सांप्रदायिक हिंसा निवारण विधेयक आया तो होगा बड़ा आंदोलन : भागवत
-समय आने पर ताकत दिखाने को तैयार रहें कार्यकर्ता
-हिंदुओं को मिटाने पर आमादा है कांग्रेस, पर हम मिटेंगे नहीं
सिटी रिपोर्टर, गोरखपुर : केन्द्र सरकार को अल्टीमेटम के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक का रविवार को समापन हुआ। समापन भाषण में सरसंघ चालक मोहन राव मधुकर राव भागवत ने सांप्रदायिक हिंसा निवारण विधेयक का जिक्र करते साफ तौर पर कहा केंद्र सरकार संघ की ताकत को लेकर मुगालते में न रहे। सांप्रदायिक हिंसा निवारण विधेयक अगर संसद में आया तो संघ देश में इतना बड़ा आंदोलन खड़ा करेगा, जिसकी कल्पना भी केंद्र सरकार ने नहीं की होगी। संघ ऐसा करने में सक्षम है। स्वयंसेवकों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि समय आने पर अपनी ताकत दिखाने के लिए वे तैयार रहें। उन्होंने कहा कि कांग्रेस से हिंदुओं के हित की उम्मीद मत करिए। स्थापना काल से ही यह हिंदू समाज का वजूद मिटाने पर आमादा है, पर हम मिटने वाले नहीं हैं। देश की समग्र प्रगति का मार्ग हिंदुत्व से ही प्रशस्त होगा।
संघ प्रमुख ने स्वयंसेवकों से अपनी ताकत पर यकीन रखने को कहा। उन्होंने कहा कि हम बड़े संगठन का हिस्सा हैं और इसके नाते दिल और सोच दोनों बड़ी रखें। किसी की घटती-बढ़ती संख्या स्वयंसेवक के लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए। हर स्थिति से मुकाबले के लिए अपनी ताकत बढ़ाने के बारे में सोचें।
इसके पहले रोज की तरह बिलंदपुर खत्ता स्थित सरस्वती शिशु मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में सुबह 8.30 बजे बैठक की शुरुआत हुई। तीन सत्रों में चली बैठक में तीन दिनों के दौरान आए प्रस्ताव व मुद्दों पर भी चर्चा हुई। 'सांप्रदायिक हिंसा निवारण विधेयक' ही रहा तीसरे व अंतिम दिन की बैठक में चर्चा का मुख्य विषय।
संघ व उसके सहयोगी संगठनों के अधिकतर पदाधिकारियों ने इस विधेयक पर अपनी चिंता जताई और कहा कि अपने हित के लिए समाज को बांटकर कमजोर करना कांग्रेस की फितरत रही है। अपनी सारी नाकामियों को छिपाने के लिए कांग्रेस ने फिर 'बांटो और राज करो' की नीति का सहारा लिया है। उसके द्वारा प्रस्तावित यह विधेयक इसी का सबूत है। संघ पदाधिकारियों का मानना था कि यह विधेयक न केवल हिंदुओं और मुसलमानों, बल्कि हिंदुओं के बीच भी ऐसी खाई पैदा कर देगा, जिसे पाटना मुमकिन नहीं होगा। विधेयक के प्रारूप नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के भी विरुद्ध है। इसमें एक पक्ष द्वारा आरोप लगाने के बाद से दूसरे को दोषी मान लिया जाएगा। खुद को निर्दोष साबित करना उसकी जवाबदेही होगी। यह विधेयक देश की एकता व अखंडता के लिए खतरनाक है। आखिर में एलान हुआ, देश व समाज विरोधी विधेयक की असलियत उजागर करने के लिए संघ जनता के बीच भी जाएगा
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प्रशांत भूषण की भाषा अलगाववादियों जैसी
गोरखपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश (भय्याजी) जोशी ने कहा कि टीम अन्ना के सदस्य प्रशांत भूषण की भाषा अलगाववादियों जैसी है। ऐसे लोगों को जनता जवाब देती रही है। समय आने पर श्री भूषण को भी जवाब मिल जाएगा।
संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में आए जोशी रविवार को मीडिया से मुखातिब थे। अन्ना के बारे में उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के अगुआ होने का श्रेय भी उनको ही जाता है। लालकृष्ण आडवाणी के बयान के हवाले से भाजपा में प्रधानमंत्री पद के दावेदार के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि यह काम भाजपा को करना है।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदयुरप्पा के जेल जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अब सब कुछ न्यायालय में है। उसके फैसले की प्रतीक्षा कीजिए। उन्होंने कहा कि कार्यकारी मंडल में आए प्रस्ताव और मुद्दों पर चर्चा जारी है। इन पर आगे कैसे काम किया जाए, इस पर भी बात हो रही है। अगले साल स्वामी विवेकानंद की जयंती मौके पर ऐसे कार्यक्रम किए जाने की योजना है, जिसमें समाज के सभी वर्गो खासकर युवाओं, महिलाओं को भी शामिल किया जा सके।
भय्याजी ने बताया कि केंद्र द्वारा प्रस्तावित सांप्रदायिक हिंसा निवारण विधेयक के पीछे कांग्रेस की असली मंशा और इसके संभावित खतरे को लेकर जनता के बीच जाने की भी योजना है। गंगा के शुद्धिकरण के अभियान में संघ की सहभागिता को और तेज किया जाएगा।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने जानकारी दी कि कार्यकारी मंडल की बैठक में देश के बाह्य और आंतरिक सुरक्षा पर आसन्न गंभीर खतरे पर भी चर्चा हुई। कहा गया कि चीन की आक्रामकता देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। उत्तरी-पूर्वी सीमा पर हाल के कुछ वर्षो में चीन का रवैया बेहद आक्रामक रहा है। मोर्चे तक अपने सैनिकों और सैन्य साजो-सामान ले जाने के लिए वह अपनी आधारभूत संरचना को लगातार बेहतर कर रहा है। पड़ोसी देशों से सामरिक और आर्थिक समझौते कर वह भारत को लगातार घेरने के प्रयास में है। हमारी सरकार से अपेक्षा है कि चीन से लगने वाली सीमा पर आधारभूत ढांचे को मजबूत करे और सेनाओं को भी संसाधनों के मुकाबले चीन के समक्ष लाए।
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