शनिवार, 20 जुलाई 2013

आईबी ने आतंकी चेतावनी जारी करना बंद किया: इशरत विवाद का असर

आईबी ने आतंकी चेतावनी जारी करना बंद किया: इशरत विवाद का असर
राजेश प्रभु सालगांवकर
नई दिल्ली, जुलाई 19: भारत की आंतरिक सुरक्षा की स्थिति चिंताजनक है। गुप्तचर विभाग [आईबी] ने विभिन्न सरकारी विभागों को आतंकी गतिविधियों से संबंधित विशेष आतंकी चेतावनी जारी करना बंद कर दिया है। कांग्रेस की वोट बैंक राजनीति का ही यह परिणाम है!
इससे पहले आईबी प्रधानमंत्री कार्यालय [पीएमओ] एवं केन्द्रीय गृह मंत्रालय को आतंकी गतिविधियों, हथियार/विस्फोटक उपकरण, स्थानीय समर्थन, आर्थिक समर्थन आदि के संबंध में जानकारी देती थी।
आईबी ने आतंकवादियों की जड़ों का पता लगाने में भी सफलता हासिल की है जो ज्यादातर विदेशों में हैं। पीएमओ अथवा गृह मंत्रालय आईबी से प्राप्त सूचनाएं संबंधित राज्य सरकारों को भेजा करती थी जिसके बाद आतंकी गतिविधियों का मुकाबला किया जाता था।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि आईबी अब केवल वही सूचनाएं भेजती है जो ‘मल्टी एजन्सी सेंटर’ के साझेदार अन्य एजन्सीयों से प्राप्त होती हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि आईबी की गुप्त सूचनाएं आंतरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनकी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। लेकिन वर्तमान में गृह मंत्रालय आतंकी गतिविधियों के बारे में अनजान है क्योंकि आईबी की सूचनाएं बंद है।
इंडिया टीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया हैं कि बोधगया परिसर में सिलसिलेवार विस्फोट की सूचना आईबी से नहीं मिली थी बल्कि मल्टी एजन्सी सेंटर के अन्य एजेंसी से मिली थी। बिहार सरकार ने उक्त सूचना को महत्व नहीं दिया क्योंकि वह आईबी की सूचना नहीं थी। जिसके परिणामस्वरुप महाबोधि परिसर की सुरक्षा व्यवस्था में ढिलाई बरती गयी।
आईबी ने यह कदम उस समय उठाया जब ‘पीएमओ नियंत्रित’ सीबीआई ने आईबी के विशेष निदेशक राजिन्दर कुमार को फंसाने की कोशिश की। नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता के खिलाफ राजनीतिक फायदा उठाने का कांग्रेस का यह प्रयास था।
आईबी तंत्र जिसमें बड़े अधिकारी से लेकर सभी स्तर के लोग शामिल है, इससे काफी नाराज हुआ। उनका मानना है कि इस विवाद से आईबी की नींव हिल गई है। आतंकी ठिकानों व दुश्मन देशों में आईबी ने अब तक स्थापित विश्वासप्रद मानवीय नेटवर्क स्थापित किया है। गृह मंत्रालय अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि आईबी सूचना से पुलिस व सीमा सुरक्षा बल को कई मौकों पर लाभ मिला है। इन सूचनाओं के जरिए उन्हें आतंकी हमलों को रोकने में काफी मदद मिली है।
इशरत इनकाउंटर विवाद के बाद आईबी और सीबीआई में तालमेल नहीं रहा जिससे आंतरिक सुरक्षा खतरे में प्रतीत हो रही है।
वर्तमान में आईबी का नेतृत्व सैयद आसिफ इब्राहिम कर रहे हैं। आईबी को प्रत्येक दिन गृह मंत्रालय एवं पीएमओ को एलर्ट भेजना होता है। यह अशांति व तनाव की स्थिति, आतंकी षड्यंत्र आदि के बारे में भी गृह मंत्रालय को सूचना देती है।
अतीत में आईबी आतंकी षडयंत्रों को नाकाम करने में सक्रिय रुप से काम कर चुकी है। लेकिन इशरत इनकाउंटर मामले के बाद आईबी अधिकारी अब आगे बढ़कर काम करने में हिचक रहे हैं।
आईबी अधिकारी चिंतित हैं कि कांग्रेस अल्पसंख्यक वोट बैंक के तुष्टीकरण के लिए आईबी के नेटवर्क को निशाना बना सकती है। जबकि यह नेटवर्क देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे सफल ईकाई है।
आईबी निदेशक सैयद आसिफ इब्राहिम ने प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्रालय को पत्र लिख कर वरिष्ठ आईबी अधिकारियों से सीबीआई अधिकारियों द्वारा सवाल पूछने पर ऐतराज जताया है। गृह मंत्रालय अधिकारी महसूस कर रहे हैं कि इन बातों पर ध्यान देने की बजाए सरकार केवल राजनीतिक फायदों के लिए काम कर रही है।
आतंक विरोधी आपरेशन से जुड़े आईबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक टीवी चैनल से कहा कि सरकार इशरत इनकाउंटर जैसे मामले में जब तक आईबी को सुरक्षा प्रदान करने का वादा नहीं करती तब तक भविष्य में हमारे ऐसे आपरेशनों में काम करना मुश्किल है।
उक्त अधिकारी ने ध्यान दिलाया कि सीबीआई और गृह मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि इशरत दो खतरनाक पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ यात्रा कर रही थी जो उसी इनकाउंटर में मारे गए। सत्ताधारी कांग्रेस के लिए सीबीआई वरिष्ठ आईबी अधिकारियों से सवाल-जवाब करके राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रही है।
आईबी ने अब अपने को आतंक विरोधी गतिविधियों में सक्रिय रुप से भाग लेने से रोक कर विरोध का एहसास करा दिया है जिससे सरकार का राजनीतिक नेतृत्व उधेड़बुन में है।
केन्द्रीय सचिवालय के उच्च अधिकारी चिंतित हैं कि इस राजनीति से देश की आंतरिक सुरक्षा को कितनी गंभीर हानि हो सकती है। दूसरी ओर कांग्रेस नेतृत्व अपनी कार्यशैली में बदलाव लाने का इच्छुक नहीं है। कई नेता यह मानते हैं कि कांग्रेस की इस नीति का उद्देश्य केवल मोदी के दिल्ली मार्च को रोकना है।
एक राजनीतिक समीक्षक का मानना है कि करोड़ों रुपए के घोटालों से जुड़े कलमाडी और पवन बंसल को सरकार ने छोड़ दिया। जबकि गुजरात के अधिकारियों और आईबी अधिकारियों को आंतरिक सुरक्षा के नाम पर बेवजह परेशान किया जा रहा है। इस पर कई सवाल उठना संभव है।
इस मामले में आईबी के कई पूर्व निदेशकों व वरिष्ठ अधिकारियों और सेना के सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारियों ने सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाया है। गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारी नाखुश हैं कि राजनीतिक नेतृत्व भारत के प्रतिष्ठित गुप्तचर विभाग के साथ किस तरह पेश आ रहा है।
 source;newsbharati.com

मंगलवार, 9 जुलाई 2013

उत्तराखंड : 24 घंटे के अन्दर स्वयंसेवक स्वप्रेरणा से सेवाकार्य के लिए पहुँचे थे

उत्तराखंड : 24 घंटे के अन्दर स्वयंसेवक स्वप्रेरणा से सेवाकार्य के लिए पहुँचे थे

भोपाल, जुलाई 8 : विश्व संवाद केंद्र भोपाल कार्यालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे. नंदकुमार ने चयनित पत्रकारों के साथ अनौपचारिक चर्चा में उत्तराखंड की भीषण विभीषिका के दौरान संघ के स्वयंसेवकों के योगदान की जानकारी दी। 

जे. नन्दकुमार ने कहा कि इस विपत्ति के 24 घंटे के अन्दर संघ स्वयंसेवक स्वतः प्रेरणा से सेवाकार्य के लिए पहुँच गए थे। हेलीकाप्टरों के माध्यम से ही सम्पूर्ण रेसक्यू ओपरेशन चलना था, अतः सबसे पहले हेलीपैड निर्माण की आवश्यकता थी। उस हेलीपैड का निर्माण संघ स्वयंसेवकों के सहयोग से ही हुआ। दुर्घटना के दूसरे ही दिन 15 स्थानों पर राहत शिविर प्रारम्भ हो गए थे। उत्तराखंड में चल रहे संघ शिक्षा वर्ग से प्रांत कार्यवाह व प्रांत प्रचारक अविलम्ब देहरादून पहुँच गए और उन्होंने सम्पूर्ण सेवाकार्य की योजना बनाई। 
कुलदीप नैयर ने एक लेख के माध्यम से कहा था कि उत्तराखंड की इस विभीषिका के दौरान संघ स्वयंसेवकों ने तुरंत मदद कार्य शुरू नहीं किया। जे. नन्दकुमार ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि वास्तविकता इसके विपरीत है। 
इस प्राकृतिक विपत्ति में लगभग 200 गाँव पूरी तरह बर्बाद हो गए थे। लेकिन यह मानवता की अपूर्व मिसाल है कि इन बर्बाद ग्रामवासियों ने अपना दुःख भूलकर तीर्थ यात्रियों की मदद की। जे. नंदकुमार ने इस बात पर दुःख व्यक्त किया कि कुछ स्थानों पर हुई लूटपाट की घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर प्रचारित किया गया, किन्तु इन मानवीय संवेदनाओं को अनदेखा कर दिया गया। 
पुनर्वास कार्य के बारे में
संघ के सरकार्यवाह के आह्वान पर द्वितीय चरण में अब सम्पूर्ण प्रभावित क्षेत्र को तीन हिस्सों में बांटकर, स्वयंसेवक सर्वे का कार्य अपनी जान हथेली पर लेकर कर रहे हैं। देश के अन्य हिस्सों से भी 5000 से अधिक स्वयंसेवक वहां पहुँच गए हैं। इसी तरह देश के अन्यान्य भागों से वहां जाकर कार्य करने इच्छुक लोगों की सूची बनाने का काम भी संघ कर रहा है। 
अभी तक इस भीषण विपत्ति को राष्ट्रीय आपदा घोषित न करने की बात पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए जे. नंदकुमार ने सवाल किया कि वहां की सरकार जिस प्रकार स्वयं को असहाय प्रदर्शित कर रही है, उससे स्थानीय लोगों में आत्मविश्वास का संचार कैसे होगा ? एक दल विशेष के लोग अपने नेता के फोटोयुक्त खाद्य सामग्री के पैकेट लेकर वहां पहुंचे हैं। इस प्रकार के राजनीतिक हथकंडे सामूहिक प्रयत्नों को कमजोर करते हैं। 
इस अनौपचारिक चर्चा में संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख नरेंद्र जैन, विभाग सह प्रचार प्रमुख रमेश व्यास, संवाद केंद्र कार्यकर्ता हरिहर शर्मा, शैलेन्द्र सिंह तथा बृजेन्द्र शुक्ल भी उपस्थित थे। 
strot: http://hn.newsbharati.com

 

पूज्य श्री सीताराम जी महाराज द्वारा भारत परिक्रमा यात्रा राजस्थान में

पूज्य श्री सीताराम जी महाराज द्वारा भारत  परिक्रमा यात्रा राजस्थान में














विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित