सोमवार, 1 अक्तूबर 2018

सामाजिक विकास की गतिविधियों से सशक्त समृद्ध , समाज व् राष्ट्र निर्माण में योगदान वानप्रस्थी अवधारणा - सरसंघचालक जी

 सरसंघचालक जी के वार्षिक क्षेत्रीय प्रवास नागौर की एक रिपोर्ट 
सामाजिक विकास की गतिविधियों से सशक्त समृद्ध , समाज व् राष्ट्र निर्माण में योगदान वानप्रस्थी अवधारणा - सरसंघचालक जी

नागौर . सम्पूर्ण समाज के संगठन, संस्कार के लिए समाज के सभी वर्गों में काम  किये जाने की आवश्यकता है और संघ का उद्देश्य किसी एक समूह समुदाय के लिए नहीं वरन सम्पूर्ण समाज को संस्कारित एवं संगठित करना , इस लक्ष्य को संघ ने धारण किया है।  यह विचार व्यक्त करते हुए संघ के परम पूजनीय सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी ने वानप्रस्थ कार्यकर्ता   बैठक में आये हुए स्वंयसेवको को विभिन्न गतिविधियों को सक्रिय  करने में अपना  योगदान देने का आव्हान किया।

शारदा विद्या निकेतन परिसर स्थित निवेदिता छात्रावास परिसर के सभागार में सम्पन्न हुई राजस्थान क्षेत्र की वानप्रस्थी कार्यकर्त्ता बैठक में सरसंघचालक जी के साथ 175 वानप्रस्थी कार्यकर्त्ता 24 - 25 सितम्बर को सम्पन्न हो रही बैठक में सहभागी हुए।

अपने  पारिवारिक कौटुम्बिक दायित्वों से निवृत होने के बाद अपने  समय को संघ योजना से समर्पित करने वाले स्वयंसेवक कार्यकर्त्ता वानप्रस्थी कहलाते है।  संघ के माध्यम से समाज परिवर्तन के अन्यान्य कार्य - सेवा , शिक्षा, संस्कार, समरसता, ग्राम विकास, पर्यवरण, गौ संवर्धन जैसे कार्यो द्वारा समाज के उठान  अपना योगदान देने वाले ऐसे वानप्रस्थी कार्यकर्ता संघ के आग्रह पर इन कार्यों  का उत्तरदायित्व वहन  कर रहे है।

24 सितम्बर को विभिन्न सत्रों में वानप्रस्थी कार्यकर्ताओ के द्वारा किये जा रहे कार्यो उनकी स्थिति  उनसे आ रहे परिवर्तन एवं उनके अनुभूति को सबके बीच में कहने सुनने बताने अर्थात अनुभव कथन का अवसर वानप्रस्थी कार्यकर्त्ता को मिला।

बढ़ता हुआ संघ कार्य व् उसके प्रति समाज का विश्वास तथा युवाओं के साथ साथ हर आयु वर्ग संघ कार्य को जानने समझने की जिज्ञासा के दौर में स्वयंसेवको द्वारा समरसता एवं  कार्यों के साथ साथ पर्यावरण के क्षेत्र में व् घुमन्तु जातीय के क्षेत्र में भी कार्य व्याप्ति व् बढ़ती आवश्यकता पर चर्चा हुई।  ग्रामीण क्षेत्र मंडल एवं शहरी क्षेत्रो में बस्तियों तक समाज सभी वर्ग उनके बीच संघ के चल रहे सेवा संस्कार कार्य तथा उनकी अधिक बढ़ती आवश्यकता का अनुभव उस बैठक में सभी कार्यकर्ताओं को अपने पाने अनुभव कथन करने के पश्चात हुआ।

घुमन्तु जातीय यानि स्वतंत्रता के इतने वर्षो के बाद भी यह जातीय अपना स्थान समय समय पर बदलती रहती है अर्थात वे स्थिर रह कर एक स्थान पर नहीं रहते है।  ऐसी सभी जातियों के बीच भी शिक्ष, सेवा संसजर के काम उनके जीवन स्तर  को उठाने एवं समाज  मुख्यधारा में लेन के लिए कार्य की आवश्यकता पर चर्चा व् योजना हुई।

पर्यावरण के क्षेत्र में अपना संस्थान  (अपना देवी पर्यावरण नागरिक संस्थान ) के माध्यम से स्वयंसेवकों द्वारा  किये गए वृक्षारोपण कार्य की जानकारी दी गई एवं समीक्षा हुई. कुछ वर्षो से राजस्थान में स्वयंसेवक अपना संस्थान  के माध्यम से वृक्षारोपण का काम चलाये हुए है।

25  को प्रातः से दोपहर भोजन तक के सत्रों में सरसंघचालक जी से विकास, गौ सेवा एवं  कुटुंब प्रबोधन पर मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।  पूजनीय सरसंघचालक जी ने वानप्रस्थी कार्यकर्ताओ के मध्य अपने समय समर्पण  के माध्यम से समाज परिवर्तन के कार्य की आवश्यकता को प्रतिपादित करते हुए सशक्त समाज की अवधारणा स्वयंसेवकों के मध्य रखी।

विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए सरसंघचालक जी ने बताया कि  सशक्त समाज के लिए समाज के सभी वर्गों का समान रूप से उत्थान विकास यह आवश्यक है  एवं स्वयंसेवकों  द्वारा इन गतिविधियों से सवेंदनशील सज्जन शक्ति के साथ लग कर अपने समाज को परिवर्तित  सशक्त समाज के दिशा में अपनी ऊर्जा क्षमता का योगदान करना चाहिए. 

प्रान्त प्रचार प्रमुख पंकज कुमार जी ने बताया कि तीनों  प्रान्त (जयपुर , जोधपुर एवं चित्तोड़ ) के वानप्रस्थी कार्यकर्त्ता सरसंघचालक जी का मार्गदर्शन प्राप्त कर विभिन्न गतिविधियों  माध्यम  परिवर्तन के कार्य चलने  योगदान का संकल्प  दोपहर भोजन के पश्चात अपने  क्षेत्र  लौटे।
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नागौर।  संघ के स्वयंसेवकों  को शाखाओ को सर्वस्पर्शी बनाने के साथ साथ अपने क्षेत्र में सामाजिक समरसता के लिए कार्य करना चाहिए।  ग्रामीण मण्डल  कार्यवाह कार्यकर्त्ता हम सभी को इसके लिए योजना रचना  करनी चाहिए।

लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं हैं  बल्कि जनमानस को भी सामाजिक समरसता के कार्य करने के लिए योग्य बनाना है।  इस कार्य को शीघ्र गति से शाखाओं  द्वारा करना हम सभी स्वयंसेवकों  का दायित्व है।

यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन जी भागवत ने नागौर जिला मुख्यालय के शारदा बाल निकेतन में चल रहे मण्डल कार्यवाह प्रशिक्षण वर्ग में व्यक्त किये.  संघ के वरिष्ठ प्रचारक सोहन सिंह की स्मृति  में बनाये सभागार में कार्यकर्ताओ की जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम में उन्होंने यह विचार व्यक्त रखे.

उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता जितनी सर्वव्यापी होगी उतना ही संगठित समाज होगा जिससे अपना देश मजबूत होगा , शक्तिशाली होगा।  देश की अखंडता के लुए हर जागरूक व्यक्ति सामाजिक समरसता के लिए कार्य करे ऐसी मनस्थति उनकी बने यही मण्डल कार्यवाहों  की भूमिका है।  हर गाँव   स्वावलम्बी बने हर गाँव  में सभी जातियों के लिए प्रयुक्त किये जाने वाला एक कुआँ , एक मंदिर व् एक श्मशान हो। हमारा कार्य सर्वस्पर्शी, सर्वव्यापी एवं समरसता युक्त हो यह सभी कार्यकर्ताओ को अपने व्यवहार से सिद्ध करना होगा।

संघ के सरसंघचालक ने विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए इस कार्यक्रम में कार्यकर्त्ता का व्यवहार, भूमिका व् कार्य करने की निरंतरता पर बल दिया।  उन्होंने कहा कि जिस प्रकार नियमित सांस लेना अनिवार्य है उतना ही संघ कार्य की अनिवार्यता लगे तभी निरंतर काम करना ध्येय बनता है।  आदर्श व्यवस्था के लिए वैसा ही व्यवहार खड़ा करना, उदाहरण खड़े करना जरुरी है।

अपने व्यवहार व् अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अपने विचार को संतुलित व् मर्यादित ढंग से रखना एक कार्यकर्त्ता की लिए बहुत  जरुरी है। जिस प्रकार कोण की रेखायें  दूर जाते जाते अत्यधिक दुरी पर हो जाती है उसी प्रकार छोटी छोटी बातें  ठीक प्रकार से व्यक्त न होने पर आगे जाते जाते और अधिक विकृत रूप से प्रस्तुत की जाने  लगती है।  उन्होंने कहा कि अपने यहाँ अनुशासन    आत्मीय भाव के कारण से ही है। 
 
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नागौर  राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ के प. पू  सरसंघचालक मोहन जी भागवत आज प्रातः नागौर स्थित शारदा बाल  निकेतन पहुंचे।  

यहाँ पर अगले दो दिन जोधपुर प्रान्त के सभी मण्डल  कार्यवाहों  का अभ्यास वर्ग आयोजित किया गया है।  जहां  आज सरसंघचालक जी ने मण्डल  कार्यवाहों  को सम्बोधित किया।  शारदा बाल  निकेतन में स्व. सोहन सिंह सभागार में प्रातः के सत्र में 958 मण्डल कार्यवाह सहित 1200 अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए मण्डल इकाई तक दैनिक शाखाओ के विस्तार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अपने देश को शक्तिशाली एव समृद्व राष्ट्र के लिए संस्कारित व संगठित समाज निर्माण का आव्हान करते हुए दैनिक शाखा मण्डल  स्तर  पर विस्तारित करने की जरुरत बताई।  दैनिक शाखा पर संस्कार व् संगठन से ही संस्कारित शक्ति निर्माण होगी व  यह कार्य ग्रामीण क्षेत्र में मण्डल  तक हो. 

संघ की व्यक्ति निर्माण की अनूठी कार्यशैली शाखा की महत्ता को स्पष्ट करते हुए स्वयंसेवको की प्रशिक्षण रचना को भी व्यवस्थित व सुचारु रूप  की कार्य योजना बनाने का आव्हान करते हुए शारीरिक, बौद्धिक व् राष्ट्रीय  संस्कार के कार्यक्रमों का महत्त्व स्पष्ट किया. 

शाखाओ के माध्यम से सज्जन शक्ति को संगठित कर शाखाओं को सर्वस्पर्शी बनाते हुए सम्पूर्ण समाज को संगठन करने के संघ के लक्ष्य को मण्डल  कार्यवाहो के मध्य रखा। 

प्रान्त भर से आये मण्डल  कार्यवाह व् अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी का यह अभ्यास वर्ग २४ सितम्बर की दोपहर तक रहेगा।  जिसमे सरसंघचालक जी क्रमशः शाखा व संगठन विषयो पर वार्ता करेंगे। 

प्रान्त प्रचार प्रमुख पंकज कुमार जी ने बताया कि इस अभ्यास  वर्ग में अखिल भारतीय बौधिक  शिक्षण प्रमुख श्री स्वात रंजन , क्षैत्रिय प्रचारक श्री दुर्गादास, प्रान्त संघचालक श्री ललित शर्मा, प्रान्त कार्यवाह श्री श्याममनोहर , प्रान्त प्रचारक श्री योगेंद्र सहित प्रांतीय, क्षेत्रीय पदाधिकारी कार्यकर्त्ता उपस्थित है।

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित