नयी एफ.डी.आई नीति का कोई लाभ भारत को नहीं - स्वदेशी जागरण मंच
जोधपुर २८ जुलाई २०१६। स्वदेशी जागरण मंच चीन
द्वारा भारत की एन.एस.जी. में सदस्यता के विरोध से लेकर क्षोभ प्रकट करता
है क्योंकि भारत का अधिकांश व्यापार घाटा चीन से वस्तुओं के आयात के कारण
ही है। चाहे मसूद अजहर हो या लखवी जैसे आंतकवादीयों के समर्थन में भी चीन
खड़ा रह कर भारत के प्रति अपनी शत्रुता हर अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर प्रकट
करता है। ऐसे मे भारतीय सरकार का व लोगों का चीन वस्तुओं का आयात करना
शत्रु राष्ट्र का आर्थिक पोषण करना है। इसलिए स्वदेशी जागारण मंच राष्ट्र
व्यापी अभियान चला कर चीनी वस्तुओं के बहिष्कार करने का सरकार व जनता का
आहवान् करता है।
पिछले
दिनों जिस प्रकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दरवाजे भारत सरकार ने खोले है
ये भी अत्यन्त दुखदायी विषय है। स्वदेशी जागरण मंच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
का सदा से विराध करता रहा है और आगे भी करता रहेगा। ऐफ.र्डी. आइ. से
रोजगार बढने की सम्भावना तलाशना महज मृगमारिचिका पूरी दूनिया में इस समय
रोजगार विहिन विकास का दौर चल रहा है और जब से भारत ने विदेशी निवेश को
बढ़ाया है तभी से बेरोजगारी में वृद्धि हुई है। गत 12 वर्षाे में मात्र 1.6
करोंड रोजगार सृजित हुए है जबकि 14.5 करोड़ लोगों को इसकी तलाश थी। यदि
यू.एन.ओं की संस्था अंकटाड की माने तो दुनियाभर में 41 प्रतिशत एफ.डी.आई
ब्राउन फील्ड में आयी है अर्थात पुराने लगे उद्योंगों के ही उन्होंने
हथियाया है, कोई नया उद्योग शुरू नहीं किया।
दुसरी
और बहुराष्ट्रीय कम्पनीयों का जोर केवल स्वचालित या रोबोट प्रणाली द्वारा
निर्माण व उत्पादन करने का रहता है जिसके चलते रोजगार की सम्भावनाएं समाप्त
हो रही है। इसी प्रकार से विदेशी पुंजी जितनी आती है उससे दुगुनी से भी
अधिक पूंजी रायॅल्टी व लांभाश आदि द्वारा विकसित देश गरीब देशों से निकाल
लेते है। आज तक न ही कोई उच्च तकनीकि किसी देश को इन कम्पनीयों द्वारा दी
गयी है।
स्वदेशी
जागरण मंच का स्पष्ट मानना है कि नयी एफ.डी.आई नीति का कोई लाभ भारत को
नहीं होगा बल्कि नुकसान एक से बढकर एक अवश्य होगे। 9 अगस्त क्राति दिवस से
“एफ.डी.आई वापस जाओं” के उदघोष के साथ पूरे देश में प्रत्येक जिला स्तर पर
मंच द्वारा सरकार की एफ.डी.आई नीति का विरोध शुरू होगा। आगामी 3 व 4
सितम्बर 2016 को दिल्ली मंच के सभी पदाधिकारी एकत्र होकर आगे की रणनिति तय
करेगें।
तीसरा
मुद्दा जेनेरिक व भारतीय सस्ती दवाईयों का है आज दुनिया भर के 35 प्रतिशत
मरीज भारत की सस्ती दवाईयों पर आश्रित है। ऐसे में यदि 74 प्रतिशत ब्राउन
फिल्ड निवेश ओटोमेंटिक रूट से 100 प्रतिशत सरकारी अनुमति के कारण प्रत्यक्ष
विदेशी निवेश से भारत के इस व्यवसाय पर हमला करना खतरनाक है। यह न केवल
हमारे फार्मा सेक्टर को अपूरणीय क्षति पहुचायेंगा बल्कि साथ ही साथ दुनिया
की गरीब जनता का, जैनरिक दवाई के नाते, एक मात्र भारतीय विकल्प भी छिन
जायेगा।
यह
विचार स्वदेशी जागारण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरीलाल द्वारा जोधपुर
प्रवास के दौरान गुरूवार को प्रत्रकारों से रूबरू होते हुए दिये गयें। मंच
के प्रदेश संयोजक धर्मेन्द्र दूबे ने जानकारी दी कि मंच के प्रदेश
कार्यकर्ताओं का सम्मेलन 20 व 21 अगस्त 2016 को अलवर में आयोजित होगा
जिसमें मंच की प्रदेश टोली इन मुद्दो पर व्यापक आदोंलन की रणनीति तय करेगी।
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