सोमवार, 22 सितंबर 2014

घर बैठे संस्कृत सीखें: देवपुजारी

घर बैठे संस्कृत सीखें: देवपुजारी

जबलपुर । संस्कृत भारती कोई शैक्षणिक संस्थान नहीं है । यह सामाजिक संस्था है । इसका मुख्य कार्य उन लोगों को संस्कृत भाषा सिखाना है जो स्कूल कालेज आदि में पढ़ाई नहीं करते । इस संस्था की यह सबसे बड़ी विशेषता है कि यह लोगों को बिना किताब के ही बोलना सिखाती हैं । यह कहना है संस्कृत भारती के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्रीश देव पुजारी का । वे एक साक्षात्कार में बोल रहे थे ।
उन्होंने बताया कि संस्कृत भारती के प्रयासों से आज राजगढ़ जिले के ग्राम झिरी के सभी लोग संस्कृत में बाते करते है । इस भाषा को सिखाने के लिये कोई अलग से स्कूल या काॅलेज नहीं चलाया जाता । बल्कि 15-20 लोगों का समूह बनाया जाता है और जहाॅं जगह मिलती है वहीं पर बैठ कर पढ़ाना शुरू कर दिया जाता है ।  लगातार बीस दिन तक एक घंटे पढ़ने से व्यक्ति संस्कृत बोलना सीख जाता है ।  आगे और दक्षता हासिल करने के लिये वर्ग लगाकर तैयारी कराई जाती है ।  इस तरह के वर्ग प्रांत में सन् 2000 से लग रहे है । अखिल भारतीय योजना के अनुसार 2014 मेें जिला स्तरीय सम्मेलन हो रहे है ।  2015 में प्रांत स्तर के और 2016 में अखिल भारतीय सम्मेलन होंगे ।
श्री देवपुजारी ने बताया कि संस्था जो शिक्षा देती है वो पूर्णतः निःशुल्क है । भाषा को पत्राचार के माध्यम से भी सिखाने की व्यवस्था की गई है । इस भाषा के प्रति रूचि जगाने के लिये कक्षा दूसरी से ही इसे पढ़ा रहे है ।  उन्होंने बताया कि नागालैंड, मिजोरम, अरुणाचल और मेघालय को छोड़कर शेष भारत में संस्कृत भारती का काम अच्छा चल रहा है ।  थोड़ी बहुत कठिनाई आ रही है पंजाब प्रांत मेें ।  यहाॅं के निवासियों को संस्कृत के शब्दों का उच्चारण करने में कठिनाई होती है ।  तमिलनाडू में डीएमके पार्टी इस भाषा का विरोध करती है और सरकार भी इसकी अनुमति नहीं देती ।  जबकि छात्र केन्द्र सरकार की नौकरी पाने के लिये इस भाषा को पढ़ाये जाने के लिये राज्य सरकार पर दबाव बना रहे है ।
उन्होंने बताया कि संस्कृत भारती ने 7 से 13 अगस्त तक संस्कृत सप्ताह मनाया था इसमें पूरे देश से सबसे ज्यादा प्रविष्टियां तमिलनाडू से आई थी ।  आज संस्कृत भाषा का प्रभाव दूसरे देशों में भी देखने को मिल रहा है । यही कारण है कि हमने अपने ही देश में इन विदेशियों को संस्कृत भाषा सिखाने की व्यवस्था कर रखी है । इसके तहत दिल्ली में हर महिने की 1 से 14 और 16-29 तारीख तक में भाषा ज्ञान कराया जाता है । इसके अतिरिक्त बैंगलुरू में भी उक्त भाषा सिखाने की व्यवस्था की गई है ।  हर वर्ष लगभग 40 विदेशी इसमें महिला और पुरुष दोनों है संस्कृत सीखने आते है ।  श्री देवपुजारी ने बताया कि संस्कृत भारती का काम देश के साथ साथ विदेशों में अमेरिका, यू.ए..ई. इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया में भी चलता है । 
साभार:संवाद केंद्र ,जबलपुर

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित