सरकार्यवाह सुरेश (भय्याजी) जोशी का वक्तव्य
सबरीमला
देवस्थानम पर हाल में आए निर्णय ने पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया पैदा की
है. यद्यपि हम भारत में ऐसी अनेक स्थानीय मंदिर परंपराओं का आदर करते हैं
जिन का अनुसरण सभी श्रद्धालु करते हैं, वहीं हमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय
के निर्णय का भी सम्मान करना होगा. सबरीमला देवस्थानम का विषय भी स्थानीय
मंदिर की परंपरा और आस्था से जुड़ा हुआ है, जिसके साथ महिलाओं सहित लाखों
श्रद्धालुओं की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. निर्णय पर विचार करते हुए श्रद्धालुओं की इन भावनाओं की अनदेखी नहीं की जा सकती.
दुर्भाग्य से, केरल सरकार ने न्यायालय के निर्णय को क्रियान्वित करते
हुए श्रद्धालुओं की भावनाओं का ध्यान रखे बिना, तुरंत प्रभाव से कदम उठाए
हैं. इस पर श्रद्धालुओं, विशेषकर महिलाओं की प्रतिक्रिया होनी स्वाभाविक ही
है जोकि इन परंपराओं का बलपूर्वक उल्लंघन किए जाने के विरुद्ध प्रदर्शन कर
रही हैं.
जहाँ सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए, वहीं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सभी धार्मिक और सामाजिक नेताओं सहित सभी पक्षकारों
का आह्वान करता है कि वे सामूहिक रूप से इस विषय का गहन विश्लेषण कर,
न्यायिक विकल्पों सहित सभी संभव प्रयास करें. इसके साथ ही उनको अपनी आस्था
एवं परंपरा के अनुरूप उपासना के अधिकार को लेकर अपनी चिंतायें संबंधित
अधिकारियों के समक्ष शांतिपूर्ण तरीके से व्यक्त करनी चाहिए.
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