वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में स्वदेशी ही एक मात्र विकल्प
हमारा अधिकाशं व्यापार घाटा चीन से वस्तुओं आयात के कारण -
कश्मीरी लाल जी
कश्मीरी लाल जी
शहीद बाबू गेनू स्मृति स्वदेशी विचार व्याख्यान माला
जोधपुर 28 जुलाई 2016 . स्वदेशी आन्दोलन भारत के
प्रथम स्वतंत्रता आन्दोलन के समय से ही जुड़ा हुआ है। भारत को पुनः सोने की
चिड़िया का गौरव प्राप्त करने के लिए क्रांतिकारियों ने स्वदेशी अपनाओं का
नारा दिया था। 12 दिसम्बर 1930 को बाबू गेनू स्वदेशी के लिए शहीद होने वाले
प्रथम व्यक्ति थें। उन्होंने इस बात को समझा कि विदेशी वस्तुओं का भारत
में व्यापार हमारे लिए आर्थिक नुकसान एवं राष्ट्रीय दासता के लिए जिम्मेदार
तत्व है। उपरोक्त कथन स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरीलाल जी
ने शहीद बाबू गेनू स्मृति स्वदेशी विचार व्याख्यान माला में “वर्तमान
आर्थिक परिदृश्य में स्वदेशी ही एक मात्र विकल्प" विषय पर बोलते हुए मोटर
मर्चेन्ट एसोसिएशन सभागार में कहें।
उन्होंने आगे कहा कि स्वदेशी जागरण मंच चीन द्वारा भारत की एन.एस.जी. में
सदस्यता के विरोध को लेकर क्षोभ प्रकट करता है क्योंकि हमारा अधिकाशं
व्यापार घाटा चीन से वस्तुओं आयात के कारण ही हैं। अजहर मसूद हो या महमूद
लखवी जैसे आतंकवादी, चीन उनके समर्थन में खड़ा हो कर भारत के प्रति अपनी
शत्रुता हर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रकट करता है। ऐसे में चीनी वस्तुओं का
आयात करना व इनका उपयोग करना शत्रु राष्ट्र का आर्थिक पोषण करना है। इसलिए
स्वदेशी जागरण मंच राष्ट्रव्यापी अभियान चला कर चीनी वस्तुओं के बहिष्कार
करने का सरकार व जनता का आहवान करता है। मंच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सदा
से विरोध कर रहा है। एफ.डी.आई. से रोजगार बढने कि जो बात की जा रही है,
आकंडे़ बताते है कि इससे रोजगार बढ़ने की जगह घटा है और बेरोजगारी में
वृद्धि हुई है। बहुर्राष्ट्रीय कम्पनीयां स्वचालित प्रणाली द्वारा निर्माण व
उत्पादन करती है जिससे केवल कुछ प्रशिक्षित व्यक्तियों को ही रोजगार
प्राप्त होता है। मंच का मानना है कि एफ.डी.आई. नीति से भारत को लाभ कि जगह
नुकसान ही हो रहा है। 9 अगस्त से “एफ.डी.आई. वापस जाओं“ उद्घोष के साथ
पूरे देश में प्रत्येक जिला स्तर पर मंच द्वारा इसका विरोध शुरू होगा।
आगामी 3 व 4 सितम्बर 2016 को दिल्ली में मंच के सभी पदाधिकारी एकत्र होकर
आगे की रणनिति तय करेंगें।
व्याख्यान
माला कि अध्यक्षता करतेें हुए डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राधेश्याम शर्मा ने कहा कि आज हमें पुनः एक
नये स्वतंत्रता आन्दोलन की जरूरत है जिसमें हम विदेशी कम्पनीयों के सामानों
का पूर्णतः बहिष्कार करे तभी हम वास्तविक रूप से स्वतंत्र होंगे। मैं मंच
के कार्यकर्ताओं का साधुवाद देता है कि वे सम्पूर्ण भारत में इस पुनित
कार्य को निस्वार्थ भाव से पूर्ण कर रहे है। उन्होनंे आगे कहा कि प्राचीन
भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद एक बार पुनः पुरे विश्व में प्रतिष्ठित हो
रही है। सभी जगह योग का डंका बज रहा है। भारतीय संस्कृति व पारिवारिक
मूल्यों को पुनः प्रतिष्ठा बढ़ रही है।
व्याख्यानमाला
के मुख्य अतिथि उत्कर्ष संस्थान के निदेशक निर्मलजी गहलोत ने कहा कि
वर्तमान समय भौतिकवाद का है। हमारी युवा पीढ़ी तेजी से विदेशी संस्कृति,
विदेशीब्रांड, विदेशी खान-पान की ओर आकर्षित हो रही है। जिससे देश की
प्रतिभा व धन का पलायन हो रहा है और देश को प्रतिवर्ष अरबो डाॅलर का नुकसान
हो रहा हैं। मैं मुक्त कंठ से मंच को धन्यवाद देता है कि मंच इस नुकसान को
निस्वार्थ भाव से रोकने में लगा हुआ है। हमारा यह कर्तव्य हो जाता है कि
हम सम्मिलित रूप से मंच के साथ कंधा से कंधा से मिलाकर इस परोपकारी कार्यो
को गति प्रदान करें।
व्याख्यानमाला
के विशिष्ट अतिथि मोटर मर्चेन्ट एसोसिएशन जोधपुर के अध्यक्ष सोहनलाल
मंत्री ने कहा कि आज देश की आर्थिक नीतियाँ विदेशी ताकतों से प्रभावित हो
रही हैं। इसमें हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि हम देश की आर्थिक हितो को
देखते हुए नीतियों का चयन करे और आर्थिक विषमनता को दूर करें।
मंच
के प्रांत संयोजक धर्मेन्द्र दूबे ने कहा कि वर्तमान समय में देश के 388
जिलो में स्वदेशी जागरण मंत्र की ईकाईयां सक्रिय है। दुनिया के 124 देशों
के 1112 शहरों में मंच की वेबसाइट नियमित रूप से देखी जाती है।
मंच
के मीडिया प्रमुख मिथिलेश झा ने बताया कि व्याख्यनमाला के मंच का संचालन
विभाग संयोजक अनिल वर्मा ने किया तथा राष्ट्रीय परिषद के सदस्य देवेन्द्र
डागा ने धन्यवाद दिया। इस अवसर पर शहर के गणमान्य लोग व मंच के दायित्वान
कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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