शुक्रवार, 30 सितंबर 2016

भारतीय सेना को बधाई - डॉ. मनमोहन वैद्य

भारतीय सेना को बधाई - डॉ. मनमोहन वैद्य

दिल्ली 29 सितम्बर 2016 . राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य ने एक वक्तव्य द्वारा भारतीय सेना को बधाई दी है। 

डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि सेना ने अपनी निश्चयात्मक सैनिक कार्यवाही द्वारा आतंकवादियों के ठिकाने ध्वस्त कर अपनी मार क्षमता सिद्ध की है, भारतीय सेना को बधाई.  ऐसे समय अपने आपसी मतभेद एक किनारे रखकर और भी कार्यवाही  के लिए सम्पूर्ण देश भारत सरकार के साथ खड़ा है.



भारत के दर्शन संस्कृति और जीवन मूल्यों को आत्मसात करना होगा - विपिनचंद्र

भारत के दर्शन संस्कृति और जीवन मूल्यों को आत्मसात करना होगा - विपिनचंद्र



अलवर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, अलवर इकाई द्वारा आयोजित स्वर्ण जयंती व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए परिषद् के क्षेत्रीय संगठन मंत्री विपिनचंद्र ने युवाओं से भारतीय साहित्य ठीक प्रकार से पढ़ने जानने और समझने का आह्वान करते हुए कहा कि अगर संसार को शांति सोहार्द और समरसता का मार्ग अपनाते हुए विश्व कल्याण के मार्ग पर जाना है तो उसे भारत के दर्शन संस्कृति और जीवन मूल्यों को आत्मसात करना होगा।
 
क्षेत्रीय संगठन मंत्री विपिनचंद्र ने कहा कि भारत की मिट्टी में जन्में साहित्य में मानव प्रेम की महक है तथा उसमें जीवन के संपूर्ण आदर्श के मूल्य छुपे हुए हैं, अतः उसे विश्व के सभी कोनों में पहुंचना चाहिए और यह दायित्व देश की युवा पीढ़ी को अपने मजबूत कन्धों पर लेना चाहिए। श्री विपिन ने युवाओं को अपने महान पूर्वजों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री पी. के. शर्मा ने भारत की युवा पीढ़ी की क्षमता पर पूर्ण विश्वास जताते हुए देश और विश्व के भविष्य के प्रति निश्चिंतता जताई। तथा युवाओं को साहित्य परिषद् के कार्यक्रम से जुड़ने का आह्वान किया वाइस प्रिंसिपल भवानी शंकर जी का भी आशीर्वाद प्राप्त हुआ उन्होंने कहा पाश्चात्य अंधानुकरण के कारण युवा अपने जीवन मूल्यों से नहीं भटके।

कार्यक्रम का संचालन डॉ केशव शर्मा ने किया।

गुरुवार, 22 सितंबर 2016

विश्व को वर्तमान विकट स्थिति से निकालने का कार्य हिन्दू संस्कृति ही कर सकती है – गुणवंत सिंह जी

एक लाख लोगों ने एक साथ वन्देमातरम् गाकर रिकार्ड बनाया
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जयपुर (विसंकें). हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउण्डेशन, जयपुर के तत्वावधान में अमरूदों के बाग जयपुर में लगभग एक लाख से अधिक लोगों ने एक साथ राष्ट्रगीत वन्देमातरम् का गायन करके रिकार्ड बनाया. इनमें देश भर से आये 504 कलाकारों ने 18 प्रकार के वाद्य यंत्रों के साथ मंच पर भगवा, श्वेत एवं हरे रंग के परिधानों में वाद्य कला का प्रदर्शन किया. पं. आलोक भट्ट के संगीत निर्देशन में पूरे 100 मिनट संगीतमय कार्यक्रम में श्रोता रस विभोर रहे. विक्रम हाज़रा और सौम्य ज्योतिघोष द्वारा बांसुरी पर संगत की गई तो शंख वादन जयकिशन और अश्विनी घोष द्वारा किया गया.

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कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे, विशिष्ठ अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख गुणवंत सिंह जी, विश्व विभाग के सह संयोजक रवि कुमार जी, संघ के अखिल भारतीय सह शारीरिक शिक्षण प्रमुख जगदीश जी, सह बौद्धिक प्रमुख मुकुंद जी, क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गादास जी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे.

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शंख वादन से प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में सभी 504 कलाकारों और श्रोताओं द्वारा पूरा साथ निभाया गया. सर्वप्रथम गणेश वन्दना के बाद देशभक्ति गीत पर उपस्थित जनों ने तालियों से लय में लय मिलायी. तत्पश्चात विभिन्न देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति के बाद अन्त में एक साथ खड़े होकर राष्ट्रगीत वन्देमातरम् का सामूहिक गायन हुआ जो देश ही नहीं वरन् विश्व के इतिहास में शायद एक रिकार्ड है.

hss-fair7गुणवंत सिंह जी ने कहा कि डेढ़ सौ वर्ष पूर्व शिकागो में स्वामी विवेकानन्द ने मेरे भाईयों और बहनों के सम्बोधन से सम्बोधित किया था. पहली बार लोगों ने लेडीज एण्ड जेण्टलमैन के स्थान पर जब प्यारे भाईयो और बहनों सुना तो हिन्दू संस्कृति का तालियों से स्वागत हुआ. सन् 1905 में जब अंग्रेजों ने बंगाल विभाजन किया तो बंकिम चन्द्र चटर्जी द्वारा सन् 1876 में लिखित इस गीत (वंदे मातरम्) ने राष्ट्र भाव की ज्वाला पैदा की तो अंग्रेजों को बंगाल विभाजन के आदेश को वापस लेना पड़ा. तब से अब तक यह गीत देशवासियों में राष्ट्रभाव की अलख जगा रहा है. इस गीत का एक एक शब्द देश भक्ति से ओत-प्रोत है. उन्होंने कहा कि हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला आयोजित करने का उद्देश्य हिन्दू समाज की भिन्न-भिन्न संस्थाओं, व्यक्तियों, साधू संतों, मंदिर मठों द्वारा प्राणी मात्र हित में निःस्वार्थ भाव से जो सेवाएं दी जा रही हैं, उनका परिचय जन-जन को कराना है. 

वर्तमान समय में पर्यावरण सुरक्षा का संकट है, नारी के प्रति सम्मान में कमी हुई है, मानवीय मूल्यों में कमी हुई है, जिन्हें दूर करने के लिये सारा विश्व भारत की ओर देख रहा है. हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला इन सब समस्याओं का समाधान देने का मंच हो सकता है. उन्होंने अरनाल टायनी, कॉफी अन्नान द्वारा कही गई बातों का उल्लेख करते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि हिन्दू धर्म के अनुयायी ही बिना धर्म परिवर्तन कराये पूरे विश्व को मानवता का पाठ पढ़ायें. उन्हें विश्वास है कि विश्व जिस विकट स्थिति में है, उससे निकालने का कार्य हिन्दू ही कर सकते हैं. विश्व हमसे जो चाहता है, उसे हम आगामी 10-15 वर्षों में पूरा करने का संकल्प लें. भारत के परिवारों में रोटी बनाते समय पहली रोटी गाय की और दूसरी कुत्ते की बनाते हैं, जिससे सेवा भाव जगता है. सितम्बर 23 से 26 तक चलने वाले हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले में 205 सेवा संस्थाओं द्वारा सेवाओं का प्रकटीकरण किया जाएगा.

मुख्य अतिथि राज्य की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे जी ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि आज के इस कार्यक्रम की गूंज पूरे देश में होगी. यह कार्यक्रम सब लोगों के लिये राष्ट्रभाव सीखने का है. कुछ दिनों पूर्व तिरंगा यात्रा कार्यक्रम हुआ. उसमें एक दो जगह दुर्घटनाएं हुई, जिन लोगों ने तिरंगा झण्डा अपने हाथ में ले रखा था, वे भी घायल हुए. किन्तु उन्होंने कहने के बाद भी अपने हाथ से यह कहते हुए झण्डा नहीं छोड़ा कि देश का जवान मरते दम तक राष्ट्रध्वज को नहीं छोड़ता तो थोड़ी सी चोट के कारण मैं क्यों छोडूं. वन्दे मातरम् जीवन का लक्ष्य है. हिन्दू एक रिलीजन नहीं है, यह जीवन जीने की पद्धति है. इस बात पर चिन्ता व्यक्त की कि आज लोग घर से बाहर निकल कर एक दूसरे को देख कर मुस्कराना ही भूल गये. उन्होंने आग्रह किया कि वन्दे मातरम् के साथ यह संकल्प भी लें कि हम एक दूसरे को प्यार से देखेंगे, सबसे प्यार से मिलेंगे, गले मिलना होगा गले मिलेंगे. उन्होंने प्रतिज्ञा करवाई.

600 दिव्यांग बच्चे व युवा भी सम्मिलित हुए
hss-fair8कार्यक्रम में लगभग 600 दिव्यांग बच्चे व युवा भी सम्मिलित हुए. थे जिन्होंने वन्देमातरम् सांकेतिक भाषा में गाया. कार्यक्रम में तीन अर्जुन अवार्डी खिलाड़ियों ने भी शिरकत की. कार्यक्रम का संचालन डॉ. ज्योति जोशी ने किया. पंडाल में श्रोताओं को बिठाने की व्यवस्था में सैकड़ों कार्यकर्ताओं का सहयोग रहा, राजस्थान पुलिस के सिपाहियों ने भी तत्परता से सहयोग किया.
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पंजाब प्रांत सह संघचालक ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा जी का निधन

पंजाब प्रांत सह संघचालक ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा जी का निधन

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जालंधर (विसंकें). राष्ट्रीय स्ययंसेवक संघ पंजाब प्रांत के सह संघचालक ब्रिगेडियर (सेवानिवृत) जगदीश गगनेजा जी का आज सुबह निधन हो गया. 06 अगस्त, 2016 की शाम जालंधर के ज्योति चौक पर अज्ञात हमलावरों ने उन्हें गोलियां मार कर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया था. गगनेजा जी को अति गंभीर हालत में लुधियाना के दयानंद मेडिकल अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां वीरवार 22 सितंबर की सुबह उनका स्वर्गवास हो गया.

गगनेजा जी बचपन से ही स्वयंसेवक थे और उनकी शिक्षा बठिंडा में हुई थी. सेना में कमीशन प्राप्त करने बाद वर्ष 1971 में उन्होंने आर्टलरी यूनिट ज्वाइन की. सेना में रहते हुए उन्होंने अनेक सामरिक गतिविधियों में हिस्सा लिया और अपनी श्रेष्ठतम सेवाओं से भारतीय सेना का गौरव बढ़ाया. सेवानिवृत्ति के बाद सन 2006 में वे जालंधर आ गए. सेवानिवृति के बाद भी वे निष्क्रिय हो कर नहीं बैठे बल्कि विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ जुड़ कर पुन: देश की सेवा में लग गए. इस दौरान वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से देशसेवा में लग गए. विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुए वर्तमान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंजाब प्रांत के सह संघचालक का दायित्व निभा रहे थे. वर्तमान में वे समन्वय का दायित्व भी संभाले हुए थे. उनके सम्मुख महत्त्वपूर्ण चुनौतियां थी कि राज्य में संघकार्य बढ़ाने के साथ-साथ अलगाववाद के दौरान पंजाबी समाज में जो दरार पैदा करने की कोशिश की गई थी उनको पाटना. समाज के सहयोग से गगनेजा जी ने इन दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया. वर्ष 2014 में पंजाब में जहां 600 संघ शाखाएं थीं, वहीं आज इनकी संख्या बढ़ कर 837 हो गई है. गगनेजा जी के नेतृत्व में पंजाब के गांवों में संघकार्य अप्रत्याशित रूप से बढ़ा. वे निर्विवाद व निस्वार्थ व्यक्तित्व के स्वामी थे. स्वयंसेवकों के साथ उनका सीधा संबंध था. जीवन में सादगी इतनी थी कि प्रशासन ने उन्हें सुरक्षा उपलब्ध करवाने का आग्रह किया तो उन्होंने इसे सहजभाव से अस्वीकार कर दिया. उनका कहना था कि वे कोई विशिष्ट व्यक्ति नहीं, बल्कि इस देश के साधारण नागरिक हैं. पूरा देश उन्हीं का है और सभी मेरे भाई-बंधू हैं. मुझे अपने किसी बंधू से किसी तरह का कोई खतरा नहीं है.

जगदीश गगनेजा जी चाहे आज हमारे बीच नहीं रहे, परंतु अनुशासन, भ्रातृभाव, सादगी, मधुरभाषिता आदि गुणों के रूप में वे सदैव स्वयंसेवकों के बीच रहेंगे. उनके बलिदान ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को नई प्रेरणा व ऊर्जा दी है. गगनेजा जी का अंतिम संस्कार वीरवार 22 सितंबर, 2016 को सायं 4 बजे जालंधर छावनी के रामबाग में किया जाएगा.

बुधवार, 21 सितंबर 2016

अहिंसा की रक्षा के लिए शस्त्र उठाना पड़े उसे हिंसा नहीं माना जाता – सुरेश भय्या जी जोशी

अहिंसा की रक्षा के लिए शस्त्र उठाना पड़े उसे हिंसा नहीं माना जाता – सुरेश भय्या जी जोशी

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रतलाम (मध्य प्रदेश). राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्याजी जोशी ने कहा कि दुनिया में भारत की पहचान एक धार्मिक देश के रूप में है. हमारे यहां आचरण की बातें धार्मिक ग्रंथों में कही गई हैं. हम महापुरुषों के प्रवचन सुनकर उनकी वाणी जीवन में उतारते हैं, दुनिया में इस प्रकार का मानव समूह शायद ही कहीं होगा. भय्याजी जोशी रविवार को जैन समाज के चल रहे क्षमा पर्व पर आयोजित समारोह में संबोधित कर रहे थे. इस समारोह में आचार्य जयंत सेन सूरीश्वरजी को ‘लोकसंत’ की उपाधि से अंलकृत किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा मध्य प्रदेश के प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे जी ने की.

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सामूहिक क्षमा पर्व को संबोधित करते हुए सरकार्यवाह जी ने कहा कि मनुष्य है तो गलती होगी ही, जो गलती नहीं करते उन्हें ईश्वर माना जाता है. हम गलती करते हैं, यह हम जानते हैं. जानना और मानना ये दोनों अलग-अलग बातें हैं. हम अपनी गलती मानते हैं, उसे स्वीकार करते हैं तो यह हमारे संस्कार हैं. उन्होंने कहा कि हमारी धार्मिक, सामाजिक परम्परा में क्षमा का बड़ा महत्व है. क्षमा करना और क्षमा मांगना दोनों हृदय से होना चाहिए. यह आचरण हमारी सामाजिक समरसता के लिए जरूरी है. क्षमा भावना उसी के पास हो सकती है जो अहंकार से मुक्त हो. सरकार्यवाह जी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि अहिंसा की रक्षा करने के लिए यदि शस्त्र उठाना पड़ता है तो उसे हिंसा नहीं माना जाता. क्योंकि देवताओं ने भी अहिंसा की रक्षा के लिए शस्त्र उठाए थे.

भय्याजी जोशी ने कहा कि यह आयोजन इस मायने में अनुकरणीय है कि राष्ट्रसंत ने जन जन तक इस भावना को पहुंचाने का प्रयास किया है. क्षमा पर्व का एक संदेश यह भी है कि व्यक्ति अपने स्तर पर अपने व्यवहार से किसी को आहत न करें. हम एक दूसरे को तो क्षमा कर सकते हैं, लेकिन कई बार जब स्वयं से गलती हो जाती है, तो ऐसे में हम अपने आप को क्षमा नहीं कर पाते.

लोकसंत की उपाधि से अलंकृत आचार्य जयंतसेन सूरीश्वरजी ने कहा आपने ‘लोकसंत’ की उपाधि से अलंकृत किया. इन भावनाओं को देखते हुए मुझे खुशी है. संत तो सबके होते हैं. आप रतलाम वासियों ने मुझे अपना समझा और मैंने आपको अपना समझा. इस अवसर पर सामूहिक क्षमापर्व भी मनाया गया.

समारोह की अध्यक्षता कर रहे भाजपा सांसद व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे जी ने कहा क्षमा पर्व की अपनी अलग विशेषता है. अध्यात्म एक बहुत बड़ी चीज है. यह आत्म परीक्षण का पर्व है. राष्ट्रसंत को ‘लोकसंत’ की उपाधि से सम्मानित करने का अवसर मिला है. लोक का मतलब है, जिन्होंने लोगों के दिलों में जगह बनाई है. हम अपने आप से कभी भी क्षमा मांगने की स्थिति में न हों.
 साभार:: vskbharat.com

सोमवार, 19 सितंबर 2016

बाबा साहेब डॉ. भीम राव अंबेडकर प्रखर राष्ट्रवादी थे - डॉ. कृष्ण गोपाल




रोहतक (विश्व संवाद केंद्र ) 17 .राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह माननीय  डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीम राव अंबेडकर प्रखर राष्ट्रवादी थे। वे आदि से अंत तक राष्ट्र भाव से भरे थे। भारत के संविधान को लिखते हुए भी उनकी यही राष्ट्रवादी सोच मुखरित भी हुई। वर्तमान समय में भी उनकी सोच एवं विचारधारा प्रासंगिक है। 

डॉ. गोपाल जी  शनिवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में डॉ. अंबेडकर शोधपीठ के तत्वावधान में आईएचटीएम सभागार में आयोजित विस्तार व्याख्यान कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। कार्यक्रम का विषय भारत में राष्ट्रवाद के संदर्भ में डॉ. अंबेडकर के विचारों की प्रासंगिकता था। डॉ. गोपाल ने बताया कि सारे राष्ट्र का जन एक है, ऐसी विचारधारा डॉ. अंबेडकर की थी। बाबा साहेब जुझारू नेता, लेखक, बेहतर अर्थशास्त्री, संपादक, शिक्षक, समाज सुधारक, संविधान लेखा के तौर पर जाने गए, जिनका सारा जीवन राष्ट्र के प्रति सर्मपित रहा।  बाबा साहेब का सारा जीवन संघर्ष भरा रहा और उन्होंने ताउम्र राष्ट्र को जोड़ने का कार्य किया,
 
मदवि कुलपति प्रो. बिजेन्द्र कुमार पूनिया ने अध्यक्षीय भाषण देते हुए कहा कि बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर की सोच राष्ट्रवादी थी। उन्होंने कहा कि उनका जीवन कठिनाईयों से भरा रहा और उन्होंने विषम परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने के लिए महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
 
बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मार्केण्डय आहूजा ने इस कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत की। डॉ. मार्केण्डय आहूजा ने कहा कि बाबा साहेब एक सोच थे, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में विशेष योगदान दिया, सामाजिक परिवर्तन की दिशा में विशेष प्रयास किया और डूबते समाज को बचाने के लिए संघर्ष किया।
 
डॉ. अंबेडकर शोध पीठ के अध्यक्ष तथा इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. विजय कायत ने स्वागत भाषण दिया और व्याख्यान कार्यक्रम की विषय-वस्तु पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर की राष्ट्रवादी सोच एवं विचारधारा आज भी प्रासंगिक है और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने से राष्ट्र और समाज का उत्थान होगा।

शनिवार, 17 सितंबर 2016

साहित्य में भारत चाहिए— विपिन विहारी

साहित्य में भारत चाहिए— विपिन विहारी

14359129_1154929704574457_982330795134556854_n—साहित्य परिषद की स्थापना के पचास साल पूरे
—जयपुर में स्वर्ण जयंती वर्ष व्याख्यान सम्पन्न

 
जयपुर, 15 सितम्बर (विसंके ) अखिल भारतीय साहित्य परिषद की स्थापना को पचास साल हो गए है। इस अवसर पर परिषद की जयपुर ईकाई की ओर से गुरूवार को न्यू कॉलोनी स्थित भारत भवन में ‘हमारा दृष्टिकोण’ विषयक स्वर्ण जयंती वर्ष व्याख्यान आयोजित किया गया।

साहित्य परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री विपिन विहारी ने संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश में शिक्षा और साहित्य दोनों की स्थिति एक जैसी है। भारत में शिक्षा और साहित्य तो है लेकिन शिक्ष और साहित्य में भारत नहीं है जो होना चाहिए। जैसा देश हमें चाहिए वैसा साहित्य सृजन करना इसके लिए साहित्य परिषद पिछले पचास साल से प्रयासरत हैं।
 
परिषद के प्रदेशाध्यक्ष डॉ.अन्नाराम शर्मा ने कहा कि पश्चिम का चिंतन व्यक्तिवादी है। वहां जो कमाएगा वो खाएगा की प्रवृति है जबकि भारतीय चिंतन लोककल्याणकारी है। यहां मान्यता है कि जो कमाएगा वो खिलाएगा। इसी के कारण तो भारतीय के पेट में दाने नहीं होने के बाद भी वह दूसरों को खिलाने की सोचता है।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामलक्ष्मण गुपता भी मंच पर उपस्थित थे।

शुक्रवार, 9 सितंबर 2016

सत्य को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं, इसलिये न्यायालय से भाग रहे – डॉ. मनमोहन वैद्य

सत्य को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं, इसलिये न्यायालय से भाग रहे – डॉ. मनमोहन वैद्य

उदयपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने उदयपुर में आयोजित अखिल भारतीय समन्वय बैठक के बारे में मीडिया को प्रेस वार्ता में जानकारी प्रदान की.

उन्होंने कहा कि यह एक रूटीन बैठक है, इस बैठक में कोई निर्णय नहीं होता, संघ में निर्णय लेने के लिए कार्यकारी मंडल की बैठक हैदराबाद में अक्तूबर माह में होगी, इसी तरह प्रतिनिधि सभा की बैठक मार्च में होती है. उदयपुर में आयोजित यह बैठक अखिल भारतीय समन्वय बैठक है. अखिल भारतीय अधिकारी एवं संघ के विविध क्षेत्रों में काम करने वाले कार्यकर्ता पूरे वर्ष भर देश में प्रवास करते हैं, इस दौरान वे भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के लोगों से मिलते हैं, और समाज को ऑब्जर्व करते हैं एवं उनसे इनपुट लेते हैं. साल में दो बार कार्यकर्ता अपने इनपुट (अनुभव का) आदान-प्रदान करते हैं, पिछली बैठक (जनवरी माह में आयोजित) के बाद अभी तक जो कार्यक्रम हुए हैं, एवं जो कार्यक्रम आगे होने वाले हैं, उसके संबंध में चर्चा बैठक में करेंगे.

पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने गोवा के विषय में बताया कि भारत में कुल 42 प्रान्त हैं और गोवा एक प्रान्त का विभाग है, इस संबंध में निर्णय वही प्रान्त करेगा.

महात्मा गांधी की हत्या और नाथूराम गोडसे के बारे में राहुल गाँधी द्वारा संघ पर लगाये गए आरोप से सम्बंधित सवाल पर कहा कि संघ एक ओपन संगठन है, कई लोग जुड़ते हैं, छोड़ते हैं और निष्क्रिय हो जाते है. ट्रायल कोर्ट एवं हाईकोर्ट केअभियोजन एवं चार्जशीट में भी कहीं संघ का नाम नहीं है. इसके बाद दो कमीशन बने हैं, उनमें भी गाँधी की हत्या में संघ का नाम नहीं है और खुद अभियुक्तों ने भी कभी संघ का नाम नहीं लिया है. न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान होना चाहिए और यह निर्णय करने का काम कोर्ट का है ना कि आरोप लगाने वालों का. ये वो लोग हैं जो न्यायिक प्रक्रिया द्वारा घोषित आतंकवादियों की बैठक में जाकर उनका गुणगान करते हैं, यदि इनके पास कोई सबूत हो तो साबित करें, सत्य को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं है ऐसे लोगो में, इसलिये न्यायालय से भागते फिर रहे हैं.
साभार :: vskbharat.com

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित