गुरुवार, 8 अगस्त 2013

नैतिकता ही सब कुछ है - प. पू सरसंघचालक

 नैतिकता ही सब कुछ है - प. पू  सरसंघचालक 
 

. पू  सरसंघचालक मोहन जी भागवत उद्बोधन देते हुए

 
लाडनू (नागौर ) ६ अगस्त २०१३ . राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक परम पूजनीय डा मोहन जी भागवत ने राजनीति  और नैतिकता विषय पर अपना उध्बोधन देते हुए कहा कि समाज में विपरीत स्थिती में लगता है की नैतिकता चाहिए लेकिन कैसे आती है ? नैतिकता के मूल में आत्मीयता है. जहाँ मैं ही हूँ, मेरा ही  विचार है,  मेरा ही भला होना चाहिये  , मुझे ही सब कुछ मिलना चाहिए  नैतिकता नहीं होती , वहां स्वार्थ होता है. जहाँ सभी है, सभी को होना चाहिए  सभी को मिलना चाहिए वहां आदमी अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर सबके लिए कार्य करता है. वह नैतिकता है.
जैन विश्व भारती में तेरापंथ के आचार्य महाश्रमण की उपस्तिथि में राजनीति और नैतिकता पर जनमानस  को संबोधित करते हुए भागवत  जी ने राजनीती और नैतिकता पर बोलते हुए  कहा की समाज या  प्रवाह जैसा है उसकी एक गति है, उसमे जो कुछ गिरेगा वो उस गति के साथ हो जायेगा।  नैतिक  व्यक्ति सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलता है।  त्याग और संयम आना चाहिए।  नैतिकता भाषणों  से नहीं आएगी। श्रद्धा को जगाना होगा और उदाहरण  से विश्वास पैदा करना यही नैतिकता उत्पन्न करने का मार्ग है., सनातन मार्ग है।  यह सब संतो ने भी किया है.समर्थ भारत के निर्माण के लिए देश की सज्जन शक्ति में परस्पर आत्मीयता का संबंध कायम होना आवश्यक है।

भागवत  जी ने  कहा की नैतिकता की चर्चा करना ही पर्याप्त नहीं है. उदाहरण बनाने होंगे, उदाहरण प्रवाह के विरुद्ध जाकर स्थापित करने के लिए जो नैतिक सामर्थ्य चाहिए उस नैतिक सामर्थ्य के व्यक्ति निर्माण करने होंगे।  आदर्श तो बहुत है , महापुरुषों के पथ पर चलने वाले सामान्य लोग दिखने की आवश्यकता है. फिर सिर्फ राजनीति ही नहीं वरन समाज के सब जीवन में फिर से नैतिकता के आदर्शो की पुनर्स्थापना होगी और फिर हम,  जैसे दुनिया की अपेक्षा है वैसे सम्पूर्ण दुनिया को वास्तविक सुख, वास्तविक यश और वास्तविक समृधि विजय, इसका मार्ग दिखाने के लिए समर्थ भारत का निर्माण करने में सक्षम होंगे।  देश की सज्जन शक्ति से हम जुड़े ऐसी हमारी भावना  है।    सभी धर्म पंथ सत्य के स्वरूप के बारे में बताते हैं। उनका मार्ग अलग हो सकता है लेकिन शिक्षा सबकी एक है। सारी सज्जन-शक्ति एक ही ध्येय से चल रही है कि देश का व दुनिया का भला हो। सज्जन व्यक्ति प्रत्येक का भला चाहता है।
परम पूजनीय सरसंघचालक मोहन जी भगवत ने कहा की राजनीति  में नैतिकता भी बड़ी समस्या नहीं है क्योंकि वहां भी सब राजनीतिक विचारधाराओं को मानने वाले लोगो में अच्छे  लोग है. विचार अलग अलग है और परस्पर विरोधी भी भी है लेकिन मन में प्रमाणिकता है और सबके कल्याण की कामना को लेकर जो कुछ उचित लगता है वो करते भी है. ऐसे लोग है तो सबका कल्याण किस बात में है वो अनुभव से उनको ध्यान में आएगा और एक न एक दिन सबके कल्याण के लिए पूरक बन्ने की कामना भी चलेगी तो अपने आप देश का तंत्र भी ठीक पटरी पर आ जायेगा, यह मुझे साफ़ दिखाई देता है.
भागवत  जी ने आव्हान किया की नैतिकता का उदाहरण  बनकर समाज में चले तो सरे समाज की दिशा बनेगी की किस दिशा में समाज को जाना है।  जिस दिशा में समाज जाना चाहता है, समाज के द्वारा निर्मित सब व्यवस्थाओ को सब तंत्रों को उसी दिशा में समाज जाये ऐसा काम करना पड़ता है।  समाज का दबाव समाज की नैतिकता का दबाव उन सब तंत्रों पर पड़ता है , वो खड़ा करने का काम संतो सज्जनों का रहता है राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ का भी यही प्रयास रहता है.
सरसंघचालक जी ने कहा की जिस स्वर्णिम दिन की कल्पना हम देश और दुनिया के जीवन में कर रहे वो दिन हमारे जीते जी इस देश से इन्ही आँखों से देखेंगे इतनी अनुकूलता भी मैं वातावरण में देख रहा हूँ इसलिए में निराश नहीं हूँ।

 आचार्य महाश्रमण ने 'राजनीति व नैतिकता एक दूसरे की पूरक कैसे बने' विषय पर कहा कि जैसे अनुकूलता व प्रतिकूलता में भी साधुओं में समता का भाव बना रहता है, वैसे ही राजनीति करने वाले व्यक्ति में भी समता की साधना होनी चाहिए। राजनीति को आवश्यक बताते हुए उन्होंने कहा कि बिना राजनीति दुनिया का काम नहीं चल सकता। राजनीति में काम करने वाले योग्य होने चाहिए। वोट लेकर विजयी बनना उनकी एक अर्हता है, उनमें काम करने की क्षमता-दक्षता होना भी उनकी योग्यता है।
कार्यक्रम में क्षेत्रीय प्रचारक माननीय दुर्गादास जी, माननीय प्रकाश चाँद जी, प्रान्त प्रचारक माननीय मुरलीधर जी, प्रान्त संघ चालक ललित जी शर्मा, सह प्रान्त प्रचारक राजाराम जी, जिला संघचालक नारायण प्रसाद जी, विभाग प्रचारक इश्वर जी सहित कई गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे.

मंगलवार, 6 अगस्त 2013

परम पूजनीय सरसंघचालक डा मोहन भागवत के लाडनू प्रवास के चित्र

लाडनू  (नागौर ). ६ अगस्त २०१३.  राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा मोहन भागवत ने अपने लाडनू  प्रवास पर तेरापंथ के ११ वे आचार्य महाश्रमण जी भेंट की और राजनीति तथा नैतिकता पर विचार विमर्श किया।  सरसंघचालक जी के साथ क्षेत्रीय प्रचारक माननीय दुर्गादास जी, माननीय सुरेश जी, जोधपुर प्रान्त प्रचारक मुरलीधर जी, प्रान्त संघचालक ललित जी शर्मा , सह प्रान्त प्रचारक राजाराम जी तथा नागौर के जिला संघचालक नारायण प्रसाद जी तक भी उपस्थित थे. 

परम पूजनीय सर संघचालक मोहन जी भागवत  तेरापंथ के आचार्य महाश्रमण जी से चर्चा करते हुए साथ में क्षेत्रीय प्रचारक मान  दुर्गादास जी, मान  सुरेश जी , प्रान्त प्रचारक मुरलीधर जी, सह प्रान्त प्रचारक राजाराम जी, प्रान्त संघचालक ललित जी शर्मा 

परम पूजनीय सर संघचालक मोहन जी भागवत तथा आचार्य महाश्रमण जी


मंच पर विराजित आचार्य महाश्रमण जी तथा परम पूजनीय सरसंघचालक मोहन जी भागवत

परम पूजनीय सरसंघचालक मोहन जी भागवत उद्बोधन देते हुए

आचार्य महाश्रमण जी उद्बोधन देते हुए.

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित