गुरुवार, 27 सितंबर 2018

राम जन्मभूमि के मुकदमे में तीन सदस्य पीठ द्वारा 29 अक्टूबर से सुनवाई का निर्णय का स्वागत-अरुण कुमार अ.भा. प्रचार प्रमुख


राम जन्मभूमि के मुकदमे में तीन सदस्य पीठ द्वारा 29 अक्टूबर से सुनवाई का निर्णय का स्वागत- अरुण कुमार
अ.भा. प्रचार प्रमुख 

आज सर्वोच्च न्यायालय ने श्री राम जन्मभूमि के मुकदमे में तीन सदस्य पीठ द्वारा 29 अक्टूबर से सुनवाई का निर्णय किया है, इसका हम स्वागत करते है और विश्वास करते है कि शीघ्रातिशीघ्र मुकदमे का न्यायोचित निर्णय होगा.
– अरुण कुमार
अ.भा. प्रचार प्रमुख

गुरुवार, 20 सितंबर 2018

भविष्य का भारत: संघ का दृष्टिकोण 'प्रश्नोत्तर सत्र'




भविष्य  का भारत: संघ का दृष्टिकोण 'प्रश्नोत्तर सत्र'

 


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. श्री मोहनराव भागवत ने भारत के समाज में सामाजिक विषमता को बढ़ाने वाली सभी बातों का समूल नाश करने का आह्वान किया। श्री भागवत ने कहा, कि आरक्षण की व्यवस्था तब तक जारी रहने चाहिए जब तक इससे लाभान्वित होने वाला वर्ग स्वयं इसकी आवश्यकता से इंकार नहीं करता। उन्होंने कहा, कि अगर इसमें 100-150 वर्ष भी लगते हैं तो भी यह वांछनीय ही होगा। उन्होंने कहा, कि आरक्षण समस्या नहीं है आरक्षण की राजनीति समस्या है। 

श्री भागवत राजधानी के विज्ञान भवन में पिछले तीन दिनों से चल रहे भविष्य का भारत संघ का दृष्टिकोण विषय पर आयोजित संगोष्ठी के समापन सत्र में आमंत्रित विशिष्टजनों के प्रश्नों के उत्तर दे रहे थे। उन्होंने कहा कि संघ अंतरजातीय विवाह का पूर्ण समर्थन करता है। यह परिवारों और समाज की एकरसता को बढ़ाने वाली प्रक्रिया साबित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संघ से जुड़े परिवारों में अंतरजातीय विवाह बड़े पैमाने पर हुए हैं। राम जन्मभूमि से जुड़े प्रश्न पर श्री भागवत ने कहा अयोध्या में रामजन्मभूमि पर एक भव्य मंदिर का निर्माण बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यदि हो गया तो हिंदू मुस्लिम एकताको पुष्ट करेगा। यह काम सदभावना से हुआ तो मुस्लिमों पर जो अंगुली उठती है वह उठना बंद हो जाएगा। 

देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े एक प्रश्न पर श्री भागवत ने कहा हंगामा पैदा करने वाले से तो सख्ती से निपटा जाना ही चाहिए।  ऐसे लोगों के समर्थन में समाज से किसी को खड़ा नहीं होना चाहिए।उन्होंने कहा समाज की कमजोरी का लाभ कोई न उठा सके इसकी चिंता की जानी चाहिए

मुस्लिमों के साथ संघ के संबंध के प्रश्न पर श्री भागवत ने कहा संघ हर उस भारतवंशी को हिंदू मानता है जो अपनी मातृभूमि को, भारत की संस्कृति को और इसके पूर्वजों को  अपना मानता है।

एससी एसटी एक्ट से जुड़े सवालों पर डॉ. भागवत ने कहा कि एक वर्ग पर अत्याचार होता है इससे इंकार नहीं किया जा सकता। अत्याचार से संरक्षण के लिए कानून लागू होना चाहिए लेकिन यह भी तय होना चाहिए कि कानून का दुरुपयोग न हो। डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा कि वर्तमान स्थिति में कानून लागू नहीं भी हो रहा है और उसका दुरुपयोग भी हो रहा है। नोटा से संबंधित सवाल पर परम पूज्य मोहनराव भागवत ने कहा कि किसी भी राजनीतिक अवस्था में शत प्रतिशत आदर्श विकल्प कठिन होता है। ऐसे में हमें सर्वश्रेष्ठ संभव विकल्प को चुनना चाहिए। तुलनात्मक रूप से जो भी बेहतर उपलब्ध विकल्प है उसे भी खारिज करेंगे तो इसका लाभ उपलब्ध बदतर विकल्प को ही मिलेगा। 

उन्होंने महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा कौरवों और पांडवों में से किस का साथ दिया जाए उसे लेकर यादवों में भी मतभेद थे लेकिन भगवान कृष्ण ने स्पष्ट कहा कि हमें सर्वश्रेष्ठ संभव विकल्प का साथ देना चाहिए ।
जनसंख्या नियंत्रण और जनसांख्यिकीय परिवर्तन के प्रश्न पर उन्होंने कहा एक समुचित और सुविचारित जनसंख्या नीति बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जनसांख्यिकीय संतुलन स्थापित किया जाना चाहिए। साथ ही यह भी कहा कि जहां इसकी आवश्यकता ज्यादा है वहां इसे प्राथमिकता से लागू किया जाना चाहिए लेकिन इसके लिए पहले लोगों का मन बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा जिस भी वर्ग में जन्मदर की जो भी स्थिति है उसके लिए समाज जिम्मेदार है।

कन्वर्जन के संबंध में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. भागवत ने कहा अगर सभी धर्म समान  हैं तो फिर कन्वर्जन का औचित्य ही क्या है। उन्होंने कहा कि विश्वभी में जहां भी कन्वर्जन कराया जा रहा है उसका उद्देश्य बेहद संदिग्ध है। इसका विरोध होना चाहिए।

लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े प्रश्न पर उन्होंने कहा उन्हें अपनी सुरक्षा के सजग और सक्षम बनाना पड़ेगा। साथ ही समाज को महिलाओं को देखने की अपनी दृष्टि बदलनी पड़ेगी।

अंत में उन्होंने संघ को लेकर भ्रम में रहने वाले हर किसी से आह्वान किया कि वह संघ को यदि समझना चाहते हैं तो पहले नजदीक से देखें इसके बाद अपना मत बनाएं। साथ ही उन्होंने आह्वान किया कि आप समाज के लिए जो भी संभव हो वह काम करें लेकिन निष्क्रिय न रहें। राष्ट्र के स्वत्व को खड़ा करने में जो भी कर सकते हैं वह करें। उन्होंने कहा संकटों से जूझ रही दुनिया को आज एक तीसरा रास्ता चाहिए और वह दिशा देने की अंतर्निहित शक्ति केवल भारत के पास है।

मंगलवार, 18 सितंबर 2018

देशभक्ति, पूर्वजों का गौरव और अपनी संस्कृति से प्रेम हिन्दुत्व की पहचान है

हमारा संविधान इस प्राचीन राष्ट्र की साझा सहमति का दस्तावेज है
बंधुत्व का वैचारिक अधिष्ठान हिन्दुत्व है
महिलाएं न देवी हैं, न दासी, वे राष्ट्र के विकास में पुरूषों की बराबर की साझीदार और हिस्सेदार हैं
देशभक्ति, पूर्वजों का गौरव और अपनी संस्कृति से प्रेम हिन्दुत्व की पहचान है

नई दिल्ली, 18 सितम्बर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक प.पू. श्री मोहनराव भागवत ने हिन्दुत्व की संकल्पन को स्पष्ट करते हुए कहा, कि हिन्दुत्व अर्थात पावन जीवन मूल्यों का समुच्चय, यह इस देश का आधार और प्राण है, इसी के आधार पर समतायुक्त, शोषणमुक्त समाज का निर्माण संघ का लक्ष्य है। उन्होंने कहा, कि संघ का लक्ष्य हिन्दू राष्ट्र को परम वैभव की स्थिति में ले जाना है। संघ की दृष्टि में भारत का वह हर व्यक्ति हिन्दू है जो देश से प्रेम करता है, अपने पूर्वजों पर गर्व करता है और अपनी संस्कृति पर अभिमान करता है, भले ही वह वह इस संस्कृति को भारतीय कहता हो, कहता हो, आर्य कहता हो या सनातन कहता हो।
प.पू. श्री भागवत ने यह बात विज्ञान भवन में कही। वह भविष्य का भारत संघ का दृष्टिकोण विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला के दूसरे दिन प्रबुद्ध वर्ग को संबोधित कर रहे थे। श्री भागवत ने संघ के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए कहा, कि एक समर्थ्य, शक्तिशाली और संपन्न भारत विश्व के प्रत्येक कमजोर समाज का संबल होगा। यह सामर्थ्यशील होगा साथ ही अनुशासन और एकात्मता से प्रेरित भी होगा।
श्री मोहनराव भागवत ने कहा, कि संघ का विचार हिन्दुत्व का विचार है। यह पुरातन विचार और सबका माना हुआ सर्वसम्मत विचार है। इसलिए हम अपने पुरूखों के बताए मार्ग पर चल रहे हैं। अगर प्रश्न हो, कि हिन्दुत्व क्या है तो कहना पड़ेगा, कि सबके कल्याण में अपना कल्याण, ऐसा जीवन जीने का अनुशासन देने वाला हिन्दुत्व  है और यह सभी विविधताओं को स्वीकार करता है।


राष्ट्र के उत्थान के लिए सामाजिक पूंजी की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए श्री मोहनराव भागवत ने जापान का उदाहरण दिया और कहा, कि संघ अनुशासित सामाजिक जीवन और समाजहित को सर्वोपरि मानता है। देश के लिए कोई भी साहस करने, कोई भी त्याग करने और देश का हर काम उत्कृष्ट रूप से करने से ही एक शक्ति संपन्न राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। स्वयंसेवकों को केन्द्रित करते हुए उन्होंने कहा, कि स्वयंसेवक समाज के लिए आवश्यक कार्यों को अपने हाथ में लेते हैं और अपनी क्षमता और इच्छानुसार विभिन्न क्षेत्र में काम करते हैं। संघ के साथ उनका परस्पर विचार-विमर्श होता है लेकिन वे स्वावलंबी और स्वायत्त रूप से कार्य करते हैं।
हिंदू राष्ट्र के बारे में बताते हुए श्री मोहन भागवत ने कहा की संघ का काम बंधुभाव के लिए है और इस बंधुभाव के लिए एक ही आधार है विविधता में एकता। वह विचार देनेवाला हमारा शाश्वत विचार दर्शन है। उसको दुनिया हिंदुत्व कहती है, इसलिए हम कहते हैं कि हमारा हिंदू राष्ट्र है।  हिंदू राष्ट्र है इसका मतलब इसमें मुसलमान नहीं चाहिए, ऐसा बिल्कुल नहीं होता। जिस दिन यह कहा जाएगा कि यहां मुसलमान नहीं चाहिए,  उस दिन वह हिंदुत्व नहीं रहेगा वह तो विश्व कुटुंब की बात करता है।
संघ और राजनीति के संबंधों को स्पष्ट करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक ने कहा, कि संघ ने जन्म से ही निश्चित किया है, कि राजनीति से हमारा संगठन दूर रहेगा। संघ का कोई भी पदाधिकारी किसी भी राजनीतिक दल में पदाधिकारी नहीं बनेगा। संघ का काम संपूर्ण समाज को जोड़ना है, राज कौन करे, इसका चुनाव जनता करती है। किंतु राष्ट्र हित में राज्य कैसा चले, इसके बारे में हमारा मत है और इसके लिए हम लोकतांत्रिक रीति से प्रयास भी करते हैं। संघ राजनीति से दूर रहता है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं, कि संघ घुसपैठियों के बार में न बोले। इस तरह के प्रश्न राष्ट्रीय प्रश्न हैं। राजनीति की उसमें प्रमुख भूमिका है, परंतु प्रश्नों के सुलझने और न सुलझने का परिणाम पूरे देश पर होता है। इसलिए ऐसे विषयों पर संघ सदैव से अपना मत रखता आया है। उन्होंने कहा, कि कुछ लोग बोलते हैं, कि दूसरे दलों में स्वयंसेवक ज्यादा क्यों नहीं हैं? यह हमारा प्रश्न नहीं है। क्यों दूसरे दलों में जाने की उनकी इच्छा नहीं होती यह उनको विचार करना है। हम किसी भी स्वयंसेवक को किसी विशेष दल में कार्य करने को नहीं कहते।
श्री भागवत ने महिलाओं को केन्द्रित करते हुए कहा, कि हमारी संस्कृति में महिलाओं को देवी माना गया है। लेकिन असल में उनकी हालत देखते हैं, तो ठीक नहीं दिखायी देती। हमारा मानना है, कि समाज का एक हिस्सा होने के नाते महिलाएं समाज जीवन के सभी प्रयासों में बराबरी की हिस्सेदार हैं और जिम्मेदार भी। इसलिए उनके साथ समान व्यवहार होना चाहिए। आज कई क्षेत्रों में महिलाएं पुरूषों से अच्छा काम कर रही हैं।  इसलिए महिला और पुरूष परस्पर एक-दूसरे के पूरक हैं।

भविष्य का भारत - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के प्रथम दिन परम पूजनीय सरसंघचालक डॉ मोहनराव जी भागवत के उध्बोधन का विडियो

हम संघ का वर्चस्व नहीं चाहते : डॉ. भागवत


हम संघ का वर्चस्व नहीं चाहते : डॉ. भागवत


नई दिल्ली, 17 सितम्बर "हम संघ का वर्चस्व नहीं चाहते। हम समाज का वर्चस्व चाहते हैं। समाज में अच्छे कामों के लिए संघ के वर्चस्व की आवश्यकता पड़े संघ इस स्थिति को वांछित नहीं मानता। अपितु समाज के सकारात्मक कार्य समाज के सामान्य लोगों द्वारा ही पूरे किए जा सकें, यही संघ का लक्ष्य है।"
यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक प.पू. मोहन भागवत ने 'भविष्य का भारत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' विषय पर अपने तीन दिवसीय व्याख्यान के पहले दिन के सत्र को संबोधित करते हुए कही।
संघ के संस्थापक और आदि सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को संघ विचार का प्रथम स्रोत बताते हुए डॉ भागवत ने कहा, कि अपनी स्थापना के समय से ही संघ का लक्ष्य व्यक्ति निर्माण के माध्यम से समाज का निर्माण करना रहा।
जब समर्थ, संस्कारवान और संपूर्ण समाज के प्रति एकात्मभाव रखने वाले समाज का निर्माण हो जाएगा तो वह समाज अपने हित के सभी कार्य स्वयं करने में सक्षम होगा।
संघ के स्वभाव और इसकी प्रवृत्ति के विषय में डॉ. भागवत ने कहा, कि संघ की कार्यशैली विश्व में अनूठी है। इसकी किसी से तुलना नहीं हो सकती। यही कारण है, कि संघ कभी प्रचार के पीछे नहीं भागता।
सभी विचारधारा के लोगों को संघ का मित्र बताते हुए डॉ भागवत ने कहा, कि डॉ हेडगेवार के मित्रों में सावरकर से लेकर एम एन राय जैसे लोग तक शामिल थे। न उन्होंने किसी को पराया माना न संघ किसी को पराया मनता है।
संघ का मानना है, कि समाज को गुणवत्तापूर्ण बनाने के प्रयासों से ही देश को वैभवपूर्ण बनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा, कि व्यवस्था में परिष्कार तब होगा, जब समाज का परिष्कार होगा और समाज के परिष्कार के लिए व्यक्ति निर्माण ही एक उपाय है।
उन्होंने कहा, कि संघ का उद्देश्य हर गांव, हर गली में ऐसे नायकों की कतार खड़ी करना है, जिनसे समाज प्रेरित महसूस कर सके।
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समाज में वांछित परिवर्तन ऊपर से नहीं लाया जा सकता। भेदरहित और समतामूलक समाज के निर्माण को संघ का दूसरा लक्ष्य बताते हुए डॉ भागवत ने कहा, कि हमारी विविधता के भी मर्म में हमारी एकात्मता ही है। विविधता के प्रति सम्मान ही भारत की शक्ति है।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, एम.एन. राय, डॉ. रवीन्द्र नाथ ठाकुर, डॉ. वर्गीज कुरियन आदि अनेक महापुरुषों का उदाहरण देते हुए डॉ भागवत ने कहा, कि इस देश के समाज को अपने प्रति विश्वास जागृत करने की आवश्यकता है। यह विश्वास भारत की प्राचीन संस्कृति और परंपराओं से ही जागृत हो सकता है। भारत के मूल तत्व की अनदेखी करके जो प्रयास किए गए उनकी विफलता स्वत: स्पष्ट है। 
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डॉ. भागवत ने कहा, कि संघ और इसके कार्यक्रमों का विकास अपने कार्यकर्ताओं की स्वयं की ऊर्जा और प्रेरणाओं से होता है। संघ की उसमें किसी प्रकार की भूमिका नहीं होती। आपदा और संकट की स्थिति में संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक देश के प्रत्येक नागरिक के साथ खड़ा है यह संघ का स्वभाव है।
भविष्य का भारत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण विषय पर आयोजित तीन दिनों की व्याख्यानमाला का आज पहला दिन था। संघ के सरसंघचालक के व्याख्यान से पूर्व विषय की प्रस्तावना रखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र के संघचालक माननीय बजरंगलाल गुप्त ने कार्यक्रम की संकल्पना स्पष्ट की।
विज्ञान भवन के सभागार में समाज के अलग-अलग क्षेत्र के ख्यातनाम विशिष्ट लोगों उपस्थित थे। कार्यक्रम में कई देशों के राजदूत, लोकेश मुनि, कई केन्द्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, अर्जुन राम मेघवाल, विजय गोयल आदि उपस्थित थे। इनके साथ ही मेट्रो मैन ई श्रीधरन, फिल्म जगत की कई हस्तियां मनीषा कोइराला, मालिनी अवस्थी,  अन्नू मलिक, अन्नु कपूर, मनोज तिवारी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी उपस्थित थे।‌

सोमवार, 17 सितंबर 2018

भविष्य का भारत - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण तीन दिवसीय व्याख्यानमाला - सीधा प्रसारण



 भविष्य का भारत - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण 

 तीन दिवसीय व्याख्यानमाला 

 परम पूजनीय सरसंघचालक डॉ मोहनराव जी भागवत के उध्बोधन का सीधा प्रसारण 

लाइव प्रसारण संघ के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट facebook/RSSOrg, @rss, Youtube RSSOrg पर देखा जा सकता है।


भविष्य का भारत - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण लाइव प्रसारण संघ के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट facebook/RSSOrg, @rss, Youtube RSSOrg पर देखा जा सकता है।

 भविष्य का भारत - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण 

 तीन दिवसीय व्याख्यानमाला 

 परम पूजनीय सरसंघचालक डॉ मोहनराव भागवत 













राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा 'भविष्य का भारत' विषय पर तीन दिवसीय व्याख्यानमाला (17 -19 सितम्बर, 2018) के सन्दर्भ में संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री अरुण कुमार जी द्वारा जारी वक्तव्य


राष्ट्रीय  स्वयंसेवक  संघ  द्वारा  'भविष्य  का  भारत'  विषय  पर  तीन  दिवसीय  व्याख्यानमाला (17 -19 सितम्बर, 2018) के सन्दर्भ में संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री अरुण कुमार जी द्वारा जारी वक्तव्य


राष्ट्रीय  स्वयंसेवक  संघ  द्वारा  'भविष्य  का  भारत'  विषय  पर आयोजित  तीन  दिवसीय  व्याख्यानमाला  का  आयोजन  सोमवार  से  विज्ञान  भवन  में  शुरू  होगा। कार्यक्रम  में  विभिन्न  समसामयिक  विषयों  पर  संघ का  दृष्टिकोण  एवं  भविष्य  के  भारत  की  संकल्पना  विषय  पर  तीनों  दिन  डॉ. मोहन  भागवत  प्रबुद्धजनों  को  संबोधित  करेंगे।  इस हेतु  समाज  में  विविध  विचारधाराओं,  पंथ, संप्रदाय,  प्रबुद्धजनों,  एवं सामाजिक  क्षेत्र  में  कार्य  करने  वाले  विशिष्ट  व्यक्तियों  को  आमंत्रित  किया  गया  है।
समय एवं स्थान
दिनांक :      17-19  सितंबर 2018 (सोमवार से बुधवार)
समय     :               शाम  5  बजे  से
स्थान     :               विज्ञान  भवन  नई  दिल्ली

*कार्यक्रम  का  लाइव  प्रसारण  संघ  के  आधिकारिक  सोशल  मीडिया  अकाउंट  facebook/RSSOrg, @rss, Youtube RSSOrg  पर  देखा  जा सकता  है।
अरुण कुमार 
(अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख)

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The Rashtriya Swayamsevak Sangh will present its vision on the topic ‘Future of Bharat’ through a three-day lecture series beginning Monday, 17th September, at the Vigyan Bhawan, New Delhi. On all three days, Dr Mohan Bhagwat will address a gathering of eminent personalities invited from across the social spectrum, including intellectuals and prominent representatives from different ideologies, religions, sects, and social sector.

Dates  :           17-19 September 2018 (Monday to Wednesday)
Venue :           Vigyan Bhawan, New Delhi
Time   :           5:00 p.m.

Program will be streamed live on:

ARUN KUMAR
(Akhil Bhartiya Prachar Pramukh)

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित