शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

विहिप का उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मण्डल मुख्य चुनाव आयुक्त से मिला

विहिप का उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मण्डल मुख्य चुनाव आयुक्त से मिला

(सांप्रदायिक आधार पर आरक्षण निरस्त कर कांग्रेस की मान्यता रद्द करने की मांग)

नई दिल्ली दिसम्बर 29, 2011। विश्व हिन्दू परिषद के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मण्डल ने आज मुख्य चुनाव आयुक्त से भेंट कर यूपीए सरकार द्वारा हाल ही में घोषित आरक्षण को समाप्त कर धार्मिक आधार पर वोटरों को लुभाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को आगामी विधान सभा के चुनावों से दूर रखने की मांग की है। विहिप के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री ओम प्रकाश सिंहल, नव नियुक्त महा-मंत्री श्री चंपत राय तथा केन्द्रीय मंत्री डा सुरेन्द्र जैन ने चुनाव आयुक्त से कहा है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने चुनाव घोषणा से ठीक पूर्व जिस प्रकार धार्मिक आधार पर वोटरों को लुभाने का अपराध किया है वह न सिर्फ़ संविधान के अनुच्छेद 15(1) व 16(2) में प्रतिबन्धित है बल्कि अनुच्छेद 15(4) व 16(4) का उल्लंघन भी है। विहिप पदाधिकारियों ने कहा कि इस आरक्षण से देश के एक और विभाजन की नींव रखी जाएगी। अत: इस सरकारी आदेश को अविलम्ब वापिस लिया जाए।

विहिप के प्रतिनिधि मण्डल ने चुनाव आयुक्त को उसके 1999 के आदेश का स्मरण भी कराया जिसके अन्तर्गत चुनाव आयोग ने शिव सेना प्रमुख श्री बाल ठाकरे को सन् 2005 तक के लिए चुनाव लडने और यहां तक कि उनको मताधिकार से भी वंचित कर दिया था।

विश्व हिन्दू परिषद ने चुनाव आयुक्त से कहा है कि यूपीए सरकार ने चुनाव घोषणा से ठीक दो दिन पूर्व ओबीसी के 27% आरक्षण में से साढे चार प्रतिशत अल्पसंख्यकों को देकर धार्मिक आधार पर वोटरों को लुभाने तथा देश के एक और विभाजन की नींव रखी है। अत: इस आदेश को न सिर्फ़ तुरन्त वापस लिया जाए बल्कि इसके कारण आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की दोषी सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को आगामी चुनावों से अयोग्य घोषित किया जाए।

पथसंचलन


पथ संचलन में दिखा अनुशासन
सुमेरपुरराष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का गुरुवार को शहर के प्रमुख मार्गों से पथ संचलन निकाला गया। पथ संचलन का शहर के अनेक स्थानों पर नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। शहर के भैरू चौक प्रांगण में सैकडों की संख्या में एकत्रित संघ के कार्यकर्ता बैंड की मधुर धुन पर कदम से कदम मिलाकर चल रहे थे। संचलन मुख्य बाजार से होते हुए घांचियों का बास, मीणों का बास, भगतसिंह सर्किल, गांधी चौक, उषा पुरी गेट, टिंबर मार्केट व स्टेशन होते हुए राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय संख्या 4 में जाकर पथ संचलन सभा में तबदील हुआ। स्थानीय आदर्श विद्या मंदिर में संघ का सात दिवसीय प्राथमिक शिक्षा वर्ग का प्रशिक्षण चल रहा है। यहां पर स्वयंसेवकों में देशभक्ति, अनुशासन, संस्कारित नागरिक बनने व राष्ट्रीयता का पाठ पढ़ाया गया। कार्यक्रम का समापन 31 दिसंबर को होगा। इस अवसर पर संघ के तहसील कार्यवाहक मोहन रावल, अशोकपाल मीणा, शंकरसिंह राजपुरोहित, किरण मालवीय, सुरेंद्रसिंह चौहान, शैतानसिंह, निर्मल, कमलेश व लालाराम आदि मौजूद थे।
आरएसएस का पथसंचलन आज
मारवाड़ जंक्शनकस्बे में आरएसएस का पथसंचलन शुक्रवार को निकलेगा। किशनाराम ने बताया कि संचलन मुख्य बाजार होते हुए सरस्वती विद्या मंदिर में जाकर समाप्त होगा। संचलन को लेकर सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई है। संचलन का जगह-जगह पुष्प वर्षा से स्वागत होगा।

शिवगंज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से शुक्रवार सुबह 11 बजे शिवगंज में पथ संचलन किया जाएगा। स्वयंसेवक संघ के वर्ग कार्यवाह जितेंद्र रावल ने बताया कि आरएसएस की ओर से शहर के आदर्श विद्या मंदिर में 25 दिसंबर से सात दिवसीय प्राथमिक शिक्षा वर्ग संचालित किया जा रहा है। इसमें जिले भर के करीब 400 से अधिक कार्यकर्ता प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इस वर्ग में सुबह 5 बजे जागरण के साथ सभी कार्यकर्ताओं को शारीरिक और बौद्धिक विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। संघ के वर्ग कार्यवाह ने बताया कि वर्ग में प्रतिदिन चार घंटे तक शारीरिक व तीन घंटे तक बौद्धिक प्रशिक्षण के साथ विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक एवं रात्रिकालीन आध्यात्मिक कार्यक्रम के बाद रात 10 बजे दीप विसर्जन किया जाता है।
यहां से गुजरेगा पथ संचलन : रावल ने बताया कि 30 दिसंबर सुबह 11 बजे आदर्श विद्या मंदिर से पथ संचलन प्रारंभ होगा, जो आर्य समाज सड़क, राजकीय अस्पताल, नगरपालिका, पुराना बस स्टैंड, तांगा स्टैंड, कलापुरा, गोकुलवाड़ी से हीरागरवाड़ी होते हुए पुन: आदर्श विद्या मंदिर पहुंच विसर्जित होगा।

गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

वर्तमान में स्वामी विवेकानन्द के विचारों की प्रासंगिकता - राजेन्द्र चड्ढा

वर्तमान में स्वामी विवेकानन्द के विचारों की प्रासंगिकता
राजेन्द्र चड्ढा
गर्व से कहो हिंदू हैं-इस मंत्र के दृष्टा थे, स्वामी रामकृष्ण परमहंस के “सप्तर्षि मण्डल के महर्षि” स्वामी विवेकानन्द, जो हमेशा कहा करते थे जब मनुष्य अपने पूर्वजों के बारे में लज्जित होने लगे तो सोच लो की उनका अन्त आ गया है। मैं हिन्दू हूँ, मुझे अपनी जाति पर गर्व है, अपने पूर्वजों पर गर्व है, हम सभी उन ऋषियों की संतान हैं जो संसार में अद्वितीय रहे । उन्होंने हमें संदेश दिया ”आत्मविश्वासी बनो, अपने पूर्वजों पर गर्व करो“ जब मनुष्य स्वयं से घृणा करने लगता है, तो समझना चाहिये कि मृत्यु उसके द्वार पर आ पहुँची। स्वामीजी के विचार और कार्य व्यर्थ नहीं हुआ । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डा। केशव बलिराम हेडगेवार ने इस परम्परा को आगे बढ़ाया। आज हिन्दुत्व के प्रति स्वाभिमान का भाव सर्वत्र सर्वव्यापी बन रहा है जबकि दुर्भाग्य की बात यह है हिंदुस्तान में ही उच्चतम न्यायालय में हिन्दुत्व शब्द के प्रयोग को भी चुनौती दी जाती है । वह बात अलग है कि उच्चतम
न्यायालय ने इस शब्द के प्रयोग को आपत्तिरहित बताने पर पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई जबकि कथित धर्मनिरपेक्ष व्यक्तियों को यह फूटी आंख नहीं सुहाया । उच्चतम न्यायालय के इस मामले में निर्णय से स्वामी विवेकानन्द के शब्द अनायास स्मरण हो आते हैं, जब उन्होंने कहा था कि मैं भविष्य नहीं देखता पर दृश्य अपने मन के चक्षुओं से अवश्य देख रहा हूँ कि प्राचीन मातृभूमि एक बार पुनः जाग गई है । पहले से भी अधिक गौरव और वैभव से प्रदीप्त है।
पश्चिमी अंधनुसरण पर चोट
आज चहुंओर, पाश्चात्य के अंधानुकरण की होड़ मची हुई है फिर चाहे वह जीवन पद्वति हो अथवा विचार मींमासा । इस अंधे अनुकरण पर तीखा प्रहार करते हुए वे कहते हैं, भारत! यही तुम्हारे लिये सबसे भयंकर खतरा है। पश्चिम के अंधानुकरण का जादू तुम्हारे सिर पर इतनी बुरी तरह से सवार है कि क्या अच्छा क्या बुरा उसका निर्णय अब तर्क बुद्धि न्याय हिताहित, ज्ञान या शास्त्रों के आधार पर नहीं किया जा सकता । बल्कि जिन विचारों के पाश्चात्य लोग पसंद करें, वही अच्छा है या जिन बातों की वे निंदा करें वह बुरा है इससे बढ़कर मूर्खता का परिचय कोई क्या देगा। नया भारत कहता है कि पाश्चात्य भाषा, पाश्चात्य खानपान, पाश्चात्य आचार को अपनाकर ही हम शक्तिशाली हो सकेेंगे। जबकि दूसरी ओर, पुराना भारत कहता है ‘हे मूर्ख, कहीं नकल करने से भी कोई दूसरों का भाव अपना हुआ ? बिना स्वयं कमाये कोई वस्तु अपनी नहीं होती क्या सिंह की खाल ओढ़कर गधा भी सिंह बन सकता है ?
आज तक वापमंथी और मैकाले के भक्त स्वामीजी पर हमेशा टीका टिप्पणी करते रहे, लेकिन अब वे भी विवेकानन्द को अपनी दृष्टि से समझने का प्रयत्न कर रहे हैं। यह सब करना उनकी मजबूरी बनती जा रही है। विवेकानन्द को पढ़ा लिखा बेरोजगार, परमहंस को मिर्गी का मरीज और वामपंथी सरकार के राज में
पश्चिम बंगाल में विवेकानन्द के चित्र के स्थान पर जबरदस्ती लेनिन की प्रतिमा लगवाने वाले वामपंथी ही आज विवेकानन्द के विचारों को समझने का प्रयत्न कर रहे हैं। पर लगता नहीं कि ये अपनी कूपमंडूक दृष्टि और
कालबाह्य हो चुके सिद्धान्तों से चिपके रहने के कारण विवेकानन्द को समझने में सफल होंगे । ऐसे में स्वामी विवेकानंद के कृतित्व से परिचित होना आवश्यक है।
आर्यों के आगमन के सिद्धान्त पर कि आर्य लोग बाहर से आये, जब बताया जा रहा था तब स्वामीजी ने कहा था कि तुम्हारे यूरोपियों पंडितों का कहना है कि आर्य लोग किसी अन्य देश से आकर भारत पर झपट पड़े, निरी मूर्खतापूर्ण बेहूदी बात है । जबकि आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि कपिय भारतीय विद्वान भी इसी बात की माला जपते हैं, जिसमें वामपंथी बुद्विजीवी सबसे आगे हैं।
विवेकानन्द दृढ़ता से कहते हैं कि किस वेद या सूक्त में, तुमने पढ़ा कि आर्य दूसरे देशों से भारत में आए ? आपकी इस बात का क्या प्रमाण है कि उन्होंने जंगली जातियों को मार-काट कर यहाँ निवास किया ? इस प्रकार की
निरर्थक बातों से क्या लाभ । योरोप का उद्देश्य है-सर्वनाश करके स्वयं अपने को बचाये रखना जबकि आर्यों का उद्देश्य था सबको अपने समान करना या अपने से भी बड़ा करना। योरोप में केवल बलवान को ही जीने का हक है, दुर्बल के भाग्य में तो केवल मृत्यु का विधान है इसके विपरीत भारतवर्ष मंे प्रत्येक सामाजिक नियम दुर्बलों की रक्षा हेतु बनाया गया है। आज दुर्भाग्य से वामपंथी बुद्धिजीवी इस सिद्धान्त की आड़ में भारत को तोड़ने के भरसक प्रयास कर रहे हैं ।

“भारत में धर्मान्तरण की दृष्टि से आनेवाले को चेतावनी”
तुम लोगों को प्रशिक्षित करते हो, खाना कपड़ा और वेतन देते हो काहे के लिये? क्या इसलिए के हमारे देश में आकर पूर्वजों धर्म और सब पूर्वजों को गालियाँ दें और मेरी निंदा करें? वे मंदिर के निकट जाएं और कहें ”ओ
मूर्ति पूजकों! तुम नरक में जाओगे ! किंतु ये भारत के मुसलमानों से ऐसा कहने का साहस नहीं कर पातें, क्योंकि तब तलवार निकल आयेगी ! किंतु हिन्दू बहुत सौम्य है, वह मुस्कुरा देता है यह कहकर टाल देता है, ”मूर्खों को
बकने दो“ यही है उसका दृष्टिकोण । तुम स्वयं तो गालियाँ देने व आलोचना करने के लिए लोगों को शिक्षित करते हो यदि मैं बहुत अच्छा उद्देश्य लेकर तुम्हारी तनिक भी आलोचना करूँ, तो तुम उछल पड़ते हो और चिल्लाने लगते हो कि हम अमेरिकी हैं, हम सारी दुनिया की आलोचना करें, गालियाँ दें, चाहे जो करें हमें मत छेड़ो हम छूई-मुई के पेड़ हैं।”
तुम्हारे मन में जो आए तुम कर सकते हो लेकिन हम जैसे भी जी रहे हैं, हम संतुष्ट हैं और हम एक अर्थ में अच्छे हैं। हम अपने बच्चों को कभी भयानक असत्य बोलना नहीं सिखाते और जब कभी तुम्हारे पादरी हमारी आलोचना करें, वे इस बात को न भूलें कि यदि संपूर्ण भारत खड़ा हो जाए हिंदू महादधि की तलहटी की समस्य कीचड़ को उठा कर पाश्चात्य देंशों के मुँह पर भी फेंक दे तो उस दुव्र्यवहार का लेश मात्रा भी न होगा जो तुम हमारे प्रति कर रहे
हो। हमने किसी धर्म प्रचारक को किसी अन्य के धर्म परिवर्तन के लिये नहीं भेजा, हमारा तुमसे कहना है कि हमारा धर्म हमारे पास रहने दो।
आज हिन्दू से मुसलमान और ईसाई बनने वाले अपने ही धर्मांन्तरित बंधुओं पर किसी प्रकार की अयोग्यता आरोपित करना अन्याय होगा। वह भी तब जब उनमें से अधिकतर तलवार के भय अथवा लोभ के कारण धर्मांतरित हुए हैं । ऐसे में ये सभी स्वेच्छा से परावर्तन करने के लिए स्वतंत्र है । इस बात को रेखांकित
करते हुए विवेकानंद कहते हैं कि यदि हम अपने बंधुओं को वापस अपने धर्म में नहीं लेंगे तो हमारी संख्या घट जायेगी। जब मुसलमान पहले पहल यहाँ आये तो कहा जाता है, मैं समझता हूँ, प्राचीनतम इतिहास लेखक फरिश्ता के प्रमाण से, कि हिन्दुओं की संख्या साठ-करोड़ थी, अब हम लोग बीस करोड़ हैं फिर हिंदू धर्म में से जो एक व्यक्ति बाहर जाता है तो उससे हमारा एक व्यक्ति ही कम नहीं होता बल्कि एक शत्रु भी बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए, आज के संदर्भ में स्वामीजी की बात बिलकुल सत्य लगती है। आज काश्मीर से लेकर पूर्वांचल के राज्यों में सब कुछ गड़बड़ है और यदि हमने इस उभरते खतरे की चेतावनी को नहीं समझाा तो और भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह एक ध्रुव सत्य है कि आज ईसाई और मुस्लिम दोनों ही हिंदू समाज के गरीब लोगों को
लालच देकर येन प्रकारेण धर्मान्तरण में हुए हैं।
विवेकानंद का कहना था कि भारत में एकता का सूत्र भाषा या जाति न होकर धर्म है। धर्म ही राष्ट्र का प्राण है। धर्म छोड़ने से हिंदू समाज का मेरूदंड ही टूट जाएगा। इसके लिए, आज वनवासी, गिरीवासी, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बन्धुओं के बीच जाना होगा और उन्हें सत्य से अवगत कराना होगा कि किस तरह सउदी अरब के पेट्रो डालर के बल पर उन्हें सहायता देने के नाम पर धर्मांतरण के प्रयास चल रहे हैं।
स्वामीजी के अनुसार, तुम जो युगों तक भी धक्के खाकर अक्षय हो, इसका कारण यही है कि धर्म के लिए तुमने बहुत प्रयत्न किया था। उसके लिए अन्य सब कुछ न्यौछावर कर दिया था, तुम्हारे पूर्वजों ने धर्म संस्थापना के लिए मृत्यु को गले लगाया था। विदेशी विजेताओं ने मंदिरों के बाद मंदिर तोड़े किंतु जैसे ही वह आँधी गुजरी, मंदिर का शिखर पुनः खड़ा हो गया। यदि सोमनाथ को देखोगे तो वह तुम्हें अक्षय दृष्टि प्रदान करेगा। इन मंदिरों पर सैकड़ों
पुनरुत्थानों के चिन्ह किस तरह अंकित हैं, वे बार-बार नष्ट हुए खंडहरों से पुनः उठ खड़े हुए पहले की ही भाँति यही है राष्ट्रीय जीवन प्रवाह। आओ इसका अनुसाण करें।
आओ! प्रत्येक आत्मा का आह्वान करें उतिष्ठ, जागृत, उठो, जागो और जब तक लक्ष्य प्राप्त न कर लो कहीं मत ठहरो। दौर्बल्य के मोह जाल से निकलो। सभी शिक्षित युवकों में कार्य करते हुए उन्हें एकत्र कर लाओ जब हम संगठित हो जायेंगे, तो घास के तिनकों को जोड़कर जो रस्सी बनती है उससे एक उन्मत्त हाथी को भी बांध जा सकता है। “उसी प्रकार तुम संगठित होने पर पूरे विश्व को अपने विचारों से बांध सकोगे।”

शनिवार, 24 दिसंबर 2011

शान से मनाया शौर्य दिवस

शान से मनाया शौर्य दिवस



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मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

संघ का संक्रांति महोत्सव 22 से, मोहन भागवत बीकानेरआएंगे


संघ का संक्रांति महोत्सव 22 से, मोहन भागवत बीकानेरआएंगे
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का संक्रांति महोत्सव 22 जनवरी 2012 से शुरू होगा। इस अवसर पर सरसंघचालक मोहन भागवत बीकानेर आएंगे।
महोत्सव की तैयारी शुरू कर दी गई है। जोधपुर प्रांत के प्रचारक मुरलीधर ने सोमवार को शकुंतला भवन में एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मोहन भागवत 25 जनवरी को वापस जाएंगे। महोत्सव के दौरान वे संघ कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे तथा विभिन्न गतिविधियां देखेंगे। उन्होंने बताया कि जिले में 70 साल में पहली बार बीकानेर महानगर व ग्रामीण जिले के सभी स्वयं सेवकों की ओर से विराट पथ संचलन का आयोजन किया जाएगा।
पुष्करणा स्टेडियम, अग्रवाल भवन और जेएनवी कॉलोनी स्थित आरएसवी से स्वयं सेवक पथ संचलन करते हुए आंबेडकर सर्किल पर एकत्रित होंगे। वहां से एक साथ रेलवे स्टेडियम पहुंचेंगे। इसी प्रकार 10 से 15 वर्ष तक के विद्यार्थियों का भी पथ संचलन होगा। वे भी रेलवे स्टेडियम पहुंचेंगे। इसकी तैयारी के लिए शहर में तीन सौ और गांवों में दो सौ कार्यकर्ताओं के दल तैनात किए गए हैं। प्रांत प्रचारक ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में आठ जनवरी को तथा शहरी क्षेत्र में 14 व 15 जनवरी को पथ संचलन का पूर्वाभ्यास किया जाएगा। महानगर संघचालक नरोत्तम व्यास ने बताया कि कार्यकर्ताओं की जिम्मेवारियां तय कर दी गई हैं। बीकानेर महानगर को पांच नगर, 73 बस्तियों में विभाजित किया गया है तथा जिले में आठ तहसील व 100 मंडलों की रचना की गई है। वर्ष 1996 में तत्कालीन सरसंघचालक रज्जू भैया यहां आए थे। उसके बाद अब वर्तमान सरसंघचालक आ रहे हैं। इसे देखते हुए 25 दिसंबर को आदर्श विद्या मंदिर, गंगाशहर में महानगर एकत्रीकरण में पूर्वाभ्यास किया जाएगा।

स्त्रोत: http://epaper.bhaskar.com/Details.aspx?id=129615&boxid=१२२०१५३९२३४

गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

संघ का लक्ष्य जागृत हिंदूवादी समाज - माननीय मोहनराव भागवत


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साभार : विश्व संवाद केंद्र , हिमाचल प्रदेश
सोच बदलने से मिटेगा भ्रष्टाचार
बिलासपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से संसद में पारित करने के लिए प्रस्तावित सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक संविधान की भूल भावना के उलट है। विधेयक के जरिये सीधे बहुसंख्यक समाज को निशाना बनाने की कोशिश हो रही है। यदि विधेयक पारित होता है तो इसके प्रभाव से देश व समाज के टुकड़े होने का खतरा पैदा हो सकता है। मोहन भागवत राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल (बाल) बिलासपुर में आयोजित संघ की दृष्टि से छह जिलों के स्वंयसेवकों के मिलन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए इनसान की सोच को बदलने की ज्यादा जरूरत है। केंद्र सरकार में वही लोग अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) को लागू करने की कोशिश में लगे हैं, जो कुछ वर्ष पहले तक इसका विरोध कर रहे थे। उन्होंने आशंका जताई कि केंद्र में बैठी प्रभावशाली शक्तियों के दबाव में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को फायदा देकर हिंदुस्तान में इन कंपनियों को फिर बसाने की योजना ही सरकार के इस फैसले के पीछे हो सकती है। उन्होंने चिंता जताई कि भारत अंतरराष्ट्रीय आर्थिक परिदृश्य पर पिछड़ रहा है। रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले लगातार गिरती जा रही है। महंगाई ने लोगों का जीना हराम कर दिया है। उन्होंने आम लोगों का आह्वान किया कि वे राजनेताओं के पीछे न भागें बल्कि समाज के भीतर अपनी ऐसी सक्रियता बनाएं कि नेता उनके पीछे भागें। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व ही इस देश को तमाम अनेकताओं के बावजूद एकता के सूत्र में पिरोए हुए है। उन्होंने स्वयंसेवकों व आसपास के जिलों से आए लोगों का आह्वान किया कि वे समाज की बेहतरी के लिए योगदान संघ के साथ सक्रिय भूमिका के रूप में दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि 2020 तक देश को विश्व शक्ति के रूप में देखने के दावे पर अब निराशा दिख रही है क्योंकि वर्तमान में देश के आंतरिक सुरक्षा के अलावा पड़ोसी देशों पाकिस्तान व चीन के प्रति अब तक केंद्र कोई ठोस रणनीति नहीं बना पाया है। इस मौके पर संघ के उत्तरी क्षेत्र के प्रमुख प्रोफेसर बजरंग लाल, प्रांत संघ चालक कर्नल रूप चंद, ब्रिगेडियर जेएस वर्मा आदि उपस्थित थे।

स्त्रोत: http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=44&edition=2011-12-15

प्रदर्शनियां व झांकियां बनी आकर्षण का केंद्र

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के कार्यक्रम में सीसे स्कूल छात्र के मैदान में लगी प्रदर्शनियां व झांकियां आकर्षण का केंद्र रही। राष्ट्रीय स्वयं संघ द्वारा स्कूल के ग्राउंड में साहित्य, भारत की बलिदानी परंपरा व देश में विज्ञान की उज्जवल परंपरा की प्रदर्शनियां लगाई गई थी। जिनमें भारत की बलिदानी परंपरा प्रदर्शनी में मुगल साम्राज्य के दौरान सिखों के बलिदान के छाया चित्र देखकर जहां गुलामी के सम की यादें ताजा हो रही थी वहीं इन चित्रों में सिख व बलिदानियों को दी गई कू्रर यातनाओं को देखकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो रहे थे। साहित्य प्रदर्शनी में संघ से संबंधित देशी भक्ति की पुस्तकें खरीदने में भी लोगों ने काफी दिलचस्पी दिखाई। इसके अतिरिक्त शहर में जगह-जगह लगी देश भक्ति से ओत-प्रोत व धार्मिक झांकियां भी लोगों ने खूब सराही।

स्त्रोत: http://www.bhaskar.com/article/HIM-OTH-1657060-2640734.हटमल

रुपया गिर रहा, महंगाई बढ़ रही

राष्टï्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा है कि भारत को सशक्त राष्टï्र बनाने के लिए राष्टï्रीयता की भावना जागृत करने की जरूरत है। स्थानीय राजकीय वरिष्ठï स्कूल में राष्टï्रीय सेवक संघ के स्वयं सेवकों व अन्य संगठनों के हजारों कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि योजनाएं, सरकारें व नेताओं को कई बार बदलकर देख लिया है। बावजूद इसके समस्याएं जस की तस हैं। भारत की सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं। पश्चिम में पाकिस्तान व उत्तर में चीन मुुश्किलें खड़ी कर रहा है। आर्थिक स्थिति चिंतनीय है। रुपया लगातार गिर रहा है ओर महंगाई प्रतिदिन बढ़ रही है। भ्रष्टïाचार चरम पर पहुंच चुका है। भ्रष्टïाचार को समाप्त करने के लिए सख्त कानून नहीं बन पा रहा है। इस मुद्दे को लेकर आरोप प्रत्यारोप लग रहे हैं। आर्थिक नीतियों का उल्टा प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने एफडीआई के मुद्दे पर कहा कि इससे खुदरा व्यापार व छोटे तथा मंझले व्यापारी समाप्त हो जाएंगे तथा देश का पैसा विदेशों में चला जाएगा। २००१ में इसका कड़ा विरोध करने वाले आज इसे शीघ्र लागू करने में जुटे हैं। उन्होंने सांप्रदायिक हिंसा कानून की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है इस कानून के लागू होने से बहुसंख्यक समाज को भारी परेशानियां झेलनी पड़ेंगी। यह कानून मात्र अल्पसंख्यक सममुदाय के वोट हासिल करने के लिए लाया जा रहा है। भारत में विश्व गुरु बनने की क्षमता है और सारी दुनिया इस समय भारत की ओर देख रही है। इसके लिए लोगों को राष्टï्रीय स्वयं सेवक संघ का स्वयं सेवक बनना पड़ेगा। भ्रष्टïाचार को समाप्त करने के लिए मत भेदों व स्वार्थों की तिलांजलि देनी पड़ेगी तथा संपूर्ण भारत के हित में मिलजुलकर कार्य करने की आदत डालनी पड़ेगी। कार्यक्रम के अध्यक्ष ब्रिगेडियर जगदीश वर्मा ने कहा कि राष्टï्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवकों ने युद्ध व प्राकृतिक आपदा के समय बिना किसी स्वार्थ के भरपूर सेवा की है।

स्त्रोत: http://www.bhaskar.com/article/HIM-OTH-1657175-2640669.हटमल

बिलासपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से बुधवार को बिलासपुर, मंडी, सुंदरनगर, सरकाघाट, ऊना व नालागढ़ के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवकों का बिलासपुर में पथ संचलन हुआ। पथ संचलन शहर में मुख्य आकर्षण रहा। सारे शहर तथा कार्यक्रम स्थल को भगवा ध्वजों से सजाया गया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से तय कार्यक्रम के तहत बिलासपुर शहर, नालागढ़ व ऊना के स्वयंसेवकों ने नगर परिषद मैदान, हमीरपुर, सरकाघाट व बंगाणा के स्वयंसेवकों ने कोठी चौक तथा मंडी, सुंदरनगर व कंदरौर के स्वयंसेवकों ने बामटा चौक पर पूर्ण गणवेश एवं घोष की धुनों पर एक साथ कदम से कदम मिलाकर पथ संचलन किया। इस अवसर पर जगह-जगह स्कूली विद्यार्थियों ने झांकियां निकाली।

स्त्रोत: http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=44&edition=2011-12-15&pageno=2#id=111728483971134064_44_2011-12-15
एस्कार्ट सुरक्षा छोड़ स्वयंसेवकों के सुरक्षा घेरे में गए भागवत
बिलासपुर : बिलासपुर के गरामौडा के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 21 पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक डॉ। मोहन भागवत ने बुधवार सुबह जैसे ही हिमाचल प्रवास के लिए प्रवेश किया तो उस समय वह पुलिस की अपेक्षा स्वयंसेवकों के सुरक्षा घेरे में आगे निकल लिए। सूत्रों के मुताबिक सरकार द्वारा मोहन भागवत के हिमाचल प्रवास के उद्देश्य से कड़े सुरक्षा उपाय किए गए थे। भागवत के लिए पुलिस ने एस्कार्ट सुरक्षा एनएच 21 पर गरामौड़ा के पास भेजी थी। पुलिस के चौकस होने के बावजूद संघ प्रमुख पुलिस की इस्कार्ट सुरक्षा व सरकारी तामझाम की परवाह के बिना स्वयंसेवकों के सुरक्षा घेरे में उनके द्वारा उपलब्ध वाहन में आगे निकल लिए। स्वयंसेवक के घर रुके आरएसएस प्रमुख बिलासपुर : डॉ. मोहन भागवत बिलासपुर में किसी सरकारी बंगले या विश्राम गृह में ठहरने की अपेक्षा स्वयंसेवक के घर पर रुके हैं जो साधारण मकान है। मोहन भागवत सरकार द्वारा उपलब्ध किसी सरकारी बंगले या विश्राम गृह में रुक सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वह निहाल सेक्टर में डॉ. अतुल के घर पर ठहरे हैं जो लोगों के लिए प्रेरणादायक है कि आरएसएस के वरिष्ठ अधिकारी की नजरों में कोई भी छोटा या बड़ा नहीं है तथा सब एक समान हैं चाहे वह किसी भी जाति का हो.


विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित