शनिवार, 23 अप्रैल 2016

विद्याभारती जोधपुर प्रान्त की प्रान्तीय प्रधानाचार्य बैठक संपन्न

विद्याभारती जोधपुर प्रान्त की प्रान्तीय प्रधानाचार्य बैठक संपन्न


 विद्याभारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान से सम्बद्ध विद्याभारती जोधपुर प्रान्त का प्रान्तीय प्रधानाचार्य बैठक के अन्तिम दिन प्रान्त के प्रान्त प्रचारक श्री चन्द्रशेख जी सहप्रान्त प्रचारक श्री योगेन्द्र जी प्रान्त मंत्री श्री अमृत लाल जी दैया, सचिव श्री महेंन्द्र कुमार जी दवे, निरिक्षक श्री गंगाविष्णु जी, सदस्य श्री सत्यपाल जी हर्ष, सेवा प्रमुख श्री रूद्रकुमार जी शर्मा, शिशुवाटिका प्रमुख श्री राजकुमार जी जोधपुर प्रबन्ध समिति आदर्श विद्यामन्दिर के उपाध्यक्ष श्री निर्मल जी गहलोत, व्यवस्था प्रमुख श्री पारस जी जैन सचिव श्री संग्राम जी काला सहित अनेकों गणमान लोग उपस्थित थे।
             
प्रबन्ध समिति आदर्श विद्यामन्दिर के  सचिव   संग्राम जी काला ने बताया कि   प्रान्त के सदस्य श्री सत्यपाल जी हर्ष , श्री चन्द्रशेखर जी  व अमृत लाल जी दैया  ने माॅं शारदा के समक्ष दीप प्रज्वलन कर समापन सत्र का शुभारम्भ किया। उपेक्षित जन शिक्षा निधि में उत्कृष्ट भूमिका निभाने वाले विद्यालयों को पुरस्कार दिये गये।

 
 मुख्य वक्ता जोधपुर प्रान्त के प्रान्त मंत्री श्री अमृतलाल जी दैया ने कहा कि हम स्वतन्त्रता के 67 वर्ष बाद भी मानसिक गुलामी झेल रहे है। 1947 में हमें स्वराज तो मिला किन्तु स्वतन्त्रता नहीं मिली। डाॅ, हेडगेवार ने देश की स्थितियों पर विचार कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की । विद्यार्थीयों के बीच कार्य करने के लिए  विद्याभारती की स्थापना हुई। जो आज विशाल वटवृक्ष  का रूप धारण कर चुका है। आज पाठ्यक्रम बदलने पर जोर रहता है। किन्तु उनसे मात्र शिक्षा मिलती है, संस्कार नहीं , तभी जेएनयू जैसी घटनाएॅ सामने आती है। प्रकृति के अन्तर्गत जड़ चेतन सब विद्यमान है। जिसमें से मनुष्य मात्र को विवेक मिला है। इस नाते मनुष्य को जैसे शिक्षा मिलती है। वैसा ही समाज बनता है। वतर्मान  शिक्षा को ठीक करने के साथ साथ मानव का मन भी ठीक करना जरूरी है।  हमारे ऊपर सम्पूर्ण समाज को जोड़ने की जिम्मेदरी है।  हम समाज प्रबोधन कुटुम्ब प्रबोधन तथा विद्यालय की समस्त गतिविधियाॅं एक प्रेरणादायी वातावरण को निर्मित कर सके। हमारे पूर्व छात्र हमारी बहुत बड़ी पूंजी है, उनके सहयोग से समाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर भाग लेना चाहिए। कार्य को भार न समझें  बल्कि अपना दायित्व मानकर करना चाहिए। इस प्रकार सम्पूर्ण देश में विद्या भारती समाज क्षेत्र में संस्कार सम वातावरण निर्मित करने का पुनीत कार्य कर वर्तमान पीढी को देश भक्त, चरित्रवान, श्रमनिष्ठ इत्यादि श्रेष्ठ गुणो का निर्माण करने मे लगी हुई है।

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित