसा लिया और उन्होंने भारत की जीवन  पद्धति को सबको बतलाया. 


सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने सभी स्वयंसेवकों को आह्वान करते हुए कहा कि आचार्य ने जो कार्यकर्ता के ये सात गुण बताए है। हम उन्हें जीवन में भी समाहित करें और भारतीय संस्कृति के निर्माण व उत्थान में आगे बढ़ते रहें। क्योंकि हम बदलेंगे तो पूरी दुनिया बदलेगी। डॉ. भागवत ने कहा कि राष्ट्र का सर्वांगीण विकास ही हमारा लक्ष्य है। सर्वांगीण विकास का अर्थ है, जमीन, जल, जन, जंगल, जानवर सभी का विकास होना चाहिए। उन्होंने कहा हमारे मूल पूर्वज एक है, हमारी संस्कृति एक है और हमारे लिए भारतीयता ही हमारी पहचान है।


मोहन जी भागवत  ने आगे कहा की दुनिया में हम कौन है यह विवाद सिर्फ भारत में है . हमारे देश में अनेक भ्रान्तिया उतप्न्न की जा रही है जबकि भारत के विशिष्ट स्वाभाव विविधता में एकता है. विभिन्न मत सम्प्रदायों का भारत है. हम सत्य अहिंसा को मुख्य रूप से लेकर चलते है. भारत की संस्कृति एक है स्वाभाव एक है . भारत की संस्कृति सबको प्रेम  करना सिखाती  है किसी  को बैर  करना नहीं सिखाती  . अखंड  भारत का स्वभाव  एक है . अन्य  धर्मो  को मानने  वालो  को भारत में स्थान मिलता है. हमारी प्राचीन जीवन पद्वति से जीवन जीने वाला व्यक्ति राष्ट्रीय है.  विविधता में एकता तथा वसुधैव कुटुम्बकुम  देखने वाला एकमात्र देश भारतवर्ष ही है।
भागवत  जी ने कहा की यह देश सबकी उन्नति का कारक तथा सबके प्रति प्रेमभाव रखने व किसी के प्रति बैर भाव नहीं रखने वाला एकमात्र देश है। मुसलमानों के हितों से कोई विरोध नहीं है. उन्होने कहा कि संघ व तेरापंथ का कार्य एक जैसा ही है। युवा स्वभाव, उत्साह, साहस व निर्भिकता का नाम है। राष्ट्र के निर्माण में युवाओं का ही योगदान है। युवाओं से अपेक्षा है कि वे अपनी प्रतिभा को संभाल कर उसे राष्ट्रीय निर्माण में लगाएं।
 कार्यक्रम के दौरान गायक कलाकार प्रकाश माली द्वारा राष्ट्र जागरण भावना को लेकर रचित सी.डी. का विमोचन मोहन जी भागवत द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में जसोल, बालोतरा, समदड़ी, पचपदरा, सिवाना, सिणधरी, गुड़ा, चौहटन, बाड़मेर, शिव, बायतु, जालोर, भीनमाल आदि स्थानों से स्वयंसेवक पहुंचे। कार्यक्रम में 45सौ स्वयंसेवक गणवेश में उपस्थित थे.
कार्यक्रम में प्रांत संघचालक ललित शर्मा, क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गादास जी , क्षेत्रीय प्रचारक प्रमुख नंदलाल जी जोशी, क्षेत्रीय संपर्क प्रमुख राजेंद्र जी, क्षेत्रीय सह संपर्क प्रमुख प्रकाशचंद्र जी , प्रांत प्रचारक मुरलीधर जी , विभाग प्रचारक राजाराम जी  भी उपस्थित थे। जिला संघ चालक सुरंगी लाल ने अतिथियों को परिचय व आभार व्यक्त किया।


चरित्र के बिना देश का विकास असंभव है: परम पूजनीय सरसंघचालक मोहन जी भागवत नैतिक व चरित्र विकास से राष्ट्र का विकास : आचार्य श्री महाश्रमण


चरित्र के बिना देश का विकास असंभव है: परम पूजनीय सरसंघचालक मोहन जी भागवत
नैतिक व चरित्र विकास से राष्ट्र का विकास : आचार्य श्री महाश्रमण 

जसोल.२१ जुलाई २०१२.  ज्ञानी आदमी के ज्ञान का सार है की वह हिंसा न करे. चरित्र का एक महत्वपूर्ण  व केंद्रीय बिंदु है अहिंसा . जिस व्यक्ति में अहिंसा व्याप्त हो जाती है उस व्यक्ति में नैतिक मूल्य आ जाते है और उसका चारित्रिक विकास हो जाता है. यह नैतिक मूल्यों की प्रतिस्थापना की प्रेरणा आचार्य श्री महाश्रमण ने "राष्ट्र निर्माण में नैतिक मूल्यों की भूमिका" विषय पर दी. उन्होंने कहा की हम भारत में जी रहे है और भारत संतो की भूमि है. अनेको ऋषि मुनियों ने यहाँ तप किया है साधना की है और आत्म साक्षात्कार तक पहुंचे है. 
आचार्यश्री ने नैतिक विकास के लिए नशामुक्ति, ईमानदारी, मैत्री भावना, सौहार्द आदि को जीवनगत करने की प्रेरणा देते हुए अनैतिक कृत्यों से व्यक्ति को दूर रहने की प्रेरणा दी. 


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूजनीय सरसंघचालक मोहन जी भागवत के बारे में आचार्यश्री ने कहा की मनीषी लोगो के विचार भी महानता लिए होते है. वे श्रोत्य व मननीय होते है. ऐसे विचारो से सुन्दर प्रेरणा मिलती है. 

परम पूजनीय सरसंघचालक मोहन जी भागवत ने कहा की महाश्रमण जी जैसे संत नैतिक मूल्यों के उदहारण है . इनके सामीप्य व दर्शन से वर्ष भर के लिए बैटरी चार्ज हो जाती है,इसलिए  वर्ष में एक बार दर्शन करने जरुर आता हूँ और आगे भी मान रखता हूँ.
पूजनीय सरसंघचालक मोहन जी भागवत ने नैतिक मूल्यों के विकास के संदर्भ में कहा की चरित्र के बिना देश का विकास असंभव है. व्यक्ति को विवेकपूर्ण तरीके से अपनी क्रिया करनी चाहिए. भारत के विकास से ही विश्व का विकास संभव है. 
मंत्रिमुनी श्री ने कहा की तेरापंथ व राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ दोनों का दर्शन व चिंतन समान है इसी कारण आचार्यवर्ग तथा संघ के पदाधिकारी आपस में मिलते रहते है. 
कार्यक्रम के प्रारंभ में प्र. व्य स के संयोजक गौतम चाँद सालेचा व अध्यक्ष जसराज बुरद ने स्वागत वक्तव्य दिया तथा उपाध्यक्ष चन्द्रशेखर छाजेड ने मोहन जी भागवत का परिचय दिया.

कार्यक्रम में आचार्यश्री महाप्रज्ञ के प्रवचन श्रृंखला की पुस्तक "महाप्रज्ञ  ने कहा " के ४३वे भाग के लोकार्पण भी हुआ. कार्यक्रम के अंत में मोहन जी भागवत का स्मृति  चिन्ह तथा साहित्य द्वारा सम्मान किया गया.

 राष्ट्र निर्माण में नैतिक मूल्यों की भूमिका विषय पर हुआ मनन 

जसोल .२१ जुलाई २०१२ . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूजनीय सरसंघचालक मोहन जी भागवत तथा आचार्य श्री महाश्रमण  ने अनेक विषयों पर चर्चा तथा मंथन किया जिसमे नवदम्पतियों को सहनशील बनाने, प्रेक्षाध्यान, शाखाओ का चरित्र, शाखा की महत्ता, योग, ध्यान आदि विषयों पर चर्चा हुई.चर्चा करते हुए भागवत जी ने बताया की देश में ५२८ प्रचारक है. 
चर्चा में आचार्यश्री को भागवत  जी ने बताया की प्रचारक यानि समर्पण सन्यासी की तरह कार्य करना. महाश्रमण जी के यह पूछने पर की क्या प्रचारक की आचारसंहिता है ? भागवत जी ने कहा की शुद्ध रहना, विवेक, मर्यादा रखना.   प्रचारक श्रद्धा का विश्वास का केंद्र रहे. महाश्रमण जी द्वारा यह पूछने पर की क्या संघ की कोई लिखित आचार संहिता है  पूजनीय सरसंघचालक जी ने कहा की संघ की कोई लिखित  परम्परा नहीं है यह केवल परंपरा के रूप में चली आ रही है . संघ पूरा अनोपचारिक है. पूजनीय हेडगेवार जी ने इसे प्रारंभ किया और जिन लोगो  को यह ठीक लगा वे जुड़ते गए. दोनों के मध्य रामजन्म भूमि, गंगा शुद्धिकरण, नैतिकता आदि विषयों पर भी चर्चा हुई. 
पूज्यवर ने उन्हें तुलसी जन्मशताब्दी , १०० दीक्षाओ के लक्ष्य , अनुव्रत आदि के बारे में जानकारी दी. 
मुनिकुमार श्रमण  ने गुरु आज्ञा से साधुओ के लेख पत्र का वचन किया. जिसे सुनकर पूजनीय सरसंघचालक अभिभूत हुए. श्रावक निष्ठा पत्र उन्हें भेंट किया गया. 
वार्ता के समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजस्थान के क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गादास जी , जोधपुर प्रान्त प्रचारक मुरलीधर जी तथा एनी मुनिजन भी उपस्थित थे.



शनिवार, 21 जुलाई 2012

पूजनीय सर संघचालक जसोल पहुंचे

बालोतरा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूजनीय सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत तीन दिवसीय दौरे पर शुक्रवार रात जसोल पहुंचे। यहां उनका पारंपरिक रूप से स्वागत किया गया। भागवत शनिवार को विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे। सर संघचालक के प्रथम बार सरहदी जिले बाड़मेर में आगमन को लेकर स्वयंसेवकों में जबरदस्त उत्साह है। वे उनकी यात्रा कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जोर शोर से जुटे हुए है। रविवार को आयोजित मुख्य कार्यक्रम में हजारों की संख्या में पूर्ण गणवेशधारी स्वयंसेवक भाग लेंगे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत शुक्रवार को जोधपुर से सड़क मार्ग होते हुए रात करीब पौने नौ बजे जसोल पहुंचे। यहां पहुंचने पर संघ स्वयंसेवकों द्वारा उनकी अगवानी कर तिलक लगाकर स्वागत किया गया। इस अवसर पर क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गादास, क्षेत्रीय सह संपर्क प्रमुख प्रकाशचन्द्र, क्षेत्रीय प्रचारक प्रमुख नंदलाल जोशी, जोधपुर प्रांत के प्रचारक मुरलीधर सहित संघ के पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद थे। सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत शनिवार को विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे।

तीन दिवसीय यात्रा के अंतिम दिन रविवार को जसोल में वे आचार्य महाश्रमण के चातुर्मास कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर स्वयंसेवकों के आयोजित संगम कार्यक्रम को वे संबोधित करेंगे। इसके बाद अन्य विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेकर स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन करेंगे। शाम चार बजे बाद वे जोधपुर के लिए प्रस्थान करेंगे।

संघ के जिला संघचालक सुरंगीलाल सालेचा ने बताया कि संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत 22 जुलाई को जसोल आएंगे। इस दिन जसोल के तेरापंथ भवन में सुबह 9.30 बजे आयोजित कार्यक्रम में सर संघचालक मोहन भागवत भाग लेंगे। नगर कार्यवाहक जसोल ललित खण्डेलवाल ने बताया कि इस दिन जसोल में संगम कार्यक्रम होगा। इसमें जसोल से 1100 व जिले भर से 4 हजार स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में भाग लेंगे।
वहीं उनके स्वागत में जसोल को भगवा पताकाओं से सजाया जा रहा है।
साभार : राजस्थान पत्रिका 

कतरन

 साभार: दैनिक भास्कर , जोधपुर
साभार : राजस्थान पत्रिका , जोधपुर
 

बुधवार, 18 जुलाई 2012

पूजनीय सर संघचालक मोहन जी भगवत 22 को जसोल बालोतरा में

पूजनीय सर संघचालक मोहन जी भागवत  22 को जसोल बालोतरा में 
बालोतरा. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत दो दिवसीय प्रवास पर 22 जुलाई को बालोतरा आएंगे। उनके आगमन की तैयारियों में संघ स्वयंसेवक जोर शोर से जुटे हुए है।
जिले के प्रचार प्रमुख सतीश व्यास ने बताया कि संघ के सर संघचालक मोहन भागवत दो दिवसीय प्रवास पर 22 जुलाई को बालोतरा आएंगे।इस दिन वे सुबह नौ बजे जसोल में तेरापंथ के आचार्य महाश्रमण के चातुर्मास कार्यक्रम में भाग लेंगे। तेरापंथ सभा भवन में आचार्य महाश्रमण व सर संघचालक मोहनभागवत चार हजार से अघिक संघ के स्वयं सेवकों को संबोघित करेंगे। इस आयोजन को सफल बनाने में बालोतरा, सिवाना, गुड़ामालानी, समदड़ी, पचपदरा तहसील क्षेत्र के स्वयंसेवक तैयारियों में जुटे हुए हैं।

बुधवार, 11 जुलाई 2012


तुष्टीकरण आधारित अलगाववादी रपट-2 

अलगाववादियों की सभी मांगें मानकर सरकारी वार्ताकारों ने तैयार कर दिया 'आजाद-कश्मीरका रोडमैप' 

- नरेन्द्र सहगल -


पाकिस्तान प्रेरित 65 वर्ष पुरानी कश्मीर समस्या को तुरंत सुलझाने के लिए सरकारी वार्ताकारों ने राजनीतिक घड़ी की सुइयों को 60 वर्ष पीछे घुमाने अर्थात् जम्मू- कश्मीर के 6 दशकों के संवैधानिक इतिहास को खारिज करने के लिए यह रपट तैयार की है। 178 पृष्ठों की इस रपट की एक महत्वपूर्ण सिफारिश के अनुसार 1952 के बाद जम्मू-कश्मीर में लागू भारतीय संसद के सभी कानूनों की समीक्षा के लिए एक संवैधानिक समिति का गठन किया जाए। यह समिति उन अधिनियमों को बदलेगी जिनके माध्यम से इस सीमावर्ती प्रदेश को भारत से न केवल जोड़ा गया, अपितु उसे विकास की राह पर भी आगे बढ़ाया गया। जाहिर है कि यह समिति भारत के संविधान और संसद को चुनौती देने वाली एक ऐसी टोली होगी जो इन वार्ताकारों की ही अलगाववादी मानसिकता की लकीरों पर चलेगी।
देश-विरोधी सिफारिश
वार्ताकारों द्वारा जम्मू-कश्मीर में 1953 से पूर्व की राज्य व्यवस्था की सिफारिश करना सीधे तौर पर देशद्रोह की श्रेणी में आता है। इस तरह की सिफारिश का अर्थ है जम्मू-कश्मीर में भारतीय प्रभुसत्ता को चुनौती देना, देश के किसी प्रदेश को भारतीय संघ से तोड़ने का प्रयास करना और भारत के राष्ट्रीय ध्वज, संविधान और संसद का विरोध और अपमान करना।
वार्ताकारों ने जम्मू-कश्मीर में जिस 1952 वाली राजनीतिक व्यवस्था की पुनस्स्थापना की सिफारिश की है उसका एक नजर में अवलोकन करना न्याय संगत होगा। 26 अक्तूबर 1947 को जम्मू-कश्मीर रियासत के राजा हरिसिंह ने रियासत का विलय भारत में कर दिया। प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू की 'मेहरबानी' से शेख अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के वजीर-ए-आजम और डा.कर्णसिंह सदर-ए-रियासत बन गए। भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के स्थान पर नेशनल कांफ्रेंस के चांद सितारे वाले लाल झंडे को सरकारी मान्यता मिल गई। शेष देशवासियों के लिए जम्मू-कश्मीर में जाने के लिए पहले से लागू परमिट व्यवस्था और ज्यादा मजबूत कर दी गई।
भारत से कट जाएगा कश्मीर
जम्मू-कश्मीर को अपना अलग संविधान बनाने की इजाजत दे दी गई। इस राज्य को सर्वोच्च न्यायालय के प्रभाव क्षेत्र से पूर्णत: मुक्त रखा गया। चुनाव आयुक्त का वहां कोई अधिकार नहीं था। भारतीय संविधान में धारा 370 जोड़कर जम्मू-कश्मीर को देश के शेष प्रांतों के ऊपर वरीयता दे दी गई। संक्षेप में यह स्थिति है 1953 के पूर्व की। यही संवैधानिक व्यवस्था 1952 के नेहरू-शेख समझौते का आधार है। यहां ये बताना जरूरी है कि इसी व्यवस्था को बदलने के लिए प्रजा परिषद का महा आंदोलन हुआ। डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान के परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर को पूर्णत: भारत में मिलाने के संवैधानिक संशोधन प्रारंभ हुए।
1953 से लेकर आजतक भारत सरकार ने अनेक संवैधानिक संशोधनों द्वारा जम्मू-कश्मीर को भारत के साथ जोड़कर (अन्य प्रांतों की भांति) ढेरों राजनीतिक, आर्थिक सुविधाएं दी हैं। जम्मू-कश्मीर के लोगों द्वारा चुनी गई संविधान सभा ने 14 फरवरी 1954 को प्रदेश के विलय पर अपनी स्वीकृति दे दी। अगर सत्ताधारियों ने अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए वार्ताकारों की 1952 की तरफ लौटने की सिफारिश को मान लिया तो प्रदेश को देश से कटने में तनिक भी देर नहीं लगेगी। इस राजनीतिक व्यवस्था के अन्तर्गत जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति के सभी अध्यादेश, संवैधानिक संशोधन, संसद के अधिकार और सर्वोच्च न्यायालय का नियंत्रण सब कुछ समाप्त हो जाएगा।
स्वायत्तता के भयानक दुष्परिणाम
वार्ताकारों द्वारा जम्मू-कश्मीर के लिए दी जाने वाली इस प्रकार की संभावित 'स्वायत्तता' से होने वाले अनेकविध एवं असंख्य परिणामों की कल्पनामात्र ही किसी भी देशभक्त एवं राष्ट्रीय सोच वाले नागरिक को झकझोर कर रख देती है। जम्मू-कश्मीर में एक समुदाय विशेष का बहुमत है। उसी का वर्चस्व वहां की सरकार पर रहेगा।
1964 में भारतीय संविधान की उन धाराओं 356-357 को जम्मू-कश्मीर में भी लागू किया गया था, जिनके अन्तर्गत भारत के राष्ट्रपति को प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने का अधिकार है। जरा कल्पना कीजिए उस स्थिति की जब भारत सरकार का यह संवैधानिक अधिकार समाप्त होगा। तब प्रदेश में किसी संवैधानिक संकट की स्थिति में यदि राष्ट्रपति शासन की जरूरत पड़ी तो क्या होगा? सब जानते हैं कि कश्मीर के प्रशासन में पाकिस्तान समर्थकों की भरमार है।
मजबूत होंगे पाकिस्तान के इरादे
पाकिस्तान का अघोषित युद्ध जारी है। वह कभी भी घोषित युद्ध में परिवर्तित हो सकता है। कश्मीर सरकार और वहां के एक विशेष समुदाय को बगावत करने से कैसे रोका जाएगा? हमारी फौज किसके सहारे लड़ेगी? जब वहां की स्थानीय सरकार, प्रशासन व्यवस्था और न्यायालय सब कुछ भारत सरकार के नियंत्रण से बाहर होंगे तो उन्हें भारत के विरोध में खड़ा होने से कौन रोकेगा?
धारा 370 ने तो पहले ही इस प्रकार के अलगाववाद को संवैधानिक मान्यता दे रखी है। इसकी आड़ में वहां के प्रशासन पर अलगाववादी तत्वों का प्राय: पूर्ण कब्जा है। यदि इस तरह की प्रशासनिक व्यवस्था में से अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को निकाल दिया गया तो परिणाम भयानक हो सकते हैं। वार्ताकारों ने जम्मू-कश्मीर में अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की संख्या कम करने का सुझाव दिया है। इस तरह के कदम उठाने से जम्मू-कश्मीर को भारत संघ से अलग एक स्वतंत्र इकाई मानने वालों के इरादे मजबूत हो सकते हैं।
यही तो चाहते हैं अलगाववादी
1952 जैसी स्थिति की बहाली करके तो प्रदेश को भारत के अंग के रूप में रखने के सारे रास्ते स्वत: बंद हो जाएंगे। भारत सरकार पाकिस्तान के साथ जिस शिमला समझौते के अन्तर्गत बात करने की बार-बार दुहाई देती है, वह समझौता 1972 में हुआ था। पाकिस्तान और कश्मीर के बहुसंख्यक लोग इसे भी रद्द मानकर फिर से वही जनमत अधिकार और सुरक्षा परिषद में सुप्त पड़े हुए कश्मीर मुद्दे को जोर-शोर से उठाएंगे। शिमला समझौते में ही युद्ध विराम रेखा को नियंत्रण रेखा माना गया था। कई अलगाववादी तत्व इसी को अन्तरराष्ट्रीय सीमा बनाने की फिराक में हैं। ताकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर भारत का अधिकार सिद्धांतत: एवं कानूनी रूप से समाप्त हो जाए।
30 मार्च 1965 को भारत के संविधान की धारा 249 के अन्तर्गत जम्मू-कश्मीर को भी लाया गया। इस धारा के अन्तर्गत भारत सरकार को प्रदेश की राज्य सूची के किसी भी मामले में संवैधानिक वर्चस्व मिल गया था। इस तरह की राज्य व्यवस्था भारत के शेष प्रांतों में भी है। राजनीतिक, आर्थिक व न्यायिक क्षेत्रों के अधिकांश मामलों से संबंधित कानूनों पर केन्द्र का नियंत्रण होना चाहिए। जम्मू-कश्मीर जैसी परिस्थितियों वाले प्रदेश में तो यह और भी जरूरी है। प्रदेश में वंचित वर्गों से संबंधित सुविधाएं, वैष्णो देवी ट्रस्ट, वक्फ बोर्ड पर असीमित अधिकार, मत गणना की व्यवस्था, चुनाव व्यवस्था इत्यादि जो सुधार के कार्य हो सके हैं वे सब इसी के अन्तर्गत संभव हो सके। भारत सरकार इस प्रदेश की जनता को आर्थिक पैकेज देती है। 1952 की स्थिति तो इन सब कदमों में बेड़ियां डाल देगी।
भारतीय प्रभुसत्ता को चुनौती
इसी प्रकार 25 फरवरी 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी एवं शेख अब्दुल्ला के मध्य हुए एक समझौते के अन्तर्गत पुन: कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर भारत का अविभाज्य संवैधानिक अंग है। इस समझौते की धारा 2 इस प्रकार है-'यद्यपि कानून बनाने की अविशिष्ट शक्तियां राज्य के पास रहेंगी तथापि संघीय संसद को ऐसे तमाम विषयों पर कानून बनाने का अधिकार होगा, जिनमें प्रभुसत्ता को भंग करने, चुनौती देने या नकारने के किसी प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष प्रभाव और भारतीय क्षेत्र के किसी भाग को अलग करने या भारत के किसी क्षेत्र को संघ से अलग करने या भारतीय राष्ट्रीय ध्वज, भारतीय राष्ट्रीय गान व भारतीय संविधान का अपमान जैसी किसी भी गतिविधि को रोकने में हो।'
स्पष्ट है कि 1952 की स्थिति अगर बहाल हुई तो 1975 में हुए इस महत्वपूर्ण समझौते के चिथड़े उड़ जाएंगे। इसके निरस्त होने का अर्थ होगा कि कश्मीर में भारतीय प्रभुसत्ता को चुनौती मिलने, प्रदेश के किसी क्षेत्र को भारतीय संघ से अलग करने का प्रयास और भारत के राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय गान का अपमान होने पर भारतीय सरकार हाथ बांधे खड़ी रहेगी।
सोनिया सरकार की परीक्षा
1952 जैसी राजनीतिक और संवैधानिक स्थिति ही वास्तव में नेशनल कांफ्रेंस के एजेंडे पूर्ण स्वायत्तता और पीडीपी के एजेंडे स्वशासन का आधार है। सर्वविदित है कि जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस द्वारा मुख्यमंत्री डा.फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में 1996 में पूरी शक्ति के साथ 'ग्रेटर ऑटोनोमी' का मुद्दा उठा दिया गया था। एक स्टेट ऑटोनोमी कमेटी का गठन किया गया। 15 अप्रैल 1999 को इस कमेटी ने अपनी रपट प्रदेश की विधानसभा में रखी। अंत में 20 जून 2000 तक विधानसभा में चली लम्बी बहस के बाद दो तिहाई बहुमत से ऑटोनोमी प्रस्ताव पारित कर दिया गया। इस प्रस्ताव को केन्द्र सरकार के पास भेज दिया गया।
4 जुलाई 2000 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इस ऑटोनोमी प्रस्ताव को सर्वसम्मति से यह कहकर ठुकरा दिया कि यह न केवल भारत के संविधान और संसद के ही खिलाफ है अपितु यह जम्मू-कश्मीर की जनता की भलाई में भी नहीं है। उस समय केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी नीत राजग सरकार थी। आज फिर इन कथित प्रगतिशील तथा अलगाववादियों के हमदर्द तीनों वार्ताकारों ने स्वायत्तता एवं स्वशासन जैसे भारत विरोधी एजेंडों पर आधारित अपनी रपट (आजाद कश्मीर का रोडमैप) केन्द्र सरकार के पास भेजी है। अब देखना यह है कि केन्द्र में स्थापित सोनिया निर्देशित कांग्रेस की सरकार क्या करती है।
तथाकथित प्रगतिशील वार्ताकारों द्वारा गढ़ी गई यह रपट पूर्णतया असंवैधानिकएकतरफा,अनाधिकार चेष्टा और भारत की संप्रभुताअखंडता  सुरक्षा के लिए खतरा साबित होगी। यहसोची-समझी राजनीतिक चाल देश के संविधान और संसद के लिए एक प्रबल चुनौती है।
20 जून 2000 को जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में पारित 'पूर्ण स्वायत्तताके प्रस्ताव को 4जुलाई, 2000 को केन्द्र की भाजपानीत सरकार ने खारिज कर दिया था। अब देश को इंतजार हैकि आज की सोनिया निर्देशित सरकार इन वार्ताकारों की 'स्वायत्ततापर आधारित रपट काक्या करती है?
नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, अलगाववादी संगठन, कट्टरवादी गुट और हिंसक जिहाद के झंडाबरदार आतंकवादी सभी यही चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर को 1952 की स्थिति में पहुंचा कर भारत के संवैधानिक वर्चस्व को समाप्त कर दिया जाए। वार्ताकारों ने इनके रास्ते की सभी बाधाएं हटाने का प्रयास किया है।
स्त्रोत: http://www.panchjanya.com

शनिवार, 7 जुलाई 2012

जोधपुर प्रान्त में भी केंद्र सरकार के वार्ताकारों द्वारा कश्मीर पर तैयार रिपोर्ट के विरोध में व्यापक स्तर पर देशव्यापी धरने प्रदर्शन का आयोजन किया गया . प्रस्तुत है जोधपुर प्रान्त की खबरे

जोधपुर प्रान्त में भी केंद्र सरकार के वार्ताकारों द्वारा कश्मीर पर तैयार रिपोर्ट के विरोध में व्यापक  स्तर पर देशव्यापी धरने प्रदर्शन का आयोजन किया गया .
प्रस्तुत है जोधपुर प्रान्त की खबरे  
बीकानेर
जम्मू-कश्मीर समस्या सुलझाने के मामले पर केन्द्र सरकार की ओर से नियुक्ति किए गए वार्ताकार की रिपोर्ट उजागर होने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व उससे जुड़े संगठनों ने रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए इसे देश के टुकड़े कराने वाली करार दिया।
राष्ट्रपति से रिपोर्ट को खारिज करने की मांग को लेकर शुक्रवार को कलेक्ट्रेट पर सीमा जनकल्याण समिति के बैनर तले धरना लगाया जिसमें वक्ताओं ने वार्ताकारों पर भी कई तरह के आरोप लगाए। वक्ताओं ने कश्मीर की दुर्दशा के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर कई अन्य नेताओं की भूमिका को संदिग्ध बताया और कहा कि आज देश के दो राजनीतिक परिवारों के कारण कश्मीर समस्या का हल नहीं हो पा रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघचालक नरोत्तम व्यास ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू की अदूरदर्शिता के कारण आज हालत इतने विकट हो गए हैं कि कश्मीर को देश से अलग करने के प्रयास हो रहे हैं। गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी के रूप में राहुल गांधी भी इसी तरह का प्रयास कर रहे हैं। कोलायत विधायक देवीसिंह भाटी ने युवाओं को कश्मीर की रक्षा के लिए हर तरह की कुर्बानी देने का आह्वान किया और कहा कि यदि इस मामले पर वे स्वयं को पहले कुर्बान करने को तैयार हैं।
सांसद अर्जुनराम मेघवाल ने धारा 376 के मुद्दे पर कहा कि यह अफवाह फैलाई गई कि धारा 376 के मामले पर डॉ.भीमराव आंबेडकर की भूमिका रही थी जबकि यह गलत है। आंबेडकर ने इस तरह की सभी स्थितियों का विरोध किया था मगर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जिद के कारण इस धारा का निर्माण हुआ। संघ के विभाग प्रचार निंबाराम ने गांधी और अब्दुला परिवार को कश्मीर के हालात के लिए जिम्मेवार ठहराते हुए कहा कि कश्मीर भारत का अंग है और रहेगा।
धरने को पूर्व सैनिक सेवा परिषद के मंत्री हनुमानसिंह, अल्पसंख्यक मोर्चा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष मुमताज अली भाटी, भाजपा नेता ओम आचार्य, जगमालसिंह राइका ने कविता के मार्फत कश्मीर की स्थिति का बखान किया। कार्यक्रम का संचालन सीमा जन कल्याण समिति के प्रांत मंत्री राजेश कुमार लदरेचा ने किया।
बीकानेर पश्चिम क्षेत्र के विधायक डॉ.गोपाल जोशी, खाजूवाला विधायक डॉ.विश्वनाथ, भाजपा प्देश कार्य समिति सदस्य सत्यप्रकाश आचार्य, गोपाल गहलोत, नंदकिशोर सोलंकी, मीना आसोपा, देहात भाजपा जिलाध्यक्ष रामगोपाल सुथार, भाजयुमो के भगवानसिंह मेड़तिया, भूपेन्द्र शर्मा, महिला मोर्चा की नीना अरोड़ा, महामंत्री श्यामसिंह हाड़लां, विजय आचार्य, बाबूलाल गहलोत, स्वदेशी जागरण मंच के विजय धमीजा, विहिप के सुभाष जोशी, विद्यार्थी परिषद के महानगर मंत्री भवानीसिंह खारा, दिलीपसिंह आडसर, बजरंग दल के दुर्गासिंह, भारतीय किसान संघ के महावीर पुरोहित के अलावा आरएसएस, भाजपा, भारतीय मजदूर संघ, भारत विकास परिषद, सीमा जन कल्याण समिति के तमाम कार्यकर्ता पदाधिकारी मौजूद थे।
कलेक्ट्रेट पर कश्मीर मुद्दे पर धरने के बाद एक प्रतिनिधि मंडल कलेक्टर रामदेव गोयल से मिला और राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की गई। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी कर प्रदर्शन किया।
बालोतरा कश्मीर बचाओ मुद्दे को लेकर सीमा जन कल्याण समिति बालोतरा की ओर से देश व्यापी कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को स्थानीय रेस्ट हाउस के आगे सांकेतिक धरना देकर प्रदर्शन किया गया। इसके बाद उपखंड अधिकारी को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। इसी तरह पचपदरा में तहसील कार्यालय में ज्ञापन सौंपकर कश्मीर बचाने की गुहार की गई। सीमाजन कल्याण समिति के बैनर तले शुक्रवार सवेरे ९ बजे कश्मीर बचाओ, देश बचाओ मुद्दे को लेकर धरना दिया गया। उसके बाद कार्यकर्ता जुलूस के रूप में उपखंड कार्यालय पहुंचे। जहां समिति प्रभारी भरत मोदी, नगर पालिका अध्यक्ष महेश बी चौहान, भाजपा नगर अध्यक्ष रमेश गुप्ता, पार्षद पुष्पराज चौपड़ा, दुर्गादेवी सोनी, प्रकाश माली, जितेन्द्र मेवाड़ा, कृषि मंडी के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव जीनगर, जैसलसिंह खारवाल सहित कार्यकर्ताओं ने उपखंड अधिकारी कमलेश आबूसरिया को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और भारत का मुकुट है। हजारों वर्षों का इतिहास देखा जाए तो कश्मीर हमारी संस्कृति का गौरव है। जम्मू कश्मीर की स्थिति पर भारत सरकार ने अक्टूबर 2010 में तीन सदस्यीय वार्ताकार दल गठित कर समस्या समाधान के लिए सुझाव मांगे थे। इसको 24 मई 2012 को सार्वजनिक किया गया तो पता चला कि देश की अखंडता को खंडित करने व अलगाववादियों के हितों को लेकर सिफारिशें की गई है। उन्होंने बताया कि इन सिफारिशों को मान लिया जाए तो कश्मीर अलगाववादियों की भेंट चढ़ जाएगा। उन्होंने मांग की कि इन सिफारिशों को सिरे से खारिज किया जाए। साथ ही मांग की कि कश्मीर में धारा 370 को तुरंत प्रभाव से हटाया जाए, पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लिया जाए, आतंकवादियों के कठोर दंड दिया जाए, सेना को पूर स्वतंत्रता दी जाए तथा जम्मू, लद्दाख व करगिल क्षेत्र के वाशिंदों का सहयोग लिया जाए।


सिवाना सीमाजन कल्याण समिति सिवाना की ओर से देश व्यापी कार्यक्रम के तहत शुक्रवार सवेरे 9 बजे बावड़ी चौक पर सैकड़ों की संख्या में लोग एकत्रित हुए। वहां से रैली के रूप में विधायक कानसिंह कोटड़ी, हनवंतसिंह सरपंच, विजयराज सोनी, नारायण घांची, ओमजी, भोपाजी, नारायणदास संत, संदीप अग्रवाल, दिलीप सोनी, हरीश सोनी, तिलोकराम प्रजापत, लक्ष्मणसिंह कोटड़ी, बिहारी जीनगर, लूणजी सोनी, रेवतसिंह राव, हरीश शर्मा, मोतीलाल जीनगर, श्याम सुंदर दवे, खेमराज व्यास सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने थानाधिकारी को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दौरान आरएसएस के जिला बौद्धिक प्रमुख जालमसिंह ने कश्मीर की स्थिति के बारे में जानकारी दी। चिंरजीलाल हिंदू ने भी विचार व्यक्त किए।
कश्मीर हो या गुवाहाटी-अपना देश अपनी माटी
बाड़मेर
'एक देश में दो विधान, दो निशान-दो प्रधान, नहीं चलेंगे-चलेंगे..., केंद्र सरकार होश में आएं-देश विघातक नीतियों से बाज आएं..., कश्मीर हो या गुवाहाटी-अपना देश अपनी माटी, धारा 370-बंद करों सरीखे नारों के साथ जिला मुख्यालय सहित तहसील स्तरों पर राष्ट्रवादी संगठनों से जुड़े लोगों ने धरना-प्रदर्शन कर जम्मू-कश्मीर मामले पर केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध जताया। सभी जगह प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति को रिपोर्ट खारिज करने की मांग को लेकर हस्ताक्षरित ज्ञापन सौंपे गए।
कश्मीर भारत का मुकुट
शुक्रवार सुबह 10:30 बजे स्थानीय गांधी चौक व शहीद स्मारक सिणधरी चौराहे से लोग हाथों में कश्मीर नीति विरोधी तख्तियां थामे रवाना हुए। नारेबाजी करते हुए कार्यकर्ता मुख्य मार्गों से होकर कलेक्ट्रेट के समक्ष पहुंचे। धरने को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघचालक पुखराज गुप्ता ने कश्मीर को भारत का मुकुट बताया। उन्होंने कहा इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का रवैया देश की अस्मिता पर कुठाराघात है। कश्मीर के विलय हो जाने तथा वहां की विधानसभा की ओर से पुष्टि करने के बावजूद केंद्र सरकार जानबूझकर निर्णय नहीं ले रही है। पुरुषोत्तम बिंदल, छत्तूमल सिंधी ने जम्मू कश्मीर के हालातों पर चर्चा करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट को भारतीय कभी स्वीकार नहीं करेंगे। समिति के जिला कोषाध्यक्ष सुशील भंडारी ने ज्ञापन का वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन जिलाध्यक्ष अंबालाल जोशी व आभार उपाध्यक्ष ईश्वरलाल आचार्य ने व्यक्त किया।
ये रहे मौजूद:धरना प्रदर्शन में संघ व उससे जुड़े संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। मेजर परबत सिंह, रतनलाल बोहरा, वीरसिंह भाटी, मृदुरेखा चौधरी, बलराम प्रजापत, मिर्चूमल कृपलानी, जगदीश खत्री, लक्ष्मण बडेरा, स्वरूपसिंह खारा, बलवंत सिंह, किशनचंद, भगवान ठारवानी, किशोर भार्गव, चेलाराम सिंधी, नारायण प्रसाद खत्री, गोविंद पुरोहित, पहाड़ सिंह महेचा, कैलाश बेनीवाल, रेलूमल, मांगीलाल बोथरा, कल्याणसिंह, विजेंद्र, महेंद्र पुरोहित, मूलाराम भांभू, आदूराम, वासुदेव व्यास, सुरेंद्र मेहता, खेमी चंद सोलंकी, अरविंद तापडिय़ा, नाथूराम कुमावत, मनोहर बंसल, रामसिंह बोथिया सहित कई लोग उपस्थित रहे।
बायतु  उपखंड मुख्यालय पर सीमा जन कल्याण समिति के बैनरतले धरना-प्रदर्शन को संबोधित करते हुए विभाग गो संवद्र्धन एवं ग्राम विकास प्रमुख पूनमचंद पालीवाल ने कहा कि रिपोर्ट में नियंत्रण रेखा के आर-पार निर्बाध आवागमन की सिफारिश की गई है। इससे भारत विरोधी गतिविधियों को बल मिलेगा। इसे देश का जन मानस कतई स्वीकार नहीं करेगा। धरने के बाद कार्यक्रम संयोजक महेंद्र कुमार चौपड़ा के नेतृत्व में एसडीएम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया।

धोरीमन्ना कस्बे में कश्मीर मामले पर केंद्र सरकार की रिपोर्ट को खारिज करने की मांग को लेकर सीमा जन कल्याण समिति ने रैली निकाल कर विरोध जताया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग सह कार्यवाह देरामाराम विश्नोई ने कहा केंद्र सरकार तुष्टिकरण की नीति से देश को तोडऩे का प्रयास कर रही है। इस दौरान जुगराज सेठिया, रमेश आचार्य, सुरेश गीगल, जयकिशन भादू, मांगाराम विश्नोई, लक्ष्मण भागर्व, अशोक दर्जी, तेजसिंह चौहान, नरेश गुप्ता समेत कई लोग मौजूद थे।
चौहटन: देशव्यापी कश्मीर बचाओ अभियान के तहत कस्बे में रैली निकाली गई। रैली पीपली चौक से रवाना होकर मुख्य बाजार होकर तहसील कार्यालय पहुंच सभा में तब्दील हो गई। संघ के विभाग सह प्रचारक विपिनचंद्र ने कहा जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने के षड्यंत्रों के खिलाफ जनजागरण जरूरी हैं। नगर बौद्धिक प्रमुख राजेश कुमार, तहसील शारीरिक प्रमुख लिखमाराम ने भी अपने विचार व्यक्त किए। धरना-प्रदर्शन में चतरसिंह राठौड़, बाबूलाल डोसी, सरपंच मोहनलाल सोनी, श्रवण कुमार, कमलेश बोथरा सहित कई लोगों ने शिरकत की।

गडरा रोड उपतहसील मुख्यालय पर भी कश्मीर बचाओ अभियान को लेकर धरना-प्रदर्शन किया गया। सीमा जन कल्याण समिति के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य शंकरलाल गोली ने कहा कि केंद्र सरकार की कश्मीर को लेकर नीति देश के लिए घातक है। दशरथ मेघवाल, प्रेमाराम मेघवाल, कंवराजसिंह गोडिय़ा, प्रेमसिंह सोढ़ा ने भी अपनी बात कही। इस दौरान किशन तामलोरिया, भीख भारती, हिंदुसिंह सोढ़ा, प्रताप भील, तेजाराम दर्जी सहित कई लोग मौजूद थे।

सिणधरी राष्ट्रवादी संगठनों के प्रतिनिधियों ने उपतहसील कार्यालय के समक्ष सांकेतिक धरना देकर कश्मीर रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की।
एबीवीपी नगर अध्यक्ष खरथाराम सोलंकी, शिवसेना संयोजक मुकेश, महंत रघुनाथ भारती, जयराम प्रजापत, निंबाराम, गिरधारीराम सहित कई कार्यकर्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।
जैसलमेर.
जम्मू कश्मीर के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त वार्ताकारों की रिपोर्ट के विरोध में शुक्रवार को सीमा जन कल्याण समिति ने प्रदर्शन किया। इस दौरान हनुमान चौराहे पर पुतले भी फूंक ने के साथ केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की । समिति की ओर से इस संबंध में राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा ।शुक्रवार सुबह से ही समिति, भाजपा, एबीवीपी और विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता सत्यदेव व्यास पार्क में एकत्र होने लगे थे। करीब साढ़े दस बजे व्यास पार्क से जुलूस रवाना हुआ। यहां से नारे लिखे तख्तियां व बैनर लिए व नारेबाजी करते कार्यकर्ताओ का जुलूस गड़ीसर मार्ग, आसनी रोड, गोपा चोक, सदर बाजार, जिंदानी चौकी, कचहरी रोड, गांधी चोक व हनुमान चौराहा होते हुए कलेक्ट्रेट के सामने पहुंचा।
इस दौरान जम्मू कश्मीर को लेकर केन्द्र सरकार की ओर से नियुक्त वार्ताकारों का पुतला जलाया गया और नारेबाजी की गई। इस दौरान एक प्रतिनिधि मंडल कलक्टर से मिला और उन्हें राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि गत 26 अक्टूबर 1947 को जम्मू कश्मीर की तत्कालीन महाराजा हरिसिंह ने अपने राज्य का वैधानिक रीति से भारत में विलय किया। तब से यह भारत का अभिन्न अंग हैं और विलय के प्रावधानों के अनुसार इस विलय को भविष्य में कभी निरस्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान व चीन ने राज्ज्य के एकबड़े भू-भाग को अधिक्रांत कर इस पर अवैध कब्जा कर लिया है। इसके बाद भी वैधानिक रूप से वह भारत का भू-भाग है और इसे वापिस लेना भारत का अधिकार ही नहीं उसका कर्तव्य भी है।
देश की संसद ने इस संबंध में 22 फरवरी 1994 को एक सर्वसम्मत संकल्प भी पारित किया है। राज्य के किसी हिस्से को भारत से अलग करने विलय को नकारने, उसे स्वतंत्र करने की मांग करने या भारतीय संविधान के अधिकार क्षेत्र से मुक्त किए जाने जैसी मांगे या उनका अनुमोदन राष्ट्रद्रोह के सम्मान है। उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार की ओर से जम्मू कश्मीर पर गठित वार्ताकारों के दल ने अपने प्रतिवेदन में जो संस्तुतियां की है, उनमें अनेक राष्ट्रीय भावना के विरूद्ध, संवैधानिक सरोजता को नकारने वाली, देश की संप्रभुता को कमजोर करने वाली के संबंध मे जिक्र किया गया है। उन्होंने मांग की कि वार्ताकार समूह के सदस्यों ने किन परिस्थितियों के दबाव में यह राष्ट्रविरोधी प्रतिवेदन तैयार किया है, इसकी सक्षम क्षमता की ओर से जांच कराई जाए।
इससे पूर्व सभा में तब्दील हुए जुलूस को सीमाजन कल्याण समिति के पदाधिकारी बाबूलाल व नींबसिंह ने संबोधित किया। जुलूस में विधायक छोटूसिंह भाटी, सांगसिंह भाटी, भंवरसिंह सांधना, अजय व्यास, त्रिलोक चंद खत्री, शरद व्यास, दलपत मेघवाल, महेश वासु, लक्ष्मीनाथ श्रीमाली, ओम सेवक, मनोहरसिंह, दीनदयाल, विमला वैष्णव, मनोरमा वैष्णव, देवकी राठौड़, भगवानदास गोपा, नवल चौहान, अशोक कुमार सेन, कंवराजसिंह चौहान, लालुसिंह सोढ़ा, लीलुसिंह बड्डा, अखेसिंह, कूंपसिंह, एचके व्यास, रेंवतसिंह भाटी, कुंदनसिंह, उपेंद्रसिंह, रमणसिंह, सोहनसिंह, करूणा कंवर, समता व्यास, मीना भाटी सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे।
इसमें समिति के पदाधिकारी, भाजपा नेता और अन्य जनप्रतिनिधि भी शामिल थे। खास तौर पर महिला कार्यकर्ताओं की संख्या ज्यादा थी। रास्ते भर कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की और कश्मीर को भारत का अंग बताते हुए कई नारे लगाए। हनुमान चौराहा पहुंचने पर कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन करने के साथ पुतले भी फूंके। यहां से यह जुलूस कलेक्ट्रेट पहुंचा और वहां सीमा जन कल्याण समिति के एक प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन सौंपा।
नागौर भारत सरकार की ओर से नियुक्त जम्मू कश्मीर वार्ताकारों द्वारा कश्मीर को लेकर बनाई गई रिपोर्ट के खारिज करने की मांग को लेकर शुक्रवार को सीमा जन कल्याण समिति ने राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर समिति व अन्य कई सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने शहर के व्यस्ततम मार्गों पर रैली निकाली व कलेक्ट्रेट पर धरना प्रदर्शन कर विरोध जताया। शिवबाड़ी स्थित शिव मंदिर से समिति के संयोजक श्रीगोपाल चांडक के नेतृत्व में रैली कलेक्ट्रेट पहुंची। ईश्वर चन्द्र ने कहा कि सरकार की सदैव ही कश्मीर के प्रति ढुलमुल नीति रही है। इस कारण आजादी से आज तक कश्मीर समस्या का समाधान नहीं हो पाया। अब सरकार इस सम्बन्ध में एक नया षड्यंत्र रच कर कश्मीर को स्वायत्ता प्रदान करने के नए तरीके अपना अलगाववाद को बढ़ावा दे रही है। जिससे कश्मीर समस्या समाप्त नहीं होगी और अधिक विकट हो जाएगी। वे नागौर कलक्ट्रेट कार्यालय के सामने शुक्रवार को सीमाजन कल्याण समिति के तत्वावधान में धरना-प्रदर्शन के दौरान आयोजित सभा को संबोधित कर रहे थे।  संत जानकीदास ने कहा कि सरकार के वार्ताकारों ने कश्मीर समस्या को नया मोड़ देकर आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहती है। रिपोर्ट में कश्मीर को विशेष राज्य बताया गया है। इसी रिपोर्ट में पीओके को पाक अधिकृत कश्मीर न कह कर पाक शासित कश्मीर कहा गया है। ऐसी रिपोर्ट क्या देश का भला करेगी। जगबीर छाबा ने कहा कि देश में दो विधान और दो निशान नहीं चलेंगे। रुद्र कुमार शर्मा ने कहा कि रिपोर्ट में भारत और पाक के बीच सीमा को व्यापार व पर्यटन के लिए खोलने के बात कही गई है। इससे पहले रैली शिव बाड़ी से किले की ढाल, गांधी चौक, सदर बाजार, काठडिय़ों का चौक, बंशीवाला मंदिर, बाठडिय़ों का चौक, नकाश दरवाजा होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंची जहां सभा में परिवर्तित हो गई। विरोध प्रदर्शन में संत हरिनारायण शास्त्री, नगर परिषद सभापति बिरदीचंद सांखला, उम्मेदसिंह राजपुरोहित सहित शहर के गणमान्य लोगों ने भाग लिया। संचालन मनीष शर्मा ने किया। इस दौरान वाहन रैली निकाली गई। शिववाड़ी स्थित शिव मंदिर से वाहन रैली को समिति के संयोजक श्रीगोपाल चांडक के नेतृत्व में रवाना किया। रैली शिवबाड़ी से किले की ढाल, गांधीचौक, सदर बाजार, काठडियों का चौक, बंशीवाला मंदिर, बाठडियों का चौक, नकाश दरवाजा होते हुए कलक्ट्रेट पहुंची जहां से रैली एक सभा में परिवर्तित हो गई।
जालोर  जम्मू कश्मीर मामले में गठित समिति की रिपोर्ट के विरोध में शुक्रवार को जिलेभर में सीमाजन कल्याण समिति के तत्वावधान में विरोध प्रदर्शन किया गया। शहर में समिति के तत्वावधान में जालन्धरनाथ धर्मशाला से वाहन रैली निकाली गई। रैली विभिन्न मार्गो से होकर कलक्ट्री पहुंची। वहां कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए और धरना प्रदर्शन किया। धरना स्थल पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ बाड़मेर विभाग के विभाग प्रचारक राजाराम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग ही नहीं बल्कि हमारे स्वाभिमान का प्रतीक है। कश्मीर के वर्तमान हालात काफी नाजुक हंै, जो अलगाववादियों की देन हैं। हमारी सरकार अलगाववादियों के साथ बैठकर कश्मीर की समस्याओं का सुलझाने का घिनौना कृत्य कर रही है। उन्होंने कहा कि तुष्टीकरण के आधार पर तैयार रिपोर्ट सरासर धोखा है। केंद्र सरकार देश की संसद को गुमराह करते हुए इसे लागू करना चाहती है, लेकिन राष्ट्रवादी संगठन उन्हें ऐसा नहीं करने देंगे।
कश्मीर मामले में सरकार का रूख गलत है। तुष्टीकरण के आधार पर तैयार रपट धोखा है। प्रांत सहसेवा प्रमुख अजय गुप्ता ने कहा कि किसी देश के दो संविधान व दो राष्ट्रीय ध्वज नहीं हो सकते है। सरकार को इस रिपोर्ट को खारिज कर कश्मीर के देशभक्तों से वार्ताकरनी चाहिए। जिला प्रचार प्रमुख सुरेन्द्र नाग ने कश्मीर समस्या के शुद्ध समाधान की मांग की। जिला प्रचार प्रमुख सुरेंद्र नाग ने धरना स्थल पर ज्ञापन पढ़कर सुनाया। इसके बाद प्रतिनिधि मंडल की ओर से राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर राजन विशाल को ज्ञापन सौंपा गया। इस मौके पर भाजपा के जोगेश्वर गर्ग, रविंद्रसिंह बालावत, चिरंजीलाल दवे, एबीवीपी के जिला प्रमुख रतन सुथार, शांतिस्वरूप, गजेंद्र सिंह, के.एन. भाटी, हरिसिंह राजपुरोहित, मधुसूदन व्यास, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तहसील कार्यवाह हरि सिंह, तहसील बौद्धिक प्रमुख शेखर भारद्वाज व नगर कार्यवाह जगदीश सोनी समेत विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद थे।
इसके बाद कार्यकर्ताओं ने जिला कलक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कश्मीर में धारा 370 को स्थाईकरने, नियंत्रण रेखा व अंतरराष्ट्रीय सीमा पर निर्बाध आवागमन करने, 1952 के बाद राज्य में लागू संविधान के अनुच्छेदों की समीक्षा के संवैधानिक समिति बनाने, भारत सरकार व हुर्रियत के बीच संवाद स्थापित करने सहित अन्य रिपोर्टो को देश के लिए घातक बताया और रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की। ज्ञापन में धारा 370 को निष्प्रभावी करने, पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लेने, संसद की घोषणा को व्यवहारिक रूप देने, सेना को जम्मू कश्मीर की आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से पूर्ण अधिकार व स्वतंत्रता देने सहित अन्य सुझाव दिए।

भीनमाल जम्मू-कश्मीर पर रिपोर्ट के विरोध में सीमा जनकल्याण समिति की ओर से धरना देकर राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें रिपोर्ट को खारिज करने और राष्ट्रहित में धारा ३७० को हटाने सहित आधा दर्जन मांगों पर अमल करने की मांग की गई। धरने को संबोधित करते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष नारायणसिंह देवल ने कहा कि केन्द्र सरकार राष्ट्र विरोधी नीतियां लागू कर देश में अराजकता फैला रही है। विद्याभारती के प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ. श्रवणकुमार मोदी ने कहा कि लगातार बढ़ता जा रहा अलगवावाद देश के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। इस अवसर पर आर्य समाज के नरपतसिंह, संयोजक अशोककुमार सोनी, भाजपा नगर अध्यक्ष दिनेश दवे, नपा उपाध्यक्ष जयरुपाराम माली, भाजयुमो नगर अध्यक्ष भरतसिंह राव, भाजयुमो प्रदेश प्रतिनिधि अशोकसिंह ओपावत और नरेन्द्र आचार्य सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

सांचौर  सीमाजन कल्याण समिति ने जम्मू कश्मीर मसले पर दिए गए सुझावों का विरोध किया है। समिति के सदस्यों ने राष्ट्रपति के नाम उपखंड अधिकारी को दिये ज्ञापन में बताया कि इस रिपोर्ट से देश में अलगाववाद को बढ़ावा मिल रहा है और देश की एकता व अखंडता खतरे में हैं। इस अवसर पर मोहन सुथार, गोविंद पटेल, भाजपा युवा मोर्चा नगर अध्यक्ष जगदीश शारदा, रमेश चौधरी, अशोक चौधरी सहित बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद थे।

रानीवाड़ा  सीमा जन कल्याण समिति व राष्ट्रीय स्वयं सेवक की ओर से कश्मीर पर बनी रिपोर्ट के विरोध में शुक्रवार को राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा गया। समिति के संयोजक सवदाराम चौधरी ने बताया कि यह रिपोर्ट देश को खंडित करने वाली है। अत: इस रिपोर्ट को तुरंत प्रभाव से खारिज किया जाए। इस अवसर पर सह तहसील कार्यवाह विक्रमसिंह, व्यवस्था प्रमुख विष्णुदान चारण, नगर कार्यवाह टिकमचंद जीनगर और भारतीय किसान संघ के जोधपुर प्रांत उपाध्यक्ष सोमाराम चौधरी सहित कई जने उपस्थित थे।

सायला  सीमाजन कल्याण समिति की ओर से राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर इस रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की गई। धरने को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता चेताराम ने जम्मू कश्मीर को देश का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्र सरकार की आलोचना की। एबीवीपी तहसील संयोजक रविंद्रसिंह राणावत ने कविता की प्रस्तुति दी। धरने के बाद प्रतिनिधि मंडल ने एसडीएम प्रकाशचंद्र अग्रवाल को ज्ञापन सौंपा। धरने से पूर्व कस्बे में ओटवाला रोड े वाहन रैली निकाली गई जो कस्बे के मुख्य मार्गों से होती हुई एसडीएम ऑफिस पहुंची, जहां धरने का आयोजन किया गया। इस दौरान पूर्व विधायक जोगेश्वर गर्ग, पेकाराम, नेपाराम, प्रधान रामप्रकाश चौधरी, नैनमल लखारा, अशोक अग्रवाल, परशुराम पुरोहित समेत कई जने मौजूद थे।

आहोर चामुंडा चौक में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयंसेवकों की शुक्रवार शाम को बैठक आयोजित हुई। बैठक में कश्मीर समस्या पर विचार विमर्श किया। उसके बाद चामुंडा चौक से कार्यकर्ताओं ने वाहन रैली निकाली और राष्ट्रपति के नाम एसडीएम लोकेश कुमार मीणा को ज्ञापन दिया गया। इस दौरान नेमीचंद दमामी, गजेन्द्रसिंह मांगलिया, अशोकसिंह मांगलिया, कैलाश बाबू सेन, लालाराम देवासी, प्रदीपसिंह चारण, मिश्रीमल मेघवाल, भंवरलाल सुथार, छोगाराम चौधरी, नृसिंगदास वैष्णव, महेन्द्रसिंह बालोत, गोपालसिंह राजपुरोहित, छगनसिंह राजपुरोहितसहित राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के पदाधिकारी मौजूद थे।

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित