सोमवार, 27 मई 2013

सरकार्यवाह श्री सुरेश (भय्याजी) जोषी का वक्तव्य



सरकार्यवाह श्री सुरेश (भय्याजी) जोषी का वक्तव्य

छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में २५ मई २०१३ को कांग्रेस पार्टी के काफिले पर हुए नक्सली हिंसक हमले से देश की जनता को भारी सदमा तथा गहरा दुःख हुआ है. किसी राजकीय दल के काफिले पर हुआ यह सबसे बड़ा हिंसक हमला है. इस की हम कड़ी भर्त्सना करते हैं. हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है. देश में शांतिपूर्ण परिस्थिति निर्माण करने के लिए शासनकर्ताओं द्वारा पिछड़े वर्ग एवं वनवासी विस्तार में सुविधाओं के अभाव एवं पिछड़ेपन को शीघ्रातिशीघ्र दूर करने के कारगर उपाय करने चाहिए तथा किसी भी प्रकार की हिंसक गतिविधि करने वालों से कड़ाई से निपटना चाहिए. लोकतान्त्रिक पद्धति से अपने कार्य तथा अधिकारों का निर्वहन करने में सभी को सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी प्रशासन अधिक सतर्कता दिखाए. इस घृणास्पद हिंसक हमले में जिनके प्राण गए उनको सद्गति प्राप्त हो ऐसी कामना करते हैं. 

बुधवार, 22 मई 2013

हिन्दुत्व ही विश्व को दिखाएगा शांति-प्रगति की राह

असम में संघ शिक्षा वर्ग के समापन पर रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा हिन्दुत्व ही विश्व को दिखाएगा शांति-प्रगति की राह
असम के नगांव जिला स्थित होजाई में गत 12 मई को रा.स्व.संघ का संघ शिक्षा वर्ग संपन्न हो गया। वर्ग के समापन समारोह को संबोधित करते हुए रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने एक फिर दोहराया कि हिन्दुत्व ही भारत तथा विश्व की सभी समस्याओं का समाधान है।
श्री भागवत ने कहा कि संघ को ठीक प्रकार से प्रत्यक्ष अनुभव से ही समझा जा सकता है, उद्बोधनों और साहित्यों से नहीं। विश्व में कुछ ऐसी चीजें हैं जिनको किसी अन्य माध्यमों से नहीं समझा जा सकता। यह मानव स्वभाव है कि जब वह किसी अनजान चीज के बारे में जानना चाहता है तो वह उसकी तुलना जानी-पहचानी चीज से करता है। लोग इसी असमंजस में घिर जाते हैं जब वह संघ को समझने की कोशिश करते हैं। कोई संघ को नेशनल स्पोर्ट्स क्लब, कोई नेशनल म्यूजिक क्लब तो कोई राष्ट्रीय मार्शल आर्ट क्लब समझता है। कुछ लोग समझते हैं कि संघ ऐसा कोई दल है जो विभिन्न आंदोलनों में भाग लेता है।
श्री भागवत ने कहा कि आज सब इस बात को महसूस कर रहे हैं कि अधिकतर देशों ने प्रगति के लिए जिस उपभोगवाद को चुना था वह मानव दुखों को दूर करने में हर तरह असफल रहा। उन्होंने कहा कि आज की समस्याओं की जड़ में है- आध्यात्मिकता की कमी, नैतिक चिंता की कमी और मूल्यों की कमी। पूरा विश्व आज भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है। उसे लगता है कि भारत ही विश्व को शांति-प्रगति की राह दिखाएगा। लेकिन देश की स्थिति संतोषजनक नहीं है। देश की सीमाओं पर दुश्मन हैं। लोगों का स्वभाव बन गया है हर समस्या के लिए सरकार को दोषी ठहराना। इस सबमें हम आम राष्ट्रीय हितों पर बल देने के बजाय जाति, पंथ और सम्प्रदायों के नाम पर बनी दरारों को दर्शाने में लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण भारत को जो एक राष्ट्र के रूप में बांधे हुए है वह सनातन धर्म है, जोकि हिन्दुत्व के नाम से भी जाना जाता है।
श्री भागवत ने कहा कि संघ समाज के बीच कोई दल नहीं है, यह राष्ट्र के लोगों की संगठित शक्ति है। उपस्थित स्वयंसेवकों और गणमान्य नागरिकों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि संघ पिछले 87 वर्षों से राष्ट्र निर्माण का जो कार्य कर रहा है हम उसका हिस्सा बनें।
समापन समारोह में प्रशिक्षणार्थियों ने विभिन्न प्रकार के शारीरिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्वयंसेवक और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

गुरुवार, 16 मई 2013

RSS training camp in North TN concludes

RSS training camp in North TN concludes

Source: VSK-Chennai      Date: 15 May 2013 13:21:05
The annual summer training camp of RSS North Tamil NaduGudiyatham, May 15: The annual summer training camp of Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) North Tamil Nadu concluded with the public function held recently at Gudiyatham. The training camp began on 22nd April with 227 trainees representing from 19 districts. 
Senior RSS leaders including Sri Suryanarayana Rao, Sri Nandakumar (Akhila Bharatiya Sah Prachar Pramukh), Sri Sethumadhavan (Akhila Bharatiya Karyakarini Sadasya),  Sri Rajendran (Kshetra Karyawah), Sri Govinda (Kshetra Pracharak Pramukh), Sri Vanniyarajan (Kshetra Sanghachalak), Sri Kumaraswamy (Prantha Karyawah), Sri Harihara Gopal (Sah Prantha Sampark Pramukh) guided the trainees. 
Special programmes
Trainees went on for trekking to Mahadeva Malai for treasure hunt.  Gram Samparak to 17 villages of nine nagar has made the trainees very enthusiastic. Every day, leaders from various castes, industrialists and panchayat leaders lit the lamp organized in the camp. 
In order to avoid the wastage of water, the used water especially of cooking, bathroom was collected in a 10 feet x10 feet deep pit so that it is sent back to the ground.  The support to the camp by the local people was overwhelming. 4500 persons from 25 villages gave material assistance for conducting the camp. 
Following programmes were conducted during the camp:    
-Yogasana session for men above 30 years of age.
-Elder’s Meet – addressed by Sri Harihara Gopal 
-Teachers’ Meet – Interaction session by Sri Ramakrishna Prasad (Prantha Boudhik Pramuk)    
-Physical Education Teachers’ Meet – Interaction session by Sri D Sankar (Prantha Shareerik Pramuk)    
-Doctors’ Meet – addressed by Sri Suryanarayana Rao.
-Mahila Sammelan – Interaction session by Sri K Kumaraswamy (Prantha Karyawah)    
-Ex-Militarymen Meet – Interactive session by Sri Sethumadhavan (Akhila Bharatiya Karyakarini Sadasya)    
-Youth Meet and Bala Sammelan were also organized. 
Public function
Initially an impressive physical demonstration of the skills acquired in the 20-day camp was exhibited by the trainees.  Soon after, rain followed.  Seeing all the Swayamsevaks sitting quietly in spite of the rain without stirring, Sri Arunodhayam, a leading businessman who presided over the function and Sri Vijayakumar, Advocate who graced the occasion, showered praises on RSS. 
Sri Arunodhayam in his speech said that he studied in a school run by Sri Ramakrishna Mission and the Swami ji, who was incharge of the Mission, used to always say that one’s religion is like the blood flowing in us.  As the blood remains the same right from birth to death, similarly one’s religion remains the same and hence one should not involve in conversion. 
Sri Vijayakumar said that he was impressed by RSS because of its discipline, work culture and punctuality. 
Sri G. Baktavatsalam, Organizing Secretary of RSS, North Tamil Nadu, in his address said that Gudiyatham and RSS has a binding in the sense that RSS was started in the year 1925 and Gudiyatham was carved out as a town in the same year.  As RSS instills patriotism amongst its cadre, Gudiyatham played a major role in preparing 10 lakh national flags and dispatched it throughout the country two months before independence, which became an historic event as it was done by 300 people within a period of 1 month. Further he highlighted the role of RSS in bringing unity amongst the various strata of society, its role in Sri Lanka, how the concept of offering is developed in the Swayamsevaks etc. 
Earlier, Sri Mahesh, who was the Secretary of the camp highlighted about the 20 days camp. Welcome address and introduction was given by Sri L Natarajan, Varga Adhikari of the camp. Sri Ramakrishna Prasad is the Palak Adhikari of the Camp.  Sri Nagarajan, Vellore Vibhag Karyawah delivered vote of thanks.

The annual summer training camp of RSS North Tamil Nadu
The annual summer training camp of RSS North Tamil Nadu
The annual summer training camp of RSS North Tamil Nadu
The annual summer training camp of RSS North Tamil Nadu

The annual summer training camp of RSS North Tamil Nadu

The annual summer training camp of RSS North Tamil Nadu

The annual summer training camp of RSS North Tamil Nadu

तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग नागपुर में आरंभ, 6 जून को समापन




तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग नागपुर में आरंभ, 6 जून को समापन

Source: Newsbharati      Date: 14 May 2013 10:09:17
तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का नागपुर में आरंभनागपुर, मई 13: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष प्रशिक्षण वर्ग का अनौपचारिक प्रारंभ सोमवार 13 मई प्रातः 9.30 बजे रेशिमबाग मे हुआ। रा. स्व. संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, वर्ग के सर्वाधिकारी पवन जिंदल, कार्यवाह विठ्ठल कांबळे, वर्ग के पालक अधिकारी एवं सह सरकार्यवाह के. सी. कण्णन इन्होंने भारतमाता के प्रतिमा समक्ष दीपप्रज्वलन कर वर्ग का उदघाटन किया।
6 जून को वर्ग का समापन है।
तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग की नयी रचना के अनुसार यह पहला ही वर्ग है। अब तृतीय वर्ष का वर्ग 30 दिन के बदले 25 दिन का होगा। दैनिक कार्यक्रम में भी तदनुसार कुछ बदलाव किये गए हैं।
इस साल करीब 650 शिक्षार्थी वर्ग मे सम्मिलित हैं। हर साल से यह संख्या 300 से कम है। नयी  रचना नुसार जिला या उसके वरिष्ठ स्तर के कार्यकर्ताओं को ही इस वर्ग मे पात्र समझा गया है।
उदघाटन समारोह में सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने इस वर्ग के अधिकारी और विविध व्यवस्था प्रमुखों का परिचय करा दिया। पालक अधिकारी के. सी. कण्णन जी ने तृतीय वर्ष के प्रशिक्षण वर्ग का महत्त्व विशद किया।
पालक अधिकारी की भूमिका निभा रहे कण्णन जी ने कहा, हम समाज में ही नहीं, पूरे विश्व में नया परिवर्तन लाने के लिए प्रतिबद्घ हैं। कोई भी नया परिवर्तन अकस्मात नहीं होता। इसके लिए काफी परिश्रम करना होता है। बच्चे का जन्म बगैर प्रसव पीड़ा के नहीं होता है। अपने शरीर, मस्तिष्क और सोच को नया आयाम देने हम यहां आए हैं। इससे हम नया परिवतन लाने के लिए अपने को तैयार कर पाएंगे जिसका पूरी दुनिया को इंतजार है। शिविर में बिताए हर क्षण का हम सदुपयोग करें ताकि पहले में हम खुद में परिवर्तन ला सकें और भविष्य में नए बदलाव लाने के आरएसएस के लक्ष्य में योगदान देने वाले दूत बन सकें।
उन्होंने कहा कि नागपुर में काफी गर्मी पड़ रही है और इस मौसम में संघ के कार्यो का प्रशिक्षण लेना एक कठिन साधना है। इसके अलावा भोजन का स्वाद भी अलग है। हिंदी की पूरी जानकारी न रखने वालों को भी परेशानी आएगी। किंतु इन हालात में भी आप अपने को तैयार करें ताकि समाज एवं देश के लिए योगदान दे सकें।
इस तरह के प्रशिक्षण शिविरों के इतिहास के बारे में उन्होंने बताया कि वर्तमान में स्वयंसेवकों को पिछले दिनों की तुलना में कुछ सुविधाएं दी जा रही हैं ताकि वे बेहतर ढंग से रह सकें। हम शिविर के प्रत्येक क्रियाकलाप में यह सोच कर भाग लें कि यह ईश्वर की उपासना है। देश के विभिन्न हिस्सों से आए लोगों से मिलना एवं अलग भाषाओं में बात करना एक अलग किस्म का अनुभव है। हम कह सकते हैं कि भारत विविधता में एकता का उदाहरण देने वाला देश है। इस एकता को हम यहां महसूस कर सकेंगे। विभिन्न भाषाओं की बारीकियों को हम यहां अनुभव कर पाएंगे।
शिविर में अनुशासन की महत्त्वपूर्ण भूमिका है जिसके जरिए देश की सेवा के लिए हम अपने जीवन को संवार सकेंगे।
संघ शिक्षा वर्ग - तृतीय वर्ष - विविध अधिकारी
सर्वाधिकारी - पवन जिंदल (हरयाणा सह प्रांतसंघचालक)
कार्यवाह - विठ्ठल कांबळे ( कोकण सह प्रांत कार्यवाह)
मुख्य शिक्षक - प्रवीण गुप्त ( मध्य भारत प्रांत शारीरिक प्रमुख)
सह मुख्य शिक्षक - डी। शंकर (प्रचारक, उत्तर तमिलनाडू प्रांत)
बौद्धिक प्रमुख - सुमंत आमशेकर (आसाम प्रांत सह बौद्धिक प्रमुख)
सह बौद्धिक प्रमुख - भास्कर चौबे (महाकोशल प्रांत बौद्धिक प्रमुख)
सह बौद्धिक प्रमुख - सुरेन्द्र तालखेडकर (उत्तर आसाम प्रांत सेवा प्रमुख)
व्यवस्था प्रमुख - कन्हैया कटारे (नागपुर मे भाग कार्यवाह)
शिविर के उद्घाटन सत्र में अन्य लोगों के अलावा संघ के अखिल भारतीय शारीरिक शिक्षण प्रमुख अनिल ओक, सह-शारीरिक प्रमुख जगदीश, अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख भागय्या, सह-बौद्धिक प्रमुख महावीर, अ. भा. संपर्क प्रमुख हस्तिमल, अ. भा. कार्यकारिणी सदस्य शंकर लाल, अ. भा. सह व्यवस्था प्रमुख बालकृष्ण त्रिपाठी, डा. शंकर तत्त्ववादी, वरिष्ठ प्रचारक रामभाऊ बोंडाले, रामनारायण, विदर्भ प्रांत सहसंघचालक राम हरकरे और आरएसएस के पश्चिम क्षेत्र सहकार्यवाह डा. रवीन्द्र जोशी उपस्थित थे।
तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का नागपुर में आरंभ
तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का नागपुर में आरंभ
तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का नागपुर में आरंभ
तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का नागपुर में आरंभ
तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का नागपुर में आरंभ





शनिवार, 4 मई 2013

टूट गया तीस्ता का तिलिस्म

तीस्ता का जन्म एक  गुजराती हिन्दू परिवार में 1961 में हुआ था। मुंबई में पढ़ने के दौरान वह एक मुस्लिम युवक के प्यार में पड़ गईं। कुछ दिनों तक पति-पत्नी ने पत्रकारिता की। 1992 में बाबरी ढांचे के ढहने के बाद तथाकथित साम्प्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए इन दोनों ने अगस्त 1993 में कम्युनल काम्बेट की शुरुआत की। कम्युनल काम्बेट के प्राय: हर अंक में हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को गाली दी जाती है।  शायद इसीलिए सोनिया के निर्देश पर चलने वाली केंद्र सरकार ने तीस्ता को पद्मश्री से नवाजा है। तीस्ता राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् की भी सदस्या हैं। सोनिया गांधी की अध्यक्षता में इसी परिषद् ने साम्प्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक तैयार किया है। इस विधेयक में अनेक ऐसी बातें हैं, जो देश को साम्प्रदायिकता के आधार पर बांटती हैं।
 अरुण कुमार सिंह

आपने  तीस्ता जावेद सीतलवाड का नाम जरूर सुना होगा। वही तीस्ता, जिन्होंने एक हल्ला, एक ढोंग और गुजरात के दंगा पीड़ितों की आड़ में एक मायाजाल रचा था। लेकिन छद्म सेकुलरवाद का वह गढ़ दरकने लगा है। तीस्ता का झूठ बाहर आने लगा है। न्यायालय से उन्हें डांट भी पड़ी है।

तीस्ता ने  अपने आपको देश - विदेश में यह बताने की कोशिश की है कि वह बड़ी सामाजिक कार्यकर्ता हैं और गुजरात के दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए काम कर रही हैं। किन्तु अब उनकी पोल उनके अपने लोग ही खोल  रहे हैं। यही नहीं तीस्ता  जिनको  न्याय दिलाने का  दंभ भरती हैं  वे लोग ही अब उन्हें अपने घर में घुसने तक नहीं देते हैं। वे लोग तीस्ता से उन 75 लाख रुपए का हिसाब भी मांग रहे हैं जो  दंगा पीड़ितों की मदद के नाम पर दुनिया भर से इकट्ठे  किये गए हैं।
तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद  'सिटीजन ऑफ जस्टिस एंड पीस' नाम से एक गैर-सरकारी संस्था चलाते हैं। ये दोनों 'कम्युनल काम्बेट' नामक एक अंग्रेजी  मासिक पत्रिका का संपादन भी करते हैं। गौरतलब है कि 1999 के आम चुनाव के दौरान एक अभियान भाजपा और राष्ट्रवादी शक्तियों को निशाना बनाते हुए इसी बैनर तले चलाया गया था। अपनी संस्था के लिए ये दोनों जमकर विदेशी चन्दा जमा करते हैं। कुछ समय पहले यह भी खुलासा हुआ है कि ये दोनों  कांग्रेस, माकपा, भाकपा आदि राजनीतिक दलों से पैसे लेकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा और अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के खिलाफ  लेख और विज्ञापन प्रकाशित करते हैं। 1999 के आम चुनाव से पहले कांग्रेस, माकपा और भाकपा से कम्युनल काम्बेट को एक करोड़ 50 लाख रु. सिर्फ इसलिए मिले थे कि भाजपा के खिलाफ पूरे देश में  मुहिम चलाओ।

यूं कूटा जाता है माल

2002  के दंगों के बाद गुजरात में गैर-सरकारी संगठनों की बाढ़ गई थी। अपने को सेकुलर और प्रगतिशील मानने वाले अनेक लोगों ने एन.जी.. बनाकर पीड़ितों की मदद करने का ढोंग रचा। इन्हें देश की कथित सेकुलर सरकारों और राजनीतिक दलों से पैसा तो मिला ही, विदेशों से भी पैसा खूब मिल रहा है। तीस्ता की संस्था 'सिटीजन ऑफ जस्टिस एण्ड पीस' को नीदरलैण्ड की एक संस्था एच.आई.वी..एस. से 23 नवम्बर 2009 को लगभग 7 लाख रुपए मिले थे। इसके अलावा तीस्ता के वकील मिहिर देसाई को नवम्बर 2009 में ही पहली बार 45 हजार और दूसरी बार 75 हजार रुपए मिले थे।


जैसे-जैसे सच सामने आ रहे हैं तीस्ता का तिलिस्म टूट रहा है। गत 28 फरवरी को अमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में तीस्ता को वहां के लोगों ने घुसने तक नहीं दिया। मालूम हो कि हर साल 28 फरवरी को दंगा पीड़ितों की याद में गुलबर्ग सोसायटी में एक कार्यक्रम होता है और लोग फातिहा पढ़ते हैं। जब तीस्ता को गुलबर्ग सोसायटी में नहीं जाने दिया गया तब उन्होंने दंगा-पीड़ितों की एक अन्य बस्ती सिटीजन नगर में मृतकों की याद में फातिहा पढ़ा। इस बार गुलबर्ग सोसायटी के लोगों ने तीस्ता पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने दंगा पीड़ितों की आड़ में देश- विदेश से करोड़ों रुपए जमा किये पर लोगों के बीच एक पैसा नहीं बांटा गया।
इधर तीस्ता के एक सहयोगी रहे रईस खान पठान ने भी तीस्ता पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। पठान ने अदालत में शपथपत्र देकर आरोप लगाया है कि तीस्ता ने  गुजरात दंगों के सिलसिले में बहुत सारे झूठे मामले दायर किये हैं। नरोदा पाटिया का मामला पूरी तरह मनगढ़ंत है। पठान के इस दावे के  बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने 11 जुलाई 2011 को आदेश दिया था कि इस मामले की जांच की जाय। इस आदेश के खिलाफ तीस्ता सर्वोच्च न्यायालय पहुंचीं और 2 सितम्बर 2011 को न्यायमूर्ति आफताब आलम की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने इस जांच पर रोक लगा दी। इस साल अप्रैल के प्रथम सप्ताह में रईस खान पठान ने सर्वोच्च न्यायालय से निवेदन किया है कि जांच होने दी जाय नहीं तो यह मामला बिगड़ सकता है, गवाहों को भटकाया जा सकता है। ऐसा होने पर सच कभी सामने नहीं आएगा। पठान ने कुछ दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय में एक और शपथपत्र दाखिल किया है जिसमें कहा गया है कि तीस्ता की संस्था को नीदरलैंड की एक संस्था एच.आई.वी.ओ.एस. से अनुदान मिलता है। उसी शपथपत्र में यह भी कहा गया है कि न्यायमूर्ति आफताब आलम की बेटी शाहरुख आलम को भी उसी संस्था से पैसा मिलता है। पठान ने अदालत से यह भी निवेदन किया है  कि  गुजरात दंगों से जुड़े मामलों से न्यायमूर्ति आलम को दूर रखा जाय। (हालांकि न्यायमूर्ति आलम अब सेवानिवृत्त हो गए हैं।)
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एस आई टी) ने भी अपनी रपट में तीस्ता के झूठों का पर्दाफाश किया है । एस आई टी ने लिखा है कि कौसर बानो नामक गर्भवती महिला के साथ सामूहिक बलात्कार नहीं हुआ है और न ही पेट फाड़कर उसका बच्चा निकालने की कोई घटना हुई है। नरोदा पाटिया में कुएं में लाशों को दफनाने की बात भी गलत है। जरीना मंसूरी नामक महिला, जिसे नरोदा पाटिया में जिन्दा जलाने की बात की गयी थी, कुछ महीने पहले ही टी बी से मर चुकी थी। एस आई टी ने यह भी कहा है कि  तीस्ता ने अदालत से भी झूठ बोला है।
अदालत से झूठ बोलने के मामले में न्यायालय ने भी तीस्ता को कई बार फटकार लगाई है। कुछ समय पहले विदेशी संस्थाओं के सामने गुजरात दंगों के मामले उठाने पर भी न्यायालय ने तीस्ता को डांट लगाई थी। इसके बावजूद तीस्ता गुजरात सरकार को बदनाम करने के लिए झूठ  बोलती   रहती हैं।



source: http://www.panchjanya.com/Encyc/2013/4/27/%E0%A4%9F%E0%A5%82%E0%A4%9F-%E0%A4%97%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AE.aspx?NB=&lang=5&m1=&m2=&p1=&p2=&p3=&p4=&PageType=N

गुरुवार, 2 मई 2013

पाकिस्तान की जेल में हुई सरबजीत सिंह की हत्या पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री मनमोहन वैद्य जी का वक्तव्य


पाकिस्तान की जेल में हुई सरबजीत सिंह की हत्या पर राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ के 
अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री मनमोहन वैद्य जी का वक्तव्य

पाकिस्तान की जेल में हुए जानलेवा हमले में भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की दुःखद मृत्यु से सारा देश  गहरी चोट एवं आक्रोष अनुभव कर रहा है। भारत पर आतंकी हमले के दोशी पाये गए अफजल गुरु को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश  पर फांसी दिए जाने की प्रतिक्रिया के रूप में सरबजीत सिंह पर जेल में हमला हुआ था। 

यह हमला सरबजीत सिंह नामक व्यक्ति पर नहीं अपितु भारत के संविधान और न्यायिक प्रक्रिया पर किया गया परोक्ष प्रहार था। सरबजीत सिंह ने पाकिस्तानी अधिकारियों के समक्ष स्वयं पर हमला होने की आशंका जताई थी। परंतु इसके बावजूद वहां की सरकार ने उनकी उचित सुरक्षा अथवा उन्हें सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए कोई उचित कदम नहीं उठाया। यह अपने आप में अति गंभीर त्रुटि है।

सरबजीत का क्या अपराध था? पाकिस्तानी न्यायालय द्वारा उन्हें जो सजा सुनाई गई वह कितनी उचित थी? अभी इस पर भी मतैक्य नहीं है। ऐसे में सजा काट रहे व्यक्ति को जेल में ही निशाना बनाया जाना पाकिस्तान की पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। भारत सरकार को इस विषय का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए पाकिस्तान की कड़ी भत्र्सना करनी चाहिए।

आज सरबजीत सिंह के परिजन गहरे दुःख के भंवर में हैं। उनके आंसू और छटपटाहट पूरे राष्ट्र  के मानस को मथ रहे हैं। परिजनों की पीड़ा और राष्ट्र  का गुस्सा सर्वथा उचित ही है। राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ दुःख की इस घड़ी में दिवंगत सरबजीत सिंह के परिवार के साथ खड़ा है। सरबजीत सिंह की आत्मा को परम शांति  प्राप्त हो तथा परिजनों को यह असीम दुःख सहन करने की शक्ति मिले यही परमेश्वर  से प्रार्थना है। 

पाकिस्तान के समाचार "द नेशन " में प्रकाशित सम्पादकीय "जोधपुर उन्माद "

April 29, 2013

Jodhpur frenzy


The anti-Muslim riot in Jodhpur distict, India, may have originated in the Hanuman Jayanti festival of Jaitaran tehsil, but it appears the festival was also used as the site to fan anti-Muslim sentiments on account of the attack on Sarabjit Singh, the Indian spy on Pakistani death row since 1990 after he carried out blasts in Lahore. Sarabjit was attacked on Friday in jail during his walk with bricks and other blunt instruments, and is in a coma in the Services Hospital. His assailants have not admitted outside help, an indication that the investigative team may be doing its duty only halfheartedly. The riot is thus an indication of the high value that the Indian establishment places on Sarabjit, whom they have made every effort to bring back, and whose life they are now trying to preserve by holding the entire Muslim community of India hostage. It also indicates how India is reacting to the adverse Pakistani reaction to the Indian execution of Afzal Guru in February. Sarabjit’s lawyer said he had received death threats since Guru’s execution. However, the investigative team has not linked the attackers, who are street-gang operators in Islampura, Lahore, and also on death row, to foreign agencies. Thus the investigators seem to be opting for an obvious story, even though it does not seem to hold water.
Another conclusion that must be drawn from the Jodhpur riot is that the Indian establishment still harbours the unrealistic mentality that sent Sarabjit Singh on his deadly mission back in 1990. The stability of Pakistan and the acceptance of it as a sovereign nation, which will take decisions based on its own wider interest, not India’s, is yet to be sighted in Delhi. The Indian obsession with Pakistan is unwelcome attention for one, and secondly, is a sad indictment of problems ignored at home, especially when they erupt in the form of the catastrophe in Jodhpur.
Despite dreams to appear as the shining new star in South Asia, and despite the seduction of its enormous markets, it is sadly true that India is far from perfect. Where it overpromises and underdelivers, Pakistan does the opposite. No matter the number of glossy magazines carrying incredible India advertisements paid for by the Indian government, on arrival there, there is less spiritual harmony to be observed and more the signs of an India in flames, as in Jodhpur. Poverty, malnutriution and miles of shanty town are hardly a success story. India would do better to leave Pakistan to deal with its own problems, instead of increasing them, and on the other side, it must resolve long standing issues such as Kashmir, which are hardly a resounding endorsement of its human rights record, especially given daily news of destruction all across India, not just Kashmir, such as in Jodhpur. Where there is smoke there is fire. And India’s investors will come to know sooner rather than rather that communal tensions are eating away at India’s social structure from the inside, with minorities fearing for their lives with good reason.
source:http://www.nation.com.pk/E-Paper/Lahore/2013-04-29/page-6/detail-0

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित