अनुशासन का मिला पाठ - शक्ति, भक्ति व समरसता का त्रिवेणी संगम
दुनिया की सभी समस्यो का हल भारतीय संस्कृति के अनुसरण से ही होगा - जसवन्त जी खत्री
संगम का विहंगम दृश्य |
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पाली नगर के संघचालक नेमीचन्द अखावत ने बताया कि कल आयोजित होने वाले कार्यक्रम मे तीन पथ संचलन:- शक्ति, भक्ति व समरसता शहर के तीन स्थान क्रमशः चीमाबाई संचेती स्कूल इन्द्रा काॅलोनी ,बालिया स्कूल, रजत नगर रामदेव रोड़ से प्रारम्भ हुए । यह पथ संचलन शहर के विभिन्न मार्गो सें गुजरते हुए सूरजपोल पर पहुचे, जहाॅ इन तीनो संचलन -शक्ति, भक्ति व समरसता का ठीक 3 बजकर 21 मिनट 40 सैकण्ड पर सूरजपोल पर संगम हुआ। तीनो संचलन एक साथ विराट हिन्दू सम्मेलन स्थल राजकीय बांगड स्कूल खेल मैदान की तरफ बढे, जहा विराट हिन्दू सम्मेलन का आयोजन हुआ।
विराट हिन्दू सम्मेलन मे अध्यक्षता शान्तिदूत विश्वगुरू महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी महेश्वरानन्दपुरी जी महाराज ने की एवं कार्यक्रम मे मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख जसवन्त जी खत्री थे ।
कार्यक्रम का शुभारम्भ संघ की प्रार्थना, काव्यगीत के बाद शान्तिदूत विश्वगुरू महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी महेश्वरानन्दपुरी जी महाराज के अध्यक्षीय उदबोधन के साथ हुआ महाराज जी ने हिन्दू संस्क्रति का महत्व बताते हुए, बच्चो को अपनी मातृ भाषा के ज्ञान पर ध्यान देने का आहवान किया। महामंडलेश्वर
स्वामी महेश्वरानंद ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुये कहा कि आज का दिन
देशभक्ति, धर्मरक्षा आदि के लिए शुभ है। वेदों में कहा गया है धर्मो
रक्षित रक्षितः। धर्म एक होता आदि अनादिकाल से।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख जसवन्त जी खत्री ने अपने उध्बोधन में कि दुनिया मे दो संस्कृति के लोग है, एक वो जो कहते है कि जो हम कहे, जो हम पहने, जो हमारी परम्परी है, बस वो ही सही है बाकि सब गलत है और जो उसका विरोध करेगा तो उसके जीने के अधिकार को समाप्त कर देगे, वर्तमान मे आतंकवाद की समस्या इसी विचाराधार पर आधारित है । उन्होने बताया कि भगवान राम के पुत्र लव का लाहौर आज आंतकवाद का गढ बना हुआ है। वर्तमान समय मे दो ही समस्याए है एक तो आतंकवाद और दुसरा प्राकृतिक प्रदुषण। हमें आतंकवाद से अपने को बचाना हैं और प्रकृति की रक्षा करनी है। कण कण में भगवान हैं जिस विचार में सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मां कश्चिद् दुःख भाग भवेत। यह सही है। नारी शक्ति का सम्मान करो।
जसवन्त जी खत्री ने अपने सम्बोधन में बताया कि हिन्दुस्तान ज्ञान का केन्द्र है पुरातन समय में भी यहां अध्ययन करने के लिए बाहर से छात्र आते थे। भारत की प्राचीनता, अखंडता, ज्ञान, शक्ति अपार थी। यहां के राजा भगवान शिव की आराधना करते थे फिर जाकर युद्ध के मैदान में लड़ाई लड़ते थे। ऐसा था हमारा भारत। भारत दुनियां का प्राचीन देश है ।
दुनिया की आबादी की चार प्रतिशत की आबादी वाले देश अमेरीका का दुनिया के संसाधनो के उपयोग मे 44 प्रतिशत की भागदारी है। उन्होने बताया की दुनिया की सभी समस्यो का हल भारतीय संस्कृति के अनुसरण से ही होगा। उन्होने ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डाॅ केशव बलिराम हेडगेवार कांगे्रस के ही बहुत सक्रिय कार्यक्रता थे, उनके मन मे हमेशा एक ही प्रश्न रहता था कि एक शक्तिशाली भारत गुलाम क्यो हुआ और आत्मविश्षलेण कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कि नीेवं रखी ।
इससे पूर्व सूरजपोल पर दोपहर ३ बजकर २१ मिनट ४० सेकंड पर त्रिवेणी संगम हुआ , जिसका दृश्य देखते ही बन रहा था। जनता पुष्प वर्षा कर स्वागत कर रही थी। १०० से अधिक स्थानो पर पथ संचलन का स्वागत हुआ। कई स्थानो पर स्वागत द्वार भी बनाये गए थे।
त्रिवेणी संगम में ३ धाराएं थी। प्रथम धारा "शक्ति" चीमा बाई स्कूल से रवाना होकर आशीर्वाद बालाजी , इंद्रा कॉलोनी चौराहा , भूरि स्कूल, शिवजी चौराहा , सीरवी छात्रावास श्रीयादे मंदिर द्वितीय "धारा" भक्ति बालिया स्कूल से रवाना होकर डागाजी की मूर्ति, ओबीसी बैंक के पीछे, खटीकों का बास, गजानंद मार्ग, बादशाह का झंडा, सर्राफा बाजार, गुलजार चौक, पुरानी सब्जी मंडी सोमनाथ मंदिर और तीसरी धारा "समरसता" रजत नगर से रवाना होकर बाबा रामदेव मंदिर, गांधी कॉलोनी, पीठ का बास शनि मंदिर, सिंधी कॉलोनी तिराहा, पानी दरवाजा, भैरुघाट, भीलों का बास श्रीनाथ स्वीट्स होते हुए सूरज पोल पहुंची. पथ संचलन संगम स्थल से अहिंसा सर्कल, कलेक्ट्रेट रोड होते हुए बांगड़ स्कूल मैदान पहुंचा।
त्रिवेणी संगम में ३ धाराएं थी। प्रथम धारा "शक्ति" चीमा बाई स्कूल से रवाना होकर आशीर्वाद बालाजी , इंद्रा कॉलोनी चौराहा , भूरि स्कूल, शिवजी चौराहा , सीरवी छात्रावास श्रीयादे मंदिर द्वितीय "धारा" भक्ति बालिया स्कूल से रवाना होकर डागाजी की मूर्ति, ओबीसी बैंक के पीछे, खटीकों का बास, गजानंद मार्ग, बादशाह का झंडा, सर्राफा बाजार, गुलजार चौक, पुरानी सब्जी मंडी सोमनाथ मंदिर और तीसरी धारा "समरसता" रजत नगर से रवाना होकर बाबा रामदेव मंदिर, गांधी कॉलोनी, पीठ का बास शनि मंदिर, सिंधी कॉलोनी तिराहा, पानी दरवाजा, भैरुघाट, भीलों का बास श्रीनाथ स्वीट्स होते हुए सूरज पोल पहुंची. पथ संचलन संगम स्थल से अहिंसा सर्कल, कलेक्ट्रेट रोड होते हुए बांगड़ स्कूल मैदान पहुंचा।
पथ संचलन को लेकर शहरवासियाें में भी
काफी उत्साह नजर आया। जहां से भी पथ संचलन निकला नागरिकों ने वंदे मातरम
एवं भारत माता के जयकारों से उनका स्वागत किया। लयबद्ध घोष वादन की मधुर
धुनों के साथ निकले पथ संचलन से एक बारगी पूरा शहर रोमांचित हो गया।
पथसंचलन में घोष वादन के कुल 9 दल
बनाए गए थे। घोष वादकों ने बिगुल ड्रम के साथ श्रीराम अजय धुन बजाकर सभी
को अपनी ओर आकर्षित किया। कई जगहों पर लोगों ने करतल ध्वनि से घोष वादकों
का स्वागत किया।
विभाग संघ चालक कमलकिशोर गोयल, नगर संघ चालक नेमीचंद अखावत मंच पर विराजित थे। कार्यक्रम के अन्त मे पाली नगर के संघचालक नेमीचन्द अखावत ने सभी का धन्याद ज्ञापित किया ।
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