गुरुवार, 26 नवंबर 2015

असहिष्णुता के नाम पर देश में बौद्धिक आतंकवाद फैलाया जा रहा है- जे. नंद कुमार

जयपुर, 26 नवंबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे. नंदकुमार ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पहला हमला पहले संविधान संशोधन के रूप में नेहरू सरकार ने साप्ताहिक पत्रिका पर प्रतिबंध लगाकर किया था। उन्होंने बताया कि मद्रास स्टेट से रोमेश थापर की क्रास रोड्स नामक पत्रिका में नेहरू की आर्थिक एवं विदेश नीतियों के खिलाफ एक लेख लिखा गया था, जिसके फलस्वरूप इस पत्रिका को मद्रास सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया।


नंदकुमार गुरूवार को 65 वें संविधान दिवस के अवसर पर प्रेस क्लब में पत्रकारों के साथ चाय पर वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यद्यपि रोमश थापर न्यायलय में मद्रास सरकार के विरूद्ध मुकदमा जीत गए थे, तो भी 12 मई 1951 में संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया। 25 मई को यह संशोधन पारित हो गया जो वर्तमान में भी है। यह उदाहरण बताते हुए उन्होंने कहा कि असहिष्णु कौन है, और इसकी शुरूआत किसने की इस पर विचार करना चाहिए।


संविधान को लोकतंत्र में ईष्वर के समान बताते हुए उन्होंने कहा कि संविधान में पंथ निरपेक्षता शब्द आने से पूर्व भी भारत में सनातन पंरपरा से सर्वपंथ समभाव का व्यवहार होता था। सेकुलरिज्म पर उन्होंने कहा कि संविधान निर्माण होते समय इस शब्द को शामिल करने की जरूरत महसूस नहीं की गई थी किन्तु 1976 में आपातकाल के दौरान तत्कालीन सरकार ने इसे संविधान में शामिल किया।


देश में असहिष्णुता के लेकर छिड़ी बहस और अवार्ड वापसी के बीच उन्होंन कहा कि असहिष्णुता के नाम पर देश में बौद्धिक आतंकवाद फैलाया जा रहा है। असहिष्णुता का डर दिखाकर लोगों का एक किया जा रहा है तथा आक्रामक विरोध जताने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। देश आगे बढ़ रहा है और इसे विकास को अवरुद्ध करने के लिए यह सब साजिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता से शुरू हुई बहस असहिष्णुता पर आ गई है।


असहिष्णुता मामले में प्रधानमंत्री की ओर से सफाई नहीं दिए जाने के सवाल उनका कहना था कि जरूरी नहीं कि हर बात का स्पष्टीकरण प्रधानमंत्री ही दे। यह कुछ लोगों की साजिश है जो उकसा कर साध्वी प्राची और साक्षी महाराज के बयान का इंतजार कर रहें हैं।


अवार्ड वापस करने वालों पर कटाक्ष करते हुए नंदकुमार ने कहा कि वे ऐसा कर देश की जनता का अपमान कर रहें हैं। उदाहरण देेते हुए उन्होंने बताया कि नयनतारा ने सिक्ख दंगो के 18 माह बाद अवार्ड लिया था उस समय कोई विरोध दर्ज नहीं करवाया किन्तु अब वे 18 वर्ष बाद अवार्ड वापस कर रही है। अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता पर उनका कहना था कि सबको अपने विचार प्रकट करने का अधिकार है किन्तु कानून को हाथ में लेने का नहीं। उन्होंने दादरी जैसी घटनाएं रोकने का समर्थन किया तथा कहा कि ऐसी घटनाओं पर कार्रवाई होनी चाहिए। वैचारिक स्थिति के बारे में उन्होंने बताया कि जाने माने अभिनेता दिलीप कुमार और मीना कुमारी को भी अपना नाम बदलना पड़ा था, किन्तु आज सहिष्णुता का माहौल होने के कारण वे अपने मूल नाम से काम कर पा रहे है।


उन्होंन कहा कि हमारे देश में ऐसा माहौल नहीं है। पाकिस्तानी साहित्यकार और पत्रकार व कनाडा के नागरिक तारक फतह ने भी एक बयान दिया है कि  अगर विश्व में मुसलमानों के रहने के लिए सबसे बेहतर माहौल है तो वह सिर्फ भारत में है। आमिर खान पर उन्होंने बताया कि भारत में उनकी पत्नी असुरक्षित महसूस करती है पर क्या वे पीके जैसी फिल्म पाकिस्तान में बना सकते थे। जब देश उनकी फिल्म को सहन कर सकता है तो वे देश में असुरक्षित कैसे हुए।

सोमवार, 23 नवंबर 2015

शैक्षिक महासंघ राष्ट्र के हित मे शिक्षा, शिक्षा के हित मे शिक्षक और शिक्षक के हित मे समाज ध्येय को लक्ष्य बनाकर शिक्षा, शिक्षक एवं समाज तीनों को साथ लेकर चलता - महेन्द्र जी कपूर


शैक्षिक महासंघ राष्ट्र के हित मे शिक्षाशिक्षा के हित मे शिक्षक और शिक्षक के हित मे समाज ध्येय को लक्ष्य बनाकर शिक्षाशिक्षक एवं समाज तीनों को साथ लेकर चलता - महेन्द्र जी कपूर 

 विश्वविद्यालय और महाविद्यालय शिक्षक मंच तथा रुक्टा(रा.) के सयुक्त तत्वाधान में सम्पन्न हुआ दीपावली स्नेह मिलन समारोह 

महेन्द्र जी कपूर उध्बोधन देते हुए

दिनांक २२नवम्बर को M.B.M. इंजीनियरिंग कॉलेज के ८५ इंटरनेशनल हॉल मे विश्वविद्यालय और महाविद्यालय शिक्षकों ने दीपावली स्नेह मिलन समोराह आयोजित किया। इस अवसर पर अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ के संगठन मंत्री श्रीमान महेन्द्र जी कपूर तथा वाणिज्य संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर ललित जी गुप्ता का मार्ग दर्शन प्राप्त हुआ। 

मंच का एक दृश्य
श्रीमान महेन्द्र जी कपूर ने शैक्षिक महासंघ के स्वरुप पर प्रकाश डालते हुए शिक्षक हित एवं सौहार्द के लिए शिक्षको से सहयोग का आह्वान किया। विकास मे बाधक बनने से संगठन की हानि होती हैं। शैक्षिक महासंघ राष्ट्र के हित मे शिक्षाशिक्षा के हित मे शिक्षक और शिक्षक के हित मे समाज ध्येय को लक्ष्य बनाकर शिक्षाशिक्षक एवं समाज तीनों को साथ लेकर चलता है। समाज हित के लिए शिक्षा की गुणवत्तासशक्तता एवं उत्कृष्टता आवश्यक है।  शिक्षा की गुणवत्ता के लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहना ही शिक्षक का नैतिक दायित्व है। इस नैतिक दायित्व को पूरा किये बिना शिक्षक समाज मे अपना उचित स्थान प्राप्त नहीं कर सकता। विभिन्न माध्यमो का प्रयोग करते हुए चरित्रवानविद्वान लोक कल्याण हेतु समर्पित विद्यार्थी व नागरिक तैयार करना शैक्षिक महासंघ के सदस्यों का संकल्प होना आवश्यक है। संगठन के सदस्यों को निष्ठापूर्वक शिक्षा एवं समाज हित मे अधिक से अधिक कार्य करने का अवसर मिले तभी सम्पूर्ण देश मे संगठन को गतिमान बनाया जा सकता है। इसी भाव को ध्यान मे रखते हुए शैक्षिक महासंघ कर्तव्य बोधगुरुवन्दन एवं सम-सामयिक विषयों  से सम्ब्द्द जन-जागरण के कार्यक्रम प्रतिवर्ष ब्लॉक एवं राष्ट्र स्तर पर निरन्तर आयोजित कर रहा है। 
श्रीमान महेन्द्र जी कपूर ने विश्वविधालय और महाविद्यालय शिक्षक मंच तथा रुक्टा(रा.) द्वारा आयोजित दीपावली स्नेह मिलन मे आपने विचार व्यक्त करते हुए शिक्षकों को समाज मे जीवन्तता  एवं निष्ठा से कार्य करने के लिए प्रेरित किया। 
जोधपुर इकाई के अध्यक्ष प्रोफेसर ललित गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन किया।  प्रोफेसर कैलाश डागा ने स्वागत भाषण एवं डॉ. सुनील परिहार ने कार्यक्रम का संचालन किया। 

इस अवसर पर संगठन का नाम परिवर्तन कर जयनारायण व्यास विश्वविधालय शैक्षिक मंच कर दिया है।

राममंदिर निर्माण के संकल्प के साथ संपन्न हुई अशोक सिंघल जी की श्रद्धांजलि

राममंदिर निर्माण के संकल्प के साथ संपन्न हुई अशोक सिंघल जी की श्रद्धांजलि





नई दिल्ली 22 नवम्बर 2015 | दिल्ली के के.डी. जाधव रेसलिंग स्टेडियम में आज विश्व हिन्दू परिषद् के संरक्षक व हिंदुत्व के महामानव श्री अशोक सिंहल की श्रद्धांजलि सभा राममंदिर निर्माण के संकल्प के साथ संपन्न हुई | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघाचालक मोहनराव भागवत जी ने मेदान्ता अस्पताल में भर्ती अशोक सिंघल जी के साथ हुई उस वार्ता की चर्चा करते हुए सभा को बताया कि अशोक सिंघल जी ने अपने जीवन में दो संकल्प किये थे : एक अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण करना और दूसरा संसार में वेदों का प्रचार–प्रसार करना | मोहन भागवत जी ने कहा कि हमें अशोक सिंघल जी के संकल्प को पूरा करने हेतु उनके संकल्प को अपना संकल्प बनाना होगा |

ईश्वरीय कार्य तो अवश्य पूर्ण होगा, बस हमें निमित्त मात्र बनना होगा | विश्व हिन्दू परिषद् के अध्यक्ष श्री राघव रेड्डी जी ने अशोक सिंघल जी को -- इक्कीसवी सदी का विवेकानंद बताते हुए उन्हें अपना गुरू व मार्गदर्शक बताया | विश्व हिन्दू परिषद् के कार्याध्यक्ष डा. प्रवीण तोगडिया ने अशोक सिंघल जी को संत–सेनापति और भारत की राजनीति में धर्म को पुर्नस्थापित वाला बताते हुए कहा कि उन्होंने 23 प्रतिशत जनसंख्या द्वारा 77 प्रतिशत पर वीटो पावर के इस्तेमाल पर अंकुश लगाया | छुआछूत का उन्मूलन, अविरल व निर्मल गंगा, गौवध पर अंकुश तथा एक लाख से अधिक गैर ब्राह्मणों को अर्चक पुरोहित बनाकर हिंदुत्व के विजय का शंखनाद किया | उन्होनें कहा कि अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण हेतु मात्र एक ही रास्ता है कि देश की संसद सोमनाथ की तर्ज़ पर राम मंदिर निर्माण हेतु अविलम्ब क़ानून बनायें |

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डा. मुरली मनोहर जोशी ने अशोक सिंघल को अपनी श्रद्धांजली देते हुए कहा कि वे सर्वधर्म समभाव के प्रबल समर्थक और एक प्रकाशपुंज थे जिसकी पूर्ति हम सभी छोटे–छोटे दीपक के रूप में उनके दिखाए मार्ग पर चलकर कर सकते हैं | 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित  करते हुए अशोक सिंघल जी को साहसी, पराक्रमी, अडिग, अचल तथा विनम्र बताते हुए कहा कि उनके जाने से एक युग का अंत हो गया है, जिसकी पूर्ति नहीं की जा सकती है |

हालैंड से पधारे राजा लुईस ने अपनी श्रद्धाजंली व्यक्त करते हुए कहा कि देवभूमि व वेदभूमि के रूप में अशोक सिंघल ने संसार में भारत का परिचय करवाया | इस अवसर पर साध्वी ऋतंभरा, सतपाल जी महाराज, स्वामी चिदानंद मुनि, वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय, तरुण विजय, वीरेश्वर द्विवेदी, नवीन कपूर, विष्णु हरि डालमिया, सलिल सिंघल, महेश भागचंदका इत्यादि लोगों ने सभा को संबोधित किया |

इस अवसर पर संघ–परिवार के दत्तात्रेय होसबले जी, कृष्ण गोपाल जी, दिनेश चन्द्र जी, चम्पत राय जी, विनायकराव देशमुख जी, विज्ञानानंद जी, रामलाल जी, श्याम जाजू जी, भूपेन्द्र यादव जी, अनिल जैन जी, दीनानाथ बत्रा जी के साथ–साथ भारत सरकार के केन्द्रीय मंत्री श्री रविशंकर जी, साध्वी निरंजन ज्योति जी, जे. पी. नड्डा जी, डॉ. हर्षवर्धन जी के साथ–साथ अनेक गणमान्य लोगों से स्टेडियम खचाखच भरा था | अशोक सिंघल जी की श्रद्धांजली सभा में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, दलाई लामा, आशाराम बापू, सुधांशु जी महाराज, रॉयल भूटान सरकार, नेपाल के उपप्रधानमंत्री, मुलायम सिंह यादव, शीला दीक्षित जैसे कई वरिष्ठ नेताओं का सन्देश पढ़ा गया |

मंगलवार, 17 नवंबर 2015

स्वर्गीय अशोकजी सिंघल के लिए सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत तथा सरकार्यवाह श्री सुरेश (भय्याजी) जोशी द्वारा श्रद्धांजलि.



स्वर्गीय अशोकजी सिंघल के लिए सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत तथा सरकार्यवाह श्री सुरेश (भय्याजी) जोशी द्वारा श्रद्धांजलि.
स्वर्गीय अशोक जी सिंघल के निधन से सारे विश्व के हिन्दू समाज को गहरा शोक हुआ है. उनके लम्बे संघर्षमय जीवन का अंत भी मृत्यु के साथ लम्बा संघर्ष करते हुए हुआ. श्री अशोक जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे. संघ की योजना से उन्हें विश्व हिन्दू परिषद का दायित्व दिया गया था.
विश्व हिन्दू परिषद के माध्यम से हिन्दू समाज में चैतन्य निर्माण करते हुए उन्होंने हिन्दू समाज का सिंहत्व जाग्रत किया. श्री रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण आन्दोलन को एक महत्व के मुकाम पर लाने में उनकी महत्व की भूमिका रही है. भारत के सभी श्रेष्ठ साधू - संतों के साथ सतत आत्मीय संपर्क के कारण उन्होंने सभी साधू – संतों का विश्वास एवं सम्मान अर्जित किया था. हिंदुत्व के मूलभूत चिन्तन का उनका गहरा अध्ययन था जो उनके वक्तव्य एवं संवाद द्वारा हमेशा प्रकट होता था.
ऐसे एक सफल संगठक एवं सक्रिय सेनापति को हिन्दू समाज ने आज खो दिया है. गत कुछ दिनों से अपने स्वास्थ्य के कारण विश्व हिन्दू परिषद् का कार्यभार अपने सुयोग्य साथियों को सौंप कर मार्गदर्शक के रूप में वे कार्य कर रहे थे. स्वतंत्र भारत के हिन्दू जागरण के इतिहास में श्री अशोक जी का संघर्षशील एवं जुझारू नेतृत्व सदा के लिए सभी के स्मरण में रहेगा.
उनकी दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान हो ऐसी हम परमात्मा से प्रार्थना करते है.

 जारीकर्ता 17 नवम्बर, 2015

डॉ. मनमोहन वैद्य अ.भा.प्रचार प्रमुख  

शनिवार, 7 नवंबर 2015

छोटी मानसिकता के लोग रंग, भाषा और सम्प्रदाय के आधार पर दुनिया को बांटते हैं: मोहनजी भागवत



Source: 06 Nov 2015 11:49:01




नई दिल्ली, नवम्बर 6 : असहिष्णुता के नाम पर देश को बदनाम करने के माहौल के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने भारतीय संस्कृति का बखान करते हुए कहा कि अनेकता में एकता ही भारत की शक्ति रही है और इसे परेशानी समझने के बजाय इसे उत्सव के रूप में मनाया जाना चाहिए। डॉ.भागवत स्वामी चिन्मयानंद की जन्मशती पर आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे।
चिन्मय मिशन की ओर से सिरी फोर्ट में आयोजित “नेशन बिल्डिंग थ्रू इंटर फेथ हारमनी इन द स्प्रिट ऑफ वसुधैव कुटुम्बकम” विषय पर बोलते हुए सरसंघचालक ने कहा कि छोटी मानसिकता के लोग ही रंग, भाषा और मजहब के नाम पर दुनिया को बांटते हैं, जबकि खुले विचारोंवाले ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को अपना आदर्श बनाकर समूचे विश्व को ही अपना परिवार मानते हैं। हमारी संस्कृति ने ही विश्व को एक परिवार मानने का महान विचार दुनिया को दिया है। 

गौरतलब है कि इस समय कथित असहिष्णुता के मुद्दे पर मीडिया में बयानबाजी और बहस छिड़ी हुई है। देश में असहिष्णुता बढ़ने के कथित माहौल का दुनियाभर में ढिंढोरा पीटने के लिए वामपंथी साहित्यकार सहित मोदी विरोधी वैज्ञानिक, फिल्मकार व इतिहासकार अपने पुरस्कार लौटा रहे हैं। ऐसे में सरसंघचालक के उपर्युक्त बयान को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 

शुक्रवार, 6 नवंबर 2015

जनसंख्या वृद्वि में असंतुलन देश की एकता के लिए संकट : ललित जी शर्मा

जनसंख्या वृद्वि में असंतुलन देश की एकता के लिए संकट : ललित जी शर्मा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके प्रांत संघ चालक ने साहित्यकारों के सम्मान लौटाने को अनुचित बताया
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघ चालक ललित जी शर्मा ने कहा कि देश में समान जनसंख्या नीति बननी चाहिए। उन्होंने स्वयंसेवकों देशवासियों से जनसंख्या में असंतुलन उत्पन्न कर रहे सभी कारणों की पहचान कर जन जागरण द्वारा देश को जनसांख्यिकी असंतुलन से बचाने के सभी से विधि सम्मत प्रयास करने का आह्वान किया।
 वे गुरुवार को यहां पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की 30 अक्टूबर से 1 नवंबर तक रांची में हुई बैठक में देश के पूर्वोत्तर राज्यों में पांथिक आधार पर हो रहा जनसांख्यिकी असंतुलन के गंभीर रूप लेने पर चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि बैठक में सीमा पार से हो रही अवैध घुसपैठ पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाने राष्ट्रीय नागरिक पंजिका का निर्माण कर उन घुसपैठियों को नागरिकता के अधिकारों तथा भूमि खरीद अधिकार से वंचित करने की भी मांग की गई।
संघ का कार्य व्यक्ति का चरित्र निर्माण करना 
शर्मा ने कहा कि संघ की शाखाओं में निरंतर वृद्धि हो रही है। जोधपुर प्रांत में वर्तमान में 382 स्थानों पर 1552 शाखाएं हैं, जो पिछले साल के अनुपात में ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि संघ का कार्य व्यक्ति के चरित्र निर्माण का है। संघ से जुड़े संगठन अपने-अपने स्तर पर कार्य रहे हैं।
असहिष्णुता हिंदुओं के स्वभाव में नहीं
शर्मा ने असहिष्णुता के सवाल पर कहा कि हिंदुस्तान में असहिष्णुता हाे नहीं सकती और ही हिंदुओं के स्वभाव में है। उन्होंने कहा कि ऐसा होता तो इस मुद्दे पर बहस नहीं चलती। यह सब कुछ साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों की ओर से सम्मान लौटाना अनुचित कदम है।

 







साभार: दैनिक भास्कर 













बुधवार, 4 नवंबर 2015

असहिष्णुता के प्रतिबिम्बों को बदलने का षड़यंत्र






इन दिनों कुछ साहित्यकारों, फिल्मकारों और वैज्ञानिकों द्वारा पुरस्कार लौटाने का एक फैशन सा चल पड़ा है। फैशन अच्छा है। फैशन इतना अच्छा है कि टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर खूब चल रहा है। चर्चाएं शुरू हैं। फैशन का मुद्दा बड़ा ही दिलचस्प है। फैशनवालों का कहना है कि उनकी आजादी खतरे में पड़ गई है। ये और बात है कि उनको पुरस्कार लौटाने की पूरी आजादी मिली है। वे बड़ी आजादी से अपना दुखड़ा रो रहे हैं। उनको मलाल है कि एक चाय बेचनेवाला कैसे देश का शासक बन गया? सब अपना सिर पीट रहे हैं कि जिंदगीभर कलम हम घिसते रहें, और गुणगान एक चायवाले की हो रही है। जिधर देखो, मोदी ही मोदी।
   
लोकतंत्र! क्या खाक लोकतंत्र है! जीवनभर लिखा, अब स्याही सूख गई। पर वाह रे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत! यहां के जनसामान्य साहित्य अकादमी, पद्मश्री और पद्मभूषण जैसे पुरस्कार प्राप्त महानुभावों को नहीं जानते! इस बात की पीड़ा पुरस्कार प्राप्त महानुभावों को होगी ही, देश की जनता के हृदय में स्थान जो नहीं बना सके! फिर सबको लगा कि अपना प्रचार-प्रसार करना जरुरी है। आइडिया मिला देश और दुनिया में मोदी नाम का जादू चल रहा है। क्यों न उनके नाम का सहारा लिया जाए? उनके राज में पुरस्कार लौटाने से हमारे अच्छे दिन जरुर आयेंगे। हुआ भी ऐसा ही! कल तक जिनके नाम भी नहीं सुने थे, पुरस्कार लौटाने पर सारे मीडियावालों ने उन्हें सिर पर बैठा लिया है। चर्चाएं शुरू हो गईं कि फलां ने पुरस्कार लौटाया। फलां कौन हैं? फलां ने क्यों पुरस्कार लौटाया? और उत्तर मिलना शुरू हो गया। देश की सहिष्णुता खतरे में है। और मीडिया वाले ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ में लग गए।

भई, सहिष्णुता खतरे में है। वो कैसे?कहने लगे, मोदी राज में खाने कीस्वतंत्रता छिनी जा रही है। गौ मांस पर पाबन्दी का माहौल बना है। देश तोधर्मनिरपेक्ष है, सेकुलर है। ऐसे में कोई हिंदुत्व, सनातन संस्कृति और धर्म की बात कैसे कर सकता है? कम्युनिस्ट स्याही के लेखकों का यह यह हिन्दू विरोधी राग बहुत हास्यास्पद है, निंदनीय है।

आज पूरी दुनिया आईएसआईएस, बोको हराम जैसे मजहबी आतंकियों के क्रूरता से आहत है। मजहबी उन्माद ने लाखों निर्दोषों की हत्या की है। वहीं व्यापार और कथित सेवा के नाम पर ईसाइयत को थोपनेवाले किस संस्कृति के थे, सब जानते हैं। क्या मजहबी आतंक फ़ैलानेवाले और धर्मान्तरण  का कुचक्र चलानेवाले सहिष्णु हैं? लेकिन विडम्बना देखिए कि जिन्हें हम देश के महान साहित्यकार कहते हैं, इतिहासकार कहते हैं वे हिंदुत्व को ही असहिष्णुता का प्रतिबिम्ब समझने लगे हैं और अपने झूठे और थोथे विचारों का मीडिया के माध्यम से ढिंढोरा पीट रहे हैं।  ऐसे में क्या वे सचमुच विद्वान् कहलाने के अधिकारी हैं? जिन्हें अपने सांस्कृतिक विरासत से घृणा है, वे लोग सम्मान के पात्र कैसे हो सकते हैं? शायद इसलिए ये लोग भारतीय जनमानस के हृदय में स्थान नहीं पा सके। आज देशवासियों को संत कबीर, तुलसीदास, सूरदास, मीराबाई, गुरु नानक, रसखान, रैदास, अब्दुल करीम खानखाना जैसे संत कवियों की याद आ रही है। लोग भारतेन्दु हरिश्चंद्र, मैथिलीशरण गुप्त, सुभद्राकुमारी चौहान, महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पन्त, दिनकर, निराला, माखनलाल चतुर्वेदी, हरिवंशराय बच्चन की रचनाओं और उनके महान व्यक्तित्व की दुहाई दे रहे हैं।

सच है, सारी दुनिया मानती है कि भारत आध्यात्मिक देश है और यही वह देश है जहां से साधकों को मुक्ति का मार्ग मिलता है। सदियों से यह जनमत है, विश्वास है कि भारत की हिन्दू संस्कृति दुनिया में अदभुत, अद्वितीय और सर्वसमावेशक है। यह प्रत्येक जाति, मत, पंथ व सम्प्रदायों को समान आदर देती है। सभी को अपने श्रद्धानुसार पूजा, उपासना और साधना का अधिकार देती है। यही कारण है कि भारत में इस्लाम, ईसाई, पारसी जैसे दूसरे देशों से आए मजहबों को कभी नकारा नहीं गया। भारत सभी मजहबों और उपासना पंथों का आश्रय स्थल हमेशा से रहा है। वह इसलिए क्योंकि यहां की सांस्कृतिक विरासत हिंदुत्व है। यही सर्वपंथ समभाव और सहिष्णुता का  प्रतीक है। इसलिए सारी दुनिया में यह सर्वमान्य है।

लेकिन इन पुरस्कार लौटानेवालों को लगता है कि गौमांस खाने की स्वतंत्रता मिले तो देश में सहिष्णुता रहेगी। देश मेंहमेशा मुगलों का इतिहास पढ़ाया जाएगा तो सहिष्णुता रहेगी। इनकी नज़रों मेंमिशनरी स्कूलों में सरस्वती पूजन का न होना, सहिष्णुता है। मदरसों में वन्दे मातरम् न गाया जाना, सहिष्णुता है। यदि कोई कह दे कि वह हिन्दू है,या कोई यह कह दे कि उसे हिंदुत्व में श्रद्धा है, तो मोदी विरोधियों कीनज़रों में वह ‘असहिष्णु’, ‘कट्टर’ और ‘सांप्रदायिक’ हो जाता है। हिन्दू होना यानी असहिष्णु होना है, ऐसा मानकीकरण करने का षड्यंत्र चल रहा है। इस षड्यंत्र के चलते मोदी विरोधी कहीं यह न कह दे कि श्री, श्रीहरी, श्रीधर,श्रीपाद, ओम, ओमकार जैसे ईश्वरसूचक हिन्दू शब्द भी ‘असहिष्णुता’ के प्रतीकहैं! इसमें कोई आश्चर्य न होगा।  

साभार:: न्यूज़ भारती

रविवार, 1 नवंबर 2015

कुछ समय से हिन्दू समाज व संघ को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है – सुरेश भय्या जी जोशी o

रांची (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के अंतिम दिन रविवार को सरकार्यवाह सुरेश भय्या जी जोशी ने बैठक स्थल के समीप बनी मीडिया गैलरी में पत्रकार वर्ता को संबोधित किया. सबसे पहले उन्होंने मीडिया को बधाई देते हुए कहा कि सभी ने सकारात्मक समाचार प्रकाशित कर समाज को सही संदेश दिया है. उन्होंने कहा कि संघ का 90 वर्षों के सामाजिक जीवन का अनुभव है. संघ के कार्यों को सकारात्मक दृष्टि से देखने की जरूरत है. पिछले कुछ दिनों में देश की कुछ शक्तियों द्वारा हिन्दू समाज को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है. सबके प्रति सम्मान की भावना रखने वाले संघ पर गलत आरोप लग रहे हैं जो निंदनीय है. संघ की वर्ष में दो प्रमुख बैठकें होती है, जिसमें हम संघ के कार्यों की समीक्षा करते है. एक बैठक मार्च में प्रतिनिधि सभा की होती है और दूसरी बैठक अक्तूबर-नवम्बर के बीच कार्यकारी मंडल की होती है. इस बार हुई कार्यकारी मंडल की बैठक में हम लोगों ने संघ कार्य की समीक्षा की है. संघ कार्यकर्ताओं के लगातार प्रयास से पिछले 10वर्षों में पूरे देश में 10500 शाखाएं बढ़ी हैं. वर्तमान में देश में शाखाओं की कुल संख्या 50400 है. इनमें से 91 प्रतिशत शाखाएं ऐसी हैं, जहां 40 वर्ष से कम आयु के स्वयंसेवक आते हैं. 9 प्रतिशत शाखाओं में 40 वर्ष से अधिक आयु के स्वयंसेवक आते हैं, इस तरह संघ को हम एक युवा शक्ति कह सकते हैं. उन्होंने कहा कि लोगों का कहना है कि संघ एक नगरीय संगठन है, पर ऐसा नहीं है. अभी संघ का 60 प्रतिशत काम ग्रामीण इलाकों में चल रहा है, जबकि 40 प्रतिशत ही शहर में है. अभी देश के 90 प्रतिशत तहसीलों (प्रखंडों) में संघ के कार्यकर्ता पहुंच चुके हैं. देश के 53000 से अधिक मंडलों (10 से 12 गांवों को मिलाकर एक मंडल) में से 50 प्रतिशत से अधिक मंडलों तक संघ का काम पहुंच चुका है. युवाओं को संघ से जोड़ने के लिए ज्वाईन आरएसएस नाम से संघ की वेबसाईट पर व्यवस्था बनायी गयी है. गत चार वर्ष में वेबसाईट के माध्यम से संघ से जुड़ने वाले युवाओं की संख्या बढ़ी है. 2012 में जहां प्रतिमाह 1000 युवा संघ से जुड़ रहे थे, वहीं 2015 में संख्या बढ़कर 8000 प्रतिमाह हो गई है. आंकड़े दर्शाते हैं कि बड़ी संख्या में युवा संघ से जुड़ने की इच्छा रखते हैं.

सरकार्यवाह जी ने कहा कि वर्तमान में सेवा के क्षेत्र एवं ग्रामीण विकास पर संघ काम कर रहा है. आगे जल प्रबंधन, जल संरक्षण व जल संवर्धन पर काम करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है. यदि हम एकत्र मिलकर काम करें तो भीषण जल संकट से बचा जा सकता है. आगामी योजनाओं में संघ ने इस पर काम करने का निर्णय लिया है और स्वयंसेवक इसमें लगेंगे. उन्होंने केन्द्र सरकार के स्वच्छता अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह सराहनीय कार्य है, इसे और प्रभावी बनाने की जरूरत है. इस पर भी स्वयंसेवक काम करेंगे. साथ ही संघ चाहता है कि देश में प्रदूषण की समस्या दूर हो एवं व्यसन मुक्त भारत बने

बैठक के अंतिम दिन सरसंघचालक जी, सरकार्यवाह जी ने किया पौधारोपण




रांची (विसंकें). संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के अंतिम दिन रविवार को सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी, सरकार्यवाह सुरेश जोशी (भय्या जी) के साथ-साथ संघ के कई अधिकारियों नें कार्यक्रम स्थल पर वृक्षारोपण किया. सरला बिरला पब्लिक स्कूल के परिसर में सरसंघचालक जी एवं सर कार्यवाह भय्याजी ने कल्पतरू, सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने रूद्राक्ष, वहीं राष्ट्र सेविका समिति की संचालिका वंदनीय शांताक्का ताई ने आम का पौधा लगाया. इसके साथ ही सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने नाग चम्पा, भाग्गया जी ने बोकूल, अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख अनिरूद्ध देशपांडे जी ने लाल चंदन का पौधा लगाया. उत्तार क्षेत्र संघचालक बजरंग लाल गुप्त जी, उत्तर पूर्व क्षेत्र संघचालक सिद्धिनाथ सिंह जी एवं झारखण्ड प्रांत के प्रांत प्रचारक अनिल कुमार मिश्र ने आम के पौधे लगाए. अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन जी ने परिसर में सीता अशोक के पौधे का रोपण किया. इस मौके पर विद्यालय के प्रबंधक प्रदीप वर्मा, बैठक के सर्वव्यवस्था प्रमुख राजीव कमल बिट्टू, सह व्यवस्था प्रमुख संजय कुमार, आशुतोष द्विवेदी सहित अन्य स्वयंसेवक उपस्थित थे.

सरला बिरला स्कूल के विद्यालय प्रबंधक प्रदीप वर्मा जी ने सरसंघचालक मोहन भागवत जी को एक कल्पतरू का पौधा भी भेंट किया. इस दुर्लभ पौधे को संघ मुख्यालय नागपुर में लगाया जाएगा

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित