शुक्रवार, 29 मई 2015
संघ और सरकार- विरोधाभास का सवाल नहीं
(देखें, बॉक्स-1)
उपरोक्त दोनों निष्कर्षों को बॉक्स-2 में दिये जवाब पुष्ट करते हैं। दोनों सर्वेक्षणों का पहला सवाल था-'आप मोदी सरकार से क्या चाहते हैं?' आंकड़े संकेत करते हैं कि मीडिया में हिन्दुत्व को लेकर लागातार दुष्प्रचार किये जाने के बावजूद;
ये संख्या इस मिथक को तार-तार करती है कि हिन्दुत्व के मुद्दे शासन और विकास के विरोधाभासी हैं। सुखद बात यह है कि ये निष्कर्ष सभी आयु वर्गों में सच पाये गए हैं और 40 प्रतिशत युवा (18-29 साल) मानते हैं कि 'हिन्दुत्व का उन्नयन' उतना ही महत्वपूर्ण है जितना 'विकास' (बॉक्स-3)। साढ़े चार महीनों में यह संख्या 100 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी है।
यह सर्वेक्षण आठ शहरों में किया गया था। इसके निष्कर्ष तब और अधिक उत्साहजनक हो जाते हैं जब शहरों के स्तर पर प्राप्त आंकड़ों पर नजर डाली जाती है। तीन शहरों में मिले निष्कर्षों पर नजर डालें (बॉक्स-4), जो दक्षिण भारत में स्थित हैं जहां भाजपा की ज्यादा उपस्थिति नहीं है।
आईटी शहर बंगलूरु में 64 प्रतिशत लोग 'विकास' के साथ 'हिन्दुत्व' चाहते हैं। एक बार फिर, साढ़े चार महीनों में 0 से 230 प्रतिशत का उछाल दिखता है।
याद रहे इन शहरों में ईसाई मिशनरियों की बड़ी संख्या है। इनसे एनजीओ का सवाल जुड़ा हुआ है। 55 प्रतिशत लोगों ने कहा कि 'मोदी सरकार ने उनके (एनजीओ) संदर्भ में सही निर्णय लिया है' और केवल 13 प्रतिशत ने कहा कि यह 'बेमतलब का बैर निकालना है।'
जब शहरों के अनुसार निम्नलिखित चार सवालों से प्राप्त डाटा की तुलना की गयी तो एक दिलचस्प तस्वीर उभर कर आयी। (देखें, बॉक्स-5) ये सवाल थे-
केवल 27 प्रतिशत लोगों ने माना है कि 'प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार ने सक्रियता को प्रोत्साहित किया है', क्योंकि उन्होंने घर वापसी को लेकर मीडिया और विपक्ष द्वारा खेले गए खेल की असलियत जान ली है। उदाहरण के लिए विपक्ष की एक भी पार्टी कन्वर्जन विरोधी विधेयक को पारित कराने के लिए आगे नहीं आयी, यह तथ्य लोगों से छिपा नहीं रहा।
22 प्रतिशत लोग अब भी 'पता नहीं/कह नहीं सकते' की स्थिति में हैं। संघ की तरफ से एक स्पष्ट संदेश और संघ की वास्तविक समझ न केवल 22 प्रतिशत लोगों की संघ के प्रति सकारात्मक दृष्किोण बनाने में मददगार हुई बल्कि यह भाजपा के लिए 'शासन' और 'अभी तक पहुंच से दूर इलाकों में उपस्थिति दर्ज कराने' में भी सहायक होगी।
-संदीप सिंह
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