संघ को समझकर फिर सहकार्य करने के लिए आगे आये - डॉ मोहन
भागवत
नागपुर-७ जून – विविधता मे एकता पर संघ का दृढ़ विश्वास है | इस भूमी को
माता मानने वाला हर व्यक्ति भारतीय है | विवधता मे एकता यही भारत की विशेषता है और
यही संस्कृति है | यह प्रतिपादन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन
भागवत ने नागपुर मे चल रहे संघ शिक्षा वर्ग के तृतीय वर्ष के समापन समारोह मे अपने उध्बोधन मे कही |
“ संघ संस्थापक डॉ हेडगेवारजी ने
देश की स्वतंत्रता संग्राम मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया | दो बार वो कारावास भी
गये | देश स्वतंत्रता के लिए उन्होंने अनेक प्रयास किये | उनका क्रन्तिकारको के
साथ सम्बन्ध था, समाज सुधारको के साथ सम्बन्ध रहा , धर्म के प्रति जागरूकता से
कार्य करने वालो धर्म मार्तण्ड से उनके अच्छे सम्बन्ध थे | उन्होंने यह सारे
क्षेत्र मे कार्य किया सफल भी रहे | परन्तु उन्हें यह ध्यान आया की अनेक
महापुरुषों द्वारा चलाये जा रहे आन्दोलन तो चलेंगे लेकिन जब तक इस देश का मुख्य
समाज संस्करो से युक्त बनकर नव चैतन्य से भरकर संघटित होकर भारतमाता को फिर विश्व
गुरु बनाने का संकल्प नहीं लेता और जब तक पूर्ण नहीं करता तब तक संघ का काम चलता
ही रहेगा | यही संघ का गंतव्य है | “
१९२५ से संघ बढ़ता जा रहा है | अनेक बाधाये मार्ग मे आयी , प्रतिकूल
परिस्थिति बनी पर हमने इन सारे विपरीत बाधाओं को पार किया | अनुकूलता आयी , ठीक है
पर विश्राम हमें नहीं लेना है | जबतक भारत विश्व गुरु नहीं बनेगा तब तक व्यक्ति
निर्माण का संघ का कार्य चलता ही रहेगा | ”
श्री प्रणव मुखर्जी की इस कार्यक्रम मे उपस्थिति के बारे मे अनेक वाद
/ विवाद हुये , जिसकी आवश्यकता नहीं थी | यह एक परंपरा है , प्रतिवर्ष की तरह
कोई विशिष्ट व्यति यहाँ आकर कोई पाथेय देता है | संघ समाज का संघठन है | इसलिए
आदरणीय प्रणव मुखर्जी के बारे मे ऐसी चर्चाए नहीं होनी चहिये थी | ”
इस वर्ष सारे दुनिया की नजरे इस कार्यक्रम को लेकर थी | रेशिम बाग
स्थित मैदान पर सोस्ताह सम्प्पन हुये इस कार्यक्रम की शुरुआत सायं ठीक ६:३० बजे
हुयी | ध्वजारोहण , दंड प्रयोग ,नियूध प्रयोग ,सांघिक समता ,सांघिक गीत आदी
शारीरिक कार्यक्रम शिबिरार्थी स्वयंसेवको ने किये | सर्वाधिकारी सरदार गजेन्द्र
सिंह संधू ने परिचय कराया | महानगर संघ चालक राजेश लोया ने उपस्थित विशित्ष्ट व्यक्तिओ का स्वागत परिचय कराया |
वर्ग कार्यवाह श्याम मनोहर ने वर्ग का प्रतिवेदन दिया |
कार्यक्रम का आकर्षण रहे भूतपूर्व राष्ट्रपती श्री प्रणवदा ने देश,
राष्ट्रीयता ,और देशभक्ति अपने भाषण का केंद्र बिंदु रखा | “ भारत एक प्राचीन
संकृति और सभ्यतासे भरा एक सम्पन्न देश रहा है | भारत का व्यापार सिल्क रूट,
स्पाइस रूट से समुद्री मार्ग से सारे विश्व से जुडा था | भारत १८०० वर्ष तक शिक्षा का केंद्र तह ,
एक अर्थ मे गुरु था | नालंदा , तक्षशिला आदि अनेक शिक्षा के केंद्र मे जगत मे
प्रतिष्टा प्राप्त किये हुये थे | विदेशों से अनेक विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने
भारत आते थे |
लेकिन कालांतर मे विदेशी आक्रमण हुये मुघलो ने ६०० वर्ष तक , ईस्ट
इंडिया क. तथा बाद मे ब्रिटिश रुल भारत पर रहा पर वो भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति
को तोड़ न सका | भारत एक स्वतंत्र विचारों का देश है | विविधामे एकता यही भारत की
जीवनशैली है | भेदभाव से अलगाववाद से भारत कमजोर होगा | आज भारत तेजी से विकास कर
रहा है लेकिन अभी हमें सुखी, खुशहाल ,संपन्न समाज
बनाने दृष्टि से आगे कदम
बढ़ाना होगा | ”
इस कार्यक्रम के लिए पधारे भूतपूर्व राष्ट्रपति ने आज संघ संस्थापक डॉ
केशव ब हेडगेवार जी के निवासस्थान को भेट दी | सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जी ने उनका
स्वागत किया | सारा माहोल संघमय था | भेट पुस्तिका मे प्रणवदा ने लिखा ,“ मे यहाँ
भारत माँ के महान सपूत डॉ के.ब.हेडगेवार को श्रधासुमन अर्पित करने हेतु आया हु ” |
बड़े ही उत्साह के साथ सम्पन्न इस कार्यक्रम के लिये भारी संख्या मे
जनता एकत्रित हुयी थी |
स्त्रोत: विश्व संवाद केंद्र,
नागपुर
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