यह भी कहा कि राष्ट्रभक्ति से जुड़े हर कार्यो में संघ योगदान के लिए तैयार है। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में भी वह सहभागी था। विचारों में मतभेद हो सकता है, लेकिन राष्ट्रीय एकात्मता के लिए सभी विचारों को प्रत्यक्ष सुनने व परखने की जरूरत है। आंखों में धूल झोंककर देश नहीं चलाया जा सकता। नीति व दृष्टि के मामले में सरकार की बुद्धि में स्वार्थ है।
फिलहाल देश में अविश्वास का वातावरण बनाया जा रहा है। खुद पर विश्वास नहीं, अपनों पर भी विश्वास नहीं किया जा रहा है। सरसंघचालक ने चेतावनी भरे स्वर में कहा कि कोई देश में निराशा फैलने का भ्रम न पाले। रोजी-रोटी की जुगाड़ में जुटे 60 प्रतिशत भारतीय अभी भी किसी विचारधारा या संगठन से जुड़े नहीं हैं। वे शुद्ध चरित्र पर विश्वास करनेवाले हैं। वे ही सत्ता परिदृश्य बदल देंगे। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के विरोध में सत्ताधारियों की भूमिका दंभी प्रतीत हो रही है।
रविवार की शाम जरीपटका स्थित महात्मा गांधी सेंटेनियल महाविद्यालय में विश्व, भारत और हम विषय पर सरसंघचालक मार्गदर्शन कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन भारतीय विचार मंच की ओर से किया गया था। सरसंघचालक ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत ने हर क्षेत्र में विकास किया है। विश्व शक्ति बनने की क्षमता रखता है। पड़ोसी देशों को भी भारत पर विश्वास है।
समस्याओं से जूझते पश्चिमी देश भी भारत की ओर आशा भरी निगाह से देख रहे हैं। इस देश की संस्कृति व आचार-विचार को अपनाने की बात हो रही है। ऐसे में भारत की ओर से सही प्रयास हो तो वह विश्व का चारित्रिक मार्गदर्शक भी बन सकता है। इस प्रगतिशील दौर में उन्नत देशों की वर्चस्व की भावना व प्रयासों को भी समझने की जरूरत है।
चीन भारत को दबाये रखना चाहता है। इसके लिए वह पड़ोसी देशों का से संबंध सुधार रहा है। भारत में अपनी वस्तुएं बेचकर आर्थिक तौर पर कमजोर बनाये रखने का प्रयास कर रहा है। वैश्विक बाजारवाद के लाभ-हानि को समझने की आवश्यकता है। वैश्वीकरण के साथ बढ़ते कट्टरपन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
वह आतंकवाद का पोषक है। केवल उदार बने रहना ठीक नहीं। पाकिस्तान ने भारत की जिस जमीन से अपना दावा छोड़ दिया था, वह बांग्लादेश को दे दी गई। समय रहते ठोस प्रयास होता तो बांग्लादेश वह जमीन भारत को दे देता। गुंडागर्दी करके कोई जमीन छीन ले व अपना कब्जा बताए तो उसे मान लेना राष्ट्रीयता के लिए ठीक नहीं है।
सरसंघचालक ने विश्वास जताया कि आनेवाले दिनों में भारत का राष्ट्रधर्म और अधिक सक्षम होगा। 3 दशकों बाद यह देश दुनिया को सुख, शांति देने वाला धर्म देगा। सभी को प्रांत, भाषा, जाति, धर्म के भेद से उपर उठकर भारतीय की भूमिका का निर्वहन करना होगा। अपने कर्तव्यों को समझकर परिवार से ही नैतिक, वैचारिक सुधार की शुरुआत हो तो देश, दुनिया में अपेक्षित बदलाव लाया जा सकता है। वज्रबोधी मेश्राम ने प्रस्तावना रखी। राहुल गजभिये ने संचालन किया। नगरसेविका अलका शेरकुले ने गीत पेश किया।
सरसंघचालक भागवत का आरोप
किसान खुदकुशी कर रहे हैं. व्यापारी भी परेशानी मेंहै. साथ ही महंगाई, आतंकवाद, बेरोजगारी भी बढ.ी है. देश की सीमाओंपर भी असुरक्षा का माहौल है. ऐसे में आम नागरिक अब यह सवाल पूछने लगा है कि आखिर राज करने वाले कर क्या रहे है? यह सवाल नागरिकोंकी ओर से आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने किया. वे आज यहां 'विश्व, भारत और हम' विषय पर व्याख्यान दे रहे थे. |