शुक्रवार, 30 सितंबर 2016

भारत के दर्शन संस्कृति और जीवन मूल्यों को आत्मसात करना होगा - विपिनचंद्र

भारत के दर्शन संस्कृति और जीवन मूल्यों को आत्मसात करना होगा - विपिनचंद्र



अलवर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, अलवर इकाई द्वारा आयोजित स्वर्ण जयंती व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए परिषद् के क्षेत्रीय संगठन मंत्री विपिनचंद्र ने युवाओं से भारतीय साहित्य ठीक प्रकार से पढ़ने जानने और समझने का आह्वान करते हुए कहा कि अगर संसार को शांति सोहार्द और समरसता का मार्ग अपनाते हुए विश्व कल्याण के मार्ग पर जाना है तो उसे भारत के दर्शन संस्कृति और जीवन मूल्यों को आत्मसात करना होगा।
 
क्षेत्रीय संगठन मंत्री विपिनचंद्र ने कहा कि भारत की मिट्टी में जन्में साहित्य में मानव प्रेम की महक है तथा उसमें जीवन के संपूर्ण आदर्श के मूल्य छुपे हुए हैं, अतः उसे विश्व के सभी कोनों में पहुंचना चाहिए और यह दायित्व देश की युवा पीढ़ी को अपने मजबूत कन्धों पर लेना चाहिए। श्री विपिन ने युवाओं को अपने महान पूर्वजों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री पी. के. शर्मा ने भारत की युवा पीढ़ी की क्षमता पर पूर्ण विश्वास जताते हुए देश और विश्व के भविष्य के प्रति निश्चिंतता जताई। तथा युवाओं को साहित्य परिषद् के कार्यक्रम से जुड़ने का आह्वान किया वाइस प्रिंसिपल भवानी शंकर जी का भी आशीर्वाद प्राप्त हुआ उन्होंने कहा पाश्चात्य अंधानुकरण के कारण युवा अपने जीवन मूल्यों से नहीं भटके।

कार्यक्रम का संचालन डॉ केशव शर्मा ने किया।

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित