रविवार, 18 मार्च 2012

राष्ट्रीय एकात्मता को बनाए रखने के लिए जनप्रबोधन एवं जनजागरण में प्रचारमाध्यमों की महत्वपूर्ण भूमिका -


नागपुर, दि. 17 मार्च :भाषा, प्रांत, क्षेत्र तथा जाति के आधार पर राष्ट्रीय एकात्मता को तोडनेवाली समस्त शक्तियों के विरुद्ध समाज को संघटित करने की आवश्यकता है। क्योंकि आज भारत में भूमि अधिकार, राजनैतिक अधिकार, बांध तथा नदी जल का बटवारा, एक राज्य से दूसरे राज्य में लोगों का जाति, जनजाति और संप्रदाय के आधार पर स्थानांतर करने का प्रयास दिखाई देता है। इन अभियानों के चलते समाज के विभिन्न घटकों में संघर्ष निर्माण हो रहा है। इस कलह को समाप्त करने के लिये समाज को मिलकर प्रयास करना होगा। उक्त विचार व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चित्तोड प्रांत संघचालक तथा स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सहसंयोजक डॉ. भगवती प्रकाशजी ने अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में पारित प्रस्ताव की जानकारी दी।

रेशीमबाग परिसर में आप पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। इस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहनजी वैद्य प्रमुखता से उपस्थित थे।

राष्ट्रीय एकात्मता को बनाए रखने के लिए जनप्रबोधन एवं जनजागरण में प्रचारमाध्यमों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इस बात का हवाला देते हुए डॉ. भगवती प्रकाशजी ने सनसनी फैलाने वाले विषयों में सतर्कता बरतने की आवश्यकता पर जोर दिया. और उन्होंने सामाजिक अभियानों को सही दिशा देने में मीडिया को रचनात्मक भूमिका निभाने का आवाहन किया।

अ. भा. प्रतिनिधि सभा इसे गंभीर चिंता का विषय मानती है की सांप्रदायिक तथा लक्ष्यित हिंसारोक विधेयक तथा अल्यसंख्यक आरक्षण जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार की कार्यवाहीयॉं समाज के विभिन्न घटकों में विभेद और वैमनस्य पैदा करने का कारण सिद्ध हो रही है। केंद्र तथा कुछ राज्य सरकारों द्वारा अन्य पिछडे वर्गोंके 27 प्रतिशत आरक्षण में से 4.5 प्रतिशत हिस्सा अल्पसंख्यकों के लिए निकालने के संविधान विरोधी निर्णय को पूरे राष्ट्र में नकारना चाहिए। इस विषय को लेके जो आंदोलन इसके पूर्व चले है, उसी का परिणाम है की केंद्र सरकार ने सांप्रदायिक तथा लक्ष्यित हिंसारोक विधेयक अभी संसद में रखा नही है। इस प्रस्ताव में प्रतिनिधि सभा जोर देकर कहना चाहती है की राष्ट्र के नीतियों का निर्धारण तात्कालिक राजनैतिक लाभ के लिए नही वर्ना एक जन, एक राष्ट्र के तत्व के आधार पर होना चाहिए।

डॉ. भगवती प्रकाशजी ने कहा की प्राकृतिक संपत्ती पर जनाधिकार सम्बंधी प्रस्ताव पर अभी चर्चा शुरू है। शायद आज रात या कल उस संबंधी का प्रस्ताव अंतिम रूप लेगा।

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित