सोमवार, 28 सितंबर 2009

man. mohan ji bhagwat ka vijaydashmi parvpar udhbodhan







१००८ कन्याओ का सामूहिक पूजन







जोधपुर २७ सितम्बर । सेवा भारती समिति द्वारा शारदीय नवरात्र के अवसर पर १००८ कन्याओ का सामूहिक पूजन जोधपुर मर्चेंट असोसिएशन हॉल में स्वामी चिन्मयानन्द जी, सेनाचार्य अचलानंद गिरी जी, श्री शांतेश्वर जी, श्री हरिराम जी शास्त्री, साध्वी तारा देवी जी आदि संतो के सानिध्य में संपन्न हुआ।






शुक्रवार, 25 सितंबर 2009

विश्व मंगल गोऊ ग्राम यात्रा







मंगल संकल्प
गाय बनेगी विश्व एकता का साझा सूत्र




६२ वर्ष पहले हमारा देश विदेशी शासन से स्वतंत्र हुआ । विडंबना देखिए, यद्यपि हम स्वयं अपने स्वामी बन गये पर पश्चिमी चकाचोंध के अवांछनीय प्रभावों के दास भी हो गये । तब से अपनी यात्रा के प्रत्येक पड़ाव पर हम अपनी मौलिकता और स्वाभिमान खोते गये ।




आज की वास्तविकता भयावह है । हम जानते हुए भी विषैल भोजन करते है । हमारे अपने स्वास्थ्यकर भोजन के उत्पादन में हमारी दिलचस्पी समाप्त हो गई है । परिणामतः बाहरवालों पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है ।
यदि मनुष्यों की यह दुःखद स्थिति है, तो पशु-पक्षियों की गति बदतर है ।
विद्वान लोग एक कारण बताते है – मानव जाति भूमंडल पर एक लाख वर्षों से है । इस काल में हमारे पर्यावरण को पिछले १०० वर्षों से हुई क्षति उसके पहले के ९९,९०० वर्षों में हुई क्षति के बराबर है । स्पष्टतः इसका कारण है मनुष्य द्वारा हर वस्तु पर नियंत्रण का लोभ । यह संभव भी नहीं है और यही दुष्प्रयास हमारे घोर कष्टों का कारण भी है ।

भारतीय संदर्भ में इस बंधन से निकलने का एक मात्र मार्ग है – हमारे देश में एक समय में फलते-फूलते गौ केंद्रित ग्राम की तरफ वापसी ।

इसी पृष्ठ भूमि में श्री रामचंद्रापुर मठ के पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य श्री राघवेश्वर भारती स्वामीजी" पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य श्री राघवेश्वर भारती स्वामीजी ने विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा अभियान प्रारंभ किया है जिसका उद्देश्य लोगों को गौ केंद्रित ग्रामों तक वापस ले जाना है ।
यह सर्वविदित है कि श्री स्वामीजी ने अपना जीवन गौ कल्याण के लिये समर्पित किया है । इस यात्रा के माध्यम से उनका प्रयास है हमारे राष्ट्र और समस्त विश्व को गाय रूपी एक डोर में बांधना । इसके साथ ही जुडा है प्रत्येक आत्मा में प्रकृति प्रेम जगाना ।


अनिवार्यता
क्या यह यात्रा अपरिहार्य है ?

हाँ, यह कोरी काल्पनिक आवश्यकता नहीं है । यह आवश्यकता है करो या मरो की स्थिति तक पहुँचे एक राष्ट्र की । आधुनिक मानव विपरीत ध्रुवों और विरोधाभासों के मध्य फंसा है ।
शांति बनाम आनंद, प्राकृतिक बनाम यांत्रिक, समानुभूति बनाम स्वार्थ, प्रकृति बनाम पुरुष, दूर दृष्टि बनाम अदूरदर्शिता, सर्वांगीण लाभ बनाम वित्तीय लाभ, कृषि बनाम उद्योग, गौ आधारित कृषि बनाम यांत्रिक कृषि, ग्राम बनाम नगर, गुणवत्ता बनाम संख्या, स्वास्थ्यकारी भोजन बनाम जंक फूड, गहरी नींद बनाम द्रव्यजनित तंद्रा – ऐसे संधर्षों की तुलना में बाह्य आतंकवाद नगण्य है ।


किसान चेष्टा कर रहा है भूमि का सार तत्व खींच लेने की । उसकी दृष्टि में देशी बीज, गायें और खाद बेकार है । वह बहुराष्ट्रीय कंपनियों से संकर बीज, रासायनिक खाद, कीटनाशक और कृषि उपकरण लेने को प्रस्तुत है । कुछ वर्षों तक बेहतर फसल और अधिक आय के भ्रमजाल को वह समृद्धि समझ बैठता । अपने बच्चों को शहरों में पढ़ा कर उन्हें वह गांवों और खेती से दूर करता है । कालांतर में कृषि के गलत तरीके उसकी भूमि का उपजाऊपन क्रमशः कम कर देते हैं । पैदावार घट जाती है और ऋण और कठिनाइयाँ बढ़ जाती हैं और वह आत्मा हत्या जैसे चरम कदम उठा बैठता है ।
यह एक अपवाद स्वरूप कहानी नहीं है । बल्कि हमारी जनसंख्या का ७०% माने जाने वाले आम किसानों की नियति है ।
एक और दृष्टि से मनुष्यों की स्थिति बेहतर है ।
वन्यप्राणी जो कि पहले हजारों कि संख्या में थे, अब सैंकड़ों कि संख्या में आ गये हैं ।
भूमि की सतह बंजर होती जा रही है, यह आश्चर्य की बात है कि कुछ जंगल अभी भी बचे हुए हैं ।
गौ परिवार जो कि किसान का जीवन आधार है, घटता जा रहा है ।
भारतीय गायों की ७० प्रजातियों में से केवल ३३ वची हैं । इन बची हुई नस्लों में भी कुछ में तो सिर्फ १० या २० गायें ही मौजूद हैं ।
६० वर्षों में वधशालओं की संख्या ३०० से ३६,००० हो गई है ।
स्वाधीनता से अब तक देश, अपनी ८०% गौ संख्या खो चुका है ।
इस दुःखद स्थिति का एक स्थायी समाधान आज की आवश्यकता और चुनौती है । हमारे लिये गौ केंद्रित ग्रामीण जीवन ही श्रेष्ठ विकल्प है । पारस्परिक निर्भरता, देख-भाल, सम्मान और सब जीवों के हित के प्रति चिंता इस विचारधारा का मध्य बिंदु है । जीवन के प्रत्येक पल में यह सत्य परिलक्षित होता है ।
विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा इन पवित्र संदेशों को भारत के कोने-कोने तक पहुँचायेगी । कृपया इसके महत्व पर गौर करें ।


सच्चा स्वतंत्रता संग्राम
यह सच्चा स्वाधीनता आंदोलन अंतिम हो


प्रत्येक व्यक्ति को अपनी स्वाधीनता प्रिय है और वह उसे बनाये रखने की चेष्टा करता है । १८५७ में हुआ भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम भारतीय इतिहास में एक सीमा चिन्ह है । बंदूकों की गोलियों पर गाय या सुअर के मांस की चर्बी चढ़ी होने की अफवाहों ने आंदोलन को चिंगारी दिखाई । लेकिन देश की स्वाधीनता की आशा प्रज्वलित होकर बुझ गई ।

महात्मा गांधी द्वारा हमारे स्वाधीनता आंदोलन के विचारों और प्रयासों को सघन करते तक छिटपुट संघर्ष, विरोध, लडाइयों और हत्यायें होती रहीं । लोगों के मन में ठोस ढांचे वाले स्वतंत्र राष्ट्र की कल्पना नहीं थी । महात्मा गांधी ने जीवन के विभिन्न क्षेत्र के भारतीयों के स्वप्नों और महत्वाकांक्षाओं को दृढ़ करने वाले एक ढ़ांचे की परिकल्पना दी । किसान, उद्योगपति, कलाकार, पत्रकार और आम नागरिक सभी ने यह जाना कि उनका ईमानदारी और समर्पित होकर किया गया कार्य भी स्वतंत्रता संग्राम का भाग था । अंततः १५ अगस्त, १९४७ को हमें आजादी मिली ।
इस आनंद के साथ ही मोह भी भंग हुआ । राष्ट्रपिता गांधीजी ने समृद्ध कृषि, पशु फार्म और हस्तशिल्प रामराज्य का स्वप्न देखा था जिसमें ग्राम आत्मनिर्भर और स्वतंत्र हों । उन्होंने हमारे लोगों की अलग पहचान का सपना देखा जिसमें बाहरी लोगों की नकल नहीं करनी थी । यद्यपि उनका चिंतन ठोस और यथार्थवादी था, पर वह एक सपना मात्र रहा ।
स्वतंत्रता के साथ देश का विभाजन भी हुआ और हमारी उपजाऊ भूमि का एक बड़ा भाग पाकिस्तान को चला गया । बांग्लादेश के निर्माण के कारण वहाँ के कष्टों और आस्थिरता का कुछ प्रभाव हम पर भी पड़ा । इसके अतिरिक्त समय-समय पर पड़ने वाले सूखे और बाढ़ द्वारा उत्पन्न संकटों ने हमारे देश को उन वर्षों में तात्कालिक समाधानों के लिये विवश किया ।
संकट की उस घड़ी में हमें बाहरी तकनीक और विधियों में आशा की किरण दिखाई दी । हमने जोतने के लिए ट्रैक्टर और फसल काटने के लिये टिलर अपनाये । हमने संकर बीज बोये, पौधों को कृत्रिम खाद दी और रासायनिक कीटनाशकों द्वारा उनकी रक्षा की । विशाल बांधो के जल द्वारा सिंचाई कर हमने वर्ष में तीन फसलें उगाईं । बाजार में जल्द बिकने वाली फसलों पर जोर दिया गया, परिणामतः खाद्यान्न उगाने वाले खेत नकद फसलों में, बगीचों में बदल गये । कर्ज पर निर्भरता बढ़ी । बैल और बूढ़ी गायों को वधशालाओं में भेज दिया गया । जर्सी और एच.एफ. गायों ने अधिकांश घरों में भारतीय नस्लों का स्थान ले लिया । कुछ वर्षों में हरित क्रांति और श्वेत क्रांति पर ध्यान केंद्रित हो गया और गुणवत्ता का स्थान परिमाण ने ले लिया ।
आगे जाकर औद्योगिक प्रगति और सूचना प्रौद्योगिकी सामने आईं । इन सब बदलावों के कारण लोग गांवों से शहरों की तरफ आकर्षित हुए । शहरों में युवा पीढ़ी के लिये नये उभरने वाले व्यवसायों में लाभप्रद रोजगार के अवसर मिलने लगे । आज की पीढ़ी अपने बच्चे को जन्म से ही शहर भेजने की तैयारी करती है । यह पीढ़ी गाँव, खेती, पशुधन, ग्राम, घर और यहाँ तक कि माता-पिता का भी नहीं सोचती । यदि बाजार में सभी आवश्यकतायें पूर्ण हो जायें तो साधन की क्या चिंता ? जब आपको पाउच में दूध मिले तो फिर गाय की क्या परवाह ?
हम सोचते हैं विदेशी कृषि विधियों से हानि हुई है, किसान फंस गया है । भूमि का महत्व घट रहा है और किसान बीज, खाद और कृषि उपकरणों के लिये बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर निर्भर है । किसान असह्य ऋण के बोझ से टूट रहा है । यदि इन समस्याओं का समाधान नहीं है तो किसान आत्महत्या की ओर बढ़ता है ।
शहरों में हालात भी अच्छे नहीं है । शहरों की ओर अबाधित, अमर्यादित व स्थानांतरण से ढ़ाचागत सुविधायें अपर्याप्त हो गई है, जिससे नागरिकों का दम घुटता है । नौकरियों पर निर्भरता निराशाकारक है । गाँव और शहर दोनों बाहरी समाधानों की प्रतीक्षा में हैं ।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी ने अपने चर्खे को प्रतीक बनाकर सारे देश को एक सूत्र में पिरोया । लेकिन हमें सच्ची आजादी नहीं मिली । हमारा यह स्वतंत्रता संघर्ष अंतिम हो । स्वाधीनता के इस दूसरे संघर्ष में, पवित्र गाय हमारा नेतृत्व करेगी । गाय जो हमारी माताओं तक को दूध पिलाती हैं, हमारी आशा की ज्योति है । विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के माध्यम से गाय एकता क संदेश सारे देश पहुँचायेगी । हमें प्रसन्नता है कि इस सत्कार्य में सभी गो भक्त संगठित हो रहे हैं ।


यात्रा की रूपरेखा
विषय वस्तु : गाय संसार की माता है ।
संकल्प : गाय की रक्षा मेरा पवित्र कर्तव्य है ।
नारा : जो गाय को बचाये, गाय उसे बचाये ।
लक्ष्य : गो भक्ति से ग्राम प्रगति करें, ग्रामों की प्रगति से राष्ट्र की प्रगति हो, जिससे संसार की प्रगति हो ।
माध्यम : गाय
संदेश : चलें गाँव की ओर । चलें गाय की ओर चलें प्रकृति की ओर ।
मंगल संकल्प : पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री राघवेश्वर भारती स्वामीजी, श्री रामचंद्रापुर मठ
मंगल प्रेरणा : पूज्य गोऋषि श्री श्री स्वामी दत्तशरणानंदजी महाराज, पथमेडा
प्रवर्तक : पूज्य श्री श्री रविशंकरजी, पूज्य श्री श्री रामदेवजी बाबा, पूज्य श्री श्री माता अमृतानंदमयीजी, पूज्य आचार्य श्री श्री विद्यासागरजी, पूज्य आचार्य श्री श्री महाप्रज्ञजी, पूज्य आचार्य श्री श्री विजय रत्नसुंदर सुरीश्वरजी, पूज्य श्री श्री स्वामी दयानंद सरस्वतीजी, पूज्य श्री श्री मुरारी बापूजी महाराज, पूज्य श्री श्री सद्गुरु जगजीत सिंहजी महाराज, पूज्य श्री श्री सयामडांग रिनपोचेजी
संघटन : पूज्य डा. प्रणव पंड्याजी के गौरवाध्यक्षता में राष्ट्रीय समिति, राज्य और जिला स्तर पर समितियाँ
समर्थन : सभी गो भक्तों का
यात्रा शुभारंभ : कुरुक्षेत्र, विजयदशमी, ३० सितंबर, २००९
अवधि : १०८ दिन
आयोजन : गाय को प्रार्थना, संदेश, जुलूस, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पर्व का माहौल
कुल मार्ग : २०,००० कि.मी
सहयात्रायें : १५,००० (जिला तालूका – ग्राम केंद्रों से)
सहयात्रा मार्ग : १० लाख कि.मी
समापन : नागपुर, मकर संक्रांति, १७ जनवरी, २०१०
हस्ताक्षर अभियान : गो के प्रति हिंसा रोकने के लिए और गाय को राष्ट्रीय प्राणि का दर्जा दिलाने के लिए करोडों के संख्या मे हस्ताक्षर संग्रह होगा ।
भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तावना : २९ जनवरी, २०१० को करोड़ों हस्ताक्षरों के साथ

गुरुवार, 24 सितंबर 2009

विश्व मंगल गोऊ ग्राम की इस सुखद यात्रा में भाग लेने हेतु एक आत्मीय पुकार



प्रिय मित्रों,
दैविक गो को प्रणाम ।
१०८ दिनों की विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा ३० सितंबर २००९ को शुरू होगी । इस यात्रा की आशा और लक्ष्य है गाय और ग्राम का पुनर्नवीनीकरण, जिससे विश्व का कल्याण होगा । हम पहाड़ों और घाटियों, नदियों और झीलों को पार करते हुए भारत के शहरों और गाँवों में प्रवेश करेंगे और हमारे लोगों में स्वानुभूति जगायेंगे ।
हमें गर्व है कि पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य श्री राघवेश्वर भारती स्वामीजी द्वारा प्रयोजित इस अभियान का सभी गो प्रेमी एक ध्वज के नीचे खड़े होकर समर्थन कर रहे हैं । देश भर के साधु – संत इस कार्यक्रम का समर्थन कर रहे हैं ।

चरखे का एकता के प्रतीक के रूप में प्रयोग करने वाले महात्मा गांधी के नेतृत्व में प्राप्त स्वाधीनता से हमें दुर्भाग्यवश पूर्ण लाभ नहीं मिला । हम अब तक कागजों में सीमित इस स्वतंत्रता को पूर्णतः हासिल करने का संकल्प करते हैं । इसका नेतृत्व पवित्र गाय करेगी । सारे देश में होने वाली यह यात्रा साधीनता का दूसरा आंदोलन है ।
गाय और प्रकृति की दुर्दशा को सुधारने के मार्ग में यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगी । यह पीछे हटने या निष्क्रिय रहने का अवसर नहीं है । यह हमारी अपनी मुक्ति और उन्नति के लिए कार्य करने का अवसर है । आप जहाँ भी हों, अपनी पूर्ण शक्ति के साथ इस आंदोलन का समर्थन करें, आपको सौ संभावनाएँ दिखाई देगी ।
जब यात्रा आपके शहर या गाँव पहुँचे, तो आप हमसे जुड़े । एक अच्छे जीवन के संकल्प को हम मिलकर दृढ़ करेंगे ।

सभी गो भक्त

वाह ! इंडिया वाह !!

स्त्रोत : http://epaper.patrika.com/jaipur/Default.aspx?pdf=jp2401-j.pdf

बुधवार, 23 सितंबर 2009

सितंबर ३० को कुरुक्षेत्र में विराट यात्रा का शुभारंभ

राष्ट्रीय स्तर का आंदोलन ’विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा’ का उद्घाटन समारोह सितंबर ३० को कुरुक्षेत्र में होगा ।
स्थान : थीम पार्क, पहेवा रोड, सन्निहित सरोवर के पास, कुरुक्षेत्र, हरियाणा
समय : ३:३० पी.एम.
दिव्य सन्निधि :
पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी, पेजावर मठाधीश पूज्य श्री विश्वेशतीर्थ स्वामी जी, गोऋषि पूज्य श्री दत्तशरणानंद जी, पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य श्री राघवेश्वर भारती स्वामी जी, दीदी माँ पूज्या साध्वी ऋतंबरा जी, पूज्य श्री स्वामी चिदनंद सरस्वती जी, पूज्य श्री स्वामी ज्ञानानंद जी, महंत मानदास महाराज जी, रिंपोचे लोचन टुक्लु जी, भिक्कु विश्वबंधू, धर्माधिकारी डा. वीरेंद्र हेगड़े जी, पूज्य आचार्य श्री बलदेव जी, छोटे मियां मोइनुद्दीन साबरी जी, नवाब मज़दा अली खान हुसैन टीकरी जी
उपस्थिति :
मा. भैयाजी जोशी – रा.स्व.संघ. सरकार्यवाह, क.आ. अध्यक्ष श्री जगदेवराम उरांव जी, जलपुरुष श्री राजेंद्र सिंह जी, पद्मश्री कुट्टिमेनन जी – गांधीवादी जैविक कृषि विशेषज्ञ, श्री विवेक ओबेराय जी – चलचित्र अभिनेता, स. जोगिंदर सिंह जी – पूर्व सी.बी.आई. निर्देशक, डा. शर्ली टेलस जी – योग वैज्ञानिक, श्रीमती संतोष यादव जी – पर्वतारोही
यात्रा :
१०८ दिनों में २० हज़ार किलोमीटर का मार्ग तय करेगी ।
१५ हज़ार से ज्यादा उपयात्रायें भारत के गाँव गाँव पहुंचेंगी ।
हस्ताक्षर अभियान में : हज़ारों हस्ताक्षरों का संग्रह होगा ।

रविवार, 20 सितंबर 2009

इस देश कि आत्मा हिन्दुत्व हें - मधुभाई कुलकर्णी










जोधपुर। २० सितम्बर ०९। आज प्रात: राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ, जोधपुर महानगर के प्रभात व् प्रोड़भाग के एकत्रीकरण में माननीय मधुभाई कुलकर्णी ने अपने उधबोधन में कहा कि डाक्टर हेडगेवार द्वारा खड़ा किया गया राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ समाज कि शक्ति हें। संघ के काल खंडो के बारे में विस्तृत रूप से बतलाया । हिंदुत्व कि और सम्पूर्ण विश्व का आकर्षण बड़ा हें और इसकी और खिचे चले आरहे हें।







राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का कार्य निरंतर बढा रहा है । राष्ट्र कि चिंता करने वाला विश्व का सबसे बड़े संघटन से हिंदू समाज को काफी आकांक्षा हें। कई द्रष्टान्त देते हुए उन्होंने हिंदू संस्कृति के महता बतलाई और इस कारण अनन्य धर्मावालाम्भी भी इस और आकर्षित हो रहे हें।

शुक्रवार, 18 सितंबर 2009

48 करोड़ की हेरोइन जब्त

स्त्रोत : http://digitalimages.bhaskar.com/dainikrajasthan/EpaperPdf/18092009/17jod-pg1-0.pdf
पचास करोड की हेरोइन बरामद
18 सितम्बर 2009, जोधपुर। बाडमेर में हाल ही मिले आरडीएक्स व हथियारों के जखीरे के बाद स्पेशल ऑपरेशन ग्र्रुप (एसओजी) व बाडमेर-जैसलमेर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में गुरूवार को जैसलमेर में दो स्थानों पर 48 किलोग्र्राम हेरोइन बरामद हुई। बाडमेर-जैसलमेर से सटी अन्तरराष्ट्रीय सीमा के निकट सम्भवत: अब तक की इस सबसे बडी बरामदगी में मिली हेरोइन की कीमत अन्तरराष्ट्रीय बाजार में करीब 50 करोड रूपए आंकी गई है।
पुलिस महानिरीक्षक (रेंज) भूपेन्द्र कुमार दक ने गुरूवार शाम यहां बताया कि बाडमेर में आरडीएक्स व हथियारों के साथ गिरफ्तार कुख्यात तस्कर सोढा खां उर्फ लूणिया व उसके सहयोगियों से पूछताछ में हेरोइन तस्करी का अहम सुराग मिला था। इस पर एसओजी व बाडमेर पुलिस ने गुरूवार को जैसलमेर पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने जैसलमेर के भागु का गांव निवासी तस्कर यारू उर्फ यार मोहम्मद पुत्र फतेह खां की निशानदेही पर मोहनगढ थानान्तर्गत सदराउ सरहद स्थित दीते खां के मुरब्बे में बने कमरे के पीछे छिपाकर रखी 16 किलो हेरोइन बरामद की। इसी तरह 3-लखा माइनर स्थित मुरब्बे से 32 किलो हेरोइन और बरामद हुई। पुलिस ने यारू खां को गिरफ्तार कर लिया है।
सूचना साठ किलो कीलूणिया व उसके सहयोगियों से पूछताछ में यारू खां का नाम सामने आया। पुलिस को पता लगा कि यारू खां वह बाडमेर से कुछ दिन पहले ही हेरोइन के साठ पैकेट लाल रंग की स्कोर्पियो (जीजे 12 जे 5195) में जैसलमेर की ओर ले गया है। यारू बाडमेर के रास्ते हेरोइन लाकर दिल्ली तक पहुंचाता रहा है। नई खेप वह अपनी मां की बीमारी की मौत के कारण दिल्ली नहीं ले जा सका।
चौबीस घंटे से मशक्कतहेरोइन बरामद करने के लिए पुलिस को चौबीस घंटे से मशक्कत करनी पडी। बाडमेर से पहुंची सूचना के आधार पर जैसलमेर पुलिस ने यारू खां को बुधवार शाम ही उठा लिया था, लेकिन उसने मुंह नहीं खोला। उसने पहले तो यही बताया कि वह काफी अरसा पहले जैसलमेर के सम थानान्तर्गत लक्ष्मणों की बस्ती व हाल जिला सांगड (पाकिस्तान) निवासी दादिया पुत्र हाजी खां के लिए चान्दी की तस्करी करता था। अरसा पहले वह कई बार दादिया के गुर्गो से देरासर फांटा तिरसिंगडी रोड बाडमेर से हेरोइन लाकर दिल्ली पहुंचा चुका है, लेकिन अभी उसके पास कोई हेरोइन नहीं है। पुलिस ने सख्ती की तो वह टूट गया और तीन माह पहले 58 थेली हेरोइन लाने की बात स्वीकार कर ली।
घबरा कर शिफ्ट किया मालदक के अनुसार लूणिया की गिरफ्तारी की खबर के बाद घबरा कर यारू खां हेरोइन की खेप स्कोर्पियों में डालकर मोहनगढ स्थित अपने जीजा दीते खां पुत्र धींगाणे खां के मुरब्बे व अपने खुद के मुरब्बे में छिपा आया। इस काम में दीते खां व यारू खां का भाई शाह मोहम्मद भी साथ थे। पुलिस इन दोनों की गिरफ्तारी व वाहन बरामद करने का प्रयास कर रही है।
स्त्रोत : http://www.rajasthanpatrika.com/jodhpur/detail/?nid=27398

सोमवार, 14 सितंबर 2009

समाचार

'अमेरिकी मदद का गलत इस्तेमाल किया'

That's Hindi - ‎30 मिनट पहले‎
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने इस बात का खुलासा किया है कि उन्होंने अमेरिका से मिली सैन्य सहायता का उपयोग भारत के खिलाफ देश की सुरक्षा को मजबूत करने में किया था। पाकिस्तान के किसी नेता द्वारा इस बारे में की गई यह पहली स्वीकारोक्ति है। मुशर्रफ ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में यह स्वीकार किया उन्होंने अपने कार्यकाल में अमेरिकी सैन्य मदद का इस्तेमाल सुरक्षा के लिए करके नियमों का उल्लंघन किया है ...

'अमेरिकी पैसों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ'

एनडीटीवी खबर - ‎15 मिनट पहले‎
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने माना है कि अमेरिका से जो सैन्य सहायता मिलती थी, उसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ होता था। उन्होंने कहा कि जब वह सरकार चला रहे थे, तब ऐसा होता था। एक पाकिस्तानी टीवी चैनल से इंटरव्यू में मुशर्रफ ने साफ तौर पर कहा है कि जब वह सरकार चला रहे थे, तब अमेरिका से मिलने वाले पैसे भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए गए। मुशर्रफ ने यह बात कहकर दरअसल अपनी पीठ थपथपाई है। उनके मुताबिक ऐसा करने से ...

पाक अमेरीका सैन्य सहायता से भारत के खिलाफ

खास खबर - ‎1 घंटा पहले‎
इस्लामाबाद, 14 सितंबर। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कहा कि अमेरीका से मिली मदद का इस्तेमाल भारत के खिलाफ पाकिस्तान की सैन्य ताकत बढाने में किया गया। पाकिस्तान के किसी बडे नेता ने पहली बार इस बात को स्वीकारा किया है। पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के शासनकाल में आतंकवाद के खिलाफ लडाई के लिए पाकिस्तान को अमेरीका से सैन्य मदद मिलती थी, लेकिन अब मुशर्रफ मान रहे है कि सैन्य मदद मिलने के लिए कानून का ...

अमेरिकी सैन्य मदद का भारत के ख़िलाफ इस्तेमाल- मुशर्रफ़

डी-डब्लू वर्ल्ड - ‎2 घंटे पहले‎
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने कहा है कि उनके शासनकाल के दौरान अमेरिका ने जो सैन्य मदद पाकिस्तान को दी थी, उसे भारत के ख़िलाफ पाकिस्तान की सेना को मज़बूत करने में भी लगाया गया. मुशर्रफ़ ने कहा कि अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल तब हो सकता है जब पाकिस्तान के खिलाफ कोई ख़तरा महसूस हो. अगर ख़तरा तालिबान या अल क़ायदा से है, तो उसे वहां इस्तेमाल किया जाएगा और अगर भारत से है तो हथियार भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए ...

'अमरीकी पैसे से भारत का मुक़ाबला'

बीबीसी हिन्दी - ‎6 घंटे पहले‎
पाकिस्तान को मिलने वाली अमरीकी फ़ौजी मदद पर काफ़ी समय से सवाल उठते रहे हैं. पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने कहा है कि पाकिस्तान ने तालिबान से लड़ने के लिए अमरीका से मिलने वाली फ़ौजी मदद को भारत के ख़िलाफ़ मज़बूती हासिल करने के लिए इस्तेमाल किया. ये पहली बार है जब किसी पाकिस्तानी नेता या फ़ौजी अधिकारी ने इस बात को स्वीकार किया है. तालिबान के ख़िलाफ़ पाकिस्तान के ढुलमुल रवैये की आलोचना करते हुए पिछले कुछ सालों में ...

अमेरिकी मदद का इस्तेमाल 'भारत के ख़िलाफ़'

डी-डब्लू वर्ल्ड - ‎5 घंटे पहले‎
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने माना है कि अमेरिका से मिली मदद का इस्तेमाल भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तान की सैन्य ताक़त बढ़ाने में किया गया. पाकिस्तान के किसी बड़े नेता ने पहली बार इस बात को स्वीकारा है. पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के शासनकाल में आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई के लिए पाकिस्तान को अमेरिका से सैन्य मदद मिलती थी. लेकिन अब मुशर्रफ़ मान रहे हैं कि सैन्य मदद मिलने के लिए क़ानून का उन्होंने ...

परवेज मुशर्रफ ने किए चौकाने वाले खुलासे

दैनिक भास्कर - ‎10 घंटे पहले‎
इस्लामाबाद. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने स्वीकार किया है कि उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ जंग के लिए अमेरिका से मिली सैन्य सहायता का उपयोग भारत के खिलाफ देश की सुरक्षा को मजबूत करने में किया था। पाकिस्तान के किसी नेता द्वारा इस बारे में की गई यह पहली स्वीकारोक्ति है। देश हित में किया : एक चैनल को दिए इंटरव्यू में मुशर्रफ ने माना कि उन्होंने अपने कार्यकाल में अमेरिकी सैन्य मदद का इस्तेमाल सुरक्षा के लिए...

अमेरिका से मिली मदद का इस्तेमाल भारत के खिलाफ होता था - मुशर्रफ

Tarakash - ‎9 मिनट पहले‎
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने खुलासा किया है कि पाकिस्तान अमेरीका से मिली मदद का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करता था. जनरल मुशर्रफ ने कहा कि उन पैसों का इस्तेमाल पाकिस्तान की सैन्य ताकत बढाने में किया गया था ताकी भारत के खिलाफ देश की ताकत बनी रहे. यह पहली बार है कि पाकिस्तान के किसी बडे नेता ने इस तरह की बात कही है. पाकिस्तान को हमेशा से अमेरिका द्वारा आर्थिक मदद मिलती रही है. यह मदद कभी देश की अर्थव्यवस्था को ...

आतंक विरोधी अभियान के लिए मिला पैसा सुरक्षा पर लगाया: मुशर्रफ

नवभारत टाइम्स - ‎15 घंटे पहले‎
इस्लामाबाद ।। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कहा है कि उनके शासन काल में आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाने के लिए अमेरिका द्वारा दी गई आर्थिक सहायता का इस्तेमाल भारत के खिलाफ सुरक्षा मजबूत करने के लिए किया गया। किसी भी शीर्ष पाकिस्तानी नेता ने पहली बार इस बात को स्वीकार किया है, हालांकि भारत काफी पहले से यह आरोप लगाता रहा है। मुशर्रफ ने स्वीकार किया कि उन्होंने सैन्य नियमों का उल्लंघन किया था, लेकिन साथ ही ...

मुशर्ऱफ बोले-भारत के खिलाफ इस्तेमाल की अमेरिकी मदद

IBNKhabar - ‎1 घंटा पहले‎
मुशर्रफ ने कहा कि अगर इस खुलासे से अमेरिका नाराज होता है तो उन्हें इसकी परवाह नहीं। इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने आखिरकार स्वीकार कर लिया है कि उनके कार्यकाल में आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाने के लिए अमेरिका से मिली मदद का इस्तेमाल भारत के खिलाफ सैन्य ताकत मजबूत करने के लिए किया गया। ये पहली बार है कि पाकिस्तान के किसी बड़े नेता ने यह बात स्वीकारी है। मुशर्रफ ने कहा कि उनके इस खुलासे से अगर ...

परवेज मुशर्रफ को न्याय की उम्मीद

वेबदुनिया हिंदी - ‎16 घंटे पहले‎
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कहा है कि अगर उनके खिलाफ राजद्रोह और बलूच राष्ट्रवादी नेता नवाब अकबर बुगती की हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया जाता है तो उन्हें देश के प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार एम. चौधरी से न्याय मिलने की उम्मीद है। मुशर्रफ ने देश में वर्ष 2007 में आपातकाल लागू कर दिया था, जिसे सर्वोच्च अदालत ने हाल ही में 'असंवैधानिक' करार दे दिया। इसके बाद उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाए जाने की संभावना ...

अमरीकी धन से पाक ने बढाई ताकत

राजस्थान पत्रिका - ‎6 घंटे पहले‎
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने स्वीकार किया है कि उनके देश ने आतंकवाद के खिलाफ अमरीकी मदद का इस्तेमाल भारत के खिलाफ अपनी सामरिक ताकत बढाने के लिए किया। पाकिस्तान के किसी बडे नेता ने पहली बार यह बात स्वीकार की है। अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने पाकिस्तान की अमरीकी सहायता के उपयोग को लेकर अपने चुनाव अभियान के दौरान उंगुली उठाई थी और हिसाब मांगने की बात कही थी। मुशर्रफ ने एक समाचार चैनल ...

अमरीकी पैसे का इस्तेमाल भारत के खिलाफ : मुशर्रफ

Patrika.com - ‎13 घंटे पहले‎
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने अमरीका की नाराजगी दरकिनार करते हुए बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने माना है कि उनके शासन काल में आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाने के लिए अमरीका से मिली आर्थिक मदद का इस्तेमाल भारत के खिलाफ सैन्य ताकत मजबूत करने के लिए किया गया। किसी भी बड़े पाकिस्तानी नेता ने पहली बार इस बात को स्वीकार किया है। जबकि, भारत पहले से यह आरोप लगाता रहा है। बराक ओबामा भी अमरीका के ...

चीन क्या करने जा रहा है ? शायद सरकार समय रहते कुछ करे तो उत्तम रहेगा ......



थार से सटी सीमा पर यह क्या हो रहा हे ?

स्त्रोत : http://epaper.patrika.com/jaipur/

गुरुवार, 10 सितंबर 2009

पाक-चीन में बना तबाही का सामान

10 सितम्बर 2009, 05:23 hrs IST





arms, rajasthan
बाडमेर। मारूडी गांव में मिला आरडीएक्स व हथियारों का जखीरा यदि आतंकियों के हाथ लग जाता तो भारी तबाही मचा सकता था। जखीरे में शामिल पिस्टल चीन व आरडीएक्स की ताकत बढाने वाले कोर्डेक्स वायर पाकिस्तान में बने हैं। साथ ही जखीरे में पकडे गए टाइमर डिवाइस भी सम्भवत: जम्मू-कश्मीर के बाहर पहली बार पकडे गए हैं।

जखीरे में बरामद 5.86 किलो आरडीएक्स से करीब छह सौ मीटर के दायरे में बर्बादी मचाई जा सकती थी। इसे सम्भवत: एक साथ छह या छह श्रृंखलाबद्ध विस्फोट किए जा सकते थे। आरडीएक्स से विस्फोट में काम में आने वाले कोर्डेक्स वायर के भीतर भी आरडीएक्स है। यह वायर विस्फोट की तीव्रता बढा देता है।वायर भी नवीनतम तकनीक से बना है।

विस्फोटक व हथियार विशेषज्ञों के अनुसार पकडे गए टाइमर डिवाइस अत्याधुनिक हैं। इनकी खासियत यह है कि टाइम सेट करने के बाद इनसे 184 दिन, चार घण्टे, बीस मिनट व पंद्रह सेकण्ड बाद भी विस्फोट किया जा सकता है। एक्सप्लोजिव की प्रोग्रामिंग डिले (विस्फोट की निर्धारित अवधि) सेट करने की तकनीक इन डिवाइस के पीछे चिपकाई गई पर्ची पर लिखी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक ऎसे डिवाइस जम्मू-कश्मीर में ही मिल हैं। देश के किसी अन्य हिस्से में पहली बार इनकी बरामदगी हुई है।

पिस्टल पर 'स्टार'
जखीरे में मिली में चीन निर्मित आठ पिस्टल पर चीन का चिह्न 'स्टार' बना हुआ है। इसी तरह कोर्डेक्स वायर हरे रंग का है। ऎसे वायर पाकिस्तान में बनते हैं।

आठ का रहस्य
बरामद सामग्री पर आठ अंकित है। सभी पिस्टल पर आठ अंक अंकित है। पिस्टल की संख्या भी आठ ही है। आरडीएक्स व उसके साथ काम आने वाली सामग्री का वजन आठ किलो है। यह डिलीवरी आठ सितम्बर को बाडमेर से होनी थी।

कोई गिरफ्तारी नहीं
पुलिस महानिरीक्षक भूपेन्द्र कुमार दक ने आतंककारी संगठन के स्थानीय सम्पर्को तथा जखीरा पहुंचने के रास्ते के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इसका खुलासा जांच के बाद ही हो सकेगा। दक ने इस मामले में किसी गिरफ्तारी से इनकार किया, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस मामले में कई जनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने मंगलवार रात कई स्थानों पर छापे मारकर संदिग्ध व्यक्तियों को हिरासत में लिया। इसमें जोधपुर से पहुंची एसटीएफ टीम की मदद भी ली गई।

स्थानीय तस्करों का हाथ
पुलिस अधीक्षक नवज्योति गोगोई के अनुसार इस मामले में जिले के बींजराड थानान्तर्गत भभूतों की ढाणी निवासी तस्कर लूणिया उर्फ सोढा खां व उसके सहयोगियों का हाथ है। पुलिस को सूचना मिली थी कि लूणिया व उसके साथी पंजाब के एक आतंककारी संगठन को पाकिस्तान से तस्करी कर लाए गए हथियार व विस्फोटक सामग्री की सौदेबाजी कर डिलीवरी करेंगे।

ऎसे पकड में आया जखीरा
गुप्तचर एजेंसी की सूचना के आधार पर सदर थाना पुलिस का जाप्ता मंगलवार तडके करीब ढाई बजे बाडमेर-गडरा रोड मार्ग पर मारूडी से आगे कृषि विज्ञान केन्द्र, दांता के पास पहुंचा। पुलिस ने केन्द्र के भवन की आड लेकर मंगलवार सुबह 10 बजे तक तस्करों के आने का इन्तजार किया। फिर यह जखीरा मारूडी व दांता के बीच सडक किनारे गाड देने की सूचना मिली। करीब आठ घण्टे इन्तजार के बाद शाम करीब छह बजे मारूडी-दांता के बीच बने पुलिया के बायीं ओर सडक से नीचे ताजी मिट्टी डाली हुई दिखाई दी। मिट्टी खोदने पर करीब एक फीट गहरे खड्डे में 'रॉक स्ट्रॉन्ग' लिखे सफेद रंग के सीमेन्ट के कट्टे को उठाकर देखा गया तो उसके नीचे भूरे रंग के आठ पैकेट मिले। इनमें हथियार व विस्फोटक पदार्थ था।

पंजाब जानी थी खेप
विस्फोट व हथियारों का जखीरा पंजाब के आतंककारी संगठन को भेजा जाना था। पाकिस्तान से तस्करी कर लाया गया बर्बादी का यह सामान एक स्थानीय तस्कर इस आतंकी संगठन को सुपुर्द करने वाला था। जयपुर से आए विशेषज्ञों के दल ने जांच के बाद विस्फोटक के आरडीएक्स होने की पुष्टि की। इस बीच पुलिस ने बाडमेर के सदर थाने में स्थानीय तस्कर लूणिया व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

ये बरामद
आठ विदेशी पिस्टल, 16 मैग्जीन, आठ पैकेट में भरे 7.62 केलिबर के 420 कारतूस, दो पैकेटों में भरी 5.86 किलो विस्फोटक सामग्री, पचास व नब्बे फीट लम्बे दो बण्डल सेफ्टी फ्यूज वायर, चार बैटरी तथा दो डेटोनेटर।

Source : http://www.rajasthanpatrika.com/detail/?nid=23982

बुधवार, 9 सितंबर 2009

बाड़मेर में हथियारों का जखीरा बरामद

जयपुर/बाड़मेर, जोधपुर । राज्य पुलिस को बाड़मेर के निकट मारोड़ी में हथियारों का जखीरा मिला है। जखीरे में शामिल "काला पाउडर" के आरडीएक्स होने का अंदेशा है। जखीरे में बम बनाने के काम आने वाला टाइमर, डिवाइस, बैट्री, वायर, स्विच तथा अन्य सामान मिला है। पुलिस के अनुसार किसी शहर में बड़े विस्फोट के लिए यह सामग्री पर्याप्त है। बताया जाता है कि ये जखीरा सीमा पार से किसी आतंककारी गुट के लिए भेजा गया था, लेकिन सुराग लगने से पुलिस जखीरे तक पहुंच गई।

बाड़मेर के सदर थाने में मामला दर्ज कर देर रात तक पुलिस संदिग्ध लोगों के ठिकानों पर छापेमारी में जुटी हुई थी। प्रारम्भिक तौर पर इसमें आधा दर्जन से अधिक स्थानीय लोगों के लिप्त होने की बात सामने आ रही है। देर रात तक पुलिस ने 4 लोगों को हिरासत ले लिया। मदद के लिए जयपुर से एटीएस व जोधपुर से एसटीएफ पहुंच गई है। तारबंदी के बावजूद सीमा पार से अवैध हथियार, नशीले पदार्थ तथा जाली नोट आने की घटनाएं पहले भी होती रही हैं।

बर्बादी का सामान

पुलिस के उच्चपदस्थ सूत्रों ने मौके से दूरभाष पर बताया कि मारोड़ी के निकट मिले जखीरे में 8 विदेशी पिस्टल, 16 मैग्जीन, 450 कारतूस, डेटोनेटर एवं सेफ्टी फ्यूज शामिल हैं। पुलिस ने मौके पर मिले 6 किलोग्राम काला पाउडर की ऑन स्पॉट किट से जांच करवाई है तथा अभी तक की जांच के आधार पर पुलिस इसके आरडीएक्स होने की आशंका व्यक्त कर रही है। हालांकि पुलिस का कहना है कि आरडीएक्स होने का खुलासा विस्तृत जांच के बाद ही हो पाएगा। पुलिस इस जखीरे तक कैसे पहुंची इसका खुलासा करने को तैयार नहीं है। इस बारे में चार तरह के तथ्य सामने आ रहे हैं।

सनसनीखेज खुलासा...

* तस्करों के एक मोबाइल पर आई कॉल को "इंटरसेप्टर" से पकड़ा गया। इस कॉल को सुनने से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस जखीरे तक पहुंची और इसी आधार पर तस्करों तक पहुंचने की कवायद जारी है। *बब्बर खालसा आतंककारी गुट के दो आतंककारी जखीरा लेने आने वाले थे, लेकिन उनकी गाड़ी रास्ते में खराब हो गई और उनके पहुंचने से पहले ही पुलिस जखीरे तक पहुंच गई। *पाक से आया जखीरा तस्करों को सौंप दिया गया था। बाड़मेर-गडरा रोड पर मारोड़ी गांव के नाले में वाहन फंस जाने से हथियार गिर गए और तस्कर छोड़ कर भाग गए। *गुप्तचर ब्यूरो की टीम को सीमा पार से हथियार आने की जानकारी मिली थी, इस पर बाड़मेर की पुलिस ने सर्च ऑपरेशन में इन हथियारों को पकड़ा।

खटका ये भी

पुलिस का कहना है कि ये सामग्री किसी आतंककारी संगठन के लिए आई थी। यह संगठन पंजाब या जम्मू-कश्मीर में सक्रिय हो सकता है। पुलिस कुछ वर्षो पहले लुधियाना में एक सिनेमाघर में हुए विस्फोट में बब्बर खालसा संगठन का नाम आने के कारण इस आशंका पर भी जांच कर रही है कि कहीं यह सामग्री बब्बर खालसा के लिए तो नहीं आई। ऎसी बात सामने आई थी कि लुधियाना में इस्तेमाल किया गया आरडीएक्स बाड़मेर-जैसलमेर से सटी सीमा पार से आया था।

पहले भी होती रही है सेंधमारी

करीब सात-आठ महीने पहले जोधपुर में पकड़े गए तंजानिया निवासी एडम गोडविन, उमर यूसुफ और एडम मोहम्मद से पूछताछ में खुलासा हुआ था कि तीस करोड़ रूपए की हेरोइन पाकिस्तान में बैठे कुख्यात तस्कर अबू बकर व हाजी वली ने पहुंचाई थी और उनका गुर्गा सलीम हेरोइन देने सीमा पार तक आया था। गत अगस्त में भी "बकरा" कोड वर्ड से 11 किलो हेरोइन की खेप सीमा पार से राजस्थान आई थी।

भारत को कमजोर न समझे चीन


इकतीस जुलाई को चीनी सेना की एक बड़ी फौजी टुकड़ी अक्साई चिन तिब्बत के रास्ते से भारत की सीमा चुमार लद्दाख में लगभग दो किलोमीटर के आस-पास घुस आई। चुमार नाम की जगह लद्दाख इलाके में भारत की सीमा के अंदर है। यह जगह विवादग्रस्त नियंत्रण रेखा पर नहीं है। यह बात भी सच है कि सीमा की हद बंदी नहीं हुई है। समय-समय पर अतिक्रमण करना चीन की आदत सी हो गई है। जनवरी 2009 से अब तक की यह पांचवीं घटना है। इतिहास में जाएं तो ज्यादा पहले नहीं करीब 50 साल पहले हम पर एक हमला भी कर चुका है। तब पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे। चीन ने हिन्दी-चीनी भाई-भाई के नारे भी खूब लगाए, लेकिन जो हुआ वह पीछे से छुरा घोंपने के समान था। यह घटनाक्रम हमे चेताता भी है।

गौरतलब है कि भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने के लिए बनी समिति की बैठक हाल ही में हो चुकी है। समिति के फैसले के अनुसार दोनों देशों को यथास्थिति बनाए रखनी है तथा सीमा का उल्लंघन नहीं करना है। भारत ने कुछ दिन पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में अपील की थी कि उसे 2 अरब अमरीकी डॉलर ऋण दिया जाए ताकि वह अरूणाचल में यातायात तथा जल संसाधनों का विकास कर सके। चीन ने आईएमएफ की बैठक में इसका जबरदस्त विरोध किया। चीन का कहना था कि अरूणाचल भारत का नहीं बल्कि चीन का हिस्सा है। इसके बाद आईएमएफ से मिलने वाले ऋण को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। कहने का मतलब यह है कि चीन समय-समय पर भारत के मामले में दखल देने से बाज नहीं आ रहा है।

आश्चर्य की बात यह है कि एक ओर भारत-चीन व्यापारिक रिश्ते तेजी से मजबूत हो रहे हैं, दूसरी ओर भारत-चीन सम्बन्धों में खटास व कड़वाहट भी बढ़ती जा रही है। वर्ष 2007-08 में भारत व चीन के बीच में दोतरफा व्यापार पचास अरब अमरीकी डॉलर को पार कर गया है। ग्लोबल वार्मिंग तथा प्रदूषण समस्या पर भारत-चीन के विचारों में काफी समानता है। यद्यपि ये बात भी सही है कि चीन में प्रदूषण का स्तर भारत के स्तर से चार सौ प्रतिशत अधिक है। डब्लूटीओ में भी अपने किसानों को अतिरिक्त सब्सिडी देने के सवाल पर भी भारत-चीन के नजरिये में काफी समानता है। यह तो बात रही भारत-चीन के आपसी सहयोग और मित्रता की।

इसके बिल्कुल विपरीत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चीन का रवैया खुल्लमखुल्ला भारत विरोधी है। विश्व स्तर पर शीत युद्ध भले ही समाप्त हो गया हो, परन्तु भारत-चीन के बीच शीत युद्ध समाप्त होने के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं। कम होने के बजाय यह शीत युद्ध निरंतर बढ़ता जा रहा है। इसके लिए मुख्य रूप से चीन जिम्मेदार है। जब-जब भी संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार और संतुलन की बात होती है और भारत को सुरक्षा परिषद का सदस्य बनाने का सवाल उठता है तो चीन खुलकर इसका विरोध करता है। भारत की विदेश नीति और कूटनीति के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है कि वह किस प्रकार चीन के विरोध के बावजूद जापान, इटली, जर्मनी, फ्रांस, रूस तथा अमरीका को इसके लिए मनाए। चीन अपनी परमाणु ताकत को बराबर बढ़ाने में लगा हुआ है।

भारत की तुलना में चीन का परमाणु हथियारों का भंडार और उनका प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम गुणात्मक रूप से बहुत बड़़ा है। चीन ने पाकिस्तान, उत्तर कोरिया तथा ईरान को परमाणु तकनीक परमाणु शस्त्र दिए। चीन का रक्षा बजट भारत के रक्षा बजट से साढ़े तीन सौ प्रतिशत (2006-07) अधिक है। अमरीका के बाद चीन विश्व का दूसरा देश है जो हथियारों का सौदागर है। दुनिया में लगभग 53 देश हैं, जिनको चीन लगातार हथियार बेच रहा है। भारत के दक्षिण एशिया में एक बड़ी प्रबुद्ध शक्ति के रूप में उभरने का चीन पूरी ताकत से विरोध कर रहा है। भारत की उभरती शक्ति को रोकने के लिए चीन ने भारत की घेराबंदी करने की नीति अपनाई है। पाकिस्तान को फौजी और परमाणु मदद, म्यांमार की जमीन पर चीनी अड्डे तथा म्यांमार को शक्तिशाली हथियार बेचने व दान में देने की नीति, नेपाल में चीनी प्रभाव बढ़ाने के प्रयास इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। भारत-अमरीका परमाणु सौदे का चीन ने पुरजोर विरोध किया। चीन नहीं चाहता कि भारत-अमरीका सम्बन्धों में गुणात्मक सुधार हो।

भारत-चीन के सम्बन्ध स्पष्ट और सापेक्ष होने चाहिए। चीन को यह फैसला करना होगा कि भारत के साथ उसे मित्रता के सम्बन्ध चाहिए या शत्रुता के। मित्रता व आपसी सद्भावना दोनों देशों के हित में है। दोनों देश गरीबी, बेरोजगारी, भूख तथा बीमारी के खिलाफ लड़ रहे हैं। मित्रता से दोनों को लाभ होगा। भारत-चीन सम्बन्धों में खटास, कटुता तथा शत्रुता से दोनों को नुकसान होगा। चीन इतना शक्तिशाली नहीं है और भारत इतना कमजोर नहीं है कि चीन भारत के अस्तित्व को समाप्त कर पाए। चीन की दादागिरी अवांछनीय तथा अनैतिक है। सवाल सीमा पर अतिक्रमण का नहीं है, सवाल एशिया की शांति और दोनों देशों के लिए फलने-फूलने का है।

प्रो. काशीराम शर्मा
[लेखक चीन मामलों के विशेषज्ञ हैं]

सोमवार, 7 सितंबर 2009

भारतीय सीमा में घुसकर लिख दिया चीन


लेह [जागरण न्यूज नेटवर्क]। बदनीयत पड़ोसी की एक और नापाक कोशिश। पहले चीन की सेना के हेलीकाप्टरों ने भारतीय हवाई सीमा का उल्लंघन किया था। लेकिन अब जो मामला सामने आया है, वह भारतीय क्षेत्र पर दावा जताने का है। चीन की सेना ने अंतरराष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन कर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की है। लद्दाख क्षेत्र में माउंट ग्या की निकटवर्ती चट्टानों और पत्थरों को अपने रंग में रंग दिया है। हर ओर 'चीन' लिख दिया है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि चीन की फौज ने माउंट ग्या के निकट भारतीय क्षेत्र में करीब 1.5 किलोमीटर तक घुसपैठ की है। क्षेत्र के पत्थरों और चट्टानों को लाल स्प्रे पेंट से रंग दिया है। जाहिर हो कि माउंट ग्या को भारत और चीन ने अंतरराष्ट्रीय सीमा की मान्यता दे रखी है। जिस क्षेत्र में घुसपैठ हुई है, उसे आमतौर पर चुमार सेक्टर के नाम से जाना जाता है। लेह से पूरब में स्थित चुमार सेक्टर में चीन की फौज ने पत्थरों और चट्टानों को लाल रंग से रंगने के साथ-साथ जगह-जगह 'चीन' लिख दिया है।

चीन की इस नापाक हरकत की जानकारी 31 अगस्त को सीमा पर गश्त के दौरान हुई। गश्ती दल ने देखा कि जुलुंग ला पास के बोल्डरों और चट्टानों को लाल रंग से रंगा गया है। उन पर जगह-जगह 'चीन' लिखा गया है। इस संबंध में जानकारी की कोशिश पर सेना के प्रवक्ता ने सामरिक मुद्दा बताते हुए कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया। लेकिन सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि सेना के तीन जनरल इस समय बीजिंग और ल्हासा में है इसलिए मामले को कम महत्व दिया जा रहा है।

बहरहाल इस मुद्दे को बेहद गंभीर माना जा रहा है, क्योंकि आजादी के बाद पहली बार चीन ने इस तरह की कोई हरकत की है। भारतीय सीमा में 1.5 से लेकर 1.7 किलोमीटर अंदर तक के पत्थरों को अपने रंग में रंग दिया है। सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों ने जब इस संबंध में लद्दाख और स्पीति के ग्रामीणों से बात की। पता लगा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने घुसपैठ की है। पत्थरों रंगने का काम उसी ने किया है। यह वही क्षेत्र है, जहां तिब्बत से निकलकर पराछू नदी हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करती है। पराछू की बाढ़ से हिमाचल में तबाही का खतरा बराबर मंडराता रहता है।

जहां-जहां है ड्रैगन की नजर

लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर बातचीत के दौरान भारत और चीन ने वर्ष 2002 में नक्शों का आदान प्रदान किया था। पश्चिमी सेक्टर [पूर्वी जम्मू-कश्मीर] स्थित समर लंगपा क्षेत्र को चीन ने विवादास्पद बनाने की कोशिश की। यह क्षेत्र काराकोरम दर्रा और चिपचाप नदी के बीच स्थित है। चीन के नक्शे में लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल को समर लंगपा के दक्षिण दर्शाया गया था। समर लंगपा सीमा का सुदूर उत्तरी हिस्सा है, जो लेह से काफी उत्तर तक जाता है।

चिपचाप नदी के दक्षिण दो 5495 और 5459 फिट की ऊंचाई वाली दो पहाड़ियां हैं। यहां चीन की फौजों का निर्बाध आना-जाना है। यहां तक उन्होंने चोटियों का नामकरण तक कर रखा है मसलन-'प्वाइंट 5459' और 'मानशेन हिल'। दोनों पहाड़ियों के दक्षिण पूर्व में स्थित देपसांग रिज पर भी चीन नजर गड़ाए हुए है।

सिक्किम-तिब्बत और पश्चिम बंगाल सीमा का ट्राईजंक्शन, सुमदोरांग चू, त्वांग के उत्तर येमेन चू और नियामजियांग के बीच असाफी ला के पास दोनों तरफ से सीमा के अधिकांश भागों पर निगरानी रहती है। लेकिन पांच या छह स्थान ऐसे हैं जहां वास्तविक नियंत्रण रेखा की स्थिति को लेकर मतभेद हैं।

माउंट ग्या: फेयर

प्रिंसेस आफ स्नो

22,420 फिट की ऊंचाई वाले माउंट ग्या को सेना ने 'फेयर प्रिंसेस आफ स्नो' नाम भी दे रखा है। माउंट ग्या एक ऐसा तिमुहाना है, जो जम्मू-कश्मीर के लद्दाख, हिमाचल के लाहुल स्पीति और तिब्बत से लगता है। यह हद अंग्रेजी हुकूमत के दौर से कायम है। भारत और चीन ने भी इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा का दर्ज दे रखा है।

आदत से बाज नहीं आता

30 अगस्त, 09: दो चीनी एमआई हेलीकाप्टरों द्वारा भारतीय वायुसीमा उल्लंघन का मामला सामने आया। दोनों हेलीकाप्टर पांच मिनट तक भारतीय सीमा में रहने के साथ ही कुछ खाद्य सामग्री भी नीचे गिराई।

लाल सेना ने पार की हद

जून 2009- 26 मामले

जुलाई 2009- 21 मामले

अगस्त 2009 26 मामले

2008- 223 मामले

क्यों होती है घुसपैठ

सिक्किम-तिब्बत सीमा को छोड़कर भारत-चीन की पूरी सीमा विवादित है।

-वास्तविक नियंत्रण रेखा [एलएसी]: 4056 किमी।

-अक्साई चीन: भारत का दावा लेकिन चीन के नियंत्रण में।

-अरुणाचल प्रदेश: चीन का दावा लेकिन भारतीय कब्जे में




फिर चीन की घुसपैठ

लेह । भारतीय वायु क्षेत्र में अवैध रूप से हेलीकॉप्टर लेकर आ धमकने के बाद चीन ने एक बार फिर घुसपैठ की है। अबकी बार चीनी सेना ने अंतरराष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन कर जम्मू-कश्मीर के लद्दाख इलाके में 1.5 से 1.7 किमी तक घुस कर अपनी कारगुजारी को अंजाम दिया।
आजादी के बाद इस क्षेत्र में चीन की ओर से हुई इस पहली घुसपैठ में लाल सेना ने इलाके के पत्थरों और चट्टानों को लाल रंग से रंग दिया है और उस पर चीनी भाषा "कैंटोनीस" में "चीन" लिख दिया है। सीमा पर गस्ती दल को गत 31 जुलाई को मामले का पता चला।

ब्रिटिश काल से मान्य

"माउंट ग्या" को भारत और चीन ने अंतरराष्ट्रीय सीमा माना है। सेना के बीच "फेयर प्रिंसेज ऑफ स्नो" के तौर पर पहचान पाने वाला माउंट ग्या 22420 फीट ऊंचाई पर स्थित है। यह जम्मू-कश्मीर में लद्दाख, हिमाचल प्रदेश में स्पीति और तिब्बत को जोड़ने वाले तिराहे पर स्थित है। ब्रिटिश काल में इसकी सीमा चिन्हित की गई थी और दोनों देशों ने इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा के तौर पर मान्यता दी थी।

इससे पहले चीनी हेलीकॉप्टरों ने जून में ही चूमर क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) के आसपास भारतीय वायु क्षेत्र में अनधिकृत प्रवेश किया था और कुछ खराब हो चुका भोजन भी गिराया था।

31 जुलाई को पता चला

सीमा पर गश्त करने वाले दल को 31 जुलाई को पता लगा कि "जुलुंग ला" दर्रे के आसपास अनेक चट्टानों और पत्थरों पर लाल रंग के निशान थे और चीनी इलाके में घुस आए थे एवं सभी जगह "चीन" लिख दिया था। सैन्य प्रवक्ता ने इस बाबत कुछ भी कहने से मान करते हुए कहा कि यह परिचालन से जुड़ा मामला है।

हालांकि सेना के अधिकारियों ने कहा कि सेना के तीन जनरल इस समय एक विनिमय कार्यक्रम के तहत बीजिंग और लहासा में है, इसलिए मामले को कम महत्व दिया जा रहा है। सीमा बलों ने लद्दाख और स्पीति में स्थानीय लोगों से बातचीत कर यहां चीन की लाल सेना के प्रवेश के बारे में जानकारी ली।

अरूणाचल पर दावा

चीन का दावा है कि अरूणाचल प्रदेश उसका इलाका है और भारत ने इस पर कब्जा कर रखा है। चीन ने कहा कि राज्य के तवांग व तकसिन क्षेत्र तिब्बत के हिस्से हैं। हाल ही में चीन ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष में अरूणाचल में विकास के लिए कर्ज के भारतीय आग्रह का विरोध किया था।

एलएसी विवाद

2002 में दोनों देशों ने अपने-अपने नक्शों का विनिमय किया था। पश्चिमी सेक्टर (पूर्वी जम्मू-कश्मीर) में काराकोरम और चिपचाप नदी के बीच का समार लुंग्पा इलाके को लेकर चीन विवाद खड़ा कर रहा है। चीनी नक्शों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) समार लुंग्पा के दक्षिण में बताई है।


270 बार अंतरराष्ट्रीय सरहद का उल्लंघन पिछले साल
2300 बार सीमा पर लाल सेना की आक्रामक चहलकदमी

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित