राष्ट्रपति जी, केंद्र सरकार से विनती है कि केरल के नर
संहरियों के विषय पर जल्द ही उचित निर्णय करें- शांतिप्रसाद जी
3 मार्च 17 । फलोदी में जनाक्रोश सभा में 3000 से अधिक संख्या में जनता
उमड़ी। मुख्यवक्ता शांतिप्रसाद जी ने कहा कि हमारी संस्कृति चींटी को भोजन,
सांप जैसे विषैले जिव को दूध पिलाने की रही है। हमने दुनियां के सताए लोगो
को शरण दी है। हम अपनी संस्कृति का पालन करते हुए ही कोई हिंसक प्रतिक्रिया
नही करते हैं। लेकिन केरल के मार्क्सवादी गुंडे इसे हमारी कमजोरी नहीं
समझें। हम उस परसुराम के वंशज हैं जिन्होंने 29 बार धरती से आतताइयों का
संहार किया था। हम उस राम के उपासक हैं जिन्होंने धरती को निशिचर हिन् करने
का संकल्प लिया और किया था। हम उस कृष्ण के भक्त हैं जिन्होंने अंतिम समय
तक कौरवों से समझौते का प्रस्ताव रखा लेकिन नही मानने पर जो परिणाम हुआ हम
सब जानते है। हमारी राष्ट्रपति जी, केंद्र सरकार से विनती है कि केरल के नर
संहरियों के विषय पर जल्द ही उचित निर्णय करें।
इससे पूर्व वक्ताओं ने भी अपनी बात रखी। श्री नारायणसिंह ने कम्युनिष्ट विचार को खोखला विचार बताया और इस सभा की आवश्यकता को बताया। विपुल जी ने कहा कि कम्युनिष्ट विचार विदेशी विचार है जो आज सब जगह से खत्म हो रहा है। ज्योति जाणी ने कहा संघ शाखा राष्ट्रभक्ति सिखाती है मैं अपने नोनिहालों को शाखा भेजना चाहती हूँ और सभी माताओं से इसका आवाहन करती हूँ। मीना जोशी ने ज्ञापन पढ़कर सुनाया। मंच सचालक मनमोहन ने केरल के हालातों पर तथ्य रखते हुए चुनिंदा घटनाओं का ब्यौरा दिया।
संयोजक कन्हयालाल ने सभी का धन्यवाद
ज्ञापित किया। इस बीच माननीय राष्ट्रपति जी के नाम ज्ञापन ADM को दिया गया।
इस अवसर पर सन्त बालकृष्ण, तुलसाराम, उत्तमगिरी, धनराज, आदि भी उपस्थित थे।
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