गुरुवार, 19 फ़रवरी 2015

धर्म आंख खोलता है और जो आंख बंद करे वह अधर्मी कहलाता है-डॉ.कृष्ण गोपाल

धर्म आंख खोलता है और जो आंख बंद करे वह अधर्मी कहलाता है-डॉ.कृष्ण गोपाल



नई दिल्ली। बिहार के छपरा में राष्ट्र की सेवा के प्रति समर्पित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व सरसंघचालक रज्जू भैया की स्मृति में व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया । स्थानीय ब्रजकिशोर किंडर गार्टन के सभा कक्ष में आयोजित इस षष्ठम व्याख्यानमाला का विधिवत उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी द्वारा रज्जू भैया के तैल चित्र के समझ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
इस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए आरएसएस के सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि धर्म आंख खोलता है और जो आंख बंद कर

 वह अधर्मी कहलाता है । उन्होंने भारत दर्शन और पश्चिमी सभ्यता के बीच तुलनात्मक संबंधों को बताते हुए कहा कि हमारे यहां जो उत्पन्न हुआ वह धर्म है और पश्चात में रिलिजन कहा जाता है । उन्होंने कहा कि सभी कहते है धर्म समान है लेकिन वह अज्ञानता में ऐसा बोलते है इसलिए लोगों को यह बताना आवश्यक है कि धर्म क्या है ?, सांप्रदाय क्या है ?, पंथ क्या है?। उन्होंने कहा कि वास्तव में धर्म नीति को बताता, न्याय को बताता है, दायित्व को बताता, कर्तव्य को बताता है, सत्य और असत्य के विवेक का दर्शन कराता है। धरती पर सभी का धर्म होता है। माता का, पिता, पुत्री का, पुत्र का सबका धर्म होता है और सब इसे निर्वहन करते है ।

श्री गोपाल जी ने कहा कि धर्म सास्वत सिद्धांत है जो सबके लिए बेहद आवश्यक है । सबों के जीवन में धर्म के मौलिक तत्वों को लाने की छूट है। इसलिए धर्म के दर्शन को समझना आवश्यक है । उन्होंने भारत और पश्चिम के भगवान की तुलना करते हुए कहा कि भारत में परमात्मा एक है जो उपर है लेकिन लाखो करोड़ो में व्याप्त है यह वेद कहता है। ईश्वर की यह व्याख्या पश्चिम में नहीं हैं, इस अंतर को समझना आवश्यक है । उन्होंने भारतीय संस्कृति की व्याख्या करते हुए कहा कि यहां के लोग “सर्वे भवन्तु सुखिना कहते है” यानी पूरा विश्व सुखी रहे,सारे लोग सुखे रहे। चाहे वह शत्रु ही क्यों न हो भारत में कोई मौलिक दर्शन का विरोध नहीं करता । यह की परंपरा सभी देवी देवताओं को मानती है । उन्होंने जेहाद और क्रुष्ड का भी जिक्र किया। सांप्रदायक के स्थापत्य को विकसित करने के लिए वे अदालत के आदेश का निर्वहन करते है । वे जहां गये साम्राज्य स्थापित करने के लिए लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते थे। गरीबी, भूख, बीमारी एवं शिक्षा के हथियार बनाकर प्रलोभन देकर कार्य किया जाता था। 21 वी सदी में जनता जागरूक है। अमेरिका के 67 प्रतिशत लोग हिन्दुत्व पर विश्वास करते है यह सर्वे से सिद्ध हुआ है, अगर भगवान एक है तो उसके पाने के रास्ते हजार हो सकते है। दुनिया में भारत की योग को माना और विश्व में 21 जून को योग दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। एक सांप्रदाय को हम पूरे विश्व स्थापित नहीं कर सकते इसलिए पश्चात जगत के लोगों को पुनः विचार करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन के लोग सेनापति को नहीं मानते जो जंग में विजय पा कर आता है, बल्कि यहां के लोग उसे मानते है जो स्वयं पर विजय पाकर समर्पण भाव रखता है । हमे पूजा पाठ, कर्मकांड की बजाय नैतिक मूल्यों को तव्वजों देने की जरूरत है । सत्य को ग्रहण करना आवश्यक है। मुख्य वक्ता के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते डॉ. वैधनाथ मिश्र ने अभिनंदन पत्र, मंच संचालन अवधकिशोर मिश्र ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से क्षेत्रकार्यवाह मोहन जी, उतर प्रांत कार्यवाह अभय कुमार गर्ग, प्रांत सह प्रमुख कैलाश चंद्र, सह कार्यवाह रजनीश शुक्ला, विभाग प्रचारक राजा राम जी, विभाग संघ चालक विजय कुमार सिंहआदि उपस्थित थे
Source:rajasthan khoj khabar

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित