सोमवार, 29 फ़रवरी 2016

आस्तिन के सापों को कुचल देगा देश - बहुगुणा

आस्तिन के सापों को कुचल देगा देश - बहुगुणा





विचार गोष्ठी में उमड़े शहरवासी


जोधपुर, 28 फरवरी। देश में पल रहे आस्तिन के सापों को अब कुचल दिया जायेगा। अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के नाम पर देशद्रोह किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं होगा। यह विचार अ.भा.वि.प. दिल्ली प्रदेश के पूर्व मंत्री और वर्तमान में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य साकेत बहुगुणा ने उपस्थित व्यक्तियों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। अवसर था विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा आयोजित ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: अधिकार एवं सीमाएँ’ विषय पर संगोष्ठी का। 

स्टील भवन के खचाखच भरे सभागार में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में वामपंथी एवं कश्मीरी अलगाववादी तत्वों द्वारा की गई भारत विरोधी नारेबाजी और उसको अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में सही सिद्ध करने की साजिश का खुलासा किया गया। ज्ञातव्य है कि गत् 9 फरवरी, 2016 को इस विश्वविद्यालय में वामपंथी/नक्सलवादी /माओवादी विचार से प्रेरित कुछ छात्रों द्वारा बाहर के मुस्लिम कट्टरपंथियों का सहयोग लेकर परिसर में भारत की बर्बादी तक, भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह, पाकिस्तान जिन्दाबाद, तुम कितने अफजल मारोगे-हर घर से अफजल निकलेगा जैसे नारे लगाये गये जिसका अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जे.एन.यू. के कार्यकर्ताओं ने तीव्र विरोध किया। जिसको इन वामपंथी मफियाओं द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नाम देकर देश में एक नई चर्चा, गद्दारी को अभिव्यक्ति के नाम से सही ठहराने की कोशिश शुरू हुई है। 

 गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के केन्द्रिय कार्य समिति सदस्य व जे.एन.यू. के पूर्व छात्र साकेत बहुगुणा ने बताया कि किस प्रकार वामपंथी छात्रों और प्रोफेसरों द्वारा परिसर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में लगातार देशद्रोही घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। AISA, SFI, AISF, DSU जैसे वामपंथी संगठनों के सहयोग से 9 फरवरी को जे.एन.यू. में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर विरोध रैली का आयोजन हुआ जिसमें भारत विरोधी नारे लगे और भारत को अनेक टुकड़ो में बांटने की वकालात की गई। परिसरों में देशद्रोही हरकतों के विरूद्ध राष्ट्रवादी संगठन के कार्यकर्ता सर्दव लड़ते रहे है और लड़ते रहेंगे। किसी भी हालत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देश को तोड़ने की बात हमें स्वीकार्य नहीं है। भारतीय संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आर्टिकल 19 के Clause (2) द्वारा आठ बिन्दुओं पर उचित प्रतिबंध का भी प्रावधान है जिसमें एक बिन्दु भारत की एकता और अखण्डता भी है। अतः भारत की एकता और अखण्डता को हानि पहुँचाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाओं में नहीं है।

उन्होंने कहा कि देश में राष्ट्रवादी विचार की सरकार आने से वामपंथी व कांग्रेसी बौखला गये है और इसलिए कभी थ्ज्प्प् तो कभी जे.एन.यू. परिसर में अराजकता फैलाने में लगे हुए है। आज वामपंथ का देशद्रोही चेहरा पूरे देश में उजागर हुआ है परन्तु दुर्भाग्य है कि कांग्रेस भी आज इन देशद्रोहियों के साथ खड़ी है। इस देशद्रोही गठजोड़ के विरूद्ध युवाओं को आगे आना होगा। संसद में बैठे कुछ गणमान्य भी आज उस अफजल के समर्थन में खड़े है जिसने इसी संसद पर हमला करवाया था। हम इसकी निन्दा करते है।

अ.भा.वि.प. दिल्ली प्रान्त उपाध्यक्षा व दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापिका सुश्री ममता त्रिपाठी ने गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में स्थित एक अग्रणी विश्वद्यिालय के परिसर को आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने का केन्द्र बनाकर इस शिक्षा के केन्द्र को बदनाम किया जा रहा है। चन्द वामपंथी चरमपंथियों की वजह से यह पूरा विश्वविद्यालय आज कलंकित हो रहा है। ऐसे युवा जो युवावस्था में चरमपंथी व अलगाववादी सोच से दूषित हो गये है, उनसे इस विश्वविद्यालय को बचाने की आवश्यकता है। साथ ही देशभर के विश्वविद्यालयों में राष्ट्रवादी विचार प्रचारित व प्रसारित किया जाना चाहिये।

समारोह की शुरूआत भारत माता की वन्दना से हुई। इसके पश्चात महानगर प्रचार प्रमुख डाॅ.अभिनव राजपुरोहित द्वारा विचार गोष्ठी की प्रस्तावना एवं महत्ता प्रतिपादित की गई। समारोह का संचालन सुधांशु टांक और बलवीर सिंह बैंस ने किया। विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर के प्रमुख प्रफुल्ल मेहता द्वारा सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। 

गद्दारों का समर्थन अर्थात बौद्धिक आतंकवाद : इन्द्रेश कुमार

Source: न्यूज़ भारती हिंदी 28 Feb 2016 

भोपाल, फरवरी 28 : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार ने “बौद्धिक आतंकवाद” विषय पर एक संगोष्ठि को संबोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्रता को कुचलने व जीवन मूल्यों को समाप्त करने की कोशिश का नाम आतंकवाद है। हथियारों के उपयोग द्वारा अथवा गुंडागर्दी से भयभीत करने का नाम ही आतंकवाद नहीं है, बल्कि वैचारिक रूप से भ्रमित करना भी आतंकवाद का एक रूप है। शुरूआत दौर में कश्मीर में नारा लगता था- ‘हंसकर लिया है पाकिस्तान, लड़कर लेंगे हिन्दुस्तान’, लेकिन 1947, 1962, 1965, 1971, 1999 में लगातार पराजित होकर पाकिस्तान ने समझ लिया कि इस प्रकार के युद्ध में वह कभी विजई नहीं हो सकता। अतः उसने प्रोक्सी वार का सहारा लिया, जो लगातार 60 वर्षों से जारी है।
अलगाववाद के नाम पर देश बंटा
राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच (Forum for Awareness of National Security (FANS) की भोपाल ईकाई का शुभारम्भ गत 27 फरवरी को हुआ। इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठि में इन्द्रेश कुमार ने कहा कि सम्मुख युद्ध में दुश्मन के खिलाफ देश ने सदा एकजुट होकर हुंकार भरी, किन्तु प्रॉक्सी वार में, छद्म युद्ध में कभी माओवाद, तो कभी अलगाववाद के नाम पर देश कन्फ्यूज हुआ, डिवाइड हुआ। पाकिस्तान के खिलाफ जो पांच युद्ध हुए वह कुल मिलाकर 6 माह, 26 दिन चला तथा उनमें 22-23 हजार जिंदगियों का नुकसान हुआ, लेकिन प्रॉक्सी वार 60 साल से लगातार चल रहा है और उसमें दो लाख से अधिक मानव जीवन को नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि
“जब अमेरिका ने निर्णय लिया कि ओसामा को निबटाना है, तो वहां के किसी व्यक्ति ने सवाल नहीं किया, किन्तु हमारे देश में पूछा जाता है- क्या योजना है, क्या नीति है? यदि योजना अथवा नीति सार्वजनिक कर दी जाए, तो क्या सफलता मिलेगी?”
हमारी पहचान हमारा देश
संघ के वरिष्ठ प्रचारक इन्द्रेश कुमार ने आगे कहा, हम पागल उसे कहते हैं, जिसे भूतकाल का स्मरण न रहे, मैं कौन हूं, मेरा कौन है, यह भूल जाए। उसका वर्तमान से भी सम्बन्ध टूट जाता है तथा वह भविष्य का विचार भी नहीं कर पाता। आजादी के बाद यही कार्य योजनाबद्ध रूप से हमारे यहां हुआ है। कहा गया आर्य विदेशी हैं।
“कम्यूनिस्ट, पश्चिम के स्कॉलर तथा हमारे यहां के पैसों से बिकने वाले लोग हमें हमारी जड़ों से काटने में लग गए। हमारी पहचान हमारा देश होता है, हमारी जाति, धर्म, पार्टी या समाज नहीं।”
इन्द्रेश कुमार ने राष्ट्रीय पहचान पर जोर देते हुए कहा कि हम कहीं विदेश में जाते हैं तो वहां के लोग हमें हमारे देश के नाम से ही पहचानते हैं। इसी प्रकार हम भी अमेरिका, रूस, कोरिया, जापान, तुर्की या चीन से आए लोगों को उनके देश के नाम से ही जानते हैं। विदेश में कोई किसी की जाति, समाज या पार्टी नहीं पूछता। आर्यावर्त, भारत, हिन्द, हिन्दुस्तान, इंडिया ये नाम देश को प्रतिध्वनित करते हैं। इसी आधार पर दुनियाभर के लोग हमें आर्य, भारतीय, हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तानी कहते हैं। मुसलमान भी जब मक्का जाते हैं, तो वहां उनको हिन्दी मुस्लिम या इंडियन मुस्लिम कहकर ही पुकारा जाता है। यही सार्वभौमिक सिद्धांत है।
पाकिस्तान खुद टूट रहा
इन्द्रेश कुमार ने आगे कहा कि ज्ञान लुप्त होता है, तो विज्ञान का भी गला घुटता है। किसी देश को गुलाम बनाना है तो उसे उसका अतीत भूला दो, उस पर बौद्धिक हमला कर भ्रमित कर दो। 47 के पहले पूरे भारत में गवाही की कीमत एक समान थी। एक मर्द मुसलमान एक गवाही, एक औरत मुसलमान एक गवाही। आजादी के बाद भारत में तो वही पद्धति रही किन्तु पाकिस्तान में औरत की गवाही आधी हो गई। एक मर्द की गवाही एक गवाही, किन्तु एक औरत की गवाही, आधी गवाही। इसी प्रकार अगर मुसलमान को पांच टाइम नमाज पढ़नी है, तो आजादी के पहले वह अपने घर, दूकान अथवा बाजार में जहां चाहे नमाज पढ़ सकता था। किन्तु आजादी के बाद, भारत में तो वह कहीं भी नमाज पढ़ सकता है, लेकिन पाकिस्तान में अगर वह किसी सार्वजनिक स्थान पर नमाज पढ़े तो पुलिस पकड़ ले जाएगी। उसे पाकिस्तान में आजादी नहीं, यहं भारत में आजादी है। 
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में पख्तून, बलूच, सिन्ध, बाल्टिस्तान, सबमें आजादी की मांग उठ रही है। इसकी मांग करते-करते लाखों लोग मारे भी जा चुके हैं।
“किसी की नफ़रत के सहारे कोई भी देश अपने को कायम नहीं रख सकता। यह हैरत की बात है कि जो पाकिस्तान खुद टूट रहा है, उसके जिंदाबाद के नारे लगानेवाले, भारत के टुकड़े होने के ख़्वाब देख रहे हैं। ”
 

कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य के वायदे के साथ विश्वासघात किया    
संघ प्रचारक ने कहा कि आज अगर कुछ लोग भारत को तोड़ने की बात करते है, इसका अर्थ है कि वे भारत को प्यार नहीं करते। जो भारत को प्यार नहीं करते, वे भारत में रह क्यों रहे हैं? अगर वे पाकिस्तान जाएं तो हमें क्या आपत्ति? एक नेता कहते हैं कि हमें आरएसएस देशभक्ति न सिखाए, उन्होंने आजादी के लिए क्या किया? तो सवाल उठता है कि उन्होंने स्वयं देश की आजादी के लिए क्या किया? उनके पूर्वजों ने किया, तो प्रत्येक देशवासी के पूर्वजों ने भी किया।
इन्द्रेश कुमार ने सवाल पूछते हुए कहा कि देश की आजादी के लिए जो दस बीस लाख बलिदान हुए, क्या वे सब कांग्रेसी थे? उन्होंने कहा कि
“आजादी के पहले देश का बंटवारा हुआ। बंटवारा स्वीकार करने के बाद ही आजादी मिली। कांग्रेस ने रावी के तट पर कसम खाई थी- अखंड भारत की। आपने वायदा किया था अखंड भारत का। आपने पूर्ण स्वराज्य के वायदे के साथ विश्वासघात किया।”
 
आजादी की लड़ाई आपके पुरखों ने लड़ी, तो हमारे पुरखों ने भी लड़ी। हां, हमने देश नहीं बेचा, जबकि आप आजादी के बाद से ही लगातार देश को बेचने का धंधा करते रहे। हद तो तब हो गई, जब आप मकबूल, याकूब, अफजल, कसाब के कातिल ज़िंदा हैं, हम शर्मिन्दा हैं, जैसे नारे लगाने वालों के साथ जाकर खड़े हो गए। जरा सोचिए, राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज की, तो क्या वे कातिल हो गए? सारी न्यायपालिका व न्यायाधीश भी कातिल हो गए? जब फांसी हुई तब राज कांग्रेस का था, तो कांग्रेस भी कातिल? तो इनकी गिरेबान पकड़कर क्यूं नहीं पूछना चाहिए कि आखिर तुम्हें कातिल बतानेवालों के साथ जाकर तुम कैसे और क्यों खड़े हो गए? उन्हें बदनाम करने की जरूरत नहीं है, उन्हें चिढ़ाओ, ताकि वे ठीक हो जाएं।
इन्द्रेश कुमार ने कह कि ईश्वर ने बड़ी कृपा की, जो जेएनयू की राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को उजागर कर दिया। हमें तय करना होगा कि न तो हम पाप करेंगे, न अपनी आंखों के सामने पाप होने देंगे। कायर और कमजोर नहीं, निडर और बलशाली बनना होगा। अगर कोई देश के विरुद्ध नारा लगा रहा है तो क़ानून से क्या पूछना? देशद्रोह को बढ़ावा देनेवाला बौद्धिक वर्ग, बौद्धिक आतंकवादी है। कितनी ईमानदारी से ये लोग बेईमानी कर रहे हैं। 

इसके पूर्व गोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रख्यात साहित्यकार व धर्मपाल शोधपीठ के संयोजक रामेश्वर मिश्र ‘पंकज’ ने कहा कि देश में कुछ बौद्धिक लम्पटों को सरकारों का संरक्षण मिला, जो लगातार देश की बुनियाद को खोखला करते रहे। हम विदशी धन पर आश्रित मीडिया पर ध्यान ही क्यों दें? उनकी चर्चा ही क्यों करें? आज कि मैन स्ट्रीम मीडिया है, सोशल मीडिया। उस पर हम सवाल उठाएं कि देशभक्ति को दंडनीय कैसे कहा जा सकता है? भारत की वीरता को कुंठित क्यों किया जा रहा है? देशप्रेम की भावना, उसके प्रति संवेदनशीलता तो पुरष्कृत होना चाहिए।  
रामेश्वर मिश्र ने कहा कि हम भी नारा लगाएं- देशद्रोह से आजादी, गद्दारों से आजादी, गद्दारों को पीटने की आजादी। हमें अपना अभिमत रखना आना चाहिए, दूसरों का जबाब नहीं देते रहना चाहिए। अगर समाज में थोड़े लोग भी जागरूक हो जाएं तो वे अपने सामर्थ्य से सबको बहा ले जाएंगे। राष्ट्रभक्ति को जागृत करें। इस समय लोग खुली बहस की वकालत कर रहे हैं, हम भी उसका फायदा उठाएं। देशद्रोहियों को पीटने का हक है, यह मांग वातावरण में फ़ैलने दीजिए। फिर हाल देखिए इन लफंगे बौद्धिक आतंकवादियों का।

शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

एकांत में आत्म साधना, लोकान्त में सेवा परोपकार, ऐसा अपना जीवन होना चाहिये – डॉ. मोहन भागवत जी

एकांत में आत्म साधना, लोकान्त में सेवा परोपकार, ऐसा अपना जीवन होना चाहिये – डॉ. मोहन भागवत जी

discussion1डेंकानाल, उड़ीसा (विसंकें). माघ मेले की संध्या पर महिमा धर्म पीठ में धर्मसभा का आयोजन किया गया. इस दौरान महिमा समाज से साधु रघुनाथ बाबा, साधु पवित्र बाबा सहित अन्य पूज्य संत उपस्थित थे. सभा के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने दो पुस्तकों का लोकार्पण भी किया. कार्यक्रम के दौरान सह सरकार्यवाह वी भगैय्या जी, क्षेत्र कार्यवाह गोपाल प्रसाद महापात्र, क्षेत्र प्रचारक प्रदीप जोशी जी उपस्थित थे. सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि पहले पहल अजीत महापात्र व सुदर्शन जी के मुख से महिमा की महिमा सुनी, तो ऐसा लगा कि अपने देश में समय-समय पर सनातन धर्म को सत्य रूप में प्रवाहित करने वाली जो धाराएं चलती हैं, उसमें महिमा धर्म भी एक है. इसलिए वहां जाकर दर्शन करना चाहिये, उसे समझना चाहिये.

उन्होंने कहा कि अभी हम सब लोग अपने सुख का विचार करते हैं. लेकिन सुख क्या है, हमको पता नहीं है और सुख प्राप्त करने के लिये बहुत सारे प्रयत्न करते हैं, लेकिन किस प्रयत्न से सुख मिलता है, हमें वो भी पता नहीं. ये कोई अपनी बात नहीं, पूरी दुनिया की बात है. 2000 वर्षों से सुख के लिये अनेक प्रयास करके पूरी दुनिया थक गई है और भारत की ओर देख रही है. क्योंकि भारत ने कभी दुनिया में अपने आप को ऐसा खड़ा किया था. सोने की चिड़िया भारत, भरपूर अमीरी थी, भरपूर नीति थी. वो भारत वैभव संपन्न था, नीति संपन्न था. विद्या का स्थान था, तक्षशिला, नालंदा और अनेक विद्यापीठ थे. सारी दुनिया के लोग भारत में पढ़ने के लिये आते थे. ऐसा अपना देश था, यह इतिहास को मालूम है. अपना इतिहास हम नहीं जानते, हमको पढ़ाया भी नहीं जाता जो पढ़ाया जाता है वो उल्टा इतिहास पढ़ाया जाता है. सत्य बताने वाला भी कोई नहीं है, लेकिन दुनिया को सत्य इतिहास पता है. साधन संपन्नता के बावजूद संयम के साथ जीवन जीते थे, ऐसा अपना ज्ञान था. आज दुनिया उसी ज्ञान की ओर देख रही है. हमें अपना ज्ञान लेकर खड़ा होने की आवश्यकता है, अपने जीवन से सिखाने की जरूरत है.

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सरसंघचालक जी ने कहा कि वास्तविक सत्य समय से भी परे है, वो समय के साथ नहीं बदलता. समय बदल जाता है, सत्य शाश्वत है. जिनके पास वास्तविक सत्य नहीं, वो समय के परे होकर शाश्वत नहीं हो सकता. एक अपने भारत का सनातन का विचार ऐसा है, धर्म का विचार ऐसा है, जिसके मूल में सत्य है. उसका समय के साथ नष्ट होने का प्रश्न ही नहीं आता. सबमें एक ही परब्रह्म है, सभी प्राणियों में एक ही का रूप है, सबके अंतः (भीतर) में है. उसे पाना ही सुख है, वो समय के साथ नष्ट नहीं होता, सदा रहने वाला है, और आनंदमय है. बाकि सुख कुछ दिन सुख देंगे, बाद में नष्ट हो जाएंगे.

sadhu-1उन्होंने कहा कि दुनिया वास्तविक सत्य पर विचार करने के लिये मजबूर क्यों हुई. दुनिया असत्य सुख के पीछे, माया के पीछे ज्यादा दौड़ी. सत्य को छोड़कर असत्य के पीछे भाग रही थी, तो सुख कैसे प्राप्त होता. जिस प्रकार पेड़ हवा आने पर झुकता है, फिर अपनी स्थिति में आ जाता है. जो पेड़ जड़ को मिट्टी में बिना हिलाए स्थिर रखता है, वही टिकता है. दुनिया ने सत्य की जड़ छोड़ दी, और असत्य की हवा में एक बार झुक गए तो झुके ही रहे, गिरते ही चले गए. इसीलिए दुनिया को सुख नहीं मिला, सब प्रयोग कर देखे, पर कोई सुख नहीं मिला. अब दुनिया को अपेक्षा है कि भारत कोई रास्ता दिखाए. पर्यावरण पर विश्व मंच की बैठक हुई, उसकी एक सीडी निकली है. उसमें अधिकांश वेदों की ऋचाएं, उपनिषदों के मंत्र हैं. क्यों, क्योंकि दुनिया जानती है कि पर्यावरण और विकास को साथ चलाने की कला सत्य के आधार पर चलने वाले हिन्दू विचार में ही है. दुनिया का मार्गदर्शन करने के लिए हम सब लोगों को तैयार होना चाहिये.
 
उन्होंने कहा कि उस वास्तविक सत्य को देखने के लिये तपश्चर्या करनी पड़ती है, बहुत कीमती वस्तु है, उसकी कीमत चुकानी पड़ती है. ऐसे सत्य को जानने वाले लोग, जो सत्य तक पहुंचे हैं, अपने जीवन से उदाहरण देने वाले लोग, समाज को आत्मीय मानकर समाज में सत्य जगाने की चेष्टा परिश्रमपूर्वक, पदक्रमण पूर्वक करते रहे हैं, वो हमारी संत शक्ति है. आत्मा ही परमात्मा है, आत्मा का साक्षात्कार सर्वोच्च जीवन लक्ष्य है. यह हमारे भारतीय समाज की पहचान का अंग है.

 दूसरा हमारी मान्यता है कि सुख दुःख जो हम कहते हैं, ये अपनी ही करनी है. जैसा कर्म करोगे, वैसा भरोगे. कर्म ठीक करो, तुम्हारा जीवन ठीक हो जाएगा, तपश्चर्या का कर्म शुद्ध नीति से करो, तुम्हें सत्य मिल जाएगा. एकांत में आत्म साधना, लोकान्त में सेवा परोपकार, ऐसा अपना जीवन होना चाहिये. क्योंकि कर्म के परिणाम भुगतने पड़ते हैं, उससे छुट्टी नहीं होती. हमारे पूर्वजों ने भी कहा कि सारा समाज संतों का अनुसरण करे, उनके उपदेशों पर चलकर सत्य को पाए, और समाज, दुनिया, मानवता की सेवा अपना कुटुंब मानकर करे.


भागवत जी ने कहा कि लेकिन समय बदलता है तो सत्य की विस्मृति हो जाती है, हमें भी विस्मृति हो गई. पर, कृपा है उस परब्रह्म परमात्मा की, सत्य को याद दिलाने वाले सदा आते रहे और यह सत्य धर्म हमको बताते रहे. उस सत्य धर्म को समाज को बताने का काम महिमा समाज के सभी श्रद्धेय संत बहुत तपश्चर्या पूर्वक कर रहे हैं. पूरे समाज से आह्वान करता हूं कि इसको एक धारा न मानें, यह हमारे अस्तित्व की पहचान की ही पूरी की पूरी एक स्वरूप श्लाका है, इसको पूरा सहयोग दीजिये. इसके तत्व अपने सनातन धर्म के सत्य तत्व हैं, उसको आचरण में लाइये, साथ ही सहयोग भी कीजिए. साथ ही संतों से करबद्ध प्रार्थना है कि जल्द विस्तारित हों, पूरे समाज तक पहुंचें, सबको बांटिये. सभी को सत्य तत्व की आवश्यकता है. ये होगा तो भारत समर्थ बनेगा, अपने जीवन से सारी दुनिया को नई सुंदर दुनिया बनाने की राह दिखाने वाला भारत खड़ा होगा. और वह दिन सारी दुनिया के लिये मंगल कुशल का दिन होगा.

हमने सत्ता के अनुगामी समाज को नहीं देखना है, अपने यहां सत्ता समाज का एक साधन है और साधन ने अपना काम ठीक करना चाहिये, ये देखने वाला समाज है. जितना कर्तव्य सरकार का है, वो उसको करना है. पर, हम उस पर निर्भर क्यों हो जाएं. सारी दुनिया को धारण करने वाले की उपासना हम करते हैं. हमारी धारणा करने के लिये दूसरा क्यों चाहिये, हम अपनी धारणा करेंगे. धर्म मनुष्य को सुखी बनाता है, धर्म मनुष्य को सत्यान्वेशी बनाता है, धर्म मनुष्य को स्वावलंबी भी बनाता है.

साभार:vskbharat.com

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016

स्वयत्ता की रक्षा अनुशासन में ही है - अजय कुमार भागी

स्वयत्ता की रक्षा अनुशासन में ही है - अजय कुमार भागी

नई दिल्ली, 25 फरवरी, (इंविसंके) जेएनयू में 9 फरवरी, 2016 को घटित राष्ट्र विरोधी घटना के विरोध में एनडीटीएफ के द्वारा कांस्टीट्यूशन क्लब में प्रेस वार्ता आयोजित की गयी. प्रेस वार्ता में पत्रकारों को संबोधित करते हुए एनडीटीएफ के अध्यक्ष तथा दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के इलेक्टेड काउंसिल मेम्बर अजय कुमार भागी ने बताया कि अपनी स्वायत्ता को बचाने का सबसे अच्छा तरीका होता है कि हम स्वयं अनुशासित रहें. स्वायत्ता के नाम पर कुछ भी, चाहे वह अराष्ट्रीय कार्य ही क्यों न हो, उसे करने के बाद कहा जा रहा है हमारे ऊपर हमला हो रहा है. तो उस बात को न्यायोचित नहीं कहा जा सकता. यह सेल्फ डिटरमिनेशन से बच रहे हैं. इसलिए हम व्यापक जाँच की बात कर रहे हैं. हम सिर्फ उस घटना की, उस समय क्या स्थिति थी, उस समय कौन-कौन से अराष्ट्रीय लोग वहां मौजूद थे, उनमें से इस घटना के लिए कौन-कौन जिम्मेदार हैं, इसकी जांच की मांग कर रहे हैं. जिस तरह के नारे वहां लगाए गए, देश के खिलाफ लगाये गए इन नारों से भीड़ में वहां उत्तेजना से जान-माल के नुकसान की कार्यवाही भी हो सकती थी. क्या यह जरूरी है कि जब जान-माल का नुकसान हो जाता तब केस फाइल किया जाता. यहाँ केवल चार लोगों के बीच अलग से नारे नहीं लगे थे, वहां सौ के लगभग विद्यार्थी थे, किसी भी तरह उत्तेजना अगर वहां भड़क जाती तो स्थिति खतरनाक हो सकती थी.

उन्होंने बताया कि हम तीन मुद्दे ध्यान में लाना चाहते हैं. पहला, अभिव्यक्ति और बोलने की स्वतंत्रता और जो तमाम स्वतंत्रता लोकतंत्र में दी गयी हैं हम उसके पक्षधर हैं. परन्तु संविधान में जो उसकी सीमा परिभाषित की गयी है, उसकी रक्षा करनी चाहिये, अपनी स्वायत्ता बचाने के लिए उसका ध्यान रखना चाहिये. दूसरी बात, जो घटना इस 9 फरवरी को जेएनयू में हुई है उसमें दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त से सख्त कार्यवाही हो. यह कोई अचानक अकेली घटना वहां नहीं हुई है बल्कि 1995 से लेकर बार-बार छोटी बड़ी इस तरह की घटनाएं वहां होती रही हैं, और यह खुल करके अब वहां सामने आई हैं. एक बार जब दंतेवाडा में माओवादियों द्वारा 76 सीआरपीएफ के जवानों को मार दिया गया था तो उस समय भी यहाँ जेएनयू में ऐसी घटनाएं हुईं थी, उसे यहाँ सेलिबिरेट किया गया था, जिन्हें प्रिय नहीं कहा जा सकता. इस पर कोई कोम्प्रिहेंसिव इन्क्वायरी वहां हो, कोई ऐसा न्यायिक आयोग वहां बने या सरकार की तरफ से वहां कोई जांच कमेटी वहां बने जो यह देखे की क्या कारण हैं कि वहां कुछ ऐसे तत्व उस निश्चित दिन प्रकट हो गए या क्या उनकी वहां कोई सक्रिय सहभागिता है, या वहां कोई ऐसी चीज विकसित हो रही है जिससे इस तरह की घटनाएं हो रही हैं. यह हमारे तीन मुद्दे हैं.

कैंपस में इस तरह की घटनाएं न हों इस प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि सबसे कारगर तरीका होता है कि यूनिवर्सिटी सेल्फ डिसिप्लेन पैदा करे. अपने पैरामीटर तय करे, उसके बाद भी अगर वहां पर इस तरह की घटनाएं होती हैं तो उस आधार पर उसकी जाँच कर तय किया जाए कि उस पर क्या कार्यवाही हो.

उन्होंने बताया कि आज राष्ट्रपति महोदय को इस पर एक ज्ञापन दिया गया है जिस पर इन्ही तीन मुद्दों पर  दिल्ली विश्वविद्यायल के एक हजार शिक्षकों की सहमति के हस्ताक्षर हैं.

प्रेस वार्ता में श्री भागी के साथ अधिवक्ता तथा दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के सदस्य श्री राजेश गोगना, एनडीटीएफ के महासचिव डॉ. वीएस नेगी, दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के इलेक्टेड एकेडमिक काउंसिल मेम्बर और डूटा के कार्यकारी सदस्य खेमचंद जैन, सलोनी गुप्ता, जसपाली चौहान गीता भट्ट, विजेंदर कुमार, आर.एन दुबे, सुनील शर्मा, अशोक यादव, अनिल शर्मा और आनंद कुमार सम्मिलित थे.

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016

अनुशासन का मिला पाठ - शक्ति, भक्ति व समरसता का त्रिवेणी संगम

अनुशासन का मिला पाठ - शक्ति, भक्ति व समरसता का   त्रिवेणी संगम
दुनिया की सभी समस्यो का हल भारतीय संस्कृति के अनुसरण  से ही होगा - जसवन्त जी खत्री
संगम का विहंगम दृश्य
पथ संचलन का दृश्य

मंच का दृश्य

मंच पर विराजित  सन्तगण  

पाली २२ फ़रवरी २०१६।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पाली द्वारा  कल रविवार को त्रिधारा पथ संचलन व विराट हिन्दू सम्मेलन का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम को लेकर शहर मे पिछले कई दिनो से  जोर शोर से तैयारीया चल रही थी तथा कार्यक्रम को लेकर समाज के सभी वर्गो मे जबरदस्त उत्साह दिखा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पाली नगर के संघचालक नेमीचन्द अखावत ने बताया कि कल आयोजित होने वाले कार्यक्रम मे तीन  पथ संचलन:- शक्ति, भक्ति व समरसता शहर के तीन स्थान क्रमशः चीमाबाई संचेती स्कूल इन्द्रा काॅलोनी ,बालिया स्कूल, रजत नगर रामदेव रोड़ से  प्रारम्भ हुए  । यह पथ संचलन  शहर के विभिन्न मार्गो सें गुजरते हुए सूरजपोल पर पहुचे, जहाॅ  इन तीनो संचलन -शक्ति, भक्ति व समरसता का ठीक 3 बजकर 21 मिनट 40 सैकण्ड पर  सूरजपोल पर संगम हुआ।  तीनो संचलन एक साथ विराट हिन्दू सम्मेलन स्थल राजकीय बांगड स्कूल खेल मैदान की तरफ बढे, जहा विराट हिन्दू सम्मेलन का आयोजन हुआ।

विराट हिन्दू सम्मेलन मे अध्यक्षता शान्तिदूत विश्वगुरू महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी महेश्वरानन्दपुरी जी महाराज ने की एवं कार्यक्रम मे मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख जसवन्त जी खत्री थे ।

कार्यक्रम का शुभारम्भ संघ की  प्रार्थना, काव्यगीत के बाद शान्तिदूत विश्वगुरू महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी महेश्वरानन्दपुरी जी महाराज के अध्यक्षीय उदबोधन के साथ हुआ महाराज जी ने हिन्दू संस्क्रति का महत्व बताते हुए, बच्चो को अपनी मातृ भाषा के ज्ञान पर ध्यान देने का आहवान किया।  महामंडलेश्वर स्वामी महेश्वरानंद ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुये कहा कि आज का दिन देशभक्ति, धर्मरक्षा आदि के लिए शुभ है। वेदों में कहा गया है धर्मो रक्षित रक्षितः। धर्म एक होता आदि अनादिकाल से।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख जसवन्त जी खत्री ने अपने उध्बोधन में कि  दुनिया  मे दो संस्कृति के लोग है, एक वो जो कहते है कि जो हम कहे, जो हम पहने, जो हमारी परम्परी है, बस वो ही सही है बाकि सब गलत है और जो उसका विरोध करेगा तो उसके जीने के अधिकार को समाप्त कर देगे, वर्तमान मे आतंकवाद की समस्या इसी विचाराधार पर आधारित है ।  उन्होने बताया कि भगवान राम के पुत्र लव का लाहौर आज  आंतकवाद का गढ बना हुआ है। वर्तमान समय  मे दो ही समस्याए है एक तो आतंकवाद और दुसरा प्राकृतिक प्रदुषण। हमें आतंकवाद से अपने को बचाना हैं और प्रकृति की रक्षा करनी है। कण कण में भगवान हैं जिस विचार में सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मां कश्चिद् दुःख भाग भवेत। यह सही है। नारी शक्ति का सम्मान करो।

जसवन्त जी खत्री ने  अपने सम्बोधन में बताया कि हिन्दुस्तान ज्ञान का केन्द्र है पुरातन समय में भी यहां अध्ययन करने के लिए बाहर से छात्र आते थे। भारत की प्राचीनता, अखंडता, ज्ञान, शक्ति अपार थी। यहां के राजा भगवान शिव की आराधना करते थे फिर जाकर युद्ध के मैदान में लड़ाई लड़ते थे। ऐसा था हमारा भारत। भारत दुनियां का प्राचीन देश है ।

दुनिया की आबादी की चार प्रतिशत की आबादी वाले देश अमेरीका का दुनिया के संसाधनो के उपयोग मे 44 प्रतिशत की भागदारी है। उन्होने बताया की दुनिया की सभी समस्यो का हल भारतीय संस्कृति के अनुसरण  से ही होगा। उन्होने ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डाॅ केशव बलिराम हेडगेवार  कांगे्रस के ही बहुत सक्रिय कार्यक्रता थे, उनके मन मे हमेशा एक ही प्रश्न रहता था कि एक शक्तिशाली भारत  गुलाम क्यो  हुआ और आत्मविश्षलेण कर  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कि नीेवं रखी ।

 इससे पूर्व सूरजपोल पर दोपहर ३ बजकर २१ मिनट ४० सेकंड पर  त्रिवेणी संगम हुआ , जिसका दृश्य देखते ही बन रहा था।  जनता पुष्प वर्षा कर स्वागत कर रही थी।  १०० से अधिक स्थानो पर पथ संचलन का स्वागत हुआ। कई स्थानो पर स्वागत द्वार भी बनाये गए थे।

 त्रिवेणी संगम में ३ धाराएं थी।  प्रथम धारा "शक्ति"   चीमा बाई  स्कूल से रवाना होकर आशीर्वाद बालाजी , इंद्रा कॉलोनी चौराहा , भूरि स्कूल, शिवजी चौराहा , सीरवी छात्रावास  श्रीयादे मंदिर  द्वितीय "धारा"  भक्ति बालिया स्कूल से रवाना होकर डागाजी की मूर्ति, ओबीसी बैंक के पीछे, खटीकों का बास, गजानंद मार्ग, बादशाह का झंडा, सर्राफा बाजार, गुलजार चौक, पुरानी सब्जी मंडी सोमनाथ मंदिर और तीसरी  धारा "समरसता" रजत नगर से रवाना होकर बाबा रामदेव मंदिर, गांधी कॉलोनी, पीठ का बास शनि मंदिर, सिंधी कॉलोनी तिराहा, पानी दरवाजा, भैरुघाट, भीलों का बास श्रीनाथ स्वीट्स होते हुए सूरज पोल पहुंची. पथ संचलन संगम स्थल से  अहिंसा सर्कल, कलेक्ट्रेट रोड होते हुए बांगड़ स्कूल मैदान पहुंचा। 

पथ संचलन को लेकर शहरवासियाें में भी काफी उत्साह नजर आया। जहां से भी पथ संचलन निकला नागरिकों ने वंदे मातरम एवं भारत माता के जयकारों से उनका स्वागत किया। लयबद्ध घोष वादन की मधुर धुनों के साथ निकले पथ संचलन से एक बारगी पूरा शहर रोमांचित हो गया। 

पथसंचलन में  घोष वादन के कुल 9 दल बनाए गए थे। घोष वादकों ने बिगुल ड्रम के साथ श्रीराम अजय धुन बजाकर सभी को अपनी ओर आकर्षित किया। कई जगहों पर लोगों ने करतल ध्वनि से घोष वादकों का स्वागत किया। 

 विभाग संघ चालक कमलकिशोर गोयल, नगर संघ चालक नेमीचंद अखावत मंच पर विराजित थे।  कार्यक्रम के अन्त मे पाली नगर के संघचालक नेमीचन्द अखावत ने सभी का धन्याद ज्ञापित किया ।



 

सोमवार, 22 फ़रवरी 2016

गाय को राष्ट्रीय प्राणी घोषित करें - शंकरलालजी, अखिल भारतीय गौ सेवा प्रमुख


गाय को राष्ट्रीय प्राणी घोषित करें - शंकरलालजी, अखिल भारतीय गौ सेवा प्रमुख
गाय का घर गौ शाला नही किसान का  घर हैं - ओटाराम जी देवासी




अखिल भारतीय गो सेवा प्रमुख माननीय शंकरलाल जी उध्बोधन देते हुए


जोधपुर,21 फरवरी 2016. गो विज्ञान अनुसंधान समिति के राज्य स्तरीय प्रतिभा सम्मान समारोह ओर जनचेतना समागम में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के अखिल भारतीय गो सेवा प्रमुख माननीय शंकरलाल जी ने कहा कि गाय को राष्ट्रीय प्राणी घोषित किया जाए। खचाखच भरे मेडिकल काॅलेज के सभागार में उपस्थित प्रतिभागियों और सम्मानित नागरिकों को सम्बोधित करते हुए शंकरलाल जी ने कहा कि गो माता विलक्षण प्राणी हैं इसका सर्वधन और संरक्षण अति आवश्यक हैं। उन्होंने बैलों को परिवहन के रूप में उपयोग, समाधि खाद, सींग खाद आदि कई उत्पादों की चर्चा की। उन्होंने नंदी बैल के संरक्षण के भी सरकार से अपिल की।

इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि नवरंग लाल जी शर्मा ने गाय से सम्बन्धित 18 बिन्दुओं पर चर्चा कि उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि गाय का दूध दो प्रकार का होता है। ए 1 व ए 2 जिसमें से ए 1 दूध हानिकारक होता है जबकि ए 2 दूध लाभदायक होता है। जिसे अलग से पैकिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने गोबर व गो मूत्र आधारित कम लागत की खेती पर जोर दिया। वैकल्पिक ऊर्जा के लिए गोबर गैस प्लाण्ट का सरलीकरण व पंचगव्य उत्पादों के प्रमाणीकरण कि आवश्यकता बताई।

इस अवसर पर राजस्थान सरकार के गो पालन एवं देव स्थान विभाग के राज्य मंत्री ओटाराम जी देवासी ने कहा कि गो विज्ञान समिति बहुत-बहुत बधाई कि पात्र हैं जिन्होंने गो परीक्षा के माध्यम से विद्यालय बच्चों में अच्छे संस्कारों का प्रवाह किया हैं। सरकार ने राजस्थान में गो पालन विभाग का गठन किया हैं। मैंने दिल्ली में भी यह प्रस्ताव रखा है कि गो पालन विभाग पूरे भारत में बनाया जाए ताकि अच्छे नस्ल की गायें और बैल प्राप्त हो सके। गाय हमारी माँ है गाय का घर गौ शाला नही किसान का  घर हैं। प्रत्येक किसान संकल्प ले लें । वह चार-पाँच गायों का पालन करे तो इस देश में फिर से दूध घी की  नदियाँ बह सकती हैं। प्लास्टिक एक समस्या हैं जिसे जन जागरण द्वारा ही दूर किया जा सकता हैं।

श्री 1008 महामण्डलेश्वर दाती महाराज मदन जी राजस्थानी सम्बोधित करते हुए 
इस अवसर पर अपने ओजस्वी भाषण में श्री 1008 महामण्डलेश्वर दाती महाराज मदन जी राजस्थानी ने कहा कि भारत कि सनातन संस्कृति महान हैं हम पर आज अति आधुनिकता हावी हो गई हैं। इसे बचाना होगा अन्यथा हमें विनाश के लिए भी तैयार रहना होगा।

शनिधाम ट्रस्ट राजस्थान में गौ शालाएँ बना रहा हैं। उन्होंने बच्चों से भारत की सनातन संस्कृति  और भारत की माटी से प्यार करने  की बात कहीं। 

इस अवसर पर गो विज्ञान अनुसंधान परीक्षा में राज्य, जिला, तहसील और जोधपुर प्रान्त पर प्रथम, द्वितीय व तृतीय आने वाले सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र वितरित किए गए। 

इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत प्रान्त संयोजक कैलाश जोशी ने किया। परीक्षा प्रतिवेदन ओमप्रकाश गौड ने प्रस्तूत किया। धन्यवाद ज्ञापन क्षैत्रिय अध्यक्ष गोविन्द प्रसाद सोडानी ने किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रिय प्रचारक दुर्गादास जी , प्रान्त कार्यकारिणी के चन्द्रशेखर जी , विभाग प्रचारक धर्मेन्द्र सिंह जी , भाजपा जिला अध्यक्ष देवेन्द्र जोशी, जोधपुर शहर विधायक कैलाश जी भंसाली, स्वदेशी जागरण मंच के प्रदेश संयोजक धर्मेन्द्र दुबे, सुदर्शन सेवा समिति के राधा किशन राव एवं जिला शिक्षा अधिकारी चेतन प्रकाश सैन, मंगलाराम मेघवाल, ओमसिंह राजपुरोहित, ओम प्रकाश चारण सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

   

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

सुदर्शन सेवा संस्थान द्वारा 101 युगल का सामुहिक पाणिग्रहण संस्कार सम्पन्न

सुदर्शन सेवा संस्थान द्वारा  101 युगल का सामुहिक पाणिग्रहण संस्कार  सम्पन्न 

मंच का एक दृश्य

नवदम्पतियों  का एक सामूहिक दृश्य



जोधपुर।  सुदर्शन सेवा संस्थान द्वारा संचालित सर्वजाति सामुहिक विवाह समिति के तत्वावधान मे बसन्त पंचमी को आदर्श विद्या मन्दिर केशव परिसर मे विभिन्न जाति बिरादरी के 101 युगल का सामुहिक पाणिग्रहण संस्कार संस्थान के अध्यक्ष रतन लाल गुप्ता के नेतृत्व मे किया गया।


 समारोह का शुभारम्भ राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के वरिष्ट प्रचारक नन्दन लाल जी ने दीप प्रजवलित कर किया। इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरूण चतुर्वेदी व महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्री श्रीमति अनिता भदेल मुख्य अतिथि के रूप मे उपस्थित थे।  राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ के  प्रान्त प्रचारक मुरलीधर जी ,प्रान्त संघचालक ललित जी  शर्मा, जोधपुर के सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत, विधायिका सूर्यकान्ता व्यास, विधायक कैलाश भंसाली व बाबू सिंह राठौड़, महापौर घनश्याम  ओझा,उप महापौर देवेन्द्र सालेचा ,समाज सेवक डा.राम गोयल ने वरवधुओं को आशीर्वाद  प्रदान किया। 

कार्यक्रम के प्रारम्भ मे समिति के पुखराज चोपडा, हिरालाल कुलरिया, नथमल पालीवाल, निर्मल गहलोत, रामस्वरूप गोधा, गौतम जीरावला, भंवरलाल पंचारिया,शिवरतन राठी, रतनलाल छाजेड,शैलाराम सारण, ज्ञानेश्वर भाटी, अशोक बाहेती ने अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। मंच संचालन संजय अग्रवाल द्वारा किया गया।

महामंत्री कमलेश गहलोत समिति के उद्देश्य गतिविधिया बताते हुए
समिति के महामंत्री कमलेश  गहलोत ने बतलाया कि समाज मे समाजिक समरसता की स्थापना करने हेतु सुदर्शन  सेवा संस्थान की और से 12 फरवरी बसन्त पंचमी को सर्वजाति सामुहिक विवाह का आयोजन किया गया । जिसमे 23 जाति बिरादरी के 101 युगल ने सामुहिक रूप से पाणिग्रहण संस्कार ग्रहण किया। उन्होने बतलाया कि 51 दूल्हो की बारात जुना खेडापति बालाजी व 50 दूल्हो की बारात रावण चबूतरा से प्रातः 9.30 बजे रवाना हुई। जिसमे लगभग दस हजार बाराती सम्मिलित हुए। रंगरंगीले साफे पहने बाराती  बैण्ड की धून पर नाचते गाते चल रहे थे। बारात मे महिलांए मंगल गीत गाती हुई स्वर लेहरियों की छठा बिखेर  रही थी। सर्वाधिक उत्साह बारात मे सम्मिलित युवाओं मे नजर आ रहा था जो नगारो की थाप पर अपने पैर थिरकते हुए उत्साहवर्धन हो रहे थे। प्रातः 11 बजे बारात आदर्श विद्या मन्दिर प्रागंण पहूॅची जहा समिति के पदाधिकारियों ने बारात का पुष्पवर्षा से भव्य स्वागत किया। बारात स्वागत पश्चात मंच पर वरमाला रस्म हुई । सभी युगल ने एक दूसरे के गले मे हार पहना कर एक दूसरे के हमराह बने।

सामूहिक विवाह की बारात का एक दृश्य
बिन माता पिता की 9 वधुएँ , बिन पिता की 18 वधुए , बिन माँ के २३ वधुएँ , 1  निःशक्त वधु एवं 1 बेसहारा वधु का पाणिग्रहण संस्कार इस कार्यक्रम में हुआ।

पण्डित राजेश  दवे के आचार्यत्व मे 125 आचार्यो ने सामुहिक रूप से वैदिक मंत्रोचारण कर 101 अलग अलग यज्ञवैदियों पर वर वधुओ को सात फेरे लगवा कर विवाह की समपूर्ण रस्म को विधि विदान से पूर्ण किया।

सामूहिक विवाह कार्यक्रम में परिवारजन एवं जन सामान्यजन
प्रवक्ता कैलाश कुमार ने बताया कि  विवाह स्थल पर महिला मण्डल द्वारा भव्य रंगोलियां सुसज्जित की गई।  भोजन की व्यवस्था 6 विशाल पंडाल मे की गई। जिसमे नगर सहः स्वंयसेवको ने व्यवस्थित रूप से वितरण व्यवस्था को सम्भाल कर रखा। प्रत्येक युगल के परिवार को ठहरने हेतु 101 केबिन स्थापित किये गये। स्वागत कक्ष से सभी सूचनाओं का उद्घोष किया गया। वरमाला रस्म हेतु 202 शाही कुर्सियों युक्त विशाल पंडाल बनवाया गया। नगर निगम अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम स्थल पर ही विवाह प्रमाण पत्र जारी किये गये। 


महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्री श्रीमति अनिता भदेल ने नवदम्पतियो को कन्या भ्रूण हत्या न करने का संकल्प करवाया। समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरूण चतुर्वेदी द्वारा प्रत्येक जोडे को 25 हजार अनुदान देने की घोषणा की गई। कार्यक्रम समापन के पूर्व बीएसएनएल की और से निशुल्क सिम का वितरण किया गया।

समिति अध्यक्ष रतन लाल गुप्ता व महामंत्री कमलेश  गहलोत ने कार्यक्रम की भव्यतम सफलता हेतु कार्यकर्ताओं,  प्रशासनिक अधिकारियों, पत्रकार बन्धुओ, नगर निगम सहित आमजन का आभार व्यक्त किया।


सामुहिक विवाह के नव दम्पति 


बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

अच्छा मनुष्य बनकर जीने की सीख देने वाली शिक्षा की आवश्यकता – डॉ. मोहन भागवत जी

अच्छा मनुष्य बनकर जीने की सीख देने वाली शिक्षा की आवश्यकता – डॉ. मोहन भागवत जी

Mohen Bhagwat Pic 3पुणे (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि युवाओं को केवल नौकरी हासिल करने लायक शिक्षा देने के बजाय अच्छा मनुष्य बनकर जीने की सीख देने वाली शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है. उन्होंने वर्तमान शिक्षा पद्धति को अनुपयुक्त करार दिया. उन्होंने सुझाव दिया कि पुणे में चिंचवड़ के पुनरुत्थान समरसता गुरूकुलम जैसी संस्थाओं के सफल प्रयोग पर गौर करके देश की शिक्षा नीति निर्धारित कर सकते हैं.

Mohen Bhagwat Picक्रांतिवीर चाफेकर स्मारक समिति की ओर से चिंचवड़ में संचालित पुनरुत्थान समरसता गुरूकुलम की दशकपूर्ति के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जिसमें पू. सरसंघचालक जी संबोधित कर रहे थे. पू. सरसंघचालक जी ने कहा कि शिक्षा मनुष्य की अनिवार्य आवश्यकता है और इस वजह से यह उसका बुनियादी हक भी है, लेकिन क्या वर्तमान शिक्षा पद्धति में मनुष्य के जीने की जरूरतें पूर्ण करने की क्षमता है, आज वर्तमान में कितने लोगों को शिक्षा का अधिकार प्राप्त हो रहा है. उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान की शिक्षा से मनुष्य न तो स्वाभिमानी बनता है, और न ही स्वावलंबी. मनुष्य को सम्मान के साथ जीना आना चाहिये. शिक्षा का मुख्य उद्देश्य हर व्यक्ति को मनुष्य की तरह जीना सिखाना होना चाहिये.

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उन्होंने कहा कि स्वाभिमानी लोगों को शक्तिहीन करने की शिक्षा पद्धति अंग्रेजों ने शुरू की और स्वतंत्रता के बाद भी हमने वही पद्धति जारी रखी. इससे समाज का नुकसान ही हुआ है, ऐसी शिक्षा बदलनी चाहिये. डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि समाज के उपेक्षित वर्ग को मुख्य धारा में लाने के लिये विशेष प्रयास होने चाहियें. गुरुकुलम जैसी संस्थाओं में जाकर उन्हें शक्ति प्रदान करें.
 
 सरसंघचालक जी ने बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा देने पर भी बल दिया.
Mohen Bhagwat Pic 1कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले डॉ. नरेंद्र जाधव, इंदुमति काटदरे, महेश शर्मा, सुनील देशपांडे, डॉ. प्रभाकर॰ रमेश पतंगे, लक्ष्मीबाई गोरडे, रविंद्र शर्मा, गणेश शास्त्री, शांति लाल, हेमेंद्र शहा, को सरसंघचालक जी ने सम्मानित किया. कार्यक्रम के दौरान अभिनव शैक्षणिक प्रयोग सिंहावलोकन पुस्तिका का विमोचन भी डॉ. मोहन भागवत जी ने किया. कार्यक्रम में सांसद अमर साबले, डॉ. विनय सह्स्रबुद्धे, संस्था के अध्यक्ष गिरीश प्रभुणे, सतीश गोरडे सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे.

केरल में संघ कार्यकर्ता की हत्या, 8 आरोपी हिरासत में

केरल में संघ कार्यकर्ता की हत्या, 8 आरोपी हिरासत में

downloadकन्नूर (केरल). केरल के कन्नूर जिले के पप्पीनीसेरी में सोमवार रात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता की कुछ लोगों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी. बदमाशों ने 27 वर्षीय सुजित को उसके घरवालों के समक्ष ही मौत के घाट उतार दिया. बदमाशों ने बीच बचाव करने आए सुजित के परिजनों पर भी हमला कर दिया, जिससे परिजन भी घायल हो गए. इसी हमले में कन्नूर जिला पंचायत के सदस्य वेणुगोपाल भी घायल हो गए हैं.

पुलिस मामले की जांच कर रही है और अब तक की कार्रवाई में 8 लोगों को हिरासत में ले चुकी है. बताया जा रहा है कि हथियारों से लैस कुछ हमलावरों ने सुजित के घर पर हमला बोला और मारपीट शुरू कर दी. बेटे को हमलावरों से बचाने की कोशिश करने पर सुजित के परिजन भी गंभीर रूप से जख्मी हो गए. उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाया गया है. पुलिस के अनुसार, सुजित के सिर और शरीर के बाकी हिस्सों पर गहरी चोटें आई थीं. इलाज के दौरान उसे बचाया नहीं जा सका.
कुन्नूर जिले में ही दिसम्बर, 2013 में बीजेपी नेता विनोद कुमार की भी हत्या कर दी गई थी और दो बीजेपी नेता बुरी तरह से घायल हो गए थे. विनोद भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे. भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि यह हमला सीपीआई (एम) के कार्यकर्ताओं ने सुनियोजित ढंग से किया है. घटना के बाद क्षेत्र में तनाव की स्थिति है, जिसके पश्चात जिले में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
साभार :: vskbharat.com

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित