मंगलवार, 24 मार्च 2009

Thar Samvad, A VSK Jodhpur Publication

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थार संवाद अंक १ वर्ष 4





































India to launch first student-made satellite 'Anusat'

By siliconindia news bureau
Monday,23 March 2009, 12:54 hrs
Mumbai: Designing satellites for space exploration will no more remain a privilege of the aeronautic maestros, with India's first student made satellite 'Anusat' taking off in April from Sriharikota. The micro-student satellite will be launched by the four-stage PSLV on either April 5th or April 6th, which will be attached to ISRO's Risat satellite until it separates and flies into its own designated orbit.
"This is the first time we are launching a satellite made by students and the idea is to motivate the younger generation to work for India's space missions," ISRO's Chief spokesperson S Satish told Times Of India. The satellite has been crafted by 37 aerospace engineering students with the help of 10 of their teachers of the prestigious Madras Institute Of Technology (MIT).MIT's R Dhanraj informed that the satellite will operate in the low earth orbit at an altitude between 600 and 800 km. It is equipped with a 'store and forward' payload and the data will be received both at the Chennai Tech University as well as Pune University. The satellite will mainly be used for amateur communication purposes, providing students with a hands-on experience about space sciences and technology. The Anusat program, initiated in 2002, is the brainchild of R Vasagam, former Vice-Chancellor of Anna University. Vasagam was previously the Director of ISRO's Apple satellite project.


सोमवार, 16 मार्च 2009

मुस्लिमों का विचित्र मौन

मुस्लिमों का विचित्र मौन

Mar 14, 11:58 pm
गत सप्ताह पेशावर में रहमान बाबा मस्जिद को तालिबानी आतंकियों ने विस्फोट करके उड़ा दिया। पिछली लगभग साढ़े तीन शताब्दियों से सूफी संपद्राय की इस मस्जिद में मजहबी कार्य हो रहे थे और यह मस्जिद महिला श्रद्धालुओं में बहुत ही लोकप्रिय थी। हालांकि तालिबानियों ने पहले ही यह धमकी दी थी कि वे मस्जिद को नष्ट कर देंगे, बावजूद इसके इस मुस्लिम क्षेत्र की मुस्लिम सरकार ने मस्जिद की सुरक्षा के लिए कोई खास इंतजाम नहीं किए। स्थानीय प्रशासन, प्रांतीय प्रशासन, पाकिस्तान सरकार और अफगानिस्तान सरकार-सभी ने इस घटना की निंदा की। तालिबानी मुस्लिम वहाबी संप्रदाय को मानने वाले हैं, जो कि सूफी संप्रदाय के रहस्यवाद और संगीत की परंपरा का विरोध करते हैं। उनका मानना है कि यह सब इस्लाम के खिलाफ है। यह घटना बिल्कुल वैसे ही है जैसे अयोध्या में विवादित ढांचे का विध्वंस।
वास्तव में दोनों ही घटनाएं निंदनीय हैं, लेकिन अयोध्या के विवादित ढांचे में लंबे अर्से से मजहबी गतिविधियां बंद थीं, जबकि रहमान बाबा मस्जिद में मजहबी कार्य अभी जारी थे। विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद विश्व भरके मुस्लिम समुदाय ने इस घटना के विरोध में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। गैर-मुस्लिम भी इस घटना से चकित थे। अपने देश में हम उस घटना के दुर्भाग्यपूर्ण दुष्परिणामों के साथ जी रहे हैं। रहमान बाबा मस्जिद के ढहाए जाने के बाद हमें यह देखना होगा कि मुस्लिम समुदाय इस कृत्य का विरोध करते हुए तालिबानों को गैर-इस्लामी और कट्टरपंथी संगठन करार देता है या नहीं? मुस्लिम समुदाय के सामने यह एक गंभीर चुनौती है। अक्सर यह देखने में आता है कि जब मुसलमान ही मुसलमान को मारते हैं या फिर इस्लाम को उसके ही अनुयायियों द्वारा चोट पहुंचाई जाती है तो वे चुप हो जाते हैं। उदाहरण के लिए जब लगभग दस लाख बांग्लादेशी मुसलमानों को पाकिस्तानी सेना ने मार डाला तो मुस्लिम जगत ने इसका कोई खास विरोध नहीं किया।
जार्ज बुश की तुलना में याह्या खान के माथे पर कहीं ज्यादा मुस्लिमों की मौत का दाग है। ऐसा ही अफगान युद्ध में गुलबुद्दीन हिकमतयार ने किया था। सद्दाम हुसैन द्वारा ईरान के खिलाफ छेड़े गए युद्ध में दोनों ही तरफ के लाखों लोगों की मौत हुई, लेकिन इस्लामी देशों ने इस घटना की निंदा कभी नहीं की। यह भी तथ्य है कि पिछले साठ सालों में इजरायलियों के हाथों उतने फलस्तीनी नहीं मारे गए होंगे जितने कि अरब मुस्लिमों ने मारे हैं। जब फलस्तीनी नेता यासिर अराफात के समर्थक जार्डन में ब्लैक सेपटेंबर नरसंहार कर रहे थे उस समय जियाउल हक जार्डन के शाह के सैन्य सलाहकार थे। आज दारफर में मुस्लिम शासन के अंतर्गत ही मुसलमान मारे जा रहे हैं और मुस्लिम जगत उनकी रक्षा के लिए की जा रही अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का विरोध कर रहा है। दूसरी तरफ यही मुस्लिम जगत बोस्निया और कोसोवो में मुस्लिमों और क्रिश्चियन सर्ब के संघर्ष में अंतरराष्ट््रीय मध्यस्थता का स्वागत कर रहा है। किसी भी मुसलमान की जिंदगी का समान महत्व है-चाहे उसकी मौत का कारक कोई मुस्लिम हो या फिर कोई गैर-मुस्लिम। तो फिर मुस्लिम समुदाय तभी प्रतिक्रिया क्यों व्यक्त करता है जब मुस्लिमों की मौत के पीछे कोई गैर-मुस्लिम होता है? ऐसा ही दोहरा मानदंड अलग-अलग देशों में मुसलमानों के साथ कथित भेदभाव के संदर्भ में भी देखने को मिलता है। भारत में सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में यह कहा गया कि शिक्षा और रोजगार में मुस्लिम अल्पसंख्यकों को निष्पक्ष रूप से अवसर नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में भारत सरकार का यह दायित्व है कि वह इस दिशा में सुधार करे, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या मुस्लिम समुदाय के भीतर के अल्पसंख्यकों के साथ मुस्लिम बहुल राष्ट्रों में निष्पक्ष व्यवहार किया जा रहा है? मुस्लिम अल्पसंख्यकों, जैसे शिया और अहमदिया को क्या मुस्लिमों की बहुलता वाले देशों में भी समान अवसर मिल रहे हैं?
यहां यह सब कहने का आशय यह नहीं है कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव जायज है, लेकिन मुस्लिम राष्ट्र में मुसलमानों की समस्याओं पर चुप हो जाने और गैर-मुस्लिम राष्ट्रों में मुसलमानों की दशा पर सवाल उठाने से मुस्लिमों की शिकायतों की विश्वसनीयता नहीं बढ़ने वाली। यह कैसा तर्क है कि सलमान रुश्दी के खिलाफ मौत का फतवा जारी कर दिया जाए या फिर डेनमार्क के कार्टूनिस्ट द्वारा बनाए गए चित्रों पर दंगे तक भड़क उठें, लेकिन पाकिस्तान में एक मस्जिद गिरा देने पर मुस्लिम समुदाय चुप्पी साध लेना बेहतर समझे। यह रवैया स्वयं इस्लाम के लिए बेहद खतरनाक है। रहमान बाबा मस्जिद इसलिए ढहा दी गई, क्योंकि यह एक सूफी मस्जिद थी और वहां पर संगीत बजाया जाता था। यह उन लोगों ने किया जिनका मानना है कि संगीत इस्लाम के खिलाफ है। उन्होंने उन दुकानों को भी तोड़ दिया जहां संगीत से संबंधित सामान बेचे जाते थे। क्या कुछ मतांध लोगों को इस बात की छूट दी जा सकती है कि वे संगीत को इस्लाम विरोधी घोषित कर दें? इस्लामी समाज के जिम्मेदार लोगों को संगीत की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए और उन कंट्टरपंथी ताकतों का विरोध करना चाहिए जो इसके खिलाफ हैं। यदि वे कहते हैं कि इस्लाम में संगीत को मान्यता नहीं है तो वे विश्व की सभी सभ्यताओं से अलग हैं, क्योंकि ऐसी कोई भी सभ्यता नहीं जो संगीत को अपनी आत्मा के विपरीत मानती हो। यदि इस तर्क पर संगीत को नकारा जा रहा है कि इसका उल्लेख कुरान या हदीस में नहीं है तो उन्हें पेट्रोल, कार, हवाई जहाज, टेलीफोन, बंदूक अथवा उस विस्फोटक का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए जिससे रहमान बाबा मस्जिद को नष्ट किया गया, क्योंकि इनका उल्लेख भी कुरान में नहीं है। यदि मुस्लिम समुदाय अपने बीच के उन कट्टरपंथियों का विरोध करने में असफल रहता है जिन्होंने इस्लाम के नाम पर एक मस्जिद गिरा दी तो उसे आने वाले वर्षो में कहीं अधिक गंभीर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
[के. सुब्रहमण्यम: लेखक रक्षा एवं विदेश मामलों के विशेषज्ञ हैं]

सोमवार, 9 मार्च 2009

गौ माता की जय हो ! - गौ मूत्र के लाभ

Benefits of Gomutra : Vaidya Kulamarava Jayakrishna,S.R.F., I.I.C.T., Hyderabad
Gomutra - Basic principles· Rasa - Katu, tiktha, Kashaya· Veerya - Ushna· Guna - Laghu Basic principlesGomutra :Positive:Lekhana, Kushtaghna, Kandughna, Udare hitam - it is good in ascetics. Generally Udara is enlargement of abdomen due to different causes. One of the most common is ascites or accumulation of peritonneal fluid.
Gomutra - Indications· Mukha roga (Diseases of mouth)· Netra roga (Diseases of the eye)· Swasa (Breathlessness)· Vata roga (Diseases due to Vata dosha)· Paandu (Anemia)
· Pleeha (Enlargement of spleen)· Shotha (Edema)· Varchograha (Constipation) ·
Positive effectsVery much useful in Sthoulya or Obsessity because of its Lekhana GunaUsed as one of the main ingredients in Kshara vasthiIt has got digestive (Pachana) effect. Is used in arthrities induced due to indigestion.
Negetive effectsNegetive : PittakarakaGomutra induced urticaria - case reported in Journal of Clinical and Experimental Dermotology.The urticaria lesions subsided immediately after discontinuing the intake of Gomutra. The above documented case in a way confirms what our Classical texts have stated.
Gomutra - usesClassical Ayurvedic texts contain innumerable references for the usage of Gomutra :Some examples :· In the shodham of vishadravyas such as vatsanabha, kuchla etc.· As anupana along with other medicines
Role of Gomutra in High Blood pressure
One of the probable modes of action when it reduces blood pressure may be it is acting as a diuretic. The diuretic action can be determined by studying the urine output volume, sodium content in the blood before and after administration of gomutra to the subject.
Gomutra in AnemiaRole of Gomutra in AnemiaAnemia is defined as a pathologic deficiency in the oxygen carrying of the blood's hemoglobin.Hypothesis : Presence of erythropoietin hormone in urine may be one of the reasons why gomutra is useful in anemia.

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित