शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2014

सरदार पटेल : स्वतंत्र भारत के महान नायक'

सरदार पटेल : स्वतंत्र भारत के महान नायक'

सरदार वल्लभभाई पटेल, ऐसा महान व्यक्तित्व जिनकी दृढ़ता राष्ट्रनीति का मापदंड बन गया। उनकी कार्यशैली राजनीति को देशाभिमुख होने की प्रेरणा देती है। उन्होंने स्वतंत्र भारत के बिखरे रियासतों को टूटने से बचाया। भारत के विभाजन से देश में व्याप्त पीड़ा और जनाक्रोश के बीच दृढ़ता से खड़े होकर देश की जनता में सुरक्षा का विश्वास जगाया। सरदार पटेल वास्तव में स्वतंत्र भारत के महान नायक थे। हैरत की बात है कि ऐसे महान व्यक्ति को स्वतंत्रता के 45 वर्ष के बाद 1991 में भारतरत्न दिया गया। ऐसे में भारत के नए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरदार पटेल की 182 फीट की मूर्ति जो दुनिया की सबसे ऊंची होगी, का निर्माण करवा रहे हैं, बेहद हर्ष का विषय है।


- लखेश्वर चंद्रवंशी लखेश
अंग्रेजों के अत्याचारों से त्रस्त भारतीय जनता ने स्वतंत्रता के लिए महान संघर्ष किया। सत्याग्रह, सशस्त्र क्रांति और आजाद हिन्द सेना तीनों ही माध्यम से स्वतंत्रता की ज्वाला प्रगट हुई। लोगों ने उसमें अपने तन, मन, धन और समय की आहुति दी। हजारों ने अपने जीवन को स्वतंत्रता की बलिवेदी में  अर्पित कर दिया। इस महान त्याग से प्राप्त स्वतंत्रता भारतवर्ष के लिए  ईश्वर प्राप्ति या मोक्ष की तरह था। परन्तु इस स्वतंत्रता के आगमन के पूर्व ही अलगाववादी प्रवृत्ति ने देश को निहित स्वार्थ के लिए बांटने की साजिश शुरू कर दी थी। और हुआ वही जिसका डर था। 14 अगस्त, 1947 को भारत का बंटवारा हो गया। भारत और पाकिस्तान ऐसे दो देश बन गए। यह  विभाजन भारत की स्वतंत्रता के लिए प्राणप्रण से लड़ रहे करोड़ों भारतीय जनता के दिलोदिमाग को झगझोर कर रख दिया। ऐसा प्रतीत हुआ जैसे अपना ही एक अंग कटकर गिर गया। बंटवारे से प्राप्त पाकिस्तान की भूमि में रह रहे लाखों हिन्दू और सिखों की हत्याएं पाकिस्तान में की जाने लगी। इससे व्याप्त आक्रोश ने भारत में साम्प्रदायिक उन्माद को जन्म दिया। इस हिंसा के दौर में सरदार पटेल ने दृढ़ता का परिचय दिया। उन्होंने कानून व्यवस्था को सुदृढ़ ही नहीं किया, वरन हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए जन प्रबोधन भी किया।  
सरदार पटेल ने यह कहकर लोगों को शांत किया कि, “शत्रु का लोहा भले ही गर्म हो जाए, पर हथौड़ा तो ठंडा रहकर ही काम दे सकता है।उन्होंने बंटवारे और साम्प्रदायिक हिंसा से देश में उपजे उन्माद के बीच भारतीय जनमानस में एकता की शक्ति के महत्त्व का स्मरण कराया और कहा, “एकता के बिना जनशक्ति, शक्ति नहीं है जबतक उसे ठीक ढंग से सामंजस्य में न लाया जाए और एकजुट न किया जाए, और तब यह आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है।उन्होंने लोगों को संयमित करने के लिए कहा, “बोलने में मर्यादा मत छोड़ना, गलियां देना तो कायरों का काम है।उन्होंने लोगों में धाडस बंधाया कि, “जीवन की डोर तो ईश्वर के हाथ में है, इसलिए चिंता की कोई बात हो ही नहीं सकती।
स्वतंत्र भारत का एकीकरण
स्वतंत्र भारत में उस समय लगभग 600 रियासत थे। सरदार पटेल ने कई शासकों से मुलाकात
कर उनसे चर्चा की। इसका परिणाम यह हुआ कि कई शासकों ने अपने राज्य को  भारतीय संघराज्य में विलीन कर दिया। परन्तु कुछ राजा और नवाब अंग्रेजों के भारत छोड़ने के बाद निरंकुश शासक बनने का सपना देख रहे थे
, जिनमें जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर मुख्य थे। जूनागढ़ के शासक अपने रियासत को पाकिस्तान में विलीन कराने को गुप्त रूप से षड्यंत्र कर रहे थे। जूनागढ़ के नवाब के इस निर्णय के कारण जूनागढ़ में जन विद्रोह हो गया जिसके परिणाम स्वरूप नवाब को पाकिस्तान भाग जाना पड़ा और जूनागढ़ पर भारत का अधिकार हो गया। 
इधर, हैदराबाद का निजाम हैदराबाद स्टेट को एक स्वतन्त्र देश का रूप देना चाहता था इसलिए उसने भारत में हैदराबाद के विलय की स्वीकृति नहीं दी। यद्यपि भारत को 15 अगस्त, 1947 के दिन स्वतन्त्रता मिल चुकी थी किन्तु 18 सितम्बर, 1948 तक हैदराबाद भारत से अलग ही रहा। इस पर तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल ने हैदराबाद के नवाब की हेकड़ी दूर करने के लिए 13 सितम्बर, 1948को जनरल चौधरी के नेतृत्व सैन्य कार्यवाही आरम्भ की। भारत की सेना के समक्ष निजाम की सेना टिक नहीं सकी और पांच दिनों में ही निजाम को 18 सितम्बर, 1948 को आत्मसमर्पण करना पड़ा। हैदराबाद के निजाम को विवश होकर भारतीय संघ में शामिल होना पड़ा। इन रियासतों के सन्दर्भ में गांधीजी ने सरदार पटेल को लिखा था, “रियासतों की समस्या इतनी जटिल थी जिसे केवल तुम ही हल कर सकते थे।”  निःसंदेह, लौहपुरुष सरदार पटेल की दृढ़ कार्यवाही से ही यह संभव हो सका।
जम्मू-कश्मीर और सरदार पटेल 
जम्मू व कश्मीर एक सामरिक महत्त्व का राज्य था, जिसकी सीमाएं पाकिस्तान, चीन आदि देशों से जुड़ी हुई थीं, और सरदार पटेल उत्सुक थे कि उसका भारत में विलय हो जाए। उन्होंने महाराजा हरि
सिंह से कहा कि उनका हित भारत के साथ मिलने में है और इसी विषय पर उन्होंने जम्मू व कश्मीर के प्रधानमंत्री पं.रामचंद्र काक को 3 जुलाई
, 1947 को एक पत्र लिखा- मैं कश्मीर की विशेष कठिनाइयों को समझता हूं, किंतु इतिहास एवं पारंपरिक रीति-रिवाजों आदि को ध्यान में रखते हुए मेरे विचार से जम्मू व कश्मीर के भारत में विलय के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प ही नहीं है।
गृहमंत्री सरदार पटेल उस समय सूचना एवं प्रसारण मंत्री तथा राज्यों संबंधी मामलों के मंत्री होने के नाते स्वाभाविक रूप से जम्मू व कश्मीर मामले भी देखते थे। 

किंतु बाद में जम्मू व कश्मीर संबंधी मामले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू स्वयं देखने लगे। जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के साथ पंडित नेहरू के तनावपूर्ण सम्बन्ध थे
, इस वजह से महाराजा के साथ बातचीत करने के लिए नेहरू को सरदार पटेल पर निर्भर रहना पड़ता था। 27 सितंबर, 1947 को ज्ञात हुआ कि पंजाब के उत्तरी-पश्चिमी सीमा प्रांत से पाकिस्तानी कश्मीर में घुसपैठ की तैयारी कर रहा है। उनकी योजना अक्टूबर के अंत या नवंबर के आरंभ में युद्ध छेड़ने की है। बाद में समाचार यह भी मिला था कि पाकिस्तानी हमलावरों ने कुछ क्षेत्र पर अधिकार कर लिया है और आगे बढ़ रहे हैं। इधर, सरदार पटेल के आह्वान पर महाराजा हरि सिंह ने अपनी रियासत जम्मू-कश्मीर को नई स्थापित हो रही संघीय लोकतांत्रिक सांविधानिक व्यवस्था का अंग बनाने के लिए
26 अक्टूबर
, 1947 को विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए थे। 
भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा के सन्दर्भ में पंडित जवाहलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, रक्षा मंत्री सरदार बलदेव सिंह, जनरल बुकर, कमांडर-इन-चीफ जनरल रसेल और आर्मी कमांडर के बीच बैठक हुई। बैठक में सैन्य संसाधनों की कमी और कठिनाइयों पर चर्चा हो रही थी। सभी चिंतित थे, पर सरदार पटेल गंभीरता से सारी बातें सुन रहे थे। पर दृढ़ता के प्रतीक सरदार पटेल ने कहा-  जनरल, हर कीमत पर कश्मीर की रक्षा करनी होगी। आगे जो होगा, देखा जाएगा। संसाधन हैं या नहीं, आपको यह तुरंत करना चाहिए। सरकार आपकी हर प्रकार की सहायता करेगी। यह अवश्य होना और होना ही चाहिए। कैसे और किसी भी प्रकार करो, किंतु इसे करो।
सरदार के इस निर्णय से सैन्य अधिकारियों को बल मिला और उन्होंने कश्मीर में आक्रमणकारी पाकिस्तानियों का मुंहतोड़ जवाब दिया। आज जो जम्मू-कश्मीर का जितना भूभाग भारत के पास है वह सरदार पटेल के त्वरित निर्णय, दृढ़ इच्छाशक्ति और विषम-से-विषम परिस्थिति में भी निर्णय के कार्यान्वयन का ही परिणाम है।

वास्तव में, सरदार पटेल के आह्वान और सन्देश में भारतीय समाज में बहुत विश्वास था। जनता मानती थी कि स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार पटेल उनकी सुरक्षा, सुविधा और उत्थान के मुख्य आधार हैं। यही कारण है कि सरदार पटेल को लौह पुरुष  कहने में लोग गौरवान्वित महसूस करते थे। पर आश्चर्य है कि भारतीय राजनीति  के महान आदर्श और स्वतंत्र भारत के एकीकरण के सूत्रधार पटेल के कार्यों के  ऐतिहासिक महत्त्व को स्कूली और महाविद्यालयीन शिक्षा में बहुत कम ही जगह  मिली, जिसका परिणाम यह हुआ कि सरदार पटेल के कार्यों को गत 6 दशक से जनता ठीक से अवगत न हो पाई। हैरत की बात है कि ऐसे महान व्यक्ति को स्वतंत्रता के 45 वर्ष के  बाद 1991 में भारतरत्न दिया गया। ऐसे में भारत के नए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरदार पटेल की 182 फीट की मूर्ति जो दुनिया की सबसे ऊंची होगी, का निर्माण करवा रहे हैं, बेहद हर्ष का विषय है। पटेल की इस मूर्ति को स्टैच्यू ऑफ यूनिटीनाम दिया गया है, जो कि उनके कार्यों के अनुरूप है। यही नहीं तो सरदार पटेल की जयन्ती को राष्ट्रीय एकता दिवसके रूप में मनाने का निर्णय किया है और इस अवसर पर देशभर रन फॉर यूनिटीअथवा एकता दौड़का आयोजन किया जा रहा है। अब आवश्यकता इस बात की है कि हमारे देश की जनता अपने लौह पुरुष के जीवन और सन्देशों को जानें और उनसे प्रेरणा लें।
साभार: http://hn.newsbharati.com

सोमवार, 27 अक्तूबर 2014

कश्मीर पर जनजागरूकता जरूरी-हस्तीमल


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख हस्तीमल जी उध्बोधन देते हुए


कश्मीर पर जनजागरूकता जरूरी-हस्तीमल

देहरादून।26 अक्टूबर। कश्मीर समस्या भारत की सबसे बड़ी समस्या है। इस पर जनजागरूकता आज की महती आवश्यकता है। देश की जनता इस बारे में जागरूक होगी और नेताओं पर दबाव बनाएगी तभी इसका उचित समाधान निकल सकता है। ये समस्या देश के बड़े लोगों द्वारा छोटे मन से किए गए कार्यो का परिणाम है। आज कश्मीर के 2 लाख,22 हजार,236 वर्ग किमी में से भारत के पास मात्र 101437 वर्ग किमी ही है।जबकि 78 हजार,114 वर्ग किमी पाकिस्तान के पास और 42 हजार 685 वर्ग किमी का हिस्सा चीन के कब्जे में है। इसके अलावा 5130 वर्ग किमी का हिस्सा पाकिस्तान ने चीन को उपहार में दे रखा है। इस तरह से पाकिस्तान और चीन के पास जम्मू और कश्मीर के कुल 222236 वर्ग किमी क्षेत्रफल का 1 लाख 20 हजार,437 वर्ग किमी का हिस्सा है। जबकि भारत के पास सिर्फ 101437 वर्ग किमी का ही हिस्सा है जिसको हड़पने के लिए पाकिस्तान और चीन दोनों बराबर प्रयास करते रहते है।

यह कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख हस्तीमल जी का। श्री हस्तीमल जी आज यहां महानगर संपर्क विभाग द्वारा विश्व संवाद केन्द्र में कश्मीर विलय दिवस के अवसर पर आयोजित एक दिवसीय गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।

उन्होंने भारती स्वतत्रंता के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की राजनीतिक चतुराई और दृढ़ता के चलते भारत में 565 रियासतों का शांतिपूर्ण विलय हुआ लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री की उदासीनता के परिणामस्वरूप कश्मीर भारत के लिए समस्या बन गया। यदि उस समय सरदार को छूट दी गई होती तो यह समस्या उसी समय दूर हो गई होती। उन्होंने कहा कि इतिहास बताता है कि उस समय राजस्थान की बीकानेर,जैसलमेर और जोधपुर रियासते भी भारत की बजाय पाकिस्तान में मिलना चाहती थी लेकिन पटेल की दृढ़ता के चलते वे ऐसा नहीं कर सकी। ऐसा ही कश्मीर के साथ भी होता लेकिन राजनीतिक उदासीनता के चलते ऐसा हो नही पाया। सरदार पटेल ने साम,दाम,दंड,भेद को अपना कर भारत का एकीकरण किया।

उन्होंने कहा कि भारत के लिए आज कश्मीर सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए वहां के विस्थापितों की समस्याओं पर भी तुरंत ध्यान दिया जाना आवश्यक है। आज जम्मू-कश्मीर की समस्याएं सिर्फ वहां के निवासियों की ही समस्या नहीं बल्कि पूरे भारत की समस्या है इसलिए इसके निदान में पूरे भारत की जनता को जागरूक होना पड़ेगा और कार्य करना होगा।

हस्तीमल जी ने जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक,राजनीतिक,ऐतिहासिक और सामरिक महत्व को रेखांकित किया और उसके लिए बलिदान हुए श्यामा प्रसाद मुखर्जी समेत अन्य लोगों का भी विस्तार से उल्लेख किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सेवानिवृत्त बिग्रेडियर केजी बहल ने कहा कि 1965 में भारत का नेतृत्व पंडित लालबहादुर शास्त्री के मजबूत हाथों में था और जब पाकिस्तान ने कश्मीर क्षेत्र में युद्ध छेड़ा तो भारतीय फौज ने उसका मुंहतोड़ जवाब दिया और हमारी फौजें पाकिस्तान के लाहौर शहर के मुहाने तक पहुंच गई थी। उनसे सेना ने आगे बढ़ने और लाहौर टेकओवर करने की अनुमति मांगी लेकिन पीएम ने नहीं दिया वरना आज कश्मीर देश के लिए समस्या नहीं बना होता। ब्रिगेडियर ने कहा कि कश्मीर हमारे लिए बड़ी समस्या है और पहले हमको इस पर ध्यान देना होगा छोटी छोटी समस्याएं बाद में स्वतः दूर हो जाएगी। गोष्ठी में कश्मीरी विस्थापित मनोज पण्डित ने भी मर्मस्पर्शी शब्दों में अपने विचार रखें।

कार्यक्रम के प्रारंभ में महानगर संपर्क प्रमुख राजेश सेठी ने विषय की प्रस्तावना रखी जिसमें जम्मू-कश्मीर के विभिन्न आयामों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम का संचालन पवन शर्मा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन महानगर संघचालक गोपाल कृष्ण मित्तल ने किया।

कार्यक्रम में संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपाशंकर,महानगर प्रचारक महेन्द्र,प्रान्तकार्यवाह लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल,क्षेत्र संपर्क प्रमुख शशिकांत दीक्षित,महानगर संघचालक रोशनलाल,पार्षद अनीता सिंह,नंदलाल,धीरेन्द्र प्रताप सिंह,अमर बहादुर समेत बड़ी संख्या में अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

बुधवार, 22 अक्तूबर 2014

जालोर प्राथमिक संघ शिक्षा वर्ग समापन समारोह

जालोर. राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ के प्राथमिक संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह के अवसर पर स्वयंसेवको ने दंड प्रहार , योग, व्यायाम, सूर्यनमस्कार का प्रदर्शन किया।  प्राथमिक संघ शिक्षा वर्ग में   ४३ ग्रामों  से १५८ स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण लिया.
साभार:दैनिक भास्कर

विश्व की प्रत्येक समस्या का समाधान भारतीय चिंतन में

बाड़मेर।  राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ के प्राथमिक संघ शिक्षा वर्ग के समापन के अवसर पर पथ संचलन का आयोजन किया गया।  समापन समरोह में दंड, योग एवं सूर्यनमस्कार का प्रदर्शन स्वयंसेवकों  द्वारा किया गया।  
इस अवसर पर जिला सह संघचालक रिखब दस बोथरा ने कहा कि भारतीय संस्कृति प्राचीनतम संस्कृति है  इसकी विरासत व् ज्ञान अतुलनीय है।  विश्व की प्रत्येक समस्या का समाधान भारतीय चिंतन में है। 
जिला कार्यवाह गोपाल कृष्ण चौधरी ने बताया की बायतु , बाड़मेर तहसील एवं शहर के ३२ स्थानो से १४२ स्वयंसेवको ने वर्ग में प्रशिक्षण प्राप्त किया। 

साभार:दैनिक भास्कर

स्वच्छ भारत अभियान - स्वयंसेवकों ने किया श्रमदान

स्वच्छ भारत अभियान - स्वयंसेवकों ने किया श्रमदान
साभार: दैनिक भास्कर

मंगलवार, 21 अक्तूबर 2014

अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक सम्पन्न - समाचार पत्रो की नजर से

अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक सम्पन्न - समाचार पत्रो की नजर से 
साभार:हिंदुस्तान टाइम्स


साभार:अमर उजाला

साभार:जागरण

साभार:जनसत्ता
साभार: Hindustan Times

साभार:अमर उजाला
साभार:राष्ट्रीय  सहारा

सोमवार, 20 अक्तूबर 2014

एकात्मता का प्रतीक है संघ का सेवाकार्य: भय्या जी जोशी

एकात्मता का प्रतीक है संघ का सेवाकार्य: भय्या जी जोशी
प्रेस वार्ता में सरकार्यवाह भैया जी जोशी एवं साथ में अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ मनमोहन जी वैद्य





लखनऊ, 20 अक्तूबर, 2014। राहत कार्य संघ की कार्यपद्धति में ही शामिल है। जम्मू-कश्मीर में संघ द्वारा की गयी आपदा सहायता वस्तुतः एकात्मकता की मिशाल है। समाज के दलित, पिछड़े वनवासी क्षेत्र में भी संघ सेवा कार्य करता है। करीब 1 लाख 60 हजार सेवा केन्द्र स्वयंसेवकों के द्वारा चलाये जा रहे हैं। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश जोशी (भय्या जी जोशी) ने कही, जो कि संघ के अखिल भारतीय केन्द्रीय कार्यकारी मण्डल की बैठक के बाद पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण की समस्या गम्भीर है। समाज में जल संवर्द्धन एवं वृक्षारोपण को लेकर जागरुकता का कार्य प्राथमिकता के आधार पर लिया जायेगा। इसके लिए प्रशिक्षण शिविर भी चलाये जायेंगे। देश में हाल ही में हुए राजनीतिक परिवर्तन के सन्दर्भ में कहते समय उन्होंने कहा कि देश के नागरिकों ने अपनी जागरूकता का परिचय विश्व को करा दिया। भारत की जनता कठिन परिस्थितियों में भी उचित निर्णय कर सकती है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार देश के लिए हितकारी नहीं थी। लोग परिवर्तन चाहते थे। संघ ने देश हित में परिवर्तन का समर्थन 100 प्रतिशत मतदान का देश के सामने आह्वान कर किया।

उन्होंने स्वीकार किया कि अनेक लोग पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर संघ की आलोचना करते हैं। लेकिन समाज इसे स्वीकार नहीं करता इसलिए आज संघ का इतना विस्तार हो रहा है। इस वर्ष सवा लाख युवक प्राथमिक शिक्षा वर्ग में शामिल हुए। गांव-गांव तक संघ कार्य का विस्तार हो रहा है। हिन्दू के अलावा कोई अन्य लोग भी संघ में आते हैं, तो संघ उनका स्वागत करता है।

एक प्रश्न के उत्तर में भैय्या जी ने बताया कि संघ हिन्दुओं को जाग्रत करना चाहता है। यह समाज शक्तिशाली होना चाहिए। तभी देश शक्तिशाली होगा। हिन्दू कौन है? यह पूछने पर उन्होंने कहा कि जो अपने आपको हिन्दू कहता है वह हिन्दू है। इसमें उपासना पद्धति का भेद नहीं।
ग्रामीण विकास की कल्पना को स्पष्ट करते हुए श्री भैय्या जी ने कहा कि गांव के लोग अपनी योजना खुद बनायें। उसके क्रियान्वयन में शासन का सहयोग हो सकता है। गांव के लोग शिक्षित हांे, गांव सुन्दर हो, इसमें पर्यावरण, चिकित्सा आदि शामिल हो। भेदभाव ना हो, गांव की आवश्यकता गांव में ही पूरी हो। कुटीर उद्योग बढ़ने चाहिए। यह संघ की ग्रामीण विकास के सम्बन्ध की अवधारणा है।

समाज में शासन की विशेष भूमिका होती है। वह जनहित में कार्य करें। उनकी व्यवस्था ठीक करें, सुरक्षा सुनिश्चित करे। जबकि समाज के दोष दूर करने के लिए समाज ने स्वयं पहल करनी चाहिए। सरकार पर निर्भर नहीं होना चाहिए।

श्री राम मन्दिर निर्माण के सम्बन्ध में पूछे गये प्रश्न के उत्तर में भैय्या जी ने कहा कि राम मन्दिर वहाँ है ही वहाँ नियमित पूजा भी होती है। अब उसे भव्य बनाने की आवश्यकता है। वर्तमान सरकार ने चुनावी घोषणापत्र में कहा था कि मन्दिर निर्माण की बाधाओं को दूर करेगी। इसके लिए सरकार को समय देना चाहिए।

सरकार्यवाह भय्याजी की प्रेस कॉन्फ्रेंस

सरकार्यवाह भय्याजी की प्रेस कॉन्फ्रेंस






अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक समाचार पत्रो की नज़र से

अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक समाचार पत्रो की नज़र से 

साभार:अमर उजाला

साभार:हिंदुस्तान टाइम्स

साभार: इंडियन एक्सप्रेस

साभार: दैनिक जागरण

साभार: नवभारत टाइम्स

साभार: राष्ट्रीय  सहारा

साभार:  टाइम्स ऑफ इंडिया

स्वयंसेवकों ने सार्वजनिक स्थानों पर किया श्रमदान बाली में 450 स्वयंसेवकों ने 15 टोलियां बनाकर किया श्रमदान, जगह-जगह सजाई रंगोली


स्वयंसेवकों ने सार्वजनिक स्थानों पर किया श्रमदान

 
बाली में 450 स्वयंसेवकों ने 15 टोलियां बनाकर किया श्रमदान, जगह-जगह सजाई रंगोली 
बाली।  स्थानीय आदर्श विद्या मंदिर में चल रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सात दिवसीय जिला स्तरीय प्राथमिक शिक्षा वर्ग के दौरान शनिवार को स्वयंसेवकों ने नगर के विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर श्रमदान किया।
वर्ग कार्यवाह नेनाराम सेपटावा ने बताया कि शिविर में व्यक्तित्व विकास के विभिन्न आयामों के तहत शारीरिक, बौद्धिक सेवा का प्रशिक्षण दिया जाता है। शिविर में भाग ले रहे साढ़े चार सौ स्वयंसेवकों ने शनिवार को 15 टोलियां बनाकर पृथ्वीराज चौहान चौक, शिवाजी चौक, महाराणा प्रताप चौक, महादेव मंदिर रड़ावा, होली चौक, मैन बाजार, बेरा चौक, हनुमान चौक, आईओसी रोड, अम्बेडकर कॉलोनी, सेसली दरवाजा, रामदेवजी मन्दिर, हनुमान मन्दिर, पीपलेश्वर महादेव मन्दिर, रेबारियों की ढाणी, संघ कार्यालय राजकीय अस्पताल सहित विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर श्रमदान किया तथा रंगोलियां भी सजाई। इस कार्य में शंकरलाल, महेंद्र, विनोद कुमार, महावीर, उम्मेद, जगदीश सोनी, फूलचंद, प्रवीण, सुरेश कंसारा, हरिलाल, सुखलाल, बंशीधर, नरपतसिंह, दलपत रावल, छगनलाल, नरेन्द्रसिंह, विक्रमसिंह, बहादुरसिंह, किशोर, नारायणलाल, जीवाराम, टीकमचंद, मनोज पुरी, नरेंद्रसिंह, मुकेश, मनीष गजेन्द्र अग्रवाल का सहयोग रहा।
 
आज निकलेगा पथ संचलन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला कार्यवाह अशोकपालसिंह मीणा ने बताया कि रविवार को स्वयंसेवकों की ओर से पंथ संचलन निकाला जाएगा। पथ संचलन दिन में एक बजे आदर्श विद्या मन्दिर से रवाना होकर नगर के बारवा जाव, गैस एजेंसी, महाराणा प्रताप चौक, अम्बेडकर कॉलोनी, होली चौक, बेरा चौक, पृथ्वीराज चौहान चौक राजकीय अस्पताल होकर पुन: आदर्श विद्या मन्दिर पहुंचेगा। पथ संचलन का जगह-जगह पुष्पवर्षा से स्वागत किया जाएगा। 

प्राथमिक संघ शिक्षा वर्ग ......

प्राथमिक संघ शिक्षा वर्ग 
साभार: दैनिक भास्कर

सिणधरी में पथ सञ्चलन

सिणधरी में पथ सञ्चलन 

साभार: दैनिक भास्कर
साभार:राजस्थान पत्रिका

शनिवार, 18 अक्तूबर 2014

शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2014

सीमावर्ती बाड़मेर जैसलमेर से अकाल की खबरे

सीमावर्ती बाड़मेर जैसलमेर से अकाल की खबरे
साभार:दैनिक भास्कर

साभार:दैनिक भास्कर

साभार: राजस्थान पत्रिका

बिना भेदभाव के नागरिक और राष्ट्रीय बोध जगाने का काम करता है संघ: श्री दत्तात्रेय होसबाले





बैठक का इक दृश्य

प्रेस वार्ता में डॉ  मनमोहन जी वैध एवं दत्तात्रेय जी होस्बोले

संघ शक्ति


बिना भेदभाव के नागरिक और राष्ट्रीय बोध जगाने का काम करता है संघ: श्री दत्तात्रेय होसबाले


- गाँव-गाँव तक पहुँचा संघ कार्य


लखनऊ-17 अक्तूबर, 2014। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बिना किसी भेदभाव के अपने कार्यों के विस्तार के साथ ही समाज में नागरिक बोध जगाने का काम करता है जिससे देश में अनुसान, कर्मनिष्ठा, सार्वजनिक स्वच्छता, पर्यावरण आदि विषयों में जाग्रति आये। संघ राहत कार्यों में हिन्दू और मुसलमानों में भेद नहीं करता।  संघ सम्पूर्ण देश के बारे में चिन्तन करता है। सरकार को काम करने का समय देना चाहिए। कार्यों की प्राथमिकता तय करना सरकार पर छोड़ना चाहिए।
यह बात रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कही। वह अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की बैठक प्रारम्भ होने के अवसर पर पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहाकि अखिल भारतीय तथा क्षेत्रीय पदाधिकारियों की यह बैठक दशहरा व दीवाली के बीच में होती है। यह सामान्य बैठक है। फिर भी तात्कालिक विषयों पर इसमें चर्चा होती है। जम्मू-कश्मीर, आन्ध्र, उड़ीसा, मेघालय की दैवीय आपदा तथा कश्मीर में सीमा पार की गोलीबारी से मारे गये लोगों व शहीद सैनिकों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त की गयी। उड़ीसा, आन्ध्र, मेघालय, जम्मू-कश्मीर में प्राकृतिक आपदा के 6-7 घण्टे के अन्दर ही संघ के स्वयंसेवक राहत कार्य में लग गये थे। जम्मू-कश्मीर की आपदा में 3085 लोगों को स्वयंसेवकों ने सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया, 140 स्वास्थ्य शिविर लगाये गये। जिसमें 21 हजार लोगों का इलाज किया गया। इसके अलावा बड़ी मात्रा में राहत सामाग्री वितरित की गयी। संघ आपदा प्रभावित सभी इलाकों में पुनर्वास का काम करेगा। जम्मू-कश्मीर में ठण्ड बढ़ेगी, इसे ध्यान में रख कर विशेष राहत कार्य किया जायेगा।
पिछले 3 वर्षों में रा.स्व.संघ के कार्यों का बहुत विस्तार हुआ है। सभी मुख्य मार्गों के दोनों ओर के सभी गावों में संघ कार्य को विस्तार देने की योजना बनायी गयी है। अण्डमान से लेकर लेह-लद्दाख तक देश के सभी हिस्सों में संघ की 4500 शाखाएँ एवं 1500 साप्ताहिक मिलन बढ़े हैं, कई प्रान्तों में 20 प्रतिशत कार्य बढ़ा है। आॅनलाइन ज्वाॅइन आर.एस.एस. नाम से शुरू हुए सोशल मीडिया कार्यक्रम से लोग बड़ी संख्या में जुड़ रहे हैं। संघ कार्य से परिचित कराने के लिए 1-2 दिन के संघ परिचय वर्ग लगाये जा रहे हैं, इसमें भारी संख्या में लोग सम्मिलित हो रहे हैं जिसमें अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों को संघ से परिचित कराया जायेगा। समाज में अनुशासन, सफाई, नागरिक बोध, वृक्षारोपण आदि माहौल बनाने के लिए अभियान चलाने पर भी चर्चा होगी। देशहित में ऐसे कार्य संघ पहले से ही करता आ रहा है।


विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित