शनिवार, 9 नवंबर 2013

घरेलू निर्माताओं की कीमत पर विदेशी निवेश को बढ़ावा नहीं : संघ

घरेलू निर्माताओं की कीमत पर विदेशी निवेश को बढ़ावा नहीं : संघ
नई दिल्ली, नवम्बर 6 : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि छोटे घरेलू निर्माताओं की कीमत पर हम विदेशी निवेश को बढ़ावा नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि हमारे पास विजन है लेकिन विश्व में हो रहे बदलावों को हमें स्वीकार करना होगा। ‌हम भी बदलते समय के साथ बदल रहे हैं लेकिन संतुलन एक जरूरी चीज है। एफडीआई कुछ सेक्टर के लिए ठीक है लेकिन इससे हम छोटे उद्योगों को क्यों मारें? अगर छोटे उद्योगों से हमारा काम चल रहा है तो बड़े उद्योगों की क्या जरूरत?
उल्लेखनीय है कि संघ प्रमुख उद्योगपतियों, रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स, सुरक्षा कर्मचारियों, पूर्व खुफिया प्रमुखों और लेखकों से बात कर रहे थे।
डॉ. भागवत ने शिक्षा में एफडीआई का विरोध किया और कहा कि हमें शिक्षा जैसी चीज को व्यवसाय का रूप नहीं बनने देना चाहिए। विदेशी विश्वविद्यालय हमारे यहां केवल डॉलर कमाने के लिए आते हैं। संस्कार के बगैर शिक्षा बेकार है। हमें अपनी शिक्षा व्यवस्‍था को आगे बढ़ना होगा न कि पश्चिमी देशों के पीछे अंधदौड़ में लगना चा‌हिए।
गौरतलब है कि देश के उत्पादन के क्षेत्रों का स्वामित्व अपने देश के लोगों की तिरस्कारपूर्वक उपेक्षा कर विदेशी हाथों में देनेवाली नीतियां चलाई जा रही हैं। देश की आय का बड़ा हिस्सा बनानेवाले लघु उद्यमी, छोटे उद्यमी, स्वयं-रोजगार पर आश्रित खुदरा व्यापारी ऐसे सभी को विदेशी निवेशकों के साथ विषम स्पर्धा के संकट में अपने ही शासन द्वारा धकेला जा रहा है। रोजगार के अवसर घट गए हैं। गांवों से रोजगार के लिए शहरों की ओर जानेवाली संख्या बढ़ने से शहर व गांव दोनों में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हुई हैं।

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित