गुरुवार, 10 जनवरी 2019

विहिप कार्याध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार का प्रेस वक्तव्य

नई दिल्ली. श्रीराम जन्मभूमि की अपीलों की सुनवाई एक बार पुन: टाल दी गई.
हमारा यह संदेह कि विरोधी पक्ष अनावश्यक बहाने बाजी से, अपीलों की सुनवाई को टालने का प्रयास करेंगा, सत्य सिद्ध हुआ.
यह कहा जाना कि पाँच सदस्यीय बेंच के गठन हेतु कोई न्यायिक आदेश पारित किया जाए, यह विरोध बेतुका है. क्योंकि, यह स्थापित सत्य है कि मुख्य न्यायाधीश ही मास्टर ऑफ रोस्टर होते हैं और वे स्वयं ही यह निर्णय करते हैं कि पीठ में कितने और कौन जज रहेंगे.
दूसरा, न्यायमूर्ति यूयू ललित के पीठ में रहने का विरोध कष्टकारक है. न्यायमूर्ति श्री यूयू ललित ने श्रीराम जन्मभूमि वाद में ना तो कभी निचली अदालत में और ना ही किसी अपील में भाग लिया. उनके द्वारा 1997 में अवमानना के सन्दर्भ में श्री कल्याण सिंह के वकील के रूप में शामिल होने का इन याचिकाओं से कोई सम्बन्ध नहीं है. यह विरोध मामले को षडयंत्र पूर्वक विलंबित करने के अलावा कुछ नहीं है.
इन सब परिस्थितियों में सुनवाई की तिथि को 10 से सीधा 29 जनवरी तक ले जाना भी बहुत लंबा है. हिन्दू समाज अपने धैर्य व सहनशीलता के लिए जाना जाता है. न्यायिक व्यवस्था का फिर भी यह दायित्व है कि वह मामले पर बिना किसी और देरी के अविलम्ब निर्णय दे. देश को उम्मीद है कि माननीय मुख्य न्यायाधीश, जो इस वर्तमान पीठ का नेतृत्व कर रहे हैं, सुनवाई में रोड़े अटकाने वाले विरोधी पक्षकारों के विरुद्ध कड़े निर्णय लेंगे.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दो सदस्यों का पीठ में मुस्लिम जजों के न होने से सम्बंधित विरोध भी बेहद कष्टप्रद है. न्यायाधीशों को भी साम्प्रदायिक आधार पर मामलों की सुनवाई करने के लिए कहा जाए, इससे बड़ी दुःखद स्थिति और क्या हो सकती है? इस मामले में पीठ में जजों की नियुक्ति बहुत ही तार्किक तरह से हुई है. इसमें उन न्यायाधीशों को सामिल किया गया है जो अपने कार्यकाल में ही मुख्य न्यायाधीश बनेंगे. ‘फोरम शोपिंग’ का प्रयास निंदनीय है.

रविवार, 25 नवंबर 2018

जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण हेतु कानून लाए सरकार : सरसंघचालक



जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण हेतु कानून लाए सरकार : सरसंघचालक

विहिप द्वारा आयोजित धर्म सभाओ में जुटे लाखों रामभक्तों ने भरी हुंकार

       नई दिल्ली, 25 नवंबर 2018 | विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा आज अयोध्या, नागपुर, मेंगलूरु, हुबली गुवाहाटी व शाहजहांपुर समेत देश में अनेक स्थानों पर आयोजित धर्मसभाओं में उपस्थित पूज्य संतों, धर्माचार्यों विहिप पदाधिकारियों व अन्य राम भक्तों ने एक स्वर में केंद्र सरकार से कहा कि श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की बाधाओं को अबिलम्ब दूर करे. उन्होंने कहा कि लगभग पाँच शताब्दियों से हिन्दू समाज भगवान श्रीराम की जन्मभूमि की मुक्ति के लिए संघर्षरत है जिनमें एक शताब्दी से अधिक समय न्यायालयों के चक्कर लगाने में व्यतीत हो गए फिर भी न्याय नहीं मिला. अब बारी रामभक्त सरकार की है कि वह जन भावनाओं का सम्मान करते हुए जन्मभूमि मंदिर का मार्ग प्रशस्त करे.
       भगवान श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, रामानंदाचार्य रामभद्राचार्य जी, स्वामी हंसदेवाचार्य, वासुदेवाचार्य युग पुरुष परमानंद तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह श्री कृष्ण गोपाल जी, विहिप उपाध्यक्ष श्री चम्पतराय ने कहा कि रामजन्मभूमि का विभाजन अस्वीकार्य है.  अब अयोध्या में राम के अलावा कुछ भी स्वीकार्य नहीं. 
       विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा नागपुर में बुलाई गई धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन राव भागवत ने केंद्र सरकार को श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण हेतु अविलम्ब कानून बनाने की अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि सदियों से प्रतीक्षारत हिन्दू समाज अब और बिलंब नहीं चाहता. इसी मंच से विहिप कार्याध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता श्री आलोक कुमार ने संसदीय कानून का विरोध करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि न्यायालय में विषय लंबित होते हुए भी कानून बनाने में किसी भी प्रकार की अड़चन नहीं है. लोकतंत्र में संसद का जन-हित में कानून बनाने का अधिकार क्षेत्र असीमित है. अत: इसमें और किसी प्रकार का विचार या विलम्ब हिन्दू समाज के लिए पीड़ादायक होगा. राम जन्मभूमि आन्दोलन के प्रारम्भ से जुडी दीदी माँ साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि जिस दिन माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने मात्र तीन मिनिट में बिना किसी पक्षकार को सुने श्रीराम जन्मभूमि मामले की सुनवाई तीन महीने के लिए बिना बेंच के गठन के ही यह कह कर टाल दी कि इसकी अभी कोई जल्दी नहीं है, हिन्दू समाज स्वयं को ठगा हुए सा महसूस करने लगा है. अब वह आखिर जाए तो किधर जाए. संसद व राम भक्त सरकार से ही तो अब उसे आशा है. स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि जन्मभूमि स्थानांतरित नहीं हो सकती. उन्होंने पूछा कि देश के लिए कोर्ट है या कोर्ट के लिए लिए देश है. कोर्ट को भी देश की जनभावनाओं का सम्मान करना चाहिए. हुंकार सभा की अध्यक्षता करते हुए जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि भगवान श्रीराम के यूँ तो असंख्य मंदिर हैं किन्तु  जन्मभूमि का मंदिर तो जन्म भूमि पर ही बनेगा ना. अब और देर असहनीय है.   
            हुबली में हुई धर्म सभा में श्री पूज्य महा मंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानन्द गिरी जी महाराज, स्वामी बसवालिंग महास्वामी, पू श्रीश्रीश्री सिध्द शिवयोगी जी, जैन मुनि ज्योतिषाचार्य डा हेम चन्द्र सूरीश्वर जी के अलावा विहिप के क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री केशव हेगड़े तथा प्रांत संगठन मंत्री श्री केशव राजू ने रामजन्म भूमि पर भव्य मन्दिर हेतु संसद द्वारा कानून बनाने की मांग करते हुए कहा कि अब हिन्दू समाज की भावनाओं का सम्मान सभी राजनैतिक लोगों को करना ही होगा.
       मेंगलूरू की धर्मसभा में पूज्य श्री वीरेन्द्र हेगड़े व बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक श्री सोहन सिंह सोलंकी ने राम भक्तों का आह्वाहन करते हुये कहा कि जन्मभूमि पर मंदिर के अलावा न कुछ स्वीकार्य है और न ही इसमें किसी भी प्रकार की देरी अब और बर्दास्त होगी. बजरंग दल के युवा अब भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण हेतु पूज्य संतो के आदेशों के पालन हेतु कृत संकल्पित है.

शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

राम मंदिर का मुद्दा करोड़ों हिंदुओं की आस्था से जुड़ा है : श्री भैयाजी जोशी



मुंबई ,2 नवम्बर। मुंबई के भायंदर में केशव सृष्टि में तीन दिन तक चली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में विचार किए गए विभिन्न राष्ट्रीय मुद्दों पर सरकार्यवाह श्री सुरेश उपाख्य भैयाजी जोशी ने पत्रकारों से विस्तार से चर्चा की।

भैयाजी जोशी ने कहा कि, राम मंदिर का मुद्दा करोड़ों हिंदुओं की भावना से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा है और इस पर न्यायालय को शीघ्र विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज ने राम मंदिर को लेकर विगत 30 वर्षों से वर्तमान आंदोलन चलाया है। हिंदू समाज की अपेक्षा है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने और इससे जुड़ी सभी बाधाएँ दूर हों। लेकिन ये प्रतीक्षा अब लंबी हो चुकी है। 2010 में उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे को लेकर फैसला दिया था। 2011 से ये मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। सर्वोच्च न्यायालय की तीन जजों की पुनर्गठित बेंच जो इस मामले की सुनवाई कर रही थी उसने फिर से इसे लंबे समय के लिए टाल दिया गया। जब न्यायालय से ये पूछा गया कि इस मामले की सुनवाई कब होगी तो कहा गया कि, हमारी अपनी प्राथमिकताएँ हैं। कब सुनना यह न्यायालय का अपना अधिकार है लेकिन न्यायालय के इस जवाब से हिंदू समाज अपने आपको अपमानित महसूस कर रहा है और ये बात समस्त हिंदू समाज के लिए आश्चर्यजनक और वेदनापूर्ण है। सर्वोच्च न्यायालय को इस मामले पर पुनर्विचार करना चाहिए।समाज को न्यायालय का सम्मान करना चाहिए और न्यायालय को भी सामान्य समाज की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।

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राम मंदिर के मुद्दे पर कानून व अध्यादेश के विकल्प पर भैयाजी ने कहा कि ये सरकार का अधिकार है कि वह इस पर कब विचार करे। उन्होंने कहा कि नरसिंह राव प्रणित केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में शपथ पत्र दिया था कि अगर उस स्थान की खुदाई में मंदिर होने के प्रमाण मिलेंगे तो सरकार वहाँ मंदिर बनाने के लिए सहायता करेगी। अब जबकि सर्वोच्च न्यायालय में पुरातत्व विभाग द्वारा दिए गए प्रमाणों से ये सिध्द हो चुका है कि वहाँ मंदिर का अस्तित्व रहा है, तो फिर वहाँ मंदिर बनाने को लेकर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि राम मंदिर को लेकर हम सरकार पर कोई दबाव नहीं डाल रहे हैं बल्कि आपसी सहमति से इसका हल निकालने की बात कर रहे हैं। पूज्य संतों से बातचीत करनी चाहिए और हल निकालना चाहिए। कोई भी सरकार सहमति और कानून दोनों के संतुलन से चलती है। सरकार द्वारा मंदिर को लेकर कानून नहीं बनाने को लेकर भैयाजी ने कहा कि बहुमत होने के बाद भी सरकार द्वारा कानून नहीं बनाना न्यायालय के प्रति उसके विश्वास को दर्शाता है, लेकिन न्यायालय भी इस मुद्दे की संवेदनशीलता को समझे और इस पर विचार करे।

शबरीमाला को लेकर उन्होंने कहा कि ये मुद्दा महिलाओं के मंदिर में प्रवेश देना होता तो हम उसका समर्थन करते है। हिंदू समाज में कोई भी पूजा पति और पत्नी के बगैर पूरी नहीं होती। हिंदू परंपरा में स्त्री और पुरुष में कोई भेदभाव नहीं होता है। लेकिन मंदिरों के अपने नियम होते हैं, कोई भी समाज मात्र अधिकारों पर नहीं बल्कि परंपराओं और मान्यताओँ पर चलता है। सभी मंदिरों में महिलाओं को समान प्रवेश मिले लेकिन जहाँ कुछ मंदिरों की विशिष्ट परंपराओं का प्रश्न है इसमें उन मंदिरों की व्यवस्था से जुड़े लोगों से चर्चा किए बगैर कोई निर्णय लिया जाता है तो ये उचित नहीं। ऐसे निर्णय देते वक्त न्यायालय ने इन विषयों से जुडे सभी घटकों को एकमत करने का प्रयास करना चाहिए।

संघ की कार्यकारिणी मंडल की बैठक की चर्चा करते हुए भैयाजी ने कहा कि इसमें संघ के कार्यों की समीक्षा की गई । उन्होंने बताया कि विगत 6 वर्षों में हम तेज गति से आगे बढ़े हैं। इन 6 वर्षों में हमारा काम डेढ़ गुना बढ़ा है। आज देश भर में 35 हजार 500 गाँवों में संघ की शाखायें चल रही हैं। गत वर्ष की तुलना में इस साल हम 1400 नए स्थानों पर पहुँचे हैं। संघ की शाखा की संख्या 55825 हो चुकी है। गत एक वर्ष में 2200 शाखाओं की वृध्दि हुई है।

संघ का साप्तहिक मिलन 17 हजार गाँवों में नियमित रूप से हो रहा है। मासिक मिलन का कार्य 9 हजार स्थानों पर चल रहा है। 61 हजार स्थानों पर संघ प्रत्यक्ष कार्य कर रहा है। गत वर्ष की तुलना में संघ के स्वयंसेवकों की संख्या में एक लाख की वृध्दि हुई है। संघ अपने कार्य के विस्तार के लिए भौगोलिक दृष्टि से तालुका, ब्लाक, और मंडल बनाकर अपना कार्य कर रहा है। ऐसे लगभग 56 हजार 600 मंडल बनाए गए है, जिसमें से हम 32 हजार तक सीधे पहुँच चुके हैं।

देश भर में संघ के 1.70 लाख सेवा प्रकल्प चल रहे हैं। ये सेवा कार्य ग्रामीण, आदिवासी और शहरी क्षेत्रों में चल रहे हैं। संघ द्वारा 25 बड़े अस्पताल, 12 ब्लड बैंक और वनवासी क्षेत्रों में एकल विद्यालय के माध्यम से एक शिक्षक वाले स्कूल 50 हजार से अधिक गाँवों में चलाए जा रहे हैं। कई गाँवों में फर्स्टएड की सेवा भी चलाई जा रही है और 10 हजार आरोग्य रक्षकों के माध्यम से सामान्य बीमारियों में ग्रामीणों को तत्काल चिकित्सा सुविधा दी जा सके। इसी तरह महिलाओं के 20 हजार सेल्फ हेल्प ग्रुप चल रहे हैं। इसके अलावा होस्टल, कोचिंग क्लास आदि का भी संचालन किया जा रहा है। गत वर्ष संघ के 30 हजार स्वयंसेवकों के माध्यम से देश भर में 2000 स्थानों पर 13 लाख पेड़ लगाए गए। आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में सतत् कार्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कार्यकारी मंडल ने जल और पर्यावरण संरक्षण को गंभीरता से लिया है, और आने वाले दिनों में इस पर बड़े पैमाने पर कार्य किया जाएगा।


बुधवार, 31 अक्तूबर 2018

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक आरंभ- पर्यावरण और जल संरक्षण पर होगी चर्चा




राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक आरंभ
पर्यावरण और जल संरक्षण पर होगी चर्चा
मुंबई, 31 अक्टूबर। मुंबई के केशव सृष्टि परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक आरम्भ हुई। बैठक का आरम्भ सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत और सरकार्यवाह श्री सुरेशजी जोशी ने छत्रपति शिवाजी महाराज तथा भारत माता के चित्र को पुष्पांजली अर्पित करके किया।
इस अवसर पर रामभाऊ म्हालगी सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक प्रतिवर्ष दो बार आयोजित की जाती है। एक मार्च में और दूसरी दीपावली के पूर्व। इस बैठक में देश भर से संघ के अखिल भारतीय, क्षेत्र तथा प्रांत के पदाधिकारी शामिल होते हैं। पत्रकार वार्ता में उनके साथ संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री अरुण कुमार व सह प्रचार प्रमुख श्री नरेन्द्र ठाकुर भी उपस्थित थे। यह बैठक 2 नवंबर तक चलेगी। उन्होंने बताया कि इसी श्रृंखला में ये बैठक इस बार मुंबई में आयोजित की गई है जिसमें देश भर से 350 प्रतिनिधि शामिल हुए हैं।
डॉ. वैद्य ने बताया कि इस बैठक में संघ द्वारा विभिन्न राष्ट्रीय विषयों पर चर्चा करने के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में पिछले वर्ष किए गए कार्यों व आने वाले साल में किए जाने वाले कार्यों पर चर्चा होगी। इसके साथ ही जिन क्षेत्रों में संघ द्वारा कुछ विशेष कार्य या नए प्रयोग किए गए हैं उन पर भी चर्चा होगी।
2010 से संघ ने कार्य विस्तार की कुछ विशेष योजनाएँ हाथ में ली है। संघ का कार्य दैनिक शाखाओं के माध्यम से विस्तारित किया जाता है। आज संघ की 55 हजार से अधिक शाखाएँ देश भर में लेह लद्दाख से लेकर त्रिपुरा और अंडमान तक संचालित हो रही है। संघ का कार्य देश भर के 850 जिलों और 6 हजार तहसीलों में फैला है। 90 प्रतिशत खंडों(तहसीलों) पर संघ की शाखाएँ नियमित रूप से चल रही है। संघ द्वारा 10 से 12 गाँवों का मंडल बनाया गया है। ऐसे 56 हजार मंडल बनाकर सभी गाँवों को इसमें जोड़ा गया है। इसमें से 58 प्रतिशत मंडलों तक हमारा कार्य पहुँच चुका है। विगत तीन वर्षों में मंडलों में 5 प्रतिशत की और शाखाओं में 3 प्रतिशत की वृध्दि हुई है। इस समय 31 हजार से ज्यादा स्थानों में शाखाएँ चल रही है, उनमें 82 प्रतिशत शाखाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में व 12 प्रतिशत नगरीय क्षेत्रों में चल रही है।
उन्होंने बताया कि बैठक में पर्यावरण और जल संरक्षण विषय पर विशेष ध्यान देने के लिए चर्चा होगी। स्वयंसेवक समाज को साथ लेकर इन मुद्दों पर कैसे काम करें इस पर विशेष चर्चा होगी।1998 से ग्राम विकास गतिविधि चल रही है। इसके कारण 600 गाँव में प्रत्यक्ष परिणाम देखने को मिला, इन गाँवों से मिले परिणामों के आधार पर 2 हजार गाँवों में विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं।
उन्होने कहा कि गौ संवर्धन गतिविधि के अंतर्गत भारतीय नस्ल की गायों का संरक्षण, गौ आधारित कृषि, गौ चिकित्सा आदि के प्रयोग चल रहे हैं। आज पूरी दुनिया में ब्राजील, न्यूज़ीलैंड में इसका महत्व बढ़ रहा है। 2010 के बाद इस दिशा में व्यापक स्तर पर कार्य शुरु किया गया है। अब तक 1500 नई गौशालाएँ शुरु की गई है। गौ अनुसंधान केंद्रों के माध्यम से गौमूत्र और गोबर पर प्रयोग किए जा रहे हैं।
कुटुंब प्रबोधन के माध्यम से परिवारों को जोड़ने का एक और महत्वपूर्ण कार्य संघ ने हाथ में लिया है। आज परिवार बिखर रहे हैं, परिवारों को कैसे बचाया जाए, ये संघ की प्रमुख चिंता है। इसी विषय पर व्यापक गतिविधियाँ कैसे चलाई जाए इस पर भी चर्चा होगी।
उन्होंने बताया कि संघ के स्वयंसेवक हर दैवीय आपदा में सेवा देते हैं, लेकिन वे इन कामों के लिए प्रशिक्षित नहीं होते हैं। इस बैठक में विपदा राहत कार्य में सेवा देने वाले संघ के स्वयंसेवकों को कैसे प्रशिक्षित किया जाए इस पर भी चर्चा होगी। वर्तमान में 1.50 लाख सेवा प्रकल्प स्वयंसेवक चलाते हैं। अब देश भर में स्वयंसेवकों के बीच एक सर्वे कराया जा रहा है कि वे किस विषय में रुचि रखते हैं। उनकी रुचि के अनुसार उन्हें सेवा कार्यों में जोड़ा जाएगा। इस पर भी चर्चा होगी। इसके साथ ही अलग-अलग प्रदेशों से आए प्रतिनिधियों द्वारा रखे गए विषयों पर भी चर्चा होगी।
राम मंदिर मुद्दे को लेकर एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि यह मुद्दा न हिंदू –मुस्लिम का है और न ही मंदिर-मस्जिद के विवाद का है। बाबर के सेनापति ने जब अयोध्या में आक्रमण किया तो ऐसा नहीं था कि वहाँ नमाज के लिए जमीन नहीं थी। वहाँ खूब जमीन थी, मस्जिद बना सकते थे। पर उसने आक्रमण कर मंदिर को तोड़ा था। पुरातत्व विभाग द्वारा की गई खुदाई में यह सिद्ध हो चुका है कि इस स्थान पर पहले मंदिर था। इस्लामी विद्वानों के अनुसार भी ज़बरदस्ती क़ब्ज़ाई भूमि पर पढ़ी गई नमाज़ क़बूल नहीं होती है और सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने फ़ैसले में कहा है कि नमाज के लिए मस्जिद जरुरी नहीं होती, ये कहीं भी पढ़ी जा सकती है।
राम मंदिर राष्ट्रीय स्वाभिमान और गौरव का विषय है। उन्होंने कहा कि जैसे सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया और भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद खुद प्राणप्रतिष्ठा में गए थे। उन्होंने कहा कि इसी तरह सरकार को चाहिए कि वह मंदिर के लिए भूमि अधिग्रहीत कर उसे राम मंदिर निर्माण के लिए सौंप दे। इसके लिए सरकार कानून बनाए।
  
स्त्रोत :विश्व संवाद केंद्र भारत दिल्ली

सोमवार, 29 अक्तूबर 2018

संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक 31 अक्तूबर से 2 नवंबर तक ठाणे स्थित केशवसृष्टि में

कार्यकारी मंडल की बैठक में संगठन की गुणात्मकता बढ़ाने पर चर्चा होगी


केशवसृष्टि (ठाणे). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार जी ने कहा कि संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक में संगठन की गुणात्मकता बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी. यह बैठक 31 अक्तूबर से 2 नवंबर तक ठाणे स्थित केशवसृष्टि में आयोजित की गई है.
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अरुण कुमार जी ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्ष में दो बार इस प्रकार की बैठकों का आयोजन करता है. मार्च में होने वाली प्रतिनिधि सभा बैठक में करीब 1400 सदस्य हिस्सा लेते हैं. जबकि दशहरे से दीवाली के बीच होने वाली बैठक में करीब 350 सदस्य उपस्थित रहते हैं. बुधवार से शुरू हो रही बैठक में संघ के 11 क्षेत्रों एवं 43 प्रांतों के संघचालक, कार्यवाह एवं प्रचारकों सहित सात आनुशांगिक संगठनों के संगठन सचिव हिस्सा लेंगे. बुधवार को सुबह 8:30 बजे केशवसृष्टि प्रांगण स्थित रामरतन विद्यामंदिर के बालासाहब देवरस सभागार में बैठक शुरू होगी. जिसमें पूरे समय संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत एवं सरकार्यवाह भय्याजी जोशी उपस्थित रहेंगे.
बैठक के दौरान प्रतिनिधि सभा बैठक में बनाई गई योजनाओं की समीक्षा के साथ-साथ देश की वर्तमान परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में समसामयिक विषयों पर भी चर्चा होगी. बैठक में संगठन की गुणात्मकता बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी. उन्होंने कहा कि कार्यकारी मंडल बैठक में इस विषय पर भी विचार होगा कि देश के विचारवान लोगों तक अपनी पहुंच कैसे बढ़ाई जाए और संघ की आंतरिक संगठन को किस प्रकार मजबूत किया जाए. लेकिन कोई नया प्रस्ताव इस बैठक में नहीं लाया जाएगा.
इस दौरान पत्रकारों द्वारा श्रीरामजन्मभूमि के संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए अरुण जी ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में यह स्वीकार किया था कि उपरोक्त स्थान रामलला का जन्म स्थान है. तथ्य और प्राप्त साक्ष्यों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि मंदिर तोड़कर ही वहाँ कोई ढांचा बनाने का प्रयास किया गया और पूर्व में वहाँ मंदिर ही था. संघ का मत है कि जन्मभूमि पर भव्य मन्दिर शीघ्र बनना चाहिए और जन्म स्थान पर मन्दिर निर्माण के लिये भूमि मिलनी चाहिए. मन्दिर बनने से देश में सद्भावना व एकात्मता का वातावरण निर्माण होगा. इस दृष्टि से सर्वोच्च न्यायालय शीघ्र निर्णय करे, और अगर कुछ कठिनाई हो तो सरकार कानून बनाकर मन्दिर निर्माण के मार्ग की सभी बाधाओं को दूर कर श्रीराम जन्मभूमि न्यास को भूमि सौंपे. उन्होंने कहा कि जब से यह आंदोलन प्रारंभ हुआ है पूज्य संतों और धर्म संसद के नेतृत्व में आन्दोलन चल रहा है, और उसका हमने समर्थन किया है, आगे भी वे जो निर्णय करेंगे उसमें हम उनका समर्थन करेंगे.

श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण शीघ्र हो



उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में यह स्वीकार किया था कि उपरोक्त स्थान रामलला का जन्म स्थान है. तथ्य और प्राप्त साक्ष्यों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि मंदिर तोड़कर ही वहाँ कोई ढांचा बनाने का प्रयास किया गया और पूर्व में वहाँ मंदिर ही था.
संघ का मत है कि जन्मभूमि पर भव्य मन्दिर शीघ्र बनना चाहिए और जन्म स्थान पर मन्दिर निर्माण के लिये भूमि मिलनी चाहिए. मन्दिर बनने से देश में सद्भावना व एकात्मता का वातावरण निर्माण होगा.
इस दृष्टि से सर्वोच्च न्यायालय शीघ्र निर्णय करे, और अगर कुछ कठिनाई हो तो सरकार कानून बनाकर मन्दिर निर्माण के मार्ग की सभी बाधाओं को दूर कर श्रीराम जन्मभूमि न्यास को भूमि सौंपे.
जब से यह आंदोलन प्रारंभ हुआ है पूज्य संतों और धर्म संसद के नेतृत्व में आन्दोलन चल रहा है, और उसका हमने समर्थन किया है, आगे भी वे जो निर्णय करेंगे उसमें हम उनका समर्थन करेंगे.
अरुण कुमार
अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

शनिवार, 20 अक्तूबर 2018

जोधपुर - प्रान्त विजयदशमी उत्सव की खबरे समाचारपत्रों से

जोधपुर - प्रान्त विजयदशमी उत्सव की खबरे समाचारपत्रों से 

साभार: दैनिक नवज्योति 

साभार: राजस्थान पत्रिका

साभार: दैनिक नवज्योति

साभार: दैनिक नवज्योति

साभार: दैनिक नवज्योति

साभार: राजस्थान पत्रिका

साभार: राजस्थान पत्रिका

साभार : राजस्थान पत्रिका




 

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित