गुरुवार, 20 सितंबर 2018

भविष्य का भारत: संघ का दृष्टिकोण 'प्रश्नोत्तर सत्र'




भविष्य  का भारत: संघ का दृष्टिकोण 'प्रश्नोत्तर सत्र'

 


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. श्री मोहनराव भागवत ने भारत के समाज में सामाजिक विषमता को बढ़ाने वाली सभी बातों का समूल नाश करने का आह्वान किया। श्री भागवत ने कहा, कि आरक्षण की व्यवस्था तब तक जारी रहने चाहिए जब तक इससे लाभान्वित होने वाला वर्ग स्वयं इसकी आवश्यकता से इंकार नहीं करता। उन्होंने कहा, कि अगर इसमें 100-150 वर्ष भी लगते हैं तो भी यह वांछनीय ही होगा। उन्होंने कहा, कि आरक्षण समस्या नहीं है आरक्षण की राजनीति समस्या है। 

श्री भागवत राजधानी के विज्ञान भवन में पिछले तीन दिनों से चल रहे भविष्य का भारत संघ का दृष्टिकोण विषय पर आयोजित संगोष्ठी के समापन सत्र में आमंत्रित विशिष्टजनों के प्रश्नों के उत्तर दे रहे थे। उन्होंने कहा कि संघ अंतरजातीय विवाह का पूर्ण समर्थन करता है। यह परिवारों और समाज की एकरसता को बढ़ाने वाली प्रक्रिया साबित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संघ से जुड़े परिवारों में अंतरजातीय विवाह बड़े पैमाने पर हुए हैं। राम जन्मभूमि से जुड़े प्रश्न पर श्री भागवत ने कहा अयोध्या में रामजन्मभूमि पर एक भव्य मंदिर का निर्माण बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यदि हो गया तो हिंदू मुस्लिम एकताको पुष्ट करेगा। यह काम सदभावना से हुआ तो मुस्लिमों पर जो अंगुली उठती है वह उठना बंद हो जाएगा। 

देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े एक प्रश्न पर श्री भागवत ने कहा हंगामा पैदा करने वाले से तो सख्ती से निपटा जाना ही चाहिए।  ऐसे लोगों के समर्थन में समाज से किसी को खड़ा नहीं होना चाहिए।उन्होंने कहा समाज की कमजोरी का लाभ कोई न उठा सके इसकी चिंता की जानी चाहिए

मुस्लिमों के साथ संघ के संबंध के प्रश्न पर श्री भागवत ने कहा संघ हर उस भारतवंशी को हिंदू मानता है जो अपनी मातृभूमि को, भारत की संस्कृति को और इसके पूर्वजों को  अपना मानता है।

एससी एसटी एक्ट से जुड़े सवालों पर डॉ. भागवत ने कहा कि एक वर्ग पर अत्याचार होता है इससे इंकार नहीं किया जा सकता। अत्याचार से संरक्षण के लिए कानून लागू होना चाहिए लेकिन यह भी तय होना चाहिए कि कानून का दुरुपयोग न हो। डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा कि वर्तमान स्थिति में कानून लागू नहीं भी हो रहा है और उसका दुरुपयोग भी हो रहा है। नोटा से संबंधित सवाल पर परम पूज्य मोहनराव भागवत ने कहा कि किसी भी राजनीतिक अवस्था में शत प्रतिशत आदर्श विकल्प कठिन होता है। ऐसे में हमें सर्वश्रेष्ठ संभव विकल्प को चुनना चाहिए। तुलनात्मक रूप से जो भी बेहतर उपलब्ध विकल्प है उसे भी खारिज करेंगे तो इसका लाभ उपलब्ध बदतर विकल्प को ही मिलेगा। 

उन्होंने महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा कौरवों और पांडवों में से किस का साथ दिया जाए उसे लेकर यादवों में भी मतभेद थे लेकिन भगवान कृष्ण ने स्पष्ट कहा कि हमें सर्वश्रेष्ठ संभव विकल्प का साथ देना चाहिए ।
जनसंख्या नियंत्रण और जनसांख्यिकीय परिवर्तन के प्रश्न पर उन्होंने कहा एक समुचित और सुविचारित जनसंख्या नीति बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जनसांख्यिकीय संतुलन स्थापित किया जाना चाहिए। साथ ही यह भी कहा कि जहां इसकी आवश्यकता ज्यादा है वहां इसे प्राथमिकता से लागू किया जाना चाहिए लेकिन इसके लिए पहले लोगों का मन बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा जिस भी वर्ग में जन्मदर की जो भी स्थिति है उसके लिए समाज जिम्मेदार है।

कन्वर्जन के संबंध में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. भागवत ने कहा अगर सभी धर्म समान  हैं तो फिर कन्वर्जन का औचित्य ही क्या है। उन्होंने कहा कि विश्वभी में जहां भी कन्वर्जन कराया जा रहा है उसका उद्देश्य बेहद संदिग्ध है। इसका विरोध होना चाहिए।

लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े प्रश्न पर उन्होंने कहा उन्हें अपनी सुरक्षा के सजग और सक्षम बनाना पड़ेगा। साथ ही समाज को महिलाओं को देखने की अपनी दृष्टि बदलनी पड़ेगी।

अंत में उन्होंने संघ को लेकर भ्रम में रहने वाले हर किसी से आह्वान किया कि वह संघ को यदि समझना चाहते हैं तो पहले नजदीक से देखें इसके बाद अपना मत बनाएं। साथ ही उन्होंने आह्वान किया कि आप समाज के लिए जो भी संभव हो वह काम करें लेकिन निष्क्रिय न रहें। राष्ट्र के स्वत्व को खड़ा करने में जो भी कर सकते हैं वह करें। उन्होंने कहा संकटों से जूझ रही दुनिया को आज एक तीसरा रास्ता चाहिए और वह दिशा देने की अंतर्निहित शक्ति केवल भारत के पास है।

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित