परमपूज्य सरसंघचालक का सत्य आधारित जीवन जीने का आह्वान
सोनीपत
(हरियाणा). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन राव
भागवत ने कहा है कि मनुष्य को अपना और अन्य जीवों का कल्याण करना है तो उसे
सत्य पर आधारित जीवन जीना होगा. सत्य है कि आत्मा एक है और यही आत्मा
परमात्मा है. यही आत्मा हर जीव के में विद्यमान है. परमात्मा की सेवा करना
ही हमारा लक्ष्य है. इसलिये सारी दुनिया के सुख के लिये हमारा जीवन है. जब
हम ऐसा करते हैं तो हमारा जीवन उपयोगी होता है, सुख देता है और दुनिया का
भी भला करता है. डा. भागवत ने यह भी कहा कि हिन्दू वही है, जो सबके सुख और
उन्नति की कामना करता है और सृष्टि के सभी जीवों को समान भाव से देखता है.
यहां भगवान महावीर इन्सटीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में 25 से 28 सितम्बर तक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रांत द्वारा युवा संकल्प शिविर आयोजित
हुआ. शिविर में दिल्ली के वे स्वयंसेवक शामिल हुये, जो किसी न किसी
महाविद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं. छात्रों की कुल संख्या 2028 थी. चार
दिवसीय इस शिविर में छात्रों ने जहां विभिन्न प्रतियोगिताओं में अपनी
प्रतिभा का परिचय दिया, वहीं उन्हें परम-पूज्य सरसंघचालक डा. मोहन राव
भागवत एवं वरिष्ठ प्रचारकों का मार्गदर्शन मिला.
शिविर
का औपचारिक उद्घाटन 26 सितम्बर को प. पू. डॉ. भागवत ने दीप प्रज्वलित कर
किया. उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि थे प्रसिद्ध वैज्ञानिक और परमाणु आयोग
के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल काकोदकर. मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,
दिल्ली प्रांत के प्रांत संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा भी उपस्थित थे.
डॉ. अनिल काकोदकर ने युवाओं को संबोधित करते हुये कहा कि अच्छी शिक्षा
प्राप्त कर उस शिक्षा का राष्ट्र के हित में उपयोग करें और कुछ ऐसा कर
दिखायें कि हमारे न रहने से भी हमारे कार्य का प्रभाव समाज पर दिखे.
इस अवसर पर अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य, अखिल भारतीय
शारीरिक शिक्षण प्रमुख श्री अनिल ओक, क्षेत्रीय प्रचारक श्री रामेश्वर, सह
क्षेत्र प्रचारक श्री प्रेम कुमार, क्षेत्र कार्यवाह श्री सीताराम व्यास,
सह क्षेत्र कार्यवाह श्री विजय कुमार सहित अनेक वरिष्ठ प्रचारक और
कार्यकर्ता उपस्थित थे.
शिविर
के दूसरे दिन ‘राष्ट्र उत्थान में प्राध्यापकों की भूमिका’ विषय पर एक
गोष्ठी आयोजित हुई. गोष्ठी को संबोधित करते हुये परम-पूज्य सरसंघचालक डा.
मोहन जी भागवत ने कहा कि आज राष्ट्र निर्माण का काम संघ कर रहा है, लेकिन
कुछ लोगों को संघ के विषय में ठीक प्रकार से जानकारी नहीं है.
कार्यक्रम के मध्य में प्रश्नोत्तर का भी कार्यक्रम था. जिसमें दिल्ली
विश्वविद्यालय के प्राध्यापक भूपेश कुमार ने सरसंघचालक से पूछा कि संघ समाज
के हर अच्छे काम का सहभागी है लेकिन प्रचार क्यों नहीं करता? इस प्रश्न पर
सरसंघचालक ने कहा कि हमारा अपना प्रचार का तंत्र है. हम घर-घर जाते हैं,
लोगों से मिलते हैं और अपना कार्य करते हैं. एक प्राध्यापक ने सवाल किया कि
आज हम डॉ. और इंजीनियर बनाते जा रहे हैं, लेकिन इसका परिणाम यह हो रहा है
कि वे राष्ट्र भाव से दूर होते जा रहे हैं? इस पर श्री भागवत ने कहा कि
सबसे पहले अपने बच्चों की इच्छा को जानना चाहिये. अधिकतर परिवारों में
बच्चों पर दबाव होता है कि आपको इन क्षेत्रों में ही जाना है, पर बच्चों की
रुचि किसी अन्य क्षेत्र में होती है. जब वे अपनी रुचि के क्षेत्र में
नहीं जाते हैं, तो इन क्षेत्रों में आकर उनका एक ही उद्देश्य होजाता है धन
अर्जित करना और इसी के चलते वे धन के लालच में राष्ट्र भाव से दूर होते चले
जाते हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ से जुड़े राकेश कंवर ने प्रश्न किया
कि उन पर आरोप लगने लगता है कि वे राजनीतिक हैं. इस पर सरसंघचालक ने कहा
हम राष्ट्र की बात करने वालों का समर्थन करते हैं. जो राष्ट्र की बातें
करता है संघ उसके साथ है. अच्छे काम के लिये संघ सभी के साथ है. गोहत्या
बंद हो, राम मंदिर का निर्माण हो, यह हमारा कार्य है. संघ से जुड़ने वालों
को अलग नजर से देखा जाये यह स्वाभाविक है. कार्यक्रम के अन्त में
प्राध्यापकों को संबोधित करते हुये मोहन जी भागवत ने कहा कि राष्ट्र
निर्माण में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है.शिक्षक को आज शिक्षार्थियों को
बताना है कि सत्य पर ही रहना है किसी भी परिस्थिति में सत्य से नहीं डिगना
है. चाहे कितने ही संकट क्यों न आयें.
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं
उत्तर क्षेत्र के संघचालक डॉ. बजरंगलाल गुप्त और दिल्ली प्रान्त के प्रान्त
कार्यवाह श्री भरत भूषण सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे.
शिविर का समापन 28 सितम्बर को हुआ. समापन समारोह को सम्बोधित करते हुये
परम पूज्य सरसंघचालक ने कहा कि संघ को समझना है तो डॉ. हेडगेवार के जीवन को
समझो और डॉ. हेडगेवार को समझना है तो संघ को समझो. उन्होंने अपने खून को
पानी कर संघ के लिये काम किया. हिन्दू समाज को संगठित किया. यदि आप उनके
बौद्धिकों को पढ़ें तो उन्होंने परिस्थितियों के बारे में बहुत कम कहा है.
हमें क्या करना चाहिये, इस बारे में उन्होंने सबसे ज्यादा कहा है. संघ में
व्यक्ति वंदना नहीं होती, बल्कि संघ कौटुम्बिक आधार पर चलता है. संघ
आत्मीयता से चलता है. उन्होंने एक लघु कथा के जरिये स्वयंसेवकों को जीवन
में सक्रिय रहने व अपने उद्देश्य के प्रति जागरूक रहने का संदेश दिया. श्री
भागवत ने कहा कि संघ में हमारा रिश्ता नेता कार्यकर्ता का नहीं होता,
बल्कि एक कुटुंब में आत्मीयता से रहने का होता है. हमें अपने दायित्व को
पूरी निष्ठा के साथ निभाना चाहिये. दायित्व छोटा या बड़ा नहीं होता. इसलिये
आपको जो भी दायित्व मिले, उसे सर्वश्रेष्ठ मानकर पूरी ईमानदारी से अपने
कार्यको करना चाहिये. संघ के स्वयंसेवक को पहले संघ बनना पड़ता है. संघ के
आचरण को अपने जीवन में उतारना पड़ता है. संघ के कार्य को आगे बढ़ाने के
लिये हमें निरंतर में सक्रिय रहना चाहिये. तभी संघ का कार्य आगे बढ़ेगा.
कार्य करने से ही कार्य आगे बढ़ता है, सिर्फ योजना बनाने से नहीं. इसलिये
यदि स्वयंसेवक अपने कार्य के प्रति ईमानदारी से सक्रिय रहेंगे तो संघ का
कार्य कर सकेंगे.
अति उतम
जवाब देंहटाएंविस्तृत रिपोर्ट प्रेरणादायक।
प्रश्नितरी ज्ञानवर्धक ।