शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

चर्च पर हमला : RSS को मिली क्लीन चिट

कर्नाटक में 2008 में गिरजाघरों पर हुए सिलसिलेवार हमलों के मामलों में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग ने बीएस येदियुरप्पा सरकार तथा संघ परिवार को क्लीन चिट दे दी है जो भाजपा के लिए बहुत बड़ी राहत की बात है।

न्यायमूर्ति बीके सोमशेखर की अध्यक्षता वाले आयोग द्वारा मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को शुक्रवार को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुओं के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा के साथ ही भड़काने वाले साहित्य का वितरण और धर्मांतरण का मुद्दा हमले के मुख्य कारण थे।

रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ समूहों और स्वयंभू या स्व-नियुक्त पादरियों द्वारा बिना हिसाब वाले स्थानीय या विदेशी कोष का इस्तेमाल कर सात जिलों कोलार, बेंगलूर, चिक्काबल्लापुर, बेल्लारी, दावानागरे, चिकमंगलूर और उडुपी में धर्मांतरण कराए जाने को लेकर स्पष्ट संकेत मिले हैं।

रिपोर्ट में हालांकि रोमन कैथोलिक गिरजाघरों पर धर्मांतरण संबंधी आरोपों को खारिज किया गया है। इसमें कहा गया है कि शादी या स्वैच्छिक मामलों को छोड़ दें तो रोमन कैथोलिक गिरजाघरों या इसके सदस्यों की ओर से धर्मांतरण कराने का मामला कहीं से भी जान नहीं पड़ता। रिपोर्ट भाजपा के लिए राहत की बात है जिसे सत्ता में आने के एक साल के भीतर हुई घटनाओं के चलते चारों ओर से हमलों का सामना करना पड़ा था।

आयोग ने रिपोर्ट में कहा है ‘‘ईसाई याचिकाकर्ताओं की इस आशंका का कोई आधार नहीं है कि राजनीतिज्ञ, भाजपा, संघ परिवार और राज्य सरकार हमले में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल हैं।’’ सितंबर 2008 में मंगलोर, उडुपी, चिकमंगलूर, कोलार, चिकबल्लारपुर, बेल्लारी और दावणगेरे जिलों में गिरजाघरों पर हमले किए गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमले ज्ञात या अज्ञात संगठनों से जुड़े एवं ईसाई या ईसाईयत के खिलाफ ‘‘गुमराह कट्टरपंथी शरारती तत्वों द्वारा किए गए जिन्हें इस बात की गलतफहमी थी कि उन्हें सत्ताधारी पार्टी की ओर से संरक्षण दिया जाएगा।’’आयोग ने यह भी सिफारिश की कि वह धर्म के नाम पर किसी भी व्यक्ति पर अत्याचार रोकना और सबको सुरक्षा देना सुनिश्चित करे। दो साल की जांच में एक हजार याचिकाओं पर विचार करने वाले और 800 गवाहों से जिरह करने वाले आयोग ने कहा ‘‘हमले की कुछ घटनाएं सच हैं कुछ रची गईं कुछ को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया और कुछ पूरी तरह राजनीति से प्रेरित हैं।’’

रिपोर्ट में हालांकि दक्षिण कन्नड में कुछ चर्च परिसरों में कानूनी जरूरतों का अनुपालन किए बगैर पुलिस के प्रवेश को ‘‘अविवेकपूर्ण असंगत और अनुभवहीन कदम’’ करार दिया गया और कहा गया कि यह संविधान के तहत संरक्षित धार्मिक हितों तथा मानवाधिकारों का उल्लंघन है। आयोग ने यह भी उल्लेख किया कि दक्षिण कन्नड में कुछ घटनाओं में बच्चों एवं महिलाओं पर लाठीचार्ज जैसी पुलिस ज्यादती हुई।

दूसरी ओर आयोग ने स्थिति से निपटने तथा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने में पुलिस की भूमिका की सराहना भी की। इसने कहा कि अधिकतर शरारती तत्वों को पकड़ लिया गया और बड़ी संख्या में आरोप पत्र दायर किए गए। रिपोर्ट में पीड़ितों तथा चर्चों को पर्याप्त मुआवजा दिए जाने का पक्ष लिया गया और कहा गया कि अभी दी गई मुआवजा राशि कम है।

आयोग ने कहा कि यह सच है कि धर्मांतरण में शामिल कुछ लोगों को विदेशों सहित कुछ स्रोतों से कोष मिल रहा है और वे इस धन का दुरुपयोग कमजोर तबके के समाज से जुड़े निर्दोष तथा असहाय लोगों का बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराने में कर रहे हैं।

इस संबंध में आयोग ने पादरियों की गतिविधियों के ब्यौरे और आवश्यक वित्तीय जांच का पक्ष लिया। इसमें बजरंग दल के संयोजक महेंद्र कुमार के खिलाफ कानून के अनुरूप कार्रवाई करने के ईसाई संगठनों के आग्रह का समर्थन किया गया जिन्होंने गिरजाघरों पर हमलों को सार्वजनिक रूप से उचित ठहराने की बात कही थी।

आयोग ने कहा कि इन आरोपों का कोई आधार नहीं है कि मौजूदा सरकार ‘‘अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के हितों पर जानबूझकर ध्यान नहीं दे रही है।’’ सोमशेखर ने रिपोर्ट सौंपने के बाद कहा ‘‘यह आयोग को सौंपा गया एक संवेदनशील और जटिल मामला है।’’ मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि सरकार रिपोर्ट का अध्ययन करेगी और आवश्यक कार्रवाई शुरू करेगी। रिपोर्ट सौंपे जाने के वक्त येदियुरप्पा ने आयोग के अध्यक्ष से आग्रह किया कि सरकार द्वारा कोई रुख अपनाए जाने से पहले रिपोर्ट का सार सार्वजनिक नहीं किया जाए लेकिन सोमशेखर ने कहा ‘‘यह मेरी इच्छा और विशेषाधिकार है कि इसे लोगों के सामने लाया जाए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित