राष्ट्रीय विचारों
की प्रखर अभिव्यक्ति एवं प्रसार का सशक्त माध्यम पाथेय कण - महेन्द्र दवे
पाथेय कण पाठक सम्मेलन एवं डाक मित्र सम्मान समारोह संपन्न
पाथेय कण पाठक सम्मेलन एवं डाक मित्र सम्मान समारोह संपन्न
सम्मानित डाक मित्र |
डाक मित्र का सम्मान करते हुए |
डाक मित्र का सम्मान करते हुए |
25 फरवरी 17 जोधपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त बौद्धिक प्रमुख
महेन्द्र दवे ने कहा कि हमारे देश का मूल धर्म, धर्म आधारित जीवन जीना है, और यही हमारी
संस्कृति की प्रमुख विशेषता रही है। अपनी संस्कृति में सबके सुख की कामना की रही
है। श्रेष्ठ जीवन मूल्यों के आधार पर जीवन जीकर समाज और राष्ट्र के सामने अपना
आदर्श रखते हैं।
वे न्यू पॉवर हाउस रोड स्थित जोधपुर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन सभागार में संघ के प्रचार विभाग की ओर से पाथेय कण पाठक सम्मेलन एवं डाक मित्र सम्मान समारोह में शनिवार शाम पांच बजे सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हम सब भारत माता के पुत्र हैं। ‘माता भूमि पृथ्वियो अहम्’ पुत्र की धारणा के आधार पर चलने वाले लोग अपने इस स्वभाव के कारण से ही हम अपने देश से प्रेम करते हैं और इसका गौरव भी रखते हैं। परन्तु आज देश में इसके विरुद्ध वातावरण बना हुआ है। हमारे देश में ही रहकर देश के टुकडे करना एवं भारत माता की जय नही बोलने की सोच पनपना गलत है। दुर्भाग्य से धर्म निरपेक्षता के नाम पर अपने ही देश के अपने लोग भी ऐसे तत्वों का समर्थन करते हैं, इस स्थिति में राष्ट्रीय सोच रखने वाले समुदाय को आगे बढऩे की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि अपने देश की परम्पराओं में यह कार्य श्रेष्ठ साहित्य के माध्यम से होता रहा है। हमारे समाज में परम्परा से अपने घरों में श्रेष्ठ ग्रंथ, सद् साहित्य रखने एवं पढऩे का स्वभाव रहा है। आज के समय में राष्ट्रीय सोच एवं सांस्कृतिक गौरव बढ़ाने का वैचारिक कार्य पाथेय कण के माध्यम से प्रभावी हो रहा है। आवश्यकता है इस प्रकार के साहित्य का और अधिक प्रचार - प्रसार हो। इस कार्य में हमारे डाक मित्रों का भी सराहनीय सहयोग रहता है। उन्हीं के कारण यह जन-जन तक सुगमता से पहुंचता है।
पाथेय कण की गौरव यात्रा
राष्ट्रीय विचार धारा के प्रचार-प्रसार एवं संरक्षण-संवर्धन के लिए पाथेय कण पत्रिका राजस्थान में 1985 से 500 प्रतियों से प्रकाशन से शुरू हुआ। 1986 में इसका पंजीकरण आर.एन.आई. से पाथेय कण के नाम से हुआ। 1988 में इसका डाक पंजीकरण भी हो गया, तब से लेकर नियमित प्रकाशित एवं प्रसारित हो रहा है। 1992 तक मासिक तथा बाद में पाक्षिक प्रकाशन शुरू हुआ। वर्ष में दो विशेषांक के साथ पाथेय कण समाज में प्रतिष्ठापित है। प्रदेश में प्रकाशित होने वाली पत्र-पत्रिकाओं में सर्वाधिक प्रसारित होने का गौरव भी पाथेय कण को है। समय-समय पर अपने इतिहास के गौरव, संस्कृति की विशेषताएं एवं आधुनिक भारत के विकास की कल्पनाओं को समाहित करते हुए यह पत्रिका समाज की प्रशंसा एवं स्नेह प्राप्त करते हुए बड़ा पाठक वर्ग जोडने में सफल रही है। इसके प्रकाशित विशेषांकों में 1857 का क्रांति कथा, शहीदे आजम भगत सिंह, ग्राम पुनर्रचना, भक्तिमति मीरा, धरती धोरां री, भारतीय विज्ञान और मारवाड़ विशेषांक प्रमुख रहे है।
कार्यक्रम में डाक मित्रों का मंच की ओर से भगवा दुपट्टा पहनाकर भारत माता चित्र के स्मृति चिह्न के साथ मारवाड़ विशेषांक की प्रति देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर मंच पर संघ के महानगर सह संघचालक प्रकाश जीरावला, महानगर कार्यवाह रिछपाल सिंह, विभाग प्रचार प्रमुख जोधपुर दीपक कच्छवाह उपस्थित रहे। संचालन डॉ. अभिनव पुरोहित ने किया।
राष्ट्रीय विचारों के प्रसार में
पाथेय कण की महत्वपूर्ण भूमिका
पाठकों का कहना था कि जब पोस्टमेन पत्रिका लाता है तो परिवार की महिलाएं पाथेय कण के बारे में कहती है कि आपके संघ की किताब आ गई। उनका सुझाव था कि इसे हमारी किताब बनाने के लिए परिवार उपयोगी सामग्री भी छापी जाये। जैसे खाना बनाना, स्वास्थ्य, वास्तु, ज्योतिष आदि। कुटुंब प्रबोधन की दृष्टी से लेख या स्तम्भ प्रारम्भ करने का सुझाव भी पाठकों द्वारा दिया गया।
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