मरुधरा शक्ति संगम, त्रिवेणी संगम-पथ संचलन सम्पन्न
माननीय इन्द्रेश जी का उध्बोधन
फलोदी। २ अक्टूबर २०१४। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ फलोदी जिले का विजयादशमी पर्व त्रिवेणी संगम के साथ सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर आयोजित मरुधरा शक्ति संगम में अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य माननीय इन्द्रेश कुमार जी मुख्य वक्ता थे।
अवतरण और काव्य गीत के बाद इद्रेश जी ने कहा कि मै नवरात्रों पर मातेश्वरी माँ भगवती से प्रार्थना करता हूँ कि आप सभी के जीवन में खुशहाली सदभावना लाये और आप उन्नति के मार्ग पर चलें।आरएसएस के कार्य की दृष्टी से फलोदी जिला है। फलोदी पवित्र स्थान है। यहाँ कण कण में यहाँ के जन जन में उर्जा है।
लाखों वर्ष पूर्व भगवान ने सृष्टि से जो वादा किया था की जब जब धरती पर
पापाचार,अत्याचार,अनाचार बढ़ेगा तब तब यहाँ वीर-वीरांग्नायें,ऋषि-मुनि,देवी-
देवता और कभी कभी भगवान स्वयम भी आयेंगे। वे कभी राम कभी कृष्ण के रूप में
आये।हम धरती माता कहते है क्योकि यह भगवान की गोद है। विदेशो में धरती को
माता नही कहा जाता। केवल भारत ही भगवान की गोद है। हम सभी जो भारत में
जन्मे है पूर्व जन्म के भाग्यशाली है। हमें जन्म हेतु गृहों में धरती और
धरती पर भारत में जन्म का अवसर मिला है। आरएसएस इस देश के लोगों और इस देश
से विभाजित होकर अलग हुए पड़ोसी देशों के लोगों को इस बात की याद दिलाता है।
इन्द्रेश जी ने अपने उध्बोधन में कहा कि माँ के अनेक रूपों को हम याद और प्रणाम करते है। जहाँ पर नारी की पूजा होती है वहां पर मनुष्य देवता के रूप में निवास करते है जहाँ नारी का अपमान होता है वहाँ मनुष्य के रूप में राक्षस और शैतान निवास करते है। जो लोग कन्या भ्रूण हत्या नही करते है मै उनको प्रणाम करता हूँ ।जो भ्रूण हत्या करता है वह पापी है वह राक्षस है। कन्या की रक्षा करना धर्म है। यदि कन्या की हत्या कर दी होती तो हमारा जन्म ही न होता इस लिए मै उन माता-पिता को धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या नहीं की जिससे हमने जन्म लिया। जो भ्रूण हत्या करता है वह माँ का हत्यारा है। वह पापी है। इससे बड़ा कोई पाप नही।
इसलिए मै कहता हूँ कि बेटी का जन्म दिन धूम धाम से मनाओ। लोग इस बात को समझें और माँ की हत्या न हो।नारी के प्रति हमारा नजरिया,हमारा दृष्टिकोण माँ का है बहन का है बेटी का है इसी लिए हम रक्षा बन्धन का त्यौहार मनाते है ।पूर्व काल में पत्नी अपने पति की रक्षार्थ माँ अपने पुत्र की रक्षार्थ उसे राखी बंधती थी। रक्षा बंधन को प्रकृति-पुरुष के सम्बन्ध के रूप में भी मनाते है। हम जंगल में जाकर प्रकृति के सानिध्य में रह कर वनस्पति की पूजा करते है। सैनिक और नागरिक,गुरु और शिष्य,व्यापारी और मजदूर के अनुबंध के रूप में भी रक्षा बंधन को मनाते है। जब हम जाती-पांति से उपर उठकर इस पर्व को मनाने लगेंगे तभी बलात्कार मुक्त भारत बना सकेंगे।
फलोदी के बारे में उन्होंने कहा कि फलोदी में तो शक्ति का संचार होता है। यहाँ 3-3शक्ति स्थल है।
दुनियां की अनेक ताकतों ने भारत पर आक्रमण किये। शक कुषाण,यूनान पुर्तगाल
अनेक आक्रान्ता आये। भारत के लोग भूमि को मात्र भूमि नही मातृ भूमि मानते
है। भूमि के लिए माँ का भाव है। इसलिए हम लोग मातृभूमि के लिए बलिदान होते
है है,इसे बेच नही सकते। विदेशों में भूमि को लैंड और ओरत को लेडी कहते है
हम लेडी और लैंड नही माँ और मातृभूमि कहते है। हम ओरत को बेटी ,बहन और माँ
की नजर से देखें देश को मातृभूमि क नजर से देखें तो देश में बलात्कार और
पाप नही होंगे। देश में खुशहाली ,प्रगति शांति और विकास होगा।
एक फोजी हमारी जीवन रक्षा के लिए सीने पर गोली खाने को तैयार होता है।हम अपने अपने काम पर,दुकान पर,नौकरी पर जीने की उम्मीद से जाते है लेकिन फोजी जीने की उम्मीद से नही जाता है वह सीने पर गोली खाने को तैयार होता है। फोजी को मोत मिलती है हमे स्वतंत्रता और सम्मान मिलता है। वह 30-40 हजार रुपयों के लिए नही मातृभूमि की रक्षा के लिए जाता है।" जो लोग मातृभूमि की भक्ति की शक्ति का सम्मान नही कर सकते वे कृतघ्न होते है। जीवन में कष्ट होने,ख़ुशी होने पर हम काम से अवकाश ले लेते है किन्तु सेनिक मौत सामने आने पर कहता है "आई लव यू" ऐसे सेनिक को हम परमवीर मेजर शैतान सिंह,भगतसिंह,चंद्रशेखर आजाद,झाँसी की रानी,बेगम हजरत महल,वीर सावरकर के रूप में जानते है।हमारा राष्ट्र अपराध और हिंसा से मुक्त राष्ट्र बन सकता है ।राम ने लंका विजय के बाद लक्ष्मण से कहा था "आपि स्वर्ण मयी लंका न में रोच्यते .............."अर्थात स्वर्ण की लंका भी मुझे अच्छी नही लगती जननी जन्म भूमि स्वर्ग के समान है।
एक फोजी हमारी जीवन रक्षा के लिए सीने पर गोली खाने को तैयार होता है।हम अपने अपने काम पर,दुकान पर,नौकरी पर जीने की उम्मीद से जाते है लेकिन फोजी जीने की उम्मीद से नही जाता है वह सीने पर गोली खाने को तैयार होता है। फोजी को मोत मिलती है हमे स्वतंत्रता और सम्मान मिलता है। वह 30-40 हजार रुपयों के लिए नही मातृभूमि की रक्षा के लिए जाता है।" जो लोग मातृभूमि की भक्ति की शक्ति का सम्मान नही कर सकते वे कृतघ्न होते है। जीवन में कष्ट होने,ख़ुशी होने पर हम काम से अवकाश ले लेते है किन्तु सेनिक मौत सामने आने पर कहता है "आई लव यू" ऐसे सेनिक को हम परमवीर मेजर शैतान सिंह,भगतसिंह,चंद्रशेखर आजाद,झाँसी की रानी,बेगम हजरत महल,वीर सावरकर के रूप में जानते है।हमारा राष्ट्र अपराध और हिंसा से मुक्त राष्ट्र बन सकता है ।राम ने लंका विजय के बाद लक्ष्मण से कहा था "आपि स्वर्ण मयी लंका न में रोच्यते .............."अर्थात स्वर्ण की लंका भी मुझे अच्छी नही लगती जननी जन्म भूमि स्वर्ग के समान है।
संघ के बारे में बताते हुए इन्द्रेश जी ने कहा कि सन1925 विजयादशमी के दिन आरएसएस की स्थापना हुई। प्रारंभ से
लेकर अब तक 55-60 हजार स्थानों पर देश के 9% स्थानों तक संघ का कार्य पहुंच
चूका है। हमारा काम पुरुषों के साथ साथ 4-5हजार स्थानों पर राष्ट्र सेविका
समिति के माध्यम से महिलाओं के बीच पहुंचा है।50 से अधिक देशों में हिन्दू
सेवक सेविका समिति के रूप में और 80-90देशों में कार्यक्रम के रूप में
हमारा काम बढ़ा है।संघ स्थापना से अबतक 89 वर्षो में 1.5लाख सेवा कार्यो के
माध्यम से समाज सेवा कार्य किया है। गरीब पिछडे अशिक्षितों का अपमान न हो
उपहास न हो उनका सम्मान हो इस हेतु आरएसएस सेवा कार्यो में लगा है। सेवा
कोई अहसान या बोझ नहीं है।1000 वर्षो की तपस्या के पूण्य के बराबर किसी की
अहंकार रहित होकर सेवा का पूण्य है। इसबात की सावधानी रहे की दान और सेवा
कार्य का अहंकार नही आवे।
कभी कभी मनुष्य में पाप जन्म लेता है। तब वो किसीको अछूत बना
देता है। हमारे माता-पिता,जाती,बोली,परम्परा सब भगवान ने दी है। जब सब
भगवान का है तो किसी को नीच कहना ईश्वरीय नही अनिश्वरीय कार्य है। राम ने
कहा शबरी नीच नहीं है वह परम भक्त है। उसके झूठे बेर खाये। हमारे इसी अपराध
का परिणाम देश में मतांतरण/धर्मान्तरण के रूप में सामने आया। कुछ थेली के
प्रभाव से ईसाई बने कुछ मुश्लिम हो गये। हमारा रामलाल रामदीन हो गया या
रोबर्ट हो गया। इसी का परिणाम हुआ कि मन्दिर टूटे। पाप होने लगा। समाज से
छूआ छूत रूपी पाप मिटे इस लिये आरएसएस सेवा कार्य करता है।सबको सम्मान
मिले,सबको काम मिले,सबको रोटी मिले इसलिए स्वयं सेवक कार्य करते है। गावो
में झगड़े होते है इसी भेद भाव के कारण।
देश विभाजन के समय 4000 बहिनों ने आत्म बलिदान किया लाखों लोग
मारे गये 3लाख लोग बेघर हो गये। बहुत दर्द भरी स्वतंत्रता थी। आज उसका असर
दीखता है जो लोग बदल गये इसी कारण आज परेशानी दिखती है ।मतान्तरण रूपी
राक्षस को समाप्त करें। यह पूण्य का काम है।किसी गरीब बच्चे को गोद लीजिये। उनकी शिक्षा की व्यवस्था
करें। त्योहार में उसके घर जाएँ कपड़े मिठाई ले जाएँ कुछ समय उनके साथ
खुसियां मनाएँ ।
हम पड़ोसी को हिंसक बनाने की इजाजत नही दे सकते।उन्हें संस्कार दें। प्रेम दें। मै कहता हूँ "adopt a one child make the nation crimeless" साथ साथ खुशियाँ मनाने पर वह गरीब कहेगा कि हमने भगवान तो नही देखा किन्तु भगवान जैसे लोग देखे है। आरएसएस सेवा कार्यों के माध्यम से आपको भगवान जैसा बनने का अवसर देता है।30 हजार शिक्षा केन्द्रों पर शिक्षा के साथ संस्कार देने का काम चल रहा है। संघ इस देश में परिवर्तन के लिए कृत संकल्प है। संस्कार से ही देश में नेक नागरिक मिलेंगे। आरएसएस भारत माँ की भक्ति करता है। भारत माँ हमे अन्न जल वायु वः सब कुछ देती है जो हमे चाहिए। मर कर हम भारत माँ की गोद में ही जाते है। भारत माँ की भक्ति से ही सभी समस्याओं का समाधान सम्भव है।माता-पिता की सेवा हमारा धर्म है ।आरएसएस कहता है भारत माता ही हमारा प्रथम और अंतिम देव है। यदि हम बंट कर रहेंगे तो विनाश होगा एक होकर रहेंगे तो विकास करेंगे।भारत माँ की भक्ति की एकता से प्राप्त शक्ति द्वारा सभी समस्याओ का अंत कर सकेंगे।
आज मै पाकिस्तान और चीन से भी कह देना चाहता हूँ कि अब यहाँ
नेहरु का राज नही है। तब उन्होंने हमारी जमीन लेली। हम देश की एक एक इंच
जमीन के लिए बलिदान दे सकते है। आज मै आतंकवादियो भटके मओवादियो को भी कह
देना चाहता हूँ कि बंदूक जीवन ले सकती है,इज्जत ले सकती है,रोटी और रोजी
छीन सकती है मगर यह सब दे नही सकती। हमारा मार्ग जीवन रक्षा का
है,इज्जत,रोटी देने का है छिनने का नही है। सत्य के पथ पर कष्ट मिल सकते है
हार नही होती।
देश को एक आजादी 1947 में मिली थी ।जो बहुत कष्ट दायक थी
।2014 में मत युद्ध के बाद दूसरी आजादी मिली है। हम समस्याओं का समाधान
करें।1948 में भारत ने पहला व्यापर समझोता किया था ।तब 1 रूपये में 1 डालर
और 1.2रुपया में 1 पोंड था।1857 की क्रांति के समय 20 पैसे का 1 डालर 35
पैसे का एक पोंड था। आज 60-65 रूपये का डालर और 105 रूपये का पोंड हो गये।
हम कोनसा विकास कर रहे है? क्या विदेशी इतना खुबसुरत है क्या हिब्दुस्तानी
इतना बदसूरत है।
जो अपना बनाता और अपना ही खाता है वह बादशाह है। आज हम भारतीय
को खराब और मल्टी नेशनल को चीनी माल को अच्छा मानाने लगे है ।उससे प्यार
करने लगे है। सूर्पनखा और पूतना बहूत धनी और खुबसुरत थी किन्तु राम और
कृष्ण ने उनको सबक सिखाया। वही भारत आज चीन के माल को आई लव यु कहने लगा
है। यह पाप है। भारत विश्व का 62%और चीन का 64% मार्किट है। यदि आज हम उनके
लिए अपना बाजार बंद कर दें तो अमेरिका चीन भिखारी हो जाएँ। हाथ में कटोरा
लेकर फलोदी में घुमने लगे कि दे दाता के नाम। यदि हम स्वदेशी और भारत माता
की जय करेंगे तो हमारा शोषण और अपमान नही हो सकेगा। हम विश्व को मानवता ही
नही देवत्व दे सकते है।
संयोग से फलोदी में आज के दिन दुर्गाष्टमी को ही माँ लटियाल
अवतरित हुई। नगर की स्थापना हुई। हम सरकार से गुजारिश करें इस नगर को उसके
सही नाम फलवृद्धिका के नाम से ही जाना जाये। यह पर्यावरण रक्षकों वीरों और
पीरों की धरती है।
अभी देश में स्वच्छता अभियान भी प्रारंभ हुआ है।इसे सरकारी
कार्यक्रम नही माने। हमारा घर साफ है लेकिन गली मुहल्ला गंदा है। हमने
प्रदुषण को कहा कि घर में तो तू सिर्फ मुझे ही खायेगा ।गली में जा वहाँ
मुझे भी खा और दूसरों को भी खा। खर-दूषन को जब राम ने मारा तो उन्होंने कल
युग में पुन जन्म का वरदान माँगा। खर ने नाम रक्खा पर और दूषन उसी नाम से।
आज दोनों राक्षस मिल गये और कहलाये प्रदुषण। मरने के बाद यमराज इन राक्षसों
को पलने या मारने के आधार पर स्वर्ग या नर्क का फेसला करेंगे। इसलिए नर्क
के दोस्त मत बनो।
इश्वर ने हमें क्यों भेजा? क्या हम गंदगी,नफरत,तनाव,क्रोध में
जिन चाहते है? आज मै सभी से कहना चाहूँगा इस परिसर को स्वच्छ रखें जाते
जाते बाहर की स्वच्छता का भी प्रण लें और प्रदुषण का अंतिम संस्कार करें। मन
बुद्धि और शरीर की स्वच्छता का प्रण लें।"Be Happy Make Others Happy"
स्वयं विचार करें। आरएसएस ईश्वरीय कार्य करने का मौका देता है। हम विश्व के
सामने भारतीयता,हिंदुत्व प्रस्तुत करना चाहते है।
भारत में 16 करोड़ मुसलमान और 3 करोड़ ईसाई है। भारत से अलग हुए भूभाग में 42 करोड़ मुसलमान है। उनसे पूछो तुम कोण हो? इन सबकी पीढियां राम और कृष्ण की ओलाद है। हमारी संस्कृति परम्परा पूर्वज सब कुछ समान है केवल पूजा पद्धति भिन्न है। मेने लाखो मुस्लिम भाइयों से कहा आपने जड़ों की और लोटो। भारत में विदेशी बन कर मत रहो। भारत माता को डायन मत कहो। आतंक फसाद है जिहाद नहीं। पिछले 4-5वर्षो में मैंने मुसलमानों से कहा की मजह्बे इस्लाम रिहान यानि तुलसी के पौधे को जन्नती बनाने वाला कहा गया है। आज 5 हजार से अधिक मुस्लिम घरों में तुलसी है। उनको यह भी बताया की मजह्बे इस्लाम में कहा गया है कि किसी का दिल दुखाने से नमाज कबूल नही होती। तुम्हारे गाय काटने से पडौसी का दिल दुखता है। तुम्हारी नमाज कबूल नही होती।
भारत में 16 करोड़ मुसलमान और 3 करोड़ ईसाई है। भारत से अलग हुए भूभाग में 42 करोड़ मुसलमान है। उनसे पूछो तुम कोण हो? इन सबकी पीढियां राम और कृष्ण की ओलाद है। हमारी संस्कृति परम्परा पूर्वज सब कुछ समान है केवल पूजा पद्धति भिन्न है। मेने लाखो मुस्लिम भाइयों से कहा आपने जड़ों की और लोटो। भारत में विदेशी बन कर मत रहो। भारत माता को डायन मत कहो। आतंक फसाद है जिहाद नहीं। पिछले 4-5वर्षो में मैंने मुसलमानों से कहा की मजह्बे इस्लाम रिहान यानि तुलसी के पौधे को जन्नती बनाने वाला कहा गया है। आज 5 हजार से अधिक मुस्लिम घरों में तुलसी है। उनको यह भी बताया की मजह्बे इस्लाम में कहा गया है कि किसी का दिल दुखाने से नमाज कबूल नही होती। तुम्हारे गाय काटने से पडौसी का दिल दुखता है। तुम्हारी नमाज कबूल नही होती।
इंडोनेशिया में 28 करोड़ मुस्लमान रहते है। उनके नाम अर्जुन
सुकर्ण है। विमान सेवा गरुड है। सिक्को पर गणपति और रिद्धि सिद्धि अंकित
है। वे संस्कृति से सनातन है केवल पूजा पद्धति अलग है। वे मन्दिर की जगह
मस्जिद जाते है। इस सत्य को इस्लाम को स्वीकार करना होगा।
हमारा सपना मिलावट महंगाई अपराध से मुक्त खुशहाल भारत की रचना है। अंत में सभी को भारत माता को प्रणाम करते हुए विश्वास करता हूँ कि हम एक नये हिंदुस्तान का निर्माण करेंगे। इस संकल्प को लेकर आरएसएस के कार्य के साथ कदम से कदम मिलाते हुए कार्य करने का निवेदन करते हुए अपने उद्बोधन को विराम देता हूँ।भारत माता की जय।
इससे पूर्व तीन दिशाओं से प्रारम्भ हुए पथ संचलन का नगरपालिका चौराहे पर त्रिवेणी संगम हुआ। चौराहे से स्वयं सेवक आदर्शनगर पार्क पहुंचे जहां विजयादशमी उत्सव सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर संघ के जिला संघ चालक जगदीश सिंह और जोधपुर प्रांत के प्रान्त संघचालक ललित कुमार जी भी मंचासीन थे।
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