संगोष्ठी का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन करते हुए. |
देव प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देव संस्कृति ही हिन्दू संस्कृति है. जब देव संस्कृति प्रभावी थी तब विश्व में कोई युद्ध नहीं थे, पर्यावरण भी शुद्ध था, हमने अपनी संस्कृति को छोड़ा इसीलिए समस्याएं बढी. हमारी संस्कृति तो मानवता की भलाई के लिए काम करती है, इसमें कट्टरता के लिए कोई स्थान नहीं है. मतान्तरण के कारण देश में ऐसे राष्ट्र विरोधी तत्व खड़े हो गए जो देश को हानि पहुंचा रहे हैं. उन्होंने आह्वान किया कि सभी मत-पंथ सम्प्रदाय एकजुट होकर चलें तभी भारत सुरक्षित रहेगा.
परिवार व्यवस्था में क्षरण और पारिवारिक मूल्यों में आ रही गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि परिवार व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए प्रत्येक परिवार ने सप्ताह में एक बार सामूहिक भोजन व सामूहिक भजन और खुलकर चर्चा करनी चाहिए. बच्चों को अपनी संस्कृति का ज्ञान और गौरव बताएँगे तो वह कभी भटकेंगे नहीं और देश के अच्छे नागरिक बनेंगे. अपने उत्सवों का उपयोग समाज प्रबोधन के लिए करें.
इस अवसर पर देव प्रतिनिधियों ने परिचर्चा में भाग लिया और देव संस्कृति के संरक्षण के लिए अनेक उपयोगी सुझाव भी दिए.
इससे पूर्व कुल्लू पधारने पर सरसंघचालक का स्थानीय परम्परा के अनुसार भव्य स्वागत किया गया. सत्संग सभा के अध्यक्ष श्री राकेश कोहली ने सबका धन्यवाद किया. इस अवसर पर संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य जी, उत्तर क्षेत्र कार्यवाह श्री सीताराम व्यास जी, प्रान्त संघचालक कर्नल (सेनि.) रूप चंद जी, सह प्रान्त संघचालक डॉ. वीरसिंह रांगडा जी, जिला संघचालक श्री राजीव करीर भी उपस्थित थे.
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