शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2013

अपनी क्षमता के आधार पर समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करें : श्रीदेवी गोयल

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नागपुर, अक्तूबर 7 : महिलाओं में अपार शक्ति होती है। आवश्यकता इस बात की है कि उन्हें इस शक्ति की अनुभूति हो सके और उस अनुभूति के आधार पर वे समाज में प्रतिष्ठा एवं सम्मान प्राप्त कर सके।
इस आशय को स्पष्ट करते हुए पूर्व पुलिस महासंचालक होमगार्ड एवं नागरी सुरक्षा (महाराष्ट्र) सुश्री श्रीदेवी गोयल ने कहा कि महिलाओं द्वारा अपनी क्षमताओं को बढ़ाना वर्तमान में अतिआवश्यक है। वे राष्ट्र सेविका समिति के विजयादशमी एवं स्थापना दिवस समारोह को सम्बोधित कर रही थीं।
undefinedकार्यक्रम में शामिल सभी सेविकाओं को संबोधित करते हुए सुश्री गोयल ने कहा कि अपनी क्षमताओं को पहचानो, अपने अन्दर की शक्ति को जानो और समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ एकजुट होकर उसका सामना करो। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति, परंपरा, एवं जीवन मूल्यों का अनुसरण करो तभी जीवन का यथार्थ समझने में सहजता होगी और महिला को समाज में उचित सम्मान भी मिल सकेगा।
राष्ट्र सेविका समिति के इस कार्यक्रम में समिति की प्रमुख कार्यवाहिका सुश्री अन्नदानम सीताक्का, विदर्भ प्रान्त की कार्यवाहिका सुश्री सुलभा गौड़, नागपुर महानगर कार्यवाहिका सुश्री करुणा साठे, व्यासपीठ पर विराजमान थीं। पूर्व प्रमुख संचालिकाद्वय वन्दनीय उषाताई चाटी व प्रमिलाताई मेढे की विशेष उपस्थिति रही।
शस्त्र पूजन के साथ कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ। पारंपरिक शस्त्रों के साथ आधुनिक अग्नि प्रक्षेपास्त्र तथा दूरसंचार उपग्रहों के मॉडल की भी पूजा की गई। तत्पश्चात सेविकाओं द्वारा शारीरिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए जिसके अंतर्गत पिरामिड, योगासन व सूर्यनमस्कार, दंडयोग, सामूहिक गीत आदि का समावेश था।
undefinedअपने सरल किन्तु हृदय को स्पर्श करनेवाले शब्दों में सुश्री गोयल ने सहभागी सेविकाओं को बताया कि भारत में युगों से यह मान्यता रही है, जहां महिलाओं का आदर होता है वहां देवता वास करते हैं। वर्त्तमान युग में महिलाओं को ऐसा सम्मान का स्थान यदि प्राप्त करना है तो उन्हें शक्ति की उपासना कर अपनी क्षमताओं का विकास करना होगा। जीवन में सभी कठिनाइयों पर दृढ़ रहते हुए उनका सामना करना होगा और परिवार की रीढ़ होने के नाते नारी द्वारा अपने परिवार को भी एकसाथ रखना होगा।
भारत में महिलाओं को ‘शक्तिस्वरूपा’ माना गया है, इस बात की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि  आधुनिक काल में भी महिलाओं ने अपनी इस शक्ति का परिचय दिया है। कुछ वर्ष पूर्व नागपुर के न्यायालय परिसर में महिलाओं के उग्र भीड़ ने अक्कू यादव नामक एक बदमाश को ख़त्म कर दिया था। इसका स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि एक पुलिस अधिकारी के नाते उसका समर्थन करना उनके लिए ठीक नहीं है, फिर भी एक महिला के नाते जो हुआ वह अच्छा हुआ ऐसा उनका मानना है।
undefinedफेसबुक जैसे सोशल मीडिया के लिए जो पागलपन का दौर आज युवा पीढ़ी में दिखाई देता है उसपर कठोर प्रहार करते हुए सुश्री गोयल ने युवा महिलाओं और युवतियों को नसीहत दे दी कि वे अपना फोटो, एवं व्यक्तिगत जानकारी फेसबुक पर न डालें। ऐसी जानकारी का गलत इस्तेमाल होता है और बाद में संकटों का सामना करना पड़ता है। इससे अपनी पढाई और अपने ध्येय प्राप्ति के मार्ग पर अपना ध्यान केन्द्रित करना अधिक योग्य है।
प्रमुख कार्यवाहिका सुश्री सीताक्काजी ने अपने उदबोधन में कहा कि महिलाएं शक्ति का भंडार है। ‘शक्ति नित्यत्व नियम’ यह शक्ति के संरक्षण का ही नियम है। ब्रह्माण्ड की सभी शक्ति एक ही है पर उसके अविष्कार भिन्न-भिन्न रूपों में दिखाई देते हैं। महिलाएं उसी शक्ति का एक स्वरूप है और ऐसी शक्तिस्वरूपिणी महिलाओं का संगठन समाज में व्याप्त सभी बुराइयों को मूल से विनाश कर सकता है।
पौराणिक काल के ‘रक्तबीज’ दैत्य की कहानी का सन्दर्भ देते हुए न्होंने कहा कि माँ दुर्गा को भी उस दैत्य को मरने हेतु चंडिका का रूप धारण करना पड़ा था और उसके शरीर से रक्त की एक बूँद भी जमीन पर नहीं गिरने दिया, और माता ने उसका संहार किया था। undefined

आज उस रक्तबीज के अनेक रूप दिखाई देते हैं, जैसे- चीन द्वारा हमारी भूमि पर आक्रमण, पाकिस्तान का हमारे विरुद्ध दहशतगर्दी को बढ़ावा देना,  भ्रष्टाचार, महंगाई, रूपये का अवमूल्यन, महिलाओं का उत्पीड़न, लव जिहाद के जरिए हिन्दू युवतियों को इस्लाम के चंगुल में फंसाना और उनका गलत तरीके से इस्तेमाल करना, ये सभी उसी रक्तबीज दैत्य के अनेक रूप हैं जो आज हमें सता रहे। इनका विनाश करने हेतु इस शक्तिस्वरूपिणी महिला को संगठित होना होगा और चंडिका की तरह इस आधुनिक रक्तबीज का विनाश करना होगा। इसके लिए महिलाओं द्वारा अपनी अध्यात्मिक शक्ति को भी विकसित करने की आवश्यकता है और नए पीढ़ी में अपने संस्कारों को संप्रेषित करने का दायित्व भी उसे पूरा करना होगा।
undefinedसुश्री मेधा नांदेडकर ने कार्यक्रम का संचालन किया और सुश्री करुणा साठे ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में महिला कला निकेतन की अनुराधा मुंडले, समिति की अखिल भारतीय शारीरिक शिक्षण प्रमुख मनीषा संत, देवी अहिल्या मंदिर की सुमन सरनाईक, शक्तिपीठ की डॉ. गरिमा सप्रे, संस्कार भारती की डॉ. मन्दाकिनी गुप्ता, अधिवक्ता मीरा खड्ड्कार तथा मुकुल कानिटकर के साथ ही अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।  
  
साभार : http://hn.newsbharati.com/

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित