शनिवार, 10 दिसंबर 2011

खतरों से निबटना है तो पुरुषार्थ जगाओ : भागवत



अलीगढ़ : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोह भागवत ने पड़ोसी मुल्कों और आंतरिक खतरों से निबटने के लिए पुरुषार्थ जगाने का आ ान किया है। देश के आगे भावी चुनौतियों का हवाला देते हुए भागवत ने कहा कि ये चुनौतियां दिखती कुछ हैं और हैं कुछ और। इनका निदान भी दिखता कहीं है, हकीकत में है कहीं और। भागव ने सही ठिकाने पर चोट करने पर जोर दिया। केंद्र सरकार को ये कहकर लपेटा संकुचित भावनाओं और निजी स्वार्थ की वजह से रिटेल सेक्टर में विदेशी निवेश को छूट देती है। दबाव बढ़ता है तो वापस भी लेती है, लेकिन अपनी नीतियां नहीं सुधारती। संघ के ब्रज प्रांत के चार दिवसीय शिविर के दूसरे दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत शुक्रवार शाम एचबी इंटर कालेज में राष्ट्र के सम्मुख चुनौतियां और निदान विषय पर प्रबुद्ध नागरिक संगोष्ठी में बोल रहे थे। गोष्ठी की अध्यक्षता मंगलायतन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो। सतीशचंद्र जैन ने की। खचाखच भरे पंडाल में एक घंटा छह मिनट के उद्बोधन में भागवत ने सही चुनौतियों को पहचानने और उनपर चोट करने को कहा। इकबाल के शेर॥कुछ तो बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी..का सहारा लेकर इतिहास की बातों में पहुंच गए। कहा, इस्लाम की आंधी आई, तमाम शासक आए-गए, हम आज भी हैं, रहेंगे। हमें डरने की जरूरत नहीं है। दुनिया मानती है कि 2020 तक भारत महाशक्ति बनेगा। पर..आ लोग कहां होंगे? ये कोई नहीं जानता। देश की जैसी नीतियां हैं, दु‌र्व्यवस्था है, उसमें किसी को कुछ नहीं मिलेगा। ये निस्वार्थ सेवा से सुधरेगा। इसमें तमाम लोग जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि गांधी-नेहरू के सिद्धांतों, पंचवर्षीय योजनाओं के क्रियान्वयन, पूंजीवाद, वैश्वीकरण की नीतियां आईं, लेकिन आज भी किसान आत्महत्या को मजबूर हैं? अब नई नीति लानी होगी। ऐसी नीति जो सबको कबूल हो। इतिहास गवाह है कि हम एक हो सकते हैं, बशर्ते दुश्मन सामने हो। यहां शत्रु सीमाओं पर बैठा है, हम मौन हैं। इनके सफा की साम‌र्थ्य है, बशर्ते पुरुषार्थ जाग उठे। समाज को तरक्की करनी है तो अपनी आदत बदलनी होंगी। प्रामाणिक उदाहरण के रूप में पेश करना होगा। जैसा संघ-कार्यो में है। उन्होंने संघ से जुड़ने का आ ान भी किया।
स्त्रोत: http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=12&edition=2011-12-10&pageno=5#id=111728070671147200_12_2011-12-१०

संघ प्रमुख ने कहा..हिंदुस्तानी आर्थिक नीति की जरूरत है
अलीगढ़ : संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा हिंदुस्तान आर्थिक नीति की जरूरत है। जहां से देश की तरक्की का रास्ता खुले। ऐसा कदापि न हो, जैसा कि अमेरिका में हुआ है। भागवत ने इजराइल और जापान की तरक्की तरक्की से सीख लेने को कहा। दलील दी कि इजराइल इकलौता ऐसा मुल्क है, जो आजाद तो हमारे साथ ही हुआ था, लेकिन विकास के पायदानों में इतना आगे बढ़ता गया कि उसका कोई सानी नहीं है। दो-दो बम धमाके झेलकर भी जापान की तरक्की देखिये? और एक हम हैं कि 121 करोड़ लोगों की खुशहाली नहीं जुटा सके। एचबी इंटर कालेज में संघ प्रमुख ने अपने उद्बोधन की शुरुआत इकबाल के शेर से करके सभी को चौंका दिया। बात आगे बढ़ाते हुए डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन-दर्शन तक गए और फिर एक विचारक की पुस्तक वी द पीपल का जिक्र करते हुए मुंबई के चिंतक संदीप वासलेकर तक का हवाला दिया। ्र संघ प्रमुख ने कहा, सभी ने हिंदुस्तान को उन्नति के शीर्ष तक ले जाने के लिए मौजूदा नीतियों को पर्याप्त नहीं माना। सभी के सिद्धांत एक हैं, फर्क सिर्फ शब्दों के चयन का है। कहने के तौर-तरीकों का है। सभी ने ऐसी आर्थिक नीतियों की जरूरत बताई है, जो अपने देश की रीतियों-नीतियों के मुताबिक हों। कहा, हमारे यहां का समाज सत्ता के पीछे भागता है। उसे ही माई-बाप समझ रहा है। अमेरिका भी तो है, जहां लोगों को चुनाव-वोट से कोई वास्ता नहीं है। सौ फीसदी वोट पड़ते है, लेकिन नेताओं की बातों में कोई नहीं पड़ता। उन्होंने इलेविंथ ऑर फिल्म का हवाला भी दिया और ऐसे समाज की जरूरत बताई जो प्राकृतिक ऊर्जा का मनमाना दोहन न करे। कार्यक्रम का संचालन डा. अनूप शर्मा व गोपाल कुमार ने किया। यहां डॉ. डी कुमार ने संघ प्रमुख का शाल ओढ़ाकर स्वागत किया। एसवी कालेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विष्णु प्रकाश ने गोष्ठी की प्रस्तावना पेश की। मंच पर क्षेत्र संघ प्रचारक प्रो. दर्शनलाल अरोड़ा, ब्रज प्रांत संचालक डॉ. एपी सिंह, महानगर संचालक बनवारी लाल पाठक, मधुभाई कुलकर्णी, सुरेश, डॉ. दिनेश आदि थे। यहां शैलेंद्र शालू ने एकल गीत पेश किया। इससे पूर्व, एसवी डिग्री कालेज में ब्रज प्रांत के तमाम संगठनों के बीच भी संघ प्रमुख ने विचार रखे।
स्त्रोत: http://epaper.amarujala.com/svww_index.php


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