सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

साधु-संतों को झूठे मामलों में फंसाकर जेल में डालने की घिनौनी हरकत से बाज आए केंद्र : श्रीश्री रविशंकर

बंगलुरु। प्रसिद्ध धर्मगुरु श्रीश्री रविशंकर ने केंद्र  सरकार पर भारतीय संस्कृति और देश की प्रतिष्ठा को नष्ट करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है। धर्मगुरु ने सरकार को आगाह किया है कि वह अपने राजनीतिक लाभ के लिए साधु संतों को झूठे मामले में फंसाकर जेल में डालने की घिनौनी हरकत से तुरंत बाज आए। उन्होंने कहा कि इसी साजिश के तहत कांची कामकोटि के वरिष्ठ शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती तथा विजयेंद्र सरस्वती को गिरफ्तार करके करीब १० साल तथा साध्वी प्रज्ञा को छह साल तक झूठे मामले में जेल में रखा गया। आखिरकार अदालतों ने उन्हें निर्दोष घोषित करके बरी कर दिया है। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार साधु संतों के खिलाफ जानबूझकर ऐसी कार्यवाही कर रही है।
बंगलुरु से 35 किलोमीटर दूर अपने आश्रम में श्रीश्री रविशंकर ने इस बात पर गम्भीर चिंता जताई की कि केंद्र की संप्रग सरकार खासकर इसकी अगुआ कांग्रेस इस देश की संस्कृति पर चोट करके इसके वैभव को धूल में मिलाने की अंतरराष्ट्रीय साजिश को समझ नहीं पा रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ऐसी बाहरी ताकतों के हाथों में खेलकर अपने राजनीतिक लाभ के लिए निर्दोष साधु संतों को झूठे मामलों में फंसा कर जेल में बंद कर रही है। उन्होंने कहा कि कोई भी संत सामान्यत: आतंकवाद से कोई वास्ता नहीं रखते हैं और शंकराचार्य जैसे अति सम्मानित धर्म गुरुओं की तो आतंकवाद और हिंसा में शामिल होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यह सरकार केवल इन्हीं साधु संतों के पीछे पड़ी है। उन्होंने स्वीकार किया कि हो सकता है कि कुछ मामलों में धर्मिक क्षेत्र से जुड़े लोग हिंसा या अपराध की घटनाओं में लिप्त होते हों लेकिन इस बात को समझा जाना चाहिए कि ऐसे लोग धर्म की श्रद्धा का दुरुपयोग करते हैं और वे वास्तव में धर्मिक व्यक्ति नहीं होते।
उन्होंने कहा कि यूं तो उनका किसी राजनीतिक दल से सम्बन्ध नहीं है लेकिन जो पार्टी भारतीय संस्कृति की बात करें, उसके साथ उनकी निकटता होना स्वाभाविक है। जब कांग्रेस भारतीय संस्कृति तथा साधु संतों के पीछे पड़ी है तो वह ऐेसी पार्टी का समर्थन कैसे कर सकते हैं। वह ऐसी पार्टी का समर्थन करेंगे जो भारतीय संस्कृति तथा हिंदू धर्म की बात करती हो। उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में स्वीकार किया कि भारतीय जनता पार्टी अन्य पार्टियों से बेहतर है। उन्होंने स्वीकार किया कि कांग्रेस की विफलताओं और देश की निराशाजनक स्थिति को देखते हुए भाजपा नेता एवं गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना देशहित में होगा। धार्मिक व्यक्तियों के राजनीति में प्रवेश के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें सीधे प्रवेश करने की बजाए नेताओं का मार्गदर्शन करना चाहिए जैसा कि प्राचीनकाल में इस देश में हुआ करता था। उन्होंने योग गुरु बाबा रामदेव को भी सलाह दी कि उन्हें राजनीति में सीधे प्रवेश करने के बजाय नेताओं और सरकारों को मार्गदर्शन करने की महती भूमिका निभानी चाहिए।
यह पूछे जाने पर कि अंतरराष्ट्रीय साजिश से उनका क्या आशय है, श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि भारत से ईष्र्या करने वाली पश्चिमी ताकतें यह साजिश हमेशा करती रहती हैं। ऐसी ताकतों को लगता है कि भारत को कमजोर तभी किया जा सकता है जब इसकी संस्कृति कमजोर हो जाए। उन्होंने सरकार को आगाह किया कि वह ऐसी बाहरी साजिशों को समझें और अपने तुच्छ राजनीतिक लाभ के लिए देश को कमजोर नहीं करें। 147 देशों में आर्ट ऑफ लिविंग नामक संस्था के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उसकी गलत नीतियों की वजह से आज किसान आत्महत्या कर रहे हैं। किसानों को पर्याप्त सब्सिडी दिए जाने की आवश्यकता है लेकिन सब्सिडी पशुओं का मांस निर्यात करने वाले व्यापारियों को दी जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार चीनी का निर्यात तो मात्र 12 रुपए की दर से कर रही है जबकि देश में चीनी 34 रुपए की कीमत से कम में उपलब्ध नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चीनी एवं चावल का रंग साफ करने के चक्कर में उसमें गम्भीर बीमारियां पैदा करने वाले रसायन मिलाए जा रहे हैं।
उन्होंने मौजूदा भ्रष्टाचार समेत देश की विभिन्न समस्याओं के लिए एक ही पार्टी के लगातार लम्बे समय तक सत्ता में रहने को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि परिवर्तन तो जरूरी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका तथा अन्य देशों की तरह यहां भी सत्ता नियंत्रण हर बार बदलते रहना चाहिए ताकि कोई भी पार्टी अपने को अपरिहार्य मान कर मनमानी न करने पाए। देश की ऐसी व्यवस्था के मध्य स्वयं उन्होंने राजनिति में आने की सम्भावना से साफ इन्कार करते हुए युवाओं को आगे आने एवं इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित करने का आह्वान किया। उन्होंने 'आप' नेता और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को सलाह दी कि वह फिलहाल लोकसभा चुनाव के बजाय नगर निकायों और विधानसभा चुनावों तक ही अपने को सीमित रखें और इससे अनुभव प्राप्त करने के बाद लोकसभा चुनाव की तरफ 

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित