बुधवार, 17 मई 2017

संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष का शुभारम्भ * संघ को जानना समझना है तो संघ का प्रत्यक्ष कार्य करना पड़ेगा - दत्तात्रेय होंसबोले

 संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष का शुभारम्भ 
 
नागपुर (विसंकें). रेशिमबाग स्थित डॉ. हेडगवार स्मृति भवन परिसर के महर्षि व्यास सभागृह में तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का सोमवार प्रातः शुभारंभ हुआ. उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने कहा कि संघ से जुड़ने के पश्चात् सभी स्वयंसेवक स्वप्न देखते है कि संघ शिक्षा, तृतीय वर्ष तक पूर्ण की जाए. परन्तु ये सौभाग्य सभी को प्राप्त नहीं होता है. लाखों स्वयंसेवकों में से चुने हुए हजार स्वयंसेवक ही इस साधना के पुजारी बन पाते हैं. यह वर्ग इसलिए भी खास है क्योंकि नागपुर की इसी भूमि से आद्य सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार जी ने संघ कार्य को अवतरित किया और पूज्य गुरु जी की तपस्या यहाँ के कण-कण में व्याप्त है. संघ को यदि जानना है तो संघ के विषय में किताबें पढ़ना, किताबें लिखना, अनुसंधान करना पर्याप्त नहीं है. संघ को जानना-समझना है तो संघ का प्रत्यक्ष कार्य करना पड़ेगा. जिस तरह तैराकी सीखना है तो नदी में कूदना ही पड़ेगा और धारा के विपरीत चलना पड़ेगा, वैसे ही संघ को बाहर रह कर नहीं समझा जा सकता. स्नेह, आत्मीयता, समर्पण, नि:स्वार्थ भाव से बने स्वयंसेवक आज राष्ट्रीय जीवन के केंद्र बिंदु बन गए है.

सह सरकार्यवाह जी ने शिक्षार्थियों को स्वयंसेवकत्व का अर्थ बताते हुए कहा कि समाज की किसी भी आवश्यकता या संकट के समाधान हेतु, वह सज्जन शक्ति जो संगठित होकर, परिचित-अपरिचित को सद्भावपूर्वक, आत्मीयता के विशाल बाहू फैला कर स्वागत करे – स्वयंसेवक की पहचान है. संघ का वर्ग कोई इवेंट मैनेजमेंट नहीं है, इस वर्ग के क्षण-क्षण को, कण-कण को अपने अंतर्मन में समाहित कर स्वयंसेवकत्व की अनुभति करें. ऐसे प्रशिक्षणों से हम शारीरिक के साथ साथ वैचारिक रूप से भी मजबूत होते है. ये राष्ट्र क्या है ? हिन्दू राष्ट्र क्या है ? संघ का कार्य, क्यों, कैसे ? ऐसे अन्यान्य मूल प्रश्नों का निरसन प्रशिक्षण वर्ग के माध्यम से होता है. शरीर तो स्वस्थ है, पर अपने मन को भी स्वस्थ, चुस्त और संवेदनशील बनाने की साधना यह प्रशिक्षण वर्ग है. शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा के शुद्धिकरण का माध्यम है यह वर्ग. सम्पूर्ण देश का अनुभव अर्थात अगले 25 दिनों तक आप इस परिसर में भारत भ्रमण करेंगे.

अलग भाषा, अलग पहनावा, अलग खानपान, पर फिर भी एक हो कर, राष्ट्र के लिए समर्पित हो कर, जब आप यह प्रशिक्षण पूर्ण करेंगे तो आप स्वत: ही “अखिल भारतीय व्यक्तित्व “ बन जाते हैं. संघ में कई लोग, संघ के रहस्य को जानने के लिए आते हैं. प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा जी ने शाखा देखने की इच्छा व्यक्त की, जिससे स्वयंसेवक का निर्माण होता है.

परिवर्तनशील भारत में आज भी जीवन मूल्यों को आखिर कैसे संरक्षित रखा जा सकता है, इस पर कई देश आश्चर्यचकित हैं, कुछ शोध कर रहे हैं. सम्पूर्ण विश्व की नजर संघ पर है. ये एक राष्ट्रीय अभियान है और इसी कड़ी में आप इस वर्ग का हिस्सा बन कर अलग-अलग स्तर पर अपने व्यक्तित्व का निर्माण करेंगे. तृतीय वर्ष के प्रशिक्षण वर्ग का यह कालखंड आप शिक्षार्थियों के जीवन का स्वर्णिम कालखंड बने और यह साधना कर के आप राष्ट्र हित में उपयोगी सिद्ध हों और अपने जीवन में आप सफलता संतुष्टि और सार्थकता प्राप्त करते रहें.

सर्वाधिकारी पृथ्वीराज सिंह जी ने कहा कि हम राष्ट्र आराधना करने एकत्रित आए हैं. प्रशिक्षण से निरंतरता बनी रहती है. यह स्थली तपस्या की है, साधना की है और इसलिए यहाँ आकर हमारा दायित्व और जिम्मेदारी ओर भी बढ़ जाती है.
पालक अधिकारी के रूप में अनिल जी ओक का मार्गदर्शन हुआ. उन्होंने कहा कि मनुष्य रूप में अपना जन्म हुआ, इस श्रेष्ठ कार्य के प्रति समर्पण की प्रेरणा तथा प्रेरणा हेतु महापुरुषों का सान्निध्य, ये सभी हम पर भगवान का अनुग्रह है, ईश्वरीय अनुकम्पा है. इसीलिए संघ कार्य ईश्वरीय कार्य है, ऐसा सुनने को मिलता है. आज सम्पूर्ण विश्व में महाभारत जैसी स्थिति व्याप्त है. सभी विनाश करने की बात करते हैं, कोई भी बसाने की बात नहीं करता है, इसलिए आज शील के साथ-साथ शक्ति की भी आवश्यकता है. विनाश की इस घड़ी में सभी देश भारत की ओर आशा से देख रहे हैं.

अगले 25 दिन के प्रशिक्षण में क्या करना और क्या नहीं करना है, मैं क्या हूँ और मुझे क्या बनना है ? इन दोनों के बीच के अंतर का कम होना ही विकास होगा और यही प्रशिक्षण का उद्देश्य है. ज्ञान, कर्म और श्रद्धा का समन्वय बनाइए, किसी एक के बिना बाकि दोनों अधूरे रहते हैं. शारीरिक, बौद्धिक, खेल, चर्चा, चिंतन के माध्यम से प्रशिक्षण वर्ग को पूरा करें. 25 दिन की इस संघ गंगा में अधिकतम से अधिकतम अपना घड़ा भरें.



उद्घाटन कार्यक्रम का प्रास्ताविक एवं अधिकारियोंका का परिचय मा. भागय्या जी (अखिल भारतीय सह सरकार्यवाह ) ने किया ! श्री स्वांत रंजनजी (अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख), श्री मुकुंदजी ( अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख ) श्री सुनीलजी कुलकर्णी (अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख ), श्री. जगदीश प्रसाद जी (अखिल भारतीय सह शारीरिक प्रमुख) श्री मंगेश जी भेंडे ( अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख) श्री पराग जी अभ्यंकर (अखिल भारतीय सेवा प्रमुख) श्री सुब्रमण्यम जी ( अखिल भारतीय कुटुंब प्रबोधन प्रमुख) प्रमुख रूपसे उपस्थित थे

इस वर्ग के सर्वाधिकारी मा. पृथ्वी राज सिंह जी, पालक अधिकारी मा. अनिल जी ओक, वर्ग कार्यवाह  मा. रमेश काचम जी , मुख्य शिक्षक गंगा विष्णु जी ,सह मुख्यशिक्षक श्री अखिलेश जी , बौद्धिक प्रमुख रविन्द्र किरकोले जी ,सह बौद्धिक प्रमुख सुनील देव जी , सेवा प्रमुख  नवल किशोर जी , व्यवस्था प्रमुख दिलीप हाडगे जी , है ! 8 जून २०१७ को वर्ग समाप्त होगा.

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित