राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक आरंभ
पर्यावरण और जल संरक्षण पर होगी चर्चा
पर्यावरण और जल संरक्षण पर होगी चर्चा
मुंबई,
31 अक्टूबर। मुंबई के केशव सृष्टि परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की
अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक आरम्भ हुई। बैठक का आरम्भ सरसंघचालक
डॉ. मोहनजी भागवत और सरकार्यवाह श्री सुरेशजी जोशी ने छत्रपति शिवाजी
महाराज तथा भारत माता के चित्र को पुष्पांजली अर्पित करके किया।
इस
अवसर पर रामभाऊ म्हालगी सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते
हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि
संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक प्रतिवर्ष दो बार आयोजित की
जाती है। एक मार्च में और दूसरी दीपावली के पूर्व। इस बैठक में देश भर से
संघ के अखिल भारतीय, क्षेत्र तथा प्रांत के पदाधिकारी शामिल होते हैं।
पत्रकार वार्ता में उनके साथ संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री अरुण
कुमार व सह प्रचार प्रमुख श्री नरेन्द्र ठाकुर भी उपस्थित थे। यह बैठक 2
नवंबर तक चलेगी। उन्होंने बताया कि इसी श्रृंखला में ये बैठक इस बार मुंबई
में आयोजित की गई है जिसमें देश भर से 350 प्रतिनिधि शामिल हुए हैं।
डॉ.
वैद्य ने बताया कि इस बैठक में संघ द्वारा विभिन्न राष्ट्रीय विषयों पर
चर्चा करने के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में पिछले वर्ष किए गए कार्यों व
आने वाले साल में किए जाने वाले कार्यों पर चर्चा होगी। इसके साथ ही जिन
क्षेत्रों में संघ द्वारा कुछ विशेष कार्य या नए प्रयोग किए गए हैं उन पर
भी चर्चा होगी।
2010
से संघ ने कार्य विस्तार की कुछ विशेष योजनाएँ हाथ में ली है। संघ का
कार्य दैनिक शाखाओं के माध्यम से विस्तारित किया जाता है। आज संघ की 55
हजार से अधिक शाखाएँ देश भर में लेह लद्दाख से लेकर त्रिपुरा और अंडमान तक
संचालित हो रही है। संघ का कार्य देश भर के 850 जिलों और 6 हजार तहसीलों
में फैला है। 90 प्रतिशत खंडों(तहसीलों) पर संघ की शाखाएँ नियमित रूप से चल
रही है। संघ द्वारा 10 से 12 गाँवों का मंडल बनाया गया है। ऐसे 56 हजार
मंडल बनाकर सभी गाँवों को इसमें जोड़ा गया है। इसमें से 58 प्रतिशत मंडलों
तक हमारा कार्य पहुँच चुका है। विगत तीन वर्षों में मंडलों में 5 प्रतिशत
की और शाखाओं में 3 प्रतिशत की वृध्दि हुई है। इस समय 31 हजार से ज्यादा
स्थानों में शाखाएँ चल रही है, उनमें 82 प्रतिशत शाखाएँ ग्रामीण क्षेत्रों
में व 12 प्रतिशत नगरीय क्षेत्रों में चल रही है।
उन्होंने
बताया कि बैठक में पर्यावरण और जल संरक्षण विषय पर विशेष ध्यान देने के
लिए चर्चा होगी। स्वयंसेवक समाज को साथ लेकर इन मुद्दों पर कैसे काम करें
इस पर विशेष चर्चा होगी।1998 से ग्राम विकास गतिविधि चल रही है। इसके कारण
600 गाँव में प्रत्यक्ष परिणाम देखने को मिला, इन गाँवों से मिले परिणामों
के आधार पर 2 हजार गाँवों में विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं।
उन्होने
कहा कि गौ संवर्धन गतिविधि के अंतर्गत भारतीय नस्ल की गायों का संरक्षण,
गौ आधारित कृषि, गौ चिकित्सा आदि के प्रयोग चल रहे हैं। आज पूरी दुनिया में
ब्राजील, न्यूज़ीलैंड में इसका महत्व बढ़ रहा है। 2010 के बाद इस दिशा में
व्यापक स्तर पर कार्य शुरु किया गया है। अब तक 1500 नई गौशालाएँ शुरु की
गई है। गौ अनुसंधान केंद्रों के माध्यम से गौमूत्र और गोबर पर प्रयोग किए
जा रहे हैं।
कुटुंब
प्रबोधन के माध्यम से परिवारों को जोड़ने का एक और महत्वपूर्ण कार्य संघ
ने हाथ में लिया है। आज परिवार बिखर रहे हैं, परिवारों को कैसे बचाया जाए,
ये संघ की प्रमुख चिंता है। इसी विषय पर व्यापक गतिविधियाँ कैसे चलाई जाए
इस पर भी चर्चा होगी।
उन्होंने
बताया कि संघ के स्वयंसेवक हर दैवीय आपदा में सेवा देते हैं, लेकिन वे इन
कामों के लिए प्रशिक्षित नहीं होते हैं। इस बैठक में विपदा राहत कार्य में
सेवा देने वाले संघ के स्वयंसेवकों को कैसे प्रशिक्षित किया जाए इस पर भी
चर्चा होगी। वर्तमान में 1.50 लाख सेवा प्रकल्प स्वयंसेवक चलाते हैं। अब
देश भर में स्वयंसेवकों के बीच एक सर्वे कराया जा रहा है कि वे किस विषय
में रुचि रखते हैं। उनकी रुचि के अनुसार उन्हें सेवा कार्यों में जोड़ा
जाएगा। इस पर भी चर्चा होगी। इसके साथ ही अलग-अलग प्रदेशों से आए
प्रतिनिधियों द्वारा रखे गए विषयों पर भी चर्चा होगी।
राम
मंदिर मुद्दे को लेकर एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि यह मुद्दा न
हिंदू –मुस्लिम का है और न ही मंदिर-मस्जिद के विवाद का है। बाबर के
सेनापति ने जब अयोध्या में आक्रमण किया तो ऐसा नहीं था कि वहाँ नमाज के लिए
जमीन नहीं थी। वहाँ खूब जमीन थी, मस्जिद बना सकते थे। पर उसने आक्रमण कर
मंदिर को तोड़ा था। पुरातत्व विभाग द्वारा की गई खुदाई में यह सिद्ध हो
चुका है कि इस स्थान पर पहले मंदिर था। इस्लामी विद्वानों के अनुसार भी
ज़बरदस्ती क़ब्ज़ाई भूमि पर पढ़ी गई नमाज़ क़बूल नहीं होती है और सर्वोच्च
न्यायालय ने भी अपने फ़ैसले में कहा है कि नमाज के लिए मस्जिद जरुरी नहीं
होती, ये कहीं भी पढ़ी जा सकती है।
राम
मंदिर राष्ट्रीय स्वाभिमान और गौरव का विषय है। उन्होंने कहा कि जैसे
सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया और भारत के तत्कालीन
राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद खुद प्राणप्रतिष्ठा में गए थे। उन्होंने
कहा कि इसी तरह सरकार को चाहिए कि वह मंदिर के लिए भूमि अधिग्रहीत कर उसे
राम मंदिर निर्माण के लिए सौंप दे। इसके लिए सरकार कानून बनाए।
स्त्रोत :विश्व संवाद केंद्र भारत दिल्ली
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