सोमवार, 25 जनवरी 2016

शिक्षक कर्तव्यबोध के रूप में समाज में एक आदर्श हैं। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक संघ के जोधपुर शाखा द्वारा कर्तव्यबोध कार्यक्रम


शिक्षक कर्तव्यबोध के रूप में समाज में एक आदर्श हैं।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक संघ के जोधपुर शाखा द्वारा कर्तव्यबोध कार्यक्रम



 जोधपुर 23जनवरी 2016.   जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय शैक्षिक संघ द्वारा  85-इंटरनेशनल सभागार, एम.बी.एम. इंजीनियरिंग कॉलेज, जोधपुर में कर्तव्यबोध कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

चाणक्य ने शिक्षक के रूप में कर्तव्यबोध की चेतना द्वारा राष्ट्रीय एकता स्थापित की थी आज के शिक्षक को पुनः शिक्षक को अग्रणी बनाना होगा। अभियांत्रिकी संकाय के अधिष्ठाता प्रो. कमलेश पुरोहित ने कर्तव्यबोध के विषय में विचार प्रस्तुत करते हुए कहा की शिक्षक कर्तव्यबोध के रूप में समाज में एक आदर्श हैं। राष्ट्र के प्रति कर्तव्यबोध की चेतना जाग्रत करते हुए शास्त्रीजी ने एक समय के भोजन का त्याग करने का राष्ट्र के लोगो से आह्वान किया था। आज कट परिपेक्ष में एक कथा के माध्यम से कर्तव्यबोध की चर्चा करते हुए प्रो. पुरोहित के कहा की कर्तव्य की अपेक्षा अधिकारों का चिंतन एवं अधिकार चेतना ही समाज में प्रभावी हो रही हैं। 

कार्यक्रम के आरम्भ में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक संघ के जोधपुर शाखा के अध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार परिहार ने संघ के उद्देश्य एवं कार्यान्वयन शैली का परिचय दिया। शैक्षिक महासंघ के प्रारूप एवं उद्देश्यों के अनुरूप ही जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय शैक्षिक संघ की स्थापना की गयी जिसके अंतर्गत प्रतिवर्ष नव संवत्सर, गुरुवंदन एवं कर्तव्यबोध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं। कर्तव्यबोध सदा विवेकानंद जयंती से सुभाष जयंती तन पुरे पखवाड़े के रूप में मनाया हैं।

सिंडिकेट सदस्य प्रो. कैलाश डागा ने उद्बोधन देते हुए डॉ. कलाम के द्वारा प्रदत्त सन्देश दिया की हम अपने कर्तव्य को नमन करें न की किसी व्यक्ति को । नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के कार्यो पर विचार प्रस्तुत करते हुए प्रो. डागा ने कहा की अधिकांश महापुरुषों ने 50 वर्ष की आयु तक ही महान कार्य सम्पन्न किये थे। प्रो. डागा ने बताया की बोस २०वी सदी के प्रारम्भ के महापुरषों में अग्रणी थी। जिन्होंने अपने छात्र जीवन में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। पिताजी को इच्छा के अनुसार केंब्रिज से शिक्षा पूर्ण कर भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन हुआ। राजनैति की शुरूआत कोंग्रस मंच से प्रारम्भ कर अपनी स्वतंत्र पहचान बनाई। सुभाष चन्द्र बोस प्रथम थे व्यक्ति जिन्होंने विदेशी धरती से भारत को स्वत्रत को मुहिम चलाया था।

वाणिज्य एवं प्रबंध अध्ययन संकाय के अधिष्ठाता प्रो. ललित गुप्ता ने कर्तव्यबोध की चेतना जाग्रत करने के लिए वाकि वर्ष भर में आई कर्तव्य मंथरता को पुनः जाग्रत किया जा सके। शिक्षक स्वमं का आत्म परिक्षण करें ताकि समाज पर शिक्षक अपना नैतिक प्रभाव स्तापित कर एक आदर्श के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन कर सके। भारतीय समाज दर्शन कर्तव्यबोध चेतना के द्वारा दूसरों के अधिकारों की रक्षा का समावेश सहिष्णुता सन्ति को बढ़ाया हैं यही भारतीय संस्तृति को अन्य संस्कृतियों से हमें अलग करता हैं।

जय नारायण विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामपाल सिंह ने आशीर्वचन स्वरूप बताया की सवामी विवेकानंद जयंती से सुभाष जयंती तक का समय जीवन में प्रेरणा लेने के लिए उत्प्रेरक पखवाड़ा के रूप में मानना चाईये। युवाओ के लिरे देश के प्रति समर्पित नेताजी एक प्रेरणा सोत्र हैं। कर्तव्यबोध के लिए मैं बताया की व्यक्ति सजकता व् संजीवता के साथ करता हैँ तो उसे सफलता जरूर मिलती हैँ।

शैक्षिक संघ के सचिव डॉ. विकल गुप्ता ने धन्यवाद प्रस्तावित किया.

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित