मंगलवार, 6 जनवरी 2015

भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता विश्व की सर्वोपरि संस्कृति - बाबूलाल

भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता  विश्व की सर्वोपरि संस्कृति - बाबूलाल
सीमावर्ती म्याजलार में  पथ संचलन का आयोजन  


जैसलमेर ६ जनवरी २०१५।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के म्याजलार खण्ड के पथ संचलन में सीमावर्ती गांवों पोछीणा, करड़ा, मिठड़ाऊ, केरला, सत्तो, फूलिया, बैरसियाला के सैकड़ों स्वयंसवेक संघ गणवेश में सधे कदमों के साथ कदमताल करते हुए एकनिष्ठ होकर गंतव्य की ओर पहुंचे। म्याजलार में जगह-जगह ग्रामीणों ने पथ संचलन का फूल वर्षा कर स्वागत किया। गांव में पहली बार पथ संचलन के रूप में हिंदू शक्ति का प्रकटीकरण हुआ है। 

इस अवसर पर ख्याला मठ के महंत गोरखनाथ के साथ संघ के विभाग प्रचारक बाबूलाल, विभाग संघचालक डाॅ. दाऊ लाल शर्मा भी उपस्थित थे।
 इस अवसर पर आयोजित हिंदू सम्मेलन में मुख्य वक्ता विभाग प्रचारक बाबूलाल ने कहा कि पथ संचलन एकता और शक्ति का समागम है। समाज जीवन के भव्य एवं शक्तिशाली प्रकटीकरण इसका ध्येय है। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व में ही विश्व का कल्याण संभव है। भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता को विश्व की सर्वोपरि संस्कृति बताते हुए कहा कि इससे ही विश्व में शांति स्थापित हो सकती है। 

उन्होंने उपस्थित सीमावर्ती नागरिकों को सीमा प्रहरी बताते हुए कहा कि आप सभी आंतरिक सुरक्षा की पहली पंक्ति हैं। सामाजिक समरसता से ही सीमावर्ती क्षेत्रों में राष्ट्रवादी विचारधारा का पोषण हो सकेगा। सम्मेलन के अंत में महंत गोरखनाथ ने संघ के आदर्शों को जीवन में उतारने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारतीय सभ्यता संस्कृति के मौलिक स्वरूप के रक्षण उसके संवर्धन में जुटा हुआ है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित