मंगलवार, 29 दिसंबर 2015

विद्यार्थी कल का नहीं आज का नागरिकःआम्बेकर हेमन्त घोष फिर से प्रदेश अध्यक्ष


विद्यार्थी कल का नहीं आज का नागरिकःआम्बेकर

एबीवीपी के प्रदेश अधिवेशन के उद्घाटन समारोह में उमडे  विद्यार्थीगण 
 
हेमन्त घोष फिर से प्रदेश अध्यक्ष 


जोधपुर २९ दिसंबर २०१५. विद्यार्थी कल का नहीं आज का नागरिक है। छात्रषक्ति ही राष्ट शक्ति होती है। छात्र शक्ति के बल पर ही देश  में क्रान्ति का सुत्रपात होता है। ये उद्गार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के 51वें प्रदेष अधिवेशन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे।
 
श्री आम्बेकर ने समारोह को सम्बोधित करते हुए दुनियाभर के विश्वविद्यालयों में गीता व योग को आदर्श  मान पढाया जा रहा है। भारत में गीता व योग को साम्प्रदायिक करार दिये जाने पर दुःख व्यक्त करते हुए इन परिस्थितियों को देश में आईएसआईएस के बढते प्रभाव का कारण बताया।
 
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति श्री कैलाश सोढाणी ने कहा कि संस्कार से ही सद्भाव का निर्माण संभव है एवं स्वामी विवेकानन्द ने राष्टीय संस्कारों वैष्विक पटल पर पहचान दिलाई एवं विद्यार्थी परिषद् इस कार्य की ज्ञान शील एकता के ध्येय वाक्य को आगे बढाकर कर रहा है।
 
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महापौर घनष्याम ओझा ने संस्कारों की भूमि भारत से ही विष्व के युवाओं को मार्गदर्षन मिलेगा। आगामी समय भारत के चरित्रवान युवाओं का ही हो।
 
परिषद् के प्रदेषाध्यक्ष हेमन्त घोष ने कहा कि परिषद् का उदेष्य केवल चुनाव लड़ना ही नहीं बल्कि राष्टीय चरित्र से प्रेरित युवाओं को तैयार करना है। बाग्लादेष घुसपैठ, भ्रष्टाचार, शिक्षा में संस्कार, धारा 370 सहित राष्टीय मुद्दों पर युवाओं को सक्रिय भूमिका पर लाने का कार्य परिषद् करती है।
 
स्वागत समिति के अध्यक्ष श्री अतुल भंसालीएसचिव श्री महेन्द्र मेघवाल ने भी प्रतिनिधियों का स्वागत किया।
 
उद्घाटन सत्र में संघ के क्षेत्रीय प्रचारक माननीय  दुर्गादास,  प्रान्त प्रचारक मुरलीधर जी, जेएनवीयू के कुलपति श्री आरपी सिंह, सांसद श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत सहित गणमान्य लोगों ने षिरकत की।
 
इससे पूर्व परिषद् के 51वें अधिवेशन की प्रदर्षनी का उद्घाटन संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री नन्दलाल जी ने किया एवं परिषद् के 51वें अधिवेशन का ध्वजारोहण परिषद् के प्रदेशाध्यक्ष हेमन्त घोष व प्रदेश  मन्त्री राजेश  गुर्जर ने किया।
 
प्रस्ताविक व चुनाव सत्र में चुनाव अधिकारी श्री सुनिल चतुर्वेदी ने चुनाव प्रक्रिया में जोधपुर के हेमन्त घोष को पुनःप्रदेशाध्यक्ष व झालावाड़ के संदीप क्षोत्रिय को निर्विरोध प्रदेश  मन्त्री घोषित किया।
 
चुनाव के पष्चात नवनिर्वाचित प्रदेश  अध्यक्ष व प्रदेश  मन्त्री ने दायित्व के लिये अपने विचार रखे।
 
शोभा यात्राए खुला अधिवेशन.
 
दिनांक 30 दिसम्बर को 3 बजे गांधी मैदान से घण्टाघर तक शोभायात्रा होगी। जिसमें प्रदेषभर के प्रतिनिधि अपने पांरपरिक परिधानों में भाग लेंगे। शोभायात्रा गांधी मैदान से घण्टाघर तक होगीएजिसके बाद खुला अधिवेषन होगा। जिसमें परिषद् की राष्टीय मन्त्री मोनिका चैधरी मुख्य वक्ता होगी व राज्य के प्रमुख छात्रनेता विभिन्न विषयों पर विचार रखेगें।

 

सोमवार, 28 दिसंबर 2015

वैश्वीकरण, आर्थिक सुधार जैसे बड़े-बडे़ नाम देकर भारतीय जनमानस को गुमराह किया जा रहा है - अरूण ओझा कृषि निवेश और पेटेंट को व्यापार वार्ताओं से बाहर किया जाना चाहिए - डाॅ. अश्विनी महाजन

वैश्वीकरण, आर्थिक सुधार जैसे बड़े-बडे़ नाम देकर भारतीय जनमानस को गुमराह किया जा रहा है - अरूण ओझा 
 
कृषि निवेश और पेटेंट को व्यापार वार्ताओं से बाहर किया जाना चाहिए - डाॅ. अश्विनी महाजन

 

जोधपुर २६ दिसंबर १५।  ’’वर्तमान में आर्थिक सुधारों के नाम पर भारतीय अर्थव्यवस्था को पूर्ण रूप से बर्बाद किया जा रहा है।’’ उक्त विचार स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक अरूण ओझा ने व्यक्त किए। वे लाल सागर स्थित हनवन्त आदर्श विद्या मंदिर में चल रहे स्वदेशी जागरण मंच के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र पर बोल रहे थे। ओझा ने कहा कि वैश्वीकरण, आर्थिक सुधार जैसे बड़े-बडे़ नाम देकर भारतीय जनमानस को गुमराह किया जा रहा है। बाजारीकरण के चलते हमें वे वस्तुएं खिलाई-पिलाई जा रही है।जो बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां चाहती है। ओझा ने बताया कि 60 के दशक पूर्व खाद्य तेल व घी को लेकर कोई चिन्ता न थी किन्तु इन विदेशी कम्पनियों ने विभिन्न बिमारियों का नाम देकर उनमें बदलाब कर दिया है। इसी के परिणाम स्वरूप तिल, मूंगफली और नारियल तेल से सम्बन्धित कुटीर उद्योग नष्ट हो गए है।
ओझा ने आर्थिक क्षेत्र में स्वदेशी ढांचे को पुनर्जीवित करने का प्रयास करने का प्रयास स्वदेशी जागरण मंच का रहा है। कोई भी सरकार विदेशी निवेश से प्राप्त धन का तो लेखा दे रही है किन्तु कितनी राशि देश से बाहर जा रही है उसका खुलासा नहीं किया जा रहा। स्वदेशी जागरण मंच के सर्वे के अनुसार जहां निवेश से एक डाॅलर आ रहा है। वही भारत से तीन डाॅलर विदेश में जा रहा है। अतः देश को नवीन अर्थनितियों की आवश्यकता है देश के लिए नया स्वर, नया शब्द, नया वाक्य चाहिए। और नव वर्ष से नवीन नीतियां का आगाज हो इसका प्रयास स्वदेशी जागरण मंच कर रहा है।
समारोप सत्र में राष्ट्रीय परिषद् सदस्य देवेन्द्र डागा ने स्वागत तथा प्रान्त सह कोष प्रमुख अतुल भंसाली ने धन्यावाद ज्ञापित किया। संचालन राजस्थान प्रान्त संयोजक धर्मेन्द्र एवं अखिल भारतीय विचार मण्डल प्रमुख दीपक शर्मा ने किया। इस अवसर पर अतिथि के रूप में मा. अरूण जी ओझा,कश्मीरीलाल, भगवतीप्रकाश जी शर्मा,एम. कुमार स्वामी, आर. सुन्दरम्, जे. जगदीश, लक्ष्मीनारायण भाला, लालजी भाई पटेल, अश्विनी महाजन, सरोज मित्रा, सतीश कुमार, भागीरथ चैधरी, डाॅ. रणजीतसिंह,रेणू पुराणिक, पुरूषोतम हिसारिया उपस्थित थे।
सम्मेलन के तीसरे दिन के प्रथम सत्र में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डाॅ. अश्विनी महाजन ने मांग की कि कृषि निवेश और पेटेंट को व्यापार वार्ताओं से बाहर किया जाना चाहिए। नैरोबी (कैन्या) में 19 दिसंबर 2015 को संपन्न विश्व व्यापार संगठन के मंत्री सम्मेलन में जिस प्रकार से विकासशील देशों के हितों के विपरीत दोहा विकास चक्र को तिलांजली दे दी गई और विकसित देशों द्वारा कृषि को दी जाने वाली भारी सब्सिडी के चलते आयातों की बाढ के फलस्वरूप  हमारे किसानों और कृषि को भारी संकट से बचाने हेतु विशेष बचाव उपायों (एसएसएम) और खाद्य सुरक्षा हेतु सरकार द्वारा खाद्यान्न खरीद पर सब्सिडी गणना की गलती को सुधारने हेतु समाधान देने में भी विकसित देशों की आनाकानी से यह स्पष्ट हो गया है कि विश्व व्यापार संगठन में हुए पूर्व के समझौतों से विकासशील देशों और विशेष तौर पर भारत को भारी कठिनाईयों से गुजरना पड़ रहा है। विदेशों से सब्सिडी युक्त कृषि पदार्थों की बाढ के कारण हमारे किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाता और कृषि लगातार अलाभकारी होती जा रही है और हमें अपनी गरीब जनता की खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने में भी संघर्ष करना पड़ रहा है। भारत सरकार के वाणिज्य मंत्री ने भी कहा है कि दोहा विकास चक्र को आगे बढाने में असफल होने के कारण वे अत्यन्त निराश है। इसी सत्र में राष्ट्रीय सहसंयोजक लक्ष्मीनारायण भाला ने राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के गठन की मांग की। समरस समाज ही संगठित एवं स्वावलंबी बन पाता है। सामाजिक समरसता में शिक्षा की भूमिका भी तब ही प्रभावी हो पायेगी जब समाज के सभी तबकों, जाति-पंथो, संप्रदायांे, विभिन्न भाषा-भाषियों आदि के सभी स्त्री-पुरूषों को समान रूप से शिक्षा उपलब्ध हो। शिक्षा के नाम पर व्यापार करने वाले एवं विदेशी निवेश के बल पर भारत की शिक्षा व्यवस्था में पैठ जमाने वाले व्यक्ति, संगठन तथा संस्थान समाज को अमीर एवं गरीब की शिक्षा के रूप में दो तबकों में बांट रही है। पंाथिक अल्पसंख्यक होने का लाभ उठाकर शिक्षा में मनमानी कर अवांछित विषय भी पढाये जा रहे है। इन सब विसंगतियों को दूर कर शिक्षा सर्वसमावेशी एवं सर्वसुलभ हो ऐसी नीति बने। यह आज भी महती आवश्यकता है।
समारोप सत्र में उपस्थित अतिथियों का माल्यार्पण कर स्मृति चिन्ह् भेंट कर स्वागत किया गया।

स्मारिका व दिग्दर्शिका का विमोचन:- स्वदेशी जागरण मंच के तीन दिवसीय सम्मेलन से सम्बन्धित स्वदेशी दृष्टि नामक स्मारिका का विमोचन किया गया। संपादक डाॅ. अमित व्यास, सहसम्पादक रोहिताश पटेल तथा डाॅ. नरेश अग्रवाल ने बताया कि इस स्मारिका में सभी सत्रों के वक्ताओं के वक्तव्य प्रकाशित किए गये है। इस अवसर पर समारोह में आए सम्पूर्ण भारत के कार्यकर्ताओं के पते एवं मोबाईल नं. से सम्बन्धित दिग्दर्शिका का विमोचन किया जिसमें डाॅ. ओमप्रकाश भाटी, ओमप्रकाश गौड ने अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया।

डिजीटल प्रदर्शनी का लोकार्पण:- इस अवसर पर अश्विनी दुबे व कुणाल पटेल ने सम्पूर्ण भारत में हुए विविध कार्यक्रमों एवं आन्दोलन से सम्बन्धित डिजीटल प्रदर्शनी को तैयार कर लोकार्पित किया। वहीं राजस्थान के प्रसिद्ध वीररस गायक प्रकाश माली द्वारा गाऐ गये स्वदेशी गीत को भी प्रस्तुत किया गया।
स्वदेशी जागरण मंच के प्रान्त सहसंयोजक धर्मेन्द्र दुबे को राजस्थान प्रान्त संयोजक की नई जिम्मेदारी
समारोप सत्र में सम्पूर्ण भारत के विविध कार्यकर्ताओं दायित्वों की भी विधिवत घोषणा की गई इसके अन्तर्गत स्वदेशी जागरण मंच के प्रान्त सहसंयोजक धर्मेन्द्र दुबे को राजस्थान प्रान्त संयोजक की नई जिम्मेदारी प्रदान की गई। इस अवसर पर प्रान्त प्रचारक माननीय मुरलीधर जी , क्षेत्रीय सम्पर्क प्रमुख जसवन्त खत्री, शहर विद्यायक कैलाश भंसाली, भाजपा पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. महेश शर्मा, राजकुमार लोहिया, ज्ञानेश्वर भाटी, दीपक व्यास सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम के अन्त में ललितेश ने राष्ट्रगीत वन्दे मातरम् प्रस्तुत किया। तीसरे दिन की दिनचर्या का आरम्भ गजेन्द्र सिंह परिहार के निर्देशन में योग अभ्यास किया गया।

जीवन शैली को भारतीय संस्कारों में ढाल देना ही स्वदेशी - अरूण ओझा जब भी बाजार जायेगें, माल स्वदेशी लायेंगे’’, ’’स्वदेशी अपनाओ,देश बचाओ’ उद्घोषों के साथ स्वदेशी संदेश यात्रा निकाली हुंकार सभा का आयोजन

जीवन शैली को भारतीय संस्कारों में ढाल देना ही स्वदेशी - अरूण ओझा
जब भी बाजार जायेगें, माल स्वदेशी लायेंगे’’, ’’स्वदेशी अपनाओ,देश बचाओ’ उद्घोषों के साथ स्वदेशी संदेश यात्रा निकाली 
हुंकार सभा का आयोजन

 

 
 
जोधपुर २६ दिसंबर १५. 
राष्ट्रीय सम्मेलन के दुसरे दिन उम्मेद स्टेडियम से गांधी मैदान तक स्वदेशी संदेश यात्रा निकाली गई। ’’जब भी बाजार जायेगें, माल स्वदेशी लायेंगे’’, ’’स्वदेशी अपनाओ,देश बचाओ’’, आदि उद्घोषों के साथ सभी प्रदेशों से आये 2000 स्वदेशी कार्यकर्ताओं ने स्टेडियम से गांधी मैदान तक स्वदेशी संदेश यात्रा निकाली गई। 

इस संदेश यात्रा को जगह-जगह शिक्षक संघ राष्ट्रीय, भारतीय शिक्षण मण्डल, सोजती गेट व्यापार संघ, जालोरी गेट व्यापार संघ, परम पूज्यनीय माधव गौ विज्ञान परीक्षा समिति, भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा, शास्त्रीनगर बीजेपी मण्डल, मेडिकल एसोसिएशन आदि के द्वारा जगह-जगह स्वदेशी संदेश यात्रा का स्वागत किया गया। सभी प्रान्तों से आये स्वदेशी कार्यकर्ताओं का जोश देखने वाला था। पुरा मार्ग स्वदेशी नारों से गुंज हो गया। सरदारपुरा पर संदेश यात्रा गांधी मैदान में हुंकार सभा में परिवर्तित हो गयी।

हुंकार सभा आयोजन
: गांधी मैदान में स्वदेशी हुंकार सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक अरूण ओझा ने कहा कि स्वदेशी का अर्थ मात्र घर परिवार की चारदीवारी तक ही सीमित नहीं वरन सामाजिक अर्थव्यवस्था के अंतर्गत हमारा व्यापार, वाणिज्य, हमारा सुथार, हमारा सुनार, हमारा चर्मकार सहित मध्यम व ऊँचा व्यापार सरकारी नौकरीयों में अधिकारी पद से लेकर उद्योगपतियों तक की जीवन शैली को भारतीय संस्कारों में ढाल देना ही स्वदेशी है। इसी के अन्तर्गत इन विचारों को परिलक्षित करते हुए स्वदेशी जागरण मंच पिछले 24 वर्षों से लगातार भारतीय संस्कार शैली को भारत एव अन्र्तराष्ट्रीय स्तर तक शोभायमान करने का उत्कृष्ठ कार्य कर रहा है।
मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरीलाल ने बताया कि स्वदेशी अपनाकर ही हम अपने गौरवशाली अतीत को वापस ला सकते है। जहां तक सम्भव हो अपने जीवन में पहले देशी, फिर स्वदेशी और मजबुरी में विदेशी सिद्धांत को अपने जीवन में उतारना चाहिए। स्वदेशी एक जीवन शैली है जिसके उन्तर्गत समस्त भारतीय संस्कृति के मानवीय मूल्य प्रतिबिंबित होते है। चैबीस घण्टे की दिनचर्या अर्थात सुबह उठने से लेकर रात को सोने से पहले तक एवं सोते हुए समस्त भारतीय संस्कारों का जीवन में हृदयांगम करना, जीवन में लागू करना एवं अपने कार्य, व्यवहार से भारतीय संस्कृति मूल्य को प्रतिबिंबित करना ही स्वदेशी है।
इस हुंकार सभा के व्यवस्था प्रमुख ज्ञानेश्वर भाटी ने सभी अतिथियों व स्वदेशी कार्यकर्ताओं का हार्दिक अभिनन्दन करते हुए सभी को धन्यवाद दिया इस सभा को सफल आयोजन में कैलाश भंसाली, श्याम पालीवाल, कैप्टन उम्मेदसिंह, मुकेश लोढा, रेवन्तसिंह ईन्दा, घनश्याम वैष्णव, दीपक व्यास, बन्नाराम पंवार, नथमल पालीवाल, महेन्द्र ग्वाला, श्यामसिंह सजाड़ा, शिवकुमार सोनी, सुभाष गहलोत, पवन आसोपा, राजेशसिंह कच्छवाह, जेठूसिंह चैहान आदि का सहयोग रहा।
सांस्कृतिक संध्या का आयोजन: राष्ट्रीय सम्मेलन में दूसरे दिन शाम को देश भर आये स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें पधारे सभी अतिथियों के सम्मुख राजस्थानी संस्कृति और कला के रंगों को बिखेरा गया।इसमे घूमर, तेहराताली, कालबेलियां, भवाई नृत्यों का प्रर्दशन मंजे हुए कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया। साथ में योग कला के करतब भी दिखाएं गये। इस संध्या का संचालन गजेन्द्रसिंह परिहार, पुनित मेहता, भारती वैद्य, सवाईसिंह के दल द्वारा किया ।
प्रथम सत्र: प्रथम सत्र में पाली सांसद पी.पी. चौधरी ने कहा कि ’देश के अधिकांश लोग कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था से जुडे़ है। हमें गर्व है कि स्वदेशी जागरण मंच अपनी विचारधारा की सरकार होते हुए भी भूमि अधिग्रहण बिल को किसान विरोधी बताया व इसमें मजदुरो व किसानों के हितो की सुरक्षित रखने के प्रावधानों को जोड़ने की मांग की। देश की विस्तृत समृद्धि के लिए कृषि क्षेत्र मंे 1 से 2 प्रतिशत वृद्धि करनी पड़ेगी जिससे गांवों का विकास तेज हो।
मंच के राष्ट्रीय सहसंयोजक डाॅ. भगवतीप्रकाश शर्मा ने कहा कि विगत 24 वर्षों में आर्थिक सुधारों के कारण हमारा देश आयातित वस्तुओं का बाजार में बदल गया है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से हमारे देश के उत्पादक इकाई के दो तिहाई से अधिक अंश पर विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का स्वामित्व हो गया है। टिस्को सिमेन्ट, एसीसी, गुजरात अम्बुजा, केमलिन, थम्पअप्स जैसे प्रसिद्ध ब्रान्डों पर विदेशी लोगों का अधिकार हो गया है। वर्तमान में कुल वैश्विक उत्पादन में भारत का अंश मात्र 2.04 प्रतिशत ही है। जबकि चीन का अश्ंा 23 प्रतिशत हो गया है। 1991 में चीन व भारत का अंश लगभग बराबर था। अतः स्वदेशी जागरण मंच आवह्ान करता है कि विभिन्न क्षेत्रों के स्वदेशी उद्यम संगठित होकर अपने उद्योग सहायता संघो में बदले जिससे मेड बाई  इण्डिया अभियान की गति बढे।
   
द्वितीय सत्र: मंच के दक्षिण क्षेत्र के संयोजक कुमार स्वामी ने कहा कि ग्लोबल वार्मिगं और जलवायु परिवर्तन हर बीतते वर्ष के साथ बहुत तेजी से क्रूर एवं नुकसानदेह होता जा रहा है। WMO ने अभी हाल ही में ही कहा है कि सन 2015 अभिलेखों के अनुसार अभी तक का सबसे गर्म वर्ष था। यदि हम गत 150 वर्षों के सबसे गर्म 15 वर्षों की सूची बनाएं तो वे समस्त 15 वर्ष सन 2000 के बाद अर्थात 21वीं शताब्दी के ही वर्ष होगें। यह तथ्य 21वीं शताब्दी में ग्लोबल वार्मिगं की समस्या की गंभीरता को दर्षाता है। भूमंडल के बढ़ते हुए तापमान से गंभीर मौसमी आपदाएं जैसे कि कुछ सीमित क्षेत्रों में तेज और भारी वर्षा, जैसाकि नवम्बर एवं दिसम्बर माह में चैन्नई और इसके आस पास के इलाके में देखी गयी एवं देश  के बाकी हिस्सों में गंभीर सूखे की समस्या के प्रकोप में लगातार वृद्धि के आसार दिखायी दे रहे हैं। चैन्नई में आई बाढ़ ने प्रकृति के रोष के समक्ष मानव की लाचारी एवं मानवीय संस्थाओं की असफलता को हमें दृष्टिगत कराया है। अगर साल दर साल, इसी प्रकार से अनेक नगर एक साथ प्राकृतिक आपदा के कारण मुष्किल में आते हैं, तब कौन किसकी सहायता कर पायेगा?

सम्पूर्ण विश्व अपनी ही गल्तियों का स्वंय ही शिकार बन चुका है। अस्थायी विकास का माॅडल जो कि पश्चमी देशों में सन 1850 से प्रारम्भ हुआ और जिसका  विश्व के सभी देशो  ने बिना सोचे समझे अनुसरण किया, यही इस वैष्विक जलवायु संकट का प्रमुख कारण है। विकास का पश्चमी  माॅडल टिकाऊ नहीं है क्यूंकि 160 वर्षों के छोटे से कालखंड में ही, सन 1850 जबसे यह प्रारम्भ हुआ, सम्पूर्ण  विश्व को इस विनाश के कगार बिन्दु पर ले आया है। आज के वैष्विक तापमान में औद्यौगिक क्रान्ति से पूर्व के वैष्विक तापमान से मात्र 1°ब् की वृद्धि ही हुई है। जलवायु स्थिति हमारे नियन्त्रण से बाहर होती है, जैसाकि केवल 1°ब् पर हुआ है, तो भविष्य में वैष्विक तापमान में यदि 2°ब् या अधिक की वृद्धि होती है, तो क्या होगा?

विकास का पश्चमी माॅडल उसी प्रकार के लचर असीमित उपभोग के माॅडल पर आधारित है और इस पर ही मजबूती से निर्भर करता है। यह लालच और अदूरदर्षिता है। WWF के द्वारा तैयार की गई लिविगं प्लेनेट रिपोर्ट - 2014 का स्पष्ट कहना है कि सन 1970 से विश्व  के जंगली जानवरों की आधे से अधिक संख्या उनका अधिक और अवैद्य शिकार किए जाने, उनकी मारे जाने  और उनके रहने के स्थान में आए संकुचन के चलते कम हुई है। उसका आगे कहना है कि यदि सम्पूर्ण  विश्व अमेरिका की भांति संसाधनों के अत्यधिक उपभोग के स्तर को बनाऐ रखता है तो हमें संसाधनों की आपूर्ति के लिए चार और पृथ्वियों की आवश्यकता पड़ेगी। इससे सिर्फ पष्चिमी जीवन शैली का खोखलापन सिद्ध होता है।

आखिर इससे बाहर निकलने का रास्ता क्या है? वर्तमान पश्चमी विकास एवं जीवन शैली के माॅडल से प्रतीकात्मक एवं गड्डमड्ड समझौता  विश्व को बिल्कुल भी बचाने नहीं जा रहा। हमको अधिक सौम्य और अधिक स्थायी तरीके से विकास एवं जीवन शैली के तरीके में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्य्कता है। विकास एवं जीवन शैली के टिकाऊपन का एक सजीव एवं प्रमाणित उदाहरण विकास का भारतीय माॅडल है जिसे विकास एवं जीवन शैली का स्वदेशी  माॅडल भी कहा जा सकता है। स्वदेशी  माॅडल इस अर्थ में सम्पूर्णता लिए हुए है कि यह जीवन (धर्म एवं मौक्ष) में भौतिकता (अर्थ, काम) एवं आध्यात्मिकता को समान महत्व देता है। यह पृथ्वी मां को उसके चेतन एवं अचेतन, समस्त स्वरुपों में अत्यन्त  सम्मान एवं श्रद्धा देती है।

स्वदेशी विकास की अवधारणा भविष्य में आने वाली पीढि़यों की भी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए औचित्यपूर्ण उपभोग की वकालत होती है। आज समय की मांग है कि न केवल भारत अपितु पूरे विश्व को विनाश से बचाने के लिए सहस्राब्दी से प्रमाणित एवं सफलतापूर्वक संचालित स्वदेशी की विकास की अवधारणा और जीवन शैली को अपनाया जाए।

जोधपुर (राजस्थान) में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन मांग करता है कि -

1.    टिकाऊ विकास का भारतीय माॅडल एवं जीवन शैली से संबंधित विभिन्न आयामों पर विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के द्वारा व्यापक एवं स्तरीय शोध कार्य को प्रोत्साहन दें।
2.    विशेषकर विश्वविद्यालद्यों एवं विषय पर स्वयंभू तज्ञयों के बीच शोध के परिणामों को व्यापक रूप से प्रचारित और प्रसारित करें।
3.    शोध के परिणामों के आलोक में सरकार की विकास प्राथमिकता निश्चित हो।
4.    COP-21 को भारत सरकार द्वारा सौंपी गई INDC  के अनुरूप अक्षुण ऊर्जा स्रोतों को प्राथमिकता दी जाए।
5.    जैविक खेती एवं पशुपालन को प्रचारित एवं प्रसारित करने हेतु योग्य कदम उढाया जाए।
6.    वृक्षारोपण, विशेषकर स्वदेशी किस्म के फलदार वृक्षों का व्यापक आंदोलन चलाया जाए, ताकि वन जीव-जंतुओं को पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध रहे।
स्वदेशी जागरण मंच देश की जनता से भी विशेषकर स्वदेशी कार्यकर्ताओं से अनुरोध करता है कि वे प्रकृति के प्रति संवेदनशील उद्यमता एवं जीवन शैली को अपनाए।
तृतीय सत्र: मंच के राष्ट्रीय सहसंयोजक व अर्थशास्त्र के प्रो. अश्विनी महाजन ने कहा कि हमें गर्व है कि स्वदेशी कार्यकर्ता बिना किसी पार्टी पक्ष के सभी पर्यावरणीय विरोधी नीतियों का विरोध करता है। जी. एम. फसलों पर बोलते हुए कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित टेक्नीकल कमेटी ने बताया कि जी एम फसले मानव व पर्यावरण के ठीक नहीं है और इससे प्राप्त लाभ सन्दिग है तो फिर क्यों केन्द्र सरकार इसके खुले परीक्षण को अनुमति देती है। विज्ञान को उस मार्ग पर बढना होगा। जिस पर पर्यावरण का रक्षण भी हो। अतः मंच जी एम फूड का विरोध करता है और इससे जैव विविधता को प्रभावित करने वाला कारण बताता है।

शनिवार, 26 दिसंबर 2015

डिस्कोर्स इस देश की सबसे बड़ी समस्या है ! - श्री अरुण कुमार जी



डिस्कोर्स इस देश की सबसे बड़ी समस्या है ! - श्री अरुण कुमार जी

संघ एक गोल है मतलब मूवमेंट है अर्थात् समाज है।

नई दिल्ली, 24 दिसम्बर, 2015 (इंविसंके)। संघ एक संस्था नहीं है। यह भ्रम जिनके भी अंदर है वो अपने अंदर से निकाल दें। क्योंकि, “संघ “एक गोल (लक्ष्य) है मतलब मूवमेंट है अर्थात् समाज है।” संघ शुरू से ही समाज के साथ रहकर समाज निर्माण किया है। लोगों को भ्रम है संघ मुद्दों पर कार्य करता है, यह गलत है। संघ के पास अपना कोई मुद्दा नहीं है। लेकिन कुछ है, यह कुछ एक ही चीज है – “सिर्फ और सिर्फ व्यक्ति निर्माण।” यही संघ का गोल है, यही संघ का सबकुछ है और इसी पर संघ आज 90 वर्षों का अतुलनीय सकारात्मक सफ़र करता आया है तथा आज भी कर रहा है। उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-संपर्क प्रमुख श्री अरुण कुमार जी ने ‘प्रभात प्रकाशन द्वारा श्री अरुण आनंद की सद्द: प्रकाशित पुस्तक KNOW ABOUT RSS” के लोकार्पण समारोह’ में कहा।  

श्री अरुण जी ने कहा कि KNOW ABOUT RSS” उन लोगों के लिए पुस्तक है जो संघ से परिचित नहीं है और संघ के बारे में गलत पढ़-सुनकर, गलत धारणाएं रखे हुए हैं। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद वो सभी गलत धारणाएं स्वतः परत-दर-परत मिट जायेंगी। यह पुस्तक देश की राष्ट्रवादी सोच को समझने के लिए उपयुक्त है। अरुण आनंद ने इस पुस्तक में संघ और संघ के एक-एक कार्य को आज के परिपेक्ष्य में शब्दों के माध्यम से बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत है। 

संघ के बारे में जब हम विचार करते हैं तो इसके दो पक्ष सामने निकल के आते हैं। ऐसा इसलिए कि एक काम के कारण से सकारात्मक छवि, दूसरा जिसका संघ से दूर-दूर का वास्ता तो दूर उससे संघ का कुछ लेना-देना तक नहीं है। लेकिन, वह संघ के जन्म काल से ही इसके विरोधियों द्वारा चिपका दिया गया। जो है नकारात्मक छवि। गांधी जी की हत्या हुई और विरोधियों ने उसका ठीकरा संघ के माथे पर फोड़ दिया कि हत्या संघ ने ही करवाई है। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था। उसपर गठित तीन-तीन जांच आयोग ने भी संघ को क्लीन चीट दे दिया। फिर भी संघ के बारे में विरोधियों द्वारा भ्रामक तरीके से दुष्प्रचार किया गया। परंतु, संघ अपना कर्म करता गया “व्यक्ति निर्माण का” और आज उसका परिणाम इस देश के सामने ही नहीं बल्कि विश्व के समक्ष उपलब्ध है। संघ अपने शुरुआत से ही समाज निर्माण करता आया है और आज भी पुरे निष्ठा एवं समर्पण भाव से कर रहा है। 

आजतक जो संघ के घोर विरोधी भी रहें हैं वो जब संघ के सिर्फ संपर्क मात्र से, संघ के हो कर रह जाते हैं, जैसे - जयप्रकाश नारायण। संघ का मतलब समाज, समाज का मतलब राष्ट्र है। हमारे देश में संघ का बहुत बड़ा रोल रहा है और आज भी  है। आजादी से पहले और आजादी के बाद भी। एक रोल है मीडिया का और एक रोल है अकादमी का। दोनों के माध्यम से समाज का निर्माण ही होता है क्योंकि, दोनों समाज में व्यक्ति निर्माण ही करते हैं।   लेकिन, दुःख इस बात की है कि आजादी के बाद भी इस देश में संघ के अथक प्रयासों के बावजूद भी कुछ ताकतों द्वारा जो इस देश पर लम्बे समय तक सत्ता में बने रहे हैं, उनके द्वारा डिस्कोर्स चलाया जा रहा है जो कि रैशनल नहीं है। डिस्कोर्स इस देश की सबसे बड़ी समस्या है ! क्योंकि, संघ व्यक्ति निर्माण कर समाज निर्माण करता रहा और वो तरह-तरह से डिस्कोर्स के माध्यम से समाज को विभाजित करते रहे हैं। 

देश में आजादी के बाद कुछ स्वार्थी लोगों द्वारा आजतक जो भी डिबेट खड़ी की गई है। सिर्फ और सिर्फ इस देश की राष्ट्रवादी सोच को कुंठित करने के लिए और किसी भी बात के लिए नहीं। ऐसा उनलोगों द्वारा सिर्फ राजनीतिक और सत्ता लाभ के लिए किया गया है। कभी मंदिर, कभी मस्जिद, कभी चर्च तो कभी गुरुद्वारा और आजकल असहिष्णुता पर। ऐसा करके वो लोग देश की छवि को धूमिल कर रहे हैं और देश की प्रगति को बाधित कर रहे हैं। उनके द्वारा 50-60 वर्षों से डिस्कोर्स चलाया जा रहा है। वो सिर्फ इस देश की राष्ट्रवादी सोच और प्रगति को विघटित करने के लिए। हमें जरूरत है कि उस डिस्कोर्स को चेंज करने की, क्योंकि देश की प्रगति रुके ना। 

‘प्रभात प्रकाशन द्वारा श्री अरुण आनंद की सद्द: प्रकाशित पुस्तक KNOW ABOUT RSS” के लोकार्पण भारत सरकार में मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा, कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-संपर्क प्रमुख श्री अरुण कुमार जी और मंच संचालन श्री प्रभात कुमार जी ने किया। 

स्वदेशी जागरण मंच के कार्यों द्वारा स्वदेश प्रेम की जन चेतना जगी - रविन्द्र कुमार त्यागी स्वदेशी जागरण मंच का 12 वां राष्ट्रीय सम्मेलन प्रारम्भ

स्वदेशी जागरण मंच का 12 वां  राष्ट्रीय सम्मेलन प्रारम्भ 
स्वदेशी जागरण मंच के कार्यों द्वारा स्वदेश प्रेम की जन चेतना जगी - रविन्द्र कुमार त्यागी
 विश्व का सर्वश्रेष्ठ ज्ञान भारत में हीे है - स्वामी महेश्वरानंद
 तीन दिनों तक  विभिन्न ज्वलंत विषयों पर चर्चा करेंगे - भागीरथ चौधरी



उद्धघाटन कार्यक्रम का इक दृश्य



जोधपुर, 25 दिसम्बर 2015.   स्वदेशी जागरण मंच का 12 वां  राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि रविन्द्र कुमार त्यागी, मंच के राष्ट्रीय संयोजक अरूण ओझा व राष्ट्रीय व राष्ट्रीय संगठक कश्मीरीलाल जी के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन करके किया गया। इस उद्घाटन के अवसर पर श्री ओम विश्वदीप गुरूकुल आश्रम महामण्डेश्वर महेश्वरानन्द गिरी, मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्वनी महाजन, भगवती प्रकाश शर्मा, सुन्दरम, सरोज मित्रा, बी.एस. कुमार स्वामी, अखिल भारत प्रचारक प्रमुख दीपक शर्मा ’’प्रदीप’’ विद्या भारती के सहसगठक प्रमुख जे. जगदीश, राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय  प्रचार प्रमुख डाॅ. मनमोहन वैद्य, संघ साहित्य प्रमुख लक्ष्मीनारायण उत्तर भारत संगठक व सम्मेलन समिति प्रमुख सतीश कुमार व लगभग दो हजार स्वदेशी जागरण मंच के अधिकारीगण व कार्यकर्ता उपस्थित थे।




 मुख्य अतिथि व हिन्दुस्तान एरोनोटिक लिमिटेड के पूर्व निदेशक रविन्द्र कुमार त्यागी ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह मेरे लिए गर्व का दिन है कि इस राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करता हूं। उन्होनें कहा कि वे 24 वर्षों से स्वदेशी जागरण मंच के प्रशंसक रहे है। इस मंच ने अपने कार्यों द्वारा स्वदेश प्रेम की जन चेतना जगाई है। आने वाले 10 वर्ष भारत के लिए अतिमहत्वपूर्ण होगें। आज भारत में 98 करोड़ मोबाईल उपभोक्ता है व 30 करोड. लोग इन्टरनेट का प्रयोग करते लेकिन भारत में अपना कोई इन्टरनेट सर्वर नहीं है। देश में हजारों हवाई जहाज है लेकिन स्वदेश निर्मित एक भी नहीं 100 से अधिक हवाई अड्डा है लेकिन हवाई जहाजों का रखरखाव सिंगापुर में होता है। आने वाले 5 वर्षों में 1500 हेलीकाॅप्टर की जरूरत पडेगी। इसमे 20 हजार करोड़ रूपये निवेश की आवश्यकता होगी। इसका आर्थिक फायदा विदेशी कम्पनियां उठाएगी।     पिछले 10 वर्षों में 13 लाख करोड़ रूपये के सैनिक साजों सामान खरीदे है और अपनी रक्षा जरूरत का 70 प्रतिशत सामान आयात करते अतः मंच का दायित्व इसे बढ जाता है कि आने वाले वर्षाें में ऐसी स्थितियां बदले व हम अधिकांश जरूरत का सामान देश में निर्मित करे।


अरूण ओझा ने स्वदेशी वृत को पढ़कर सुनाया जिसमें स्वदेशी जागरण मंच के अलग-अलग प्रान्तों की पिछले एक वर्ष की गतिविधियों का समावेश किया गया है। उन्होनें आगे बताया कि देश में कई जगह सेज के निर्माणों द्वारा किसानों के साथ धोखा हुआ है वह इसमें अधिग्रहित की गई अधिकाश भूमि अनुपयोगी सिद्ध हो रही है एक तरफ किसानों से सब्सिडी छिनी जा रही है। तो दुसरी तरफ औद्योगिक घरानों को टैक्स छूट दी जा रही है मेक इन इण्डिया विदेशी तकनीक व विदेशी निवेश पर आधारित है। हमें मेड बाई इण्डिया के पथ पर कदम बढाना होगा। देश के बैकों में 90 लाख 73 हजार करोड़ रूपये भारतीय लोगों के पड़े है। यदि  इसका 10 प्रतिशत भी देश के उद्योग धन्धों व आधारभूत ढांचों को विकसित करने में लगाया जाये तो विदेशी पुंजी को आवश्यकता ही नहीं पडे़गी। हम किसी भी स्तर पर कम नहीं है बस अपने साहस व सही सोच से जन को जगाने की आवश्यकता है और ऐसा कार्य स्वदेशी जागरण मंच अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से कर रहा है।
 
परम पूजनीय स्वामी महेश्वरानंद ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज का दिन हमारे भारतीय संस्कृति के लिए गौरव का दिन है। सभी विदेशी संस्कृति भारतीय संस्कृति का केवल एक अंश है। संघ, शक्ति व शुर तीनों के कारण से हमारे देश का सिर ऊँचा है। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी भाषा में बोलने में आनन्द आता है हमें अपने बच्चों में मानवता व देश की गौरवशाली संस्कृति की शिक्षा देनी चाहिए क्योंकि हमारी संस्कृति वर्तमान समय में दुषित हो रही है और भारत के लोग गलत दिशा में  जा रहे है। विश्व का सर्वश्रेष्ठ ज्ञान भारत में हीे है और मंच इस पुनित कार्याें को अपनी गतिविधियों द्वारा बढा रहा है।


सम्मेलन के स्वागताध्यक्ष पुरूषोतम हिसारिया ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि मंच अपने कार्यों द्वारा स्वदेशी संस्कृति व ज्ञान की गंगा बहा रही है। सुदुर क्षेत्रों से आए सभी कार्यकर्ता विषम परिस्थितियों में स्वदेश प्रेम, अपनी संस्कृति का रक्षण करते हुए लोगों को जगाने का कार्य कर रही है।


 मंच के राजस्थान संयोजक भागीरथ चौधरी ने बताया कि इस राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान तीन दिनों तक सभी स्वदेशी कार्यकर्ता विभिन्न ज्वलंत विषयों पर चर्चा करेंगे तथा नैराबी व पैरीस सम्मेलन के दौरान लिए गए निर्णयांे पर गहन मंथन करेगें व केन्द्र और प्रदेश सरकार के सम्मुख अपने पक्ष का प्रस्ताव भेजेगें। 

राष्ट्रीय सम्मेलन के द्वितीय सत्र में सतत विकास-समय की मांग विषयक प्रस्ताव पारित किया गया। ग्लोबल वार्मिगं और जलवायु परिवर्तन हर बीतते वर्ष के साथ बहुत तेजी से क्रूर एवं नुकसानदेह होता जा रहा है। WMO  ने अभी हाल ही में ही कहा है कि सन 2015 अभिलेखों के अनुसार अभी तक का सबसे गर्म वर्ष था। यदि हम गत 150 वर्षों के सबसे गर्म 15 वर्षों की सूची बनाएं तो वे समस्त 15 वर्ष सन 2000 के बाद अर्थात 21वीं शताब्दी के ही वर्ष होगें। यह तथ्य 21वीं शताब्दी में ग्लोबल वार्मिगं की समस्या की गंभीरता को दर्षाता है। भूमंडल के बढ़ते हुए तापमान से गंभीर मौसमी आपदाएं जैसे कि कुछ सीमित क्षेत्रों में तेज और भारी वर्षा, जैसाकि नवम्बर एवं दिसम्बर माह में चैन्नई और इसके आस पास के इलाके में देखी गयी एवं देष के बाकी हिस्सों में गंभीर सूखे की समस्या के प्रकोप में लगातार वृद्धि के आसार दिखायी दे रहे हैं। चैन्नई में आई बाढ़ ने प्रकृति के रोष के समक्ष मानव की लाचारी एवं मानवीय संस्थाओं की असफलता को हमें दृष्टिगत कराया है। अगर साल दर साल, इसी प्रकार से अनेक नगर एक साथ प्राकृतिक आपदा के कारण मुष्किल में आते हैं, तब कौन किसकी सहायता कर पायेगा? 


सम्पूर्ण विश्व  अपनी ही गल्तियों का स्वंय ही शिकार बन चुका है। अस्थायी विकास का माॅडल जोकि पश्चिमी  देशों  में सन 1850 से प्रारम्भ हुआ और जिसका विश्व के सभी देशों  ने बिना सोचे समझे अनुसरण किया, यही इस वैष्विक जलवायु संकट का प्रमुख कारण है। विकास का पष्चिमी माॅडल टिकाऊ नहीं है क्यूंकि 160 वर्षों के छोटे से कालखंड में ही, सन 1850 जबसे यह प्रारम्भ हुआ, सम्पूर्ण विष्व को इस विनाश के कगार बिन्दु पर ले आया है। आज के वैश्विक  तापमान में औद्यौगिक क्रान्ति से पूर्व के वैश्विक  तापमान से मात्र 1° की वृद्धि ही हुई है। जलवायु स्थिति हमारे नियन्त्रण से बाहर होती है, जैसाकि केवल 1°ब् पर हुआ है, तो भविष्य में वैश्विक  तापमान में यदि 2° या अधिक की वृद्धि होती है, तो क्या होगा? 



विकास का पश्चिमी  माॅडल उसी प्रकार के लचर असीमित उपभोग के माॅडल पर आधारित है और इस पर ही मजबूती से निर्भर करता है। यह लालच और अदूरदर्षिता है। WWF के द्वारा तैयार की गई लिविगं प्लेनेट रिपोर्ट - 2014 का स्पष्ट कहना है कि सन 1970 से विश्व  के जंगली जानवरों की आधे से अधिक संख्या उनका अधिक और अवैद्य शिकार किए जाने, उनकी मारे जाने  और उनके रहने के स्थान में आए संकुचन के चलते कम हुई है। उसका आगे कहना है कि यदि सम्पूर्ण विश्व अमेरिका की भांति संसाधनों के अत्यधिक उपभोग के स्तर को बनाऐ रखता है तो हमें संसाधनों की आपूर्ति के लिए चार और पृथ्वियों की आवश्यकता  पड़ेगी। इससे सिर्फ पश्चिमी  जीवन शैली का खोखलापन सिद्ध होता है। 


 आखिर इससे बाहर निकलने का रास्ता क्या है? वर्तमान पश्चिमी  विकास एवं जीवन शैली के माॅडल से प्रतीकात्मक एवं गड्डमड्ड समझौता विश्व को बिल्कुल भी बचाने नहीं जा रहा। हमको अधिक सौम्य और अधिक स्थायी तरीके से विकास एवं जीवन शैली के तरीके में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। विकास एवं जीवन शैली के टिकाऊपन का एक सजीव एवं प्रमाणित उदाहरण विकास का भारतीय माॅडल है जिसे विकास एवं जीवनशैली का स्वदेशी  माॅडल भी कहा जा सकता है। स्वदेशी  माॅडल इस अर्थ में सम्पूर्णता लिए हुए है कि यह जीवन (धर्म एवं मौक्ष) में भौतिकता (अर्थ, काम) एवं आध्यात्मिकता को समान महत्व देता है। यह पृथ्वी मां को उसके चेतन एवं अचेतन, समस्त स्वरुपों में अत्यन्त  सम्मान एवं श्रद्धा देती है।



स्वदेशी विकास की अवधारणा भविष्य में आने वाली पीढि़यों की भी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए औचित्यपूर्ण उपभोग की वकालत होती है। आज समय की मांग है कि न केवल भारत अपितु पूरे विश्व को विनाश से बचाने के लिए सहस्राब्दी से प्रमाणित एवं सफलतापूर्वक संचालित स्वदेशी की विकास की अवधारणा और जीवन शैली को अपनाया जाए।


जोधपुर (राजस्थान) में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन मांग करता है कि -

1.    टिकाऊ विकास का भारतीय माॅडल एवं जीवन शैली से संबंधित विभिन्न आयामों पर विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के द्वारा व्यापक एवं स्तरीय शोध कार्य को प्रोत्साहन दें।
2.    विशेषकर विश्वविद्यालद्यों एवं विषय पर स्वयंभू तज्ञयों के बीच शोध के परिणामों को व्यापक रूप से प्रचारित और प्रसारित करें।
3.    शोध के परिणामों के आलोक में सरकार की विकास प्राथमिकता निश्चित हो।
4.    COP 21 को भारत सरकार द्वारा सौंपी गई INDC  के अनुरूप अक्षुण ऊर्जा स्रोतों को प्राथमिकता दी जाए।
5.    जैविक खेती एवं पशुपालन को प्रचारित एवं प्रसारित करने हेतु योग्य कदम उढाया जाए।
6.    वृक्षारोपण, विशेषकर स्वदेशी किस्म के फलदार वृक्षों का व्यापक आंदोलन चलाया जाए, ताकि वन जीव-जंतुओं को पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध रहे।

स्वदेशी जागरण मंच देश की जनता से भी विशेषकर स्वदेशी कार्यकर्ताओं से अनुरोध करता है कि वे प्रकृति के प्रति संवेदनशील उद्यमता एवं जीवन शैली को अपनाए।

मंच के मिडिया प्रमुख मिथिलेश कुमार झा ने बताया कि कल 2.00 बजे उम्मेद स्टेडियम से गांधी मैदान तक स्वदेशी संदेश यात्रा विभिन्न प्रान्तों से आए 2000 हजार कार्यकर्ता निकालेगें। तथा 4.00 बजे गांधी मैदान में हुंकार सभा आयोजित की जाएगी जिसमें जोधपुर की जनता व ग्रामीण क्षेत्रों से लगभग 10,000 लोग सम्मिलित होगें आज के सत्रों में उद्घाटन सत्र में राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक माननीय दुर्गादास, प्रान्त संघचालक माननीय ललित शर्मा, जोधपुर प्रान्त प्रचारक माननीय मुरलीधर, प्रान्त कार्यवाह माननीय श्याममनोहर, क्षेत्र बौद्धिक प्रमुख माननीय कैलाशचन्द्र, वरिष्ठ प्रचारक माननीय नन्दलाल, प्रान्त बौद्धिक प्रमुख महेन्द्र कच्छवाह, जोधपुर सांसद गजेन्द्र सिंह जी  शेखावत, विधायक जोधपुर शहर कैलाश जी  भंसाली, भाजपा के शहर अध्यक्ष जोधपुर देवेन्द्र जोशी आदि उपस्थित थे।

गुरुवार, 24 दिसंबर 2015

स्वदेशी जागरण मंच - राष्ट्रीय सम्मेलन की तैयारियां अपने अन्तिम चरण में

स्वदेशी जागरण मंच - राष्ट्रीय सम्मेलन की तैयारियां अपने अन्तिम चरण में 
 
जोधपुर, 23 दिसम्बर 2015.     स्वदेशी वह भावना है जो हमें दूर-दराज की बजाय अपने आस-पास के ही उपयोग एवं सेवा की ओर ले जाती है। आर्थिक क्षेत्र में मुझे निकट-पड़ोसियों द्वारा उत्पादित वस्तुओं का ही उपयोग करना चाहिए और यदि उन उद्योग-धन्धों में कहीं कोई कमी हो तो मुझे उन्हें ज्यादा सम्पूर्ण और सक्षम बनाकर उनकी सेवा करनी चाहिए। मुझे लगता है यदि ऐसे स्वदेशी को व्यवहार में उतारा जाए तो इससे स्वर्ण युग की अवतारणा हो सकती है। उपरोक्त विचार स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरीलाल ने कहे।

    मंच के उतर भारत संगठक सतीश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय सम्मेलन की तैयारियां अपने अन्तिम चरण में है विशाला डोमो का निर्माण पूर्ण हो चुका है। स्टेज भी बनकर तैयार है। इसकी थीम ग्रामीण परिवेश की रखी गई। उन्होनें आगे बताया कि विभिन्न प्रांतो से स्वदेशी पदाधिकारियों का आना शुरू हो गया है। सम्मेलन से एक दिन पूर्व आज राष्ट्रीय परिषद की बैठक आयोजित होगी जिसमें देश भर के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य, सभी प्रदेशों के संयोजक व सहसंयोजक भाग लेगंे।

राष्ट्रीय परिषद की इस महत्वपूर्ण बैठक में लिए गए निर्णयों के आधार पर राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान विभिन्न मुद्दे व विषयों पर सत्रों को आयोजित किया जायेगा।

    मंच के प्रदेश संयोजक भागीरथ चौधरी  ने जानकारी देते हुए बताया कि इस सम्मेलन में सभी प्रदेशों से लगभग 2000 स्वदेशी कार्यकर्ता यहां एकत्रित होगे। और तीन दिनों तक विभिन्न मुद्दों व विषयों पर चिन्तन व मनन करेगें। कल प्रातः 11 बजे उद्घाटन सत्र द्वारा सम्मेलन आगाज हो जायेगा।

 मिथिलेश झा ,मीडिया प्रभारी ने बताया कि 26 दिसम्बर को 2.00 बजे संदेश रैली उम्मेद स्टेडियम से गांधी मैदान तक आयोजित की जायेगी तथा 4.00 बजे गांधी मैदान में हुंकार सभा आयोजित की जायगी। जिसमे लगभग 10,000 लोग भाग लेगे। संध्या में सम्मेलन स्थल पर संस्कृतक कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। जिसमें सभी प्रान्तों से आये अतिथियों के सम्मूख मारवाड़ी सांस्कृति की छटा बिखेरी जायेगी।

सांस्कृतिक प्रमुख गजेन्द्रसिंह परिहार के अनुसार इसमें जोधपुर के प्रमुख लोक कलाकार द्वारा घुमर, नृत्य कालबेलियां, भवाई, तेराताली, मांडगायन आदि प्रस्तुत करेगें तथा कमलेश प्रजापत के नेतृत्व में योग कला का प्रदर्शन होगा। विद्या भारती के विद्यार्थियों द्वारा बारह मास नृत्य नाटिका भी प्रस्तुत की जायेगी। इस सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम में पुनीत मेहता, सवाईसिंह, मंयक लाहोटी, भारती वैद्य, अर्पणा, डाॅ. ज्योति, कंचन आदि का सहयोग रहेगा।

संघ का उद्देश्य संपूर्ण समाज को एकता के सूत्र में बांधना – जे. नंद कुमार जी

संघ का उद्देश्य संपूर्ण समाज को एकता के सूत्र में बांधना – जे. नंद कुमार जी

नंद कुमार जीमेरठ (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे नंद कुमार जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्देश्य सम्पूर्ण समाज को एकता के सूत्र में बांधना है. संघ अन्य संस्थाओं की तरह दिखावटी संस्था नहीं है. संगठित, सशक्त, दोषरहित एवं समरसता के बल पर भारत को परम वैभव पर पहुंचाना संघ का एकमात्र लक्ष्य है. नंद कुमार जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मेरठ महानगर द्वारा संघ एक परिचय एवं हिन्दुत्व विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में संबोधित कर रहे थे.

कार्यक्रम का शुभारम्भ भारत मां के चित्र के सामने दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ. इस अवसर पर उन्होंने एक ऑन लाईन समाचार, वैबसाईट www.samvaadbhartipost.com का शुभारम्भ किया. उन्होंने कहा कि आजकल कुछ लोग स्वतंत्रता आंदोलन में संघ की सहभागिता पर सवाल उठाते हैं, जो सरासर गलत है. संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी स्वयं हमारे सामने उदाहरण हैं. नमक आंदोलन में सत्याग्रह के समय संघ संस्थापक जेल गये. वर्ष 1942 में संघ के स्वयंसेवक ने अश्टि-चिमूर क्षेत्र (विदर्भ) में स्वतंत्र सरकार स्थापित कर दी थी. अपना अलग अस्तित्व दिखाने के लिये तुर्की टोपी जैसे विशेष वेश पहनकर संघ ने आजादी के आंदोलन में दिखावा नहीं किया.

संघ की ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना का लक्ष्य व्यक्ति निर्माण कर लोगों में राष्ट्रभक्ति को जगाना था. एओ ह्यूम जैसे विदेशी द्वारा स्थापित कांग्रेस को अपना लक्ष्य पूर्ण स्वराज्य बताने में 44 साल लग गये. वर्ष 1885 में कांग्रेस की स्थापना करने वाले एओ ह्यूम ने उसी दिन-रात को अपनी डायरी में लिखा था कि उसने एक सेफ्टी वाल्व खोज लिया है. ब्रिटिश सरकार को यह पता था कि भारत के हर गांव में उनके खिलाफ गुस्सा है, वे इसे जाहिर करने का इंतजार कर रहे हैं. इस गुस्से को कम करने के लिये कांग्रेस की स्थापना हुई थी. आज ये कांग्रेस के लोग संघ के आजादी आंदोलन पर सवाल उठाते हैं.

वर्ष 1934 में स्वयं गांधी जी संघ के शिविर में पहुंचे थे. वर्ष 1897 में स्वामी विवेकानन्द जी विदेशी धरती पर भारतीय संस्कृति की पताका फहराकर 4 साल बाद भारत वापस आये थे, तब उनकी एक जनसभा में एक किशोर ने उनसे पूछ लिया, क्या वे पूर्ण स्वतंत्रता दिलायेंगे ? तब स्वामी जी ने उत्तर दिया कि संगठित समाज ही स्वतंत्रता के योग्य होता है, इसीलिये अपने मूलभूत सिद्धांत के आधार पर हमें संगठित होना चाहिये. उनके 28 साल बाद डॉ. हेडगेवार जी ने विवेकानद जी को उत्तर देने के प्रयास से संघ की स्थापना करते हुए कहा था, ‘‘हम इस भारत को परम वैभव की ओर ले जाएंगे, केवल और केवल हिन्दुत्व के आधार पर. नंद कुमार जी ने कहा कि सुभाष चन्द्र बोस से लेकर भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने देश की जीवनशैली हिन्दुत्व बतायी है. कम्युनिस्ट कार्ल मार्क्स ने भी इस देश की जीवन शैली हिन्दुत्व को बताया.

कार्यक्रम में अपने अध्यक्षीय भाषण में आईआईएमटी कॉलेज के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष नरेन्द मिश्रा ने कहा कि भारतीय मीडिया को सही तथ्य और विचार प्रसारित करना चाहिये. गलत और त्रुटिपूर्ण समाचार देश का माहौल खराब करता है. इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त संघचालक सूर्यप्रकाश टोंक जी, संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपाशंकर जी सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे.

 

समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए शाखा विस्तार आवश्यक – दत्तात्रेय जी होसबले

समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए शाखा विस्तार आवश्यक – दत्तात्रेय जी होसबले

Dattatray-Hosabale-lदेवरिया (गोरक्ष प्रांत). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने कहा कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिये शाखा विस्तार आवश्यक है. जिसके लिये स्वयंसेवक सर्वस्पर्शी बनें. सह सरकार्यवाह जी नर्वदेश्वर सरस्वती शिशु मंदिर में गोरक्ष प्रांत के नगरीय क्षेत्रों के पदाधिकारियों को संबोधित कर रहे थे. पांच दिवसीय बैठक के अंतिम दिन (सोमवार, 21 दिसंबर) कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे. इससे पहले संबंधित कार्यकर्ताओं ने बैठक में वृत निवेदन (वर्तमान कार्य स्थिति की जानकारी) किया.

उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों को समाज के सभी वर्गों के संपर्क में रहकर उनका हित चिंतन करना चाहिये. स्वयंसेवक का व्यवहार ऐसा होना चाहिये कि हर व्यक्ति उससे जुड़े. उन्होंने कहा कि शाखा ही संगठन की आत्मा है, इसलिए शाखा विस्तार का कार्य ही संगठन की मजबूती का आधार है. सह सरकार्यवाह जी ने नगरीय क्षेत्रों में संचालित गतिविधियों, शाखा कार्य को हर बस्ती, हर परिवार में ले जाने का आह्वान किया. बैठक में नगरीय क्षेत्र की ईकाइयों के संघचालक, कार्यवाह, विस्तारक, प्रचारक उपस्थित थे.

  साभार: vskbharat.com

बुधवार, 23 दिसंबर 2015

रक्षा व खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का विरोध करता है स्वदेशी जागरण मंच

 रक्षा व खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का विरोध करता है स्वदेशी जागरण मंच

जोधपुर, 22 दिसम्बर 2015.   देश में आज सवा करोड़ फुटकर दुकाने है, चार करोड़ लोगों को इसमें रोजगार मिला हुआ है व 23 लाख करोड़ रूपयें का कुल वार्षिक करोबार इसके द्वारा होता है। लेकिन वाॅलमार्ट जो 23 लाख करोड़ का कारोबार पुरी दुनिया में करता है। उससे केवल 21 लाख लोगो को ही रोजगार मिला है। इससे अंदाजा होता है कि जब ये बड़े स्टोर्स हमारे देश में व्यापार करेगें तो कई लाखों फुटकर दुकाने बन्द हो जायेगी व करोड़ों लोगों से रोजगार छीन किया जायेगा। इसी कारणों से स्वदेशी जागरण मंच कई क्षेत्रों विशेषकर रक्षा व खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का विरोध करता है ये विचार मंगलवार को आयोजित हुई मंच के 26 दिसम्बर को होने वाले हंुकार सभा के समन्वय समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए ज्ञानेश्वर भाटी ने व्यक्त किये। 

उन्होनें आगे बताया कि 25 से 27 दिसम्बर को होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान गांधी मैदान में हुंकार सभा आयोजित होगी उसमें नई सड़क, सोजती गेट, जालोरी गेट, सरदारपुरा आदि के व्यापारिक संघों व जोधपुर के लघु, कुटीर व गृह उद्योगो से जुड़े उद्यमी, मजदूर संघ, किसान संघ, आस-पास के गांवो से भारी तादाद में ग्रामीण सम्मिलित होगें व अपनी जोरदार हुंकार से केन्द्र व राज्य सरकारों को चेताया जायेगा कि यदि आमजन व छोटे व्यापारी व उद्यमों के विपरित दिशा में यदि वे विश्व बैंक, डब्ल्यू टी ओ, अमेरिका, चीन आदि के दबाव में नीतियों बनाई जायेगी तो हम सब स्वदेशी जागरण मंच के बैनर तले इसका पूरजोर विरोध करेगे।

मंच के प्रदेश संयोजक भागीरथ चौधरी  ने कहा कि वर्तमान समय में पश्चिमी राजस्थान विशेष कर जोधपुर, बाड़मेर व जैसलमेर पुरे देश का ऊर्जा इंजिन बनता जा रहा है। यहां पर पेट्रोलियम पदार्थों के साथ सोलर व विंड एनर्जी आदि कार्याें में जोरदार वृद्धि हो रही है। लेकिन इनमे आने वाले अधिकांश उपकरण व सोलर पैनल विदेशी कंपनीयों के है। व मंच के द्वारा हमारा यह प्रयास रहेगा कि ये सारे उपकरण भविष्य में मेड बाई इंडिया के तहत भारतीयों द्वारा ही निर्मित हो।

 मिथिलेश झा मीडिया प्रभारी  ने बताया कि  राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान स्वदेशी दृष्टि स्मारिका पुस्तक का विमोचन भी होगा। इस स्मारिका निर्माण समिति के प्रमुख डाॅ. अमित व्यास के अनुसार इसके माध्यम से आज पुरे विश्व में विशेषकर भारत के संदर्भ में जो आर्थिक व सामाजिक परिदृश्य की चुनौतियां है इसके माध्यम से मंच का दृष्टिकोण प्रकट होाग। साथ इसमें मारवाड़ी सांस्कृति, इतिहास, परम्परा का समावेश भी होगा। इसकी प्रतियां सम्पूर्ण देश में केन्द्रीय व राज्य मंत्रियों संसदो, विद्यायकों अन्य प्रमुख संस्थाओं आदि को वितरित किया जायेगा।

इस बैठक में अतुल भंसाली, श्याम पालीवाल, कैप्टन उम्मेदसिंह राठौड, रेवन्तसिंह ईन्दा, संगीता सोलंकी, घनश्याम वैष्णव, जयंत सांखला, महेन्द्र ग्वाला, जितेन्द्रसिंह शेखावत, पवन आसोपा, राजेश कच्छावाह, विरेन्द्रसिंह शेखावत, धर्मेन्द्र दुबे, जेठूसिंह, शेलेन्द्रसिंह चैहान, कन्हैयालाल पंचारिया, बन्नाराम पंवार, मुकेश लोढा, शिवकुमार सोनी, नथमल पालीवाल, दीपक व्यास, मोहन छंगाणी, कैप्टन रामसिंह राठौड, किशन लढा, दशरत प्रजापत अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
                           

मंगलवार, 22 दिसंबर 2015

स्वदेशी जागरण मंच राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान 26 दिसम्बर को होने वाले हुंकार सभा समन्वय समिति की बैठक सम्पन्न

स्वदेशी जागरण मंच राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान 26 दिसम्बर को होने वाले हुंकार सभा समन्वय समिति की बैठक सम्पन्न 

जोधपुर, 21दिसम्बर 2015 .  स्वदेशी जागरण मंच द्वारा होने वाले 25 से 27 दिसम्बर 2015 को होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान 26 दिसम्बर को होने वाले हुंकार सभा समन्वय समिति की बैठक मंच के 7 सेक्शन, न्यू पावर हाउस स्थित कार्यालय में सम्पन्न हुई।

मीडिया प्रभारी मिथिलेश झा ने बताया कि बैठक की अध्यक्षता करते हुए ज्ञानेश्वर भाटी ने कहा  कि गांधी मैदान में होने वाली इस  हूँकार सभा में विविध संगठन, किसान व मजदूर संघ प्रमुख,पदाधिकारी शहर के गणमान्य प्रबुद्धजन आस-पास से भारी तादाद में ग्रामीण जनों की आने की संभवना है।

ज्ञानेश्वर भाटी ने बताया कि हमारे देश में 6 लाख से अधिक गांव है व विश्व का सर्वाधिक पशुधन यहां है। देश में 127 प्रकार के विविध कृषि जलवायु क्षेत्र है व एक करोड 24 लाख ग्रामीण उद्यम है लेकिन सम्पूर्ण ग्रामीण अर्थव्यवस्था रासायनिक कीटनाशकों व उर्वरकों के अत्याधिक उपयोग से ग्रस्ति है और इससें हमारा देश इनके विषैलें प्रभावों से खोखला होता जा रहा है। इसका एक मात्र उपाय जैविक कृषि है और हमारी गौ माता इसकी केन्द्र बिन्दु है। गौ माता से प्राप्त प्रत्येक उत्पाद जैविक कृषि के महत्वपूर्ण घटक है। हमारे देश में सिक्किम राज्य पूर्ण जैविक कृषि वाला राज्य है। जैविक कृषि द्वारा हम अपने कृषि जीन्सों का उत्पादन लगभग 25 प्रतिशत तक वृद्धि कर सकते है। जिससे हम जो विदेशों से दाल, खाद्य तेल, गेहूं आदि का आयात करते है। इसको रोका जा सकता है। और बहुमूल्य विदेशी मुद्रा को बचाया जा सकता है। इसके साथ हमारी देशी नस्लों की गौ माता का संरक्षण व संवर्धन होगा और दूध न देने वाली गौ भी उपयोगी साबित होगी उन्होने आगे बताया कि वर्तमान समय में जो केन्द्र सरकार जी.एम. फसलों के खुले परीक्षण की अनुमति प्रदान कर रही है। वह हमारे लिए घातक सिद्ध होगी। इससे हमारी सम्पूर्ण कृषि जैव विविधता समाप्त हो सकतीे है। अभी जो चावल, सरसों, तिल, बैंगन, आदि की सैंकड़ों किस्में उपलब्ध है वह विलुप्त हो जाएंगी। अनुवांशिक परिवर्तित फसलों का प्रभाव अन्य फसलों व पशु पालन की नस्लों पर भी पड़ेगा। इसको रोकने के लिए ही हुंकार सभा द्वारा सरकारों पर दबाव डाला जाएगा कि इसके खुले परीक्षणों पर पूर्णतय रोक लगें।


 बैठक में समन्वयक अतुल भंसाली, व्यवस्था प्रमुख धर्मेन्द्र दुबे, कैप्टन उम्मेदसिंह राठौड, श्याम पालीवाल, बन्नाराम पंवार, मुकेश लोढा, शिवकुमार सोनी, नथमल पालीवाल, पवन आसोपा, दीपक व्यास, जितेन्द्रसिंह शेखावत, जयन्त सांखला, किशन लढढा, मोहन छंगाणी, दशरत प्रजापत, जेठूसिंह, कैप्टन रामसिंह राठौड, संगीता सोलंकी, अब्दुल नईम आदि उपस्थित रहे।
                           
                           

सोमवार, 21 दिसंबर 2015

स्वदेशी जागरण मंच का बारहवां राष्ट्रीय सम्मेलन दिनांक 25 से 27 दिसम्बर तक जोधपुर में

जोधपुर, 20 दिसम्बर 2015  स्वदेशी जागरण मंच का बारहवां राष्ट्रीय सम्मेलन दिनांक 25 से 27 दिसम्बर तक हनुवंत आदर्श विद्या मंदिर, लालसागर, जोधपुर में आयोजित हो रहा है। यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब भारत का निर्यात पिछले 12 महीने से लगातार घट रहा है, समूची दुनिया में मंदी, जलवायु, बेरोजगारी जैसे संकट मुहं बाए हुए खडे है। कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है।



धर्मेन्द्र दुबे प्रदेश सहसंयोजक ने बताया कि सौर ऊर्जा के विषय में इस बात पर भी चर्चा की जायेगी कि सौर उर्जा उत्पादन करने में भारतीय नवयुवकों के नए उद्योग किस प्रकार से खड़े किए जाएं। कहीं ऐसा न हो जाए कि इसमें भी आई.टी.क्रांति की तरह विदेशी कंपनियों के पास ही सारा उत्पादन/व्यापार चला जाए व भारत के हिस्से केवल सोलर पेनलों की धूल  झाड़ने का ही काम बांट में आए।  भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर मंच के द्वारा चलाए गए आंदोलन की भी विस्तार से चर्चा होगी।    


   
सम्मेलन में ये लोग होगें केन्द्र बिन्दु   
 इस राष्ट्रीय सम्मेलन में स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री अरूण ओझा, राष्ट्रीय संगठक श्री कश्मीरी लाल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के  अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डाॅ. मनमोहन वैद्य, अखिल भारतीय सह संयोजक प्रो. भगवती प्रकाश, डाॅ. धनपत अग्रवाल, आर. सुन्दरम, अश्विनी महाजन, उत्तर  भारत संगठक सतीश कुमार, राजस्थान प्रान्त संयोजक भागीरथ चौधरी, लघु उद्योग भारती के ओपी मिŸाल, विद्या भारती के जी. आर जगदीश, डाॅ. आर. के. त्यागी, पूर्व अध्यक्ष हिन्दूस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड, विक्रमजीत बनर्जी, एडवोकेट जनरल नागालैण्ड, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, लघु उद्योग भारती, विद्या भारती, वनवासी कल्याण आश्रम संगठनों के प्रतिनिधि भी इसमें सम्मिलित होंगे।    सम्मेलन में देश भर से 2000 दायित्ववान कार्यकर्ता सभी प्रान्तों से भाग लेंगे।
    
इन विषयों पर किया जाएगा गहन मंथन
राष्ट्रीय सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर विस्तृत चर्चा कर सरकार व आम जन के लिए प्रस्ताव तैयार किए जाएगें।
जी. एम. फसलें
    देश में जैव रूपातंरित फसलें अर्थात जेनेटिकली माॅडिफाइड (जी.एम.) फसलों के परीक्षण के विरूद्ध सर्वाेच्च न्यायलय में याचिका विचाराधीन होने पर भी तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इनके परीक्षण की अनुमति देकर देश के पारिस्थितिकी तन्त्र के सम्मुख एक गंभीर संकट उत्पन्न कर दिया है। ऐसी फसल जिस में कोई इच्छित गुण प्रकट करने के लिए उस वांछित गुण से युक्त पौधे या जन्तु उस गुण के कारक वंशाणु या जीव को प्रत्यारोपित करने पर उस बाहरी वंशाणुयुक्त प्राप्त हुई फसल प्रजाति जैव रूपातंरित या जी. एम. फसल कहलाती है। स्वदेशी जागरण मंच जी. एम. फसलों के खुले में परीक्षण के खिलाफ है। इस पर विस्तृत विचार विमर्श किया जाएगा।

पर्यावरण
    देश में उद्योगों के अपशिष्ट वाहनों के धुंए एवं पेड़-पौधों की अंधाधुध कटाई से पर्यावरण प्रदूषण की मात्रा गंभीर चिंता का विषय बन गई है। स्वदेशी जागरण मंच केन्द्र, राज्य एवं सम्बन्धित संस्थाओं को इस संबंध में उचित उपाय करने हेतु विस्तृत नोट दिया जाएगा।
चीन से चुनौती
     वर्तमान परिप्रेक्ष्य में चीन ने भारत को विभिन्न क्षेत्रों में चुनौतियां दी है। देश में चीनी सामान की बिक्री ने स्वदेशी उद्योगों की बन्द होने के कगार पर ला खड़ा किया है। इसके अतिरिक्त सीमा क्षेत्र पर भी चीन ने समय-समय पर परेशानियां खड़ी की है। पड़ौसी देशों पाकिस्तान व नेपाल में भी चीन ने अपना दबदबा बढाकर भारत को घेरने की कोशिश की है।
    वर्तमान आर्थिक परिदृश्य एवं इससे निकलने के उपायों पर स्वदेशी सम्मेलन में विस्तृत चर्चा की जाएगी। बाजार में बढती कीमतों, ब्याज दरों में गिरावट, रूपये के घटती-बढती कीमतों आदि विषयों पर विश्लेषण किया जायेगा।
  
 इसके आलवा देशी चिकित्सा, महिलाओं की सुरक्षा एवं उनके अधिकार , कृषि विकास, बौद्धिक सम्पदा अधिकार, मेड बाय इण्डिया, शिक्षा के गिरते स्तर केा कैसे रोका जाए, सतत् एवं समग्र विकास की अवधारणा आदि विषयों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी तथा विस्तृत ज्ञापन तैयार कर केन्द्र सरकार को इस सम्बन्ध में उचित एवं शीघ्र कार्यवाही हेतु लिखा जाएगा।

राष्ट्रीय सम्मेलन से पूर्व 24 दिसम्बर 2015 को राष्ट्रीय परिषद की बैठक आयोजित की जाएगी।
राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन सत्र 25 दिसम्बर 2015 को प्रातः 11.00 बजे आयोजित होगा।
स्वदेशी संदेश रैली
    दिनांक 26 दिसम्बर 2015 को दोपहर 2.00 बजे आयोजित की जायेगी। रैली उम्मेद स्टेडियम से रवाना होकर नई सड़क, सोजती गेट, जालोरी गेट, गोल बिल्डिंग होती हुई गांधी मैदान सरदारपुरा पंहुचकर स्वदेशी हुंकार सभा में तब्दील हो जायेगी। इस रैली में विभिन्न नारों व झांकियों के माध्यम से देशभर के स्वदेशी कार्यकर्ता जोधपुरवासियों को संदेश देगें। 
हूँकार सभा
    हुंकार सभा में किसानों, मजदूरों, लघु उद्योगों के लिए आवश्यक निति निर्धारण हेतु हुंकार भरी जायेगी। इस सभा में स्थानीय, प्रदेश तथा राष्ट्रीय स्तर के प्रमुख किसान, मजदूर तथा उद्योगों की लड़ाई लड़ने वाले प्रतिनिधि भाग लेगें। जहां पर स्वदेशी कार्यकर्ता हुंकार भरकर स्वदेशी वस्तुओं के अधिकाधिक उपयोग का आव्हान एवं चीनी सामान के बहिष्कार व राष्ट्रीय मुद्दों पर स्वदेशी की बात करेगें। दिनांक 26 दिसंबर 2015 को गांधी मैदान में आयोजित होने वाली इस विशाल स्वदेशी हंुकार सभा में राजस्थान से 10000 कार्यकर्ताओं के जुटने की संभावना है।

सम्मेलन में प्रमुख आकर्षण
    राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान स्वदेशी यात्रा प्रदर्शनी, डिजीटल प्रदर्शनी, साहित्य विक्रय एवं प्रदर्शनी, स्वदेशी दृष्टि-स्मारिका का प्रकाशन एवं विमोचन। गौ उत्पादन, राजस्थान के कला उत्पादनों के स्टाॅल व मारवाड़ी लोक संस्कृति से ओतप्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रम ।   

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित