रविवार, 23 जनवरी 2011

संघ आतंकवाद का न तो समर्थन करता था न क़र रहा है और न करेगा - माननीय राम माधव






जोधपुर २३ जनवरी २०११ ।jk"Vªh; Lo;alsod la?k] laidZ foHkkx tks/kiqj egkuxj ds rRok/kku esa izcq} ukxfjd lEesyu dk vk;kstu fnukad 23 tuojh 2011 lk;a 4 cts t;ukjk;.k O;kl Le`fr lHkkxkj ¼Vkmu gkWy½ esa vk;kstu हुआ।
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ने jk"Vªh;rk vkSj mlds le{k pqukSfr;ka&viuh Hkwfedk fo"k; पर अपने सारगर्भित विचार रखे। श्री राम माधव ने कहा कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ न तो आतंकवाद का समर्थक रहा हैं और न क़र रहा है और न करेगा। इस भारत का सांस्कृतिक तथा धार्मिक इतिहास रहा है। ६३ वर्ष के इस गणतंत्र में अभी भी राष्ट्रीयता को लेकर चिंता की जा रही है ।


राम माधव जी ने कहा कि इस राष्ट्र में देशभक्ति के मापदंड बदल ही गए है। आज की परिभाषा में सारे देशभक्त या तो साम्प्रदायिक है या नई व्याख्या में आतंकवादी है। अगर किसी राज्य की राजधानी में तिरंगा फहराने की बात करते हें तो शांति भंग करने डर दिखा रहे हैं। सावरकर को सांप्रदायिक बता क़र हमने किनारा क़र दिया वही उन श्यामा प्रसाद मुखर्जी जिन्होंने कश्मीर को भारत का अविभाज्य अंग बनाने की बात करते थे उन्हें भी साम्प्रदायिक बता दिया वही देश को तोड़ने वाले मजहब के आधार पर राज्यों को विशेष दर्जा देने वाले भारत के देशभक्त तथा महान नेता बन गए। परिभाषायें बदल गयी है।


हिन्दू आतंकी होता तो देश का नक्शा ही बदल जाता। हिन्दू आतंकी हो ही नहीं सकता । स्वामी असीमानंद जी जो की दांग जिले में आदिवाशियों के मध्य कार्य करते है उन्हें झुटा फंसा दिया है वहां के आदिवासी आज भी स्वामी जी के लिए आन्दोलन क़र रहे है। राष्ट्र की चिंता करने वालो और राष्ट्र के लिए कार्य करने वालो को आज भगवा अथवा हिन्दू आतंकवाद के नाम से बुलाने की इक नई परंपरा बन गई है।


देश के लिए काम करना देश भावना का जागरण करना, देश में गरीबी ,पिछड़ापन तथा अन्य कुरुतियाँ हैं उनको दूर करना, समाज में कुछ भेदभाव है उनको दूर करने के लिए हम केवल सत्ता पर निर्भर नहीं रह सकते हमें समाज के लिए राष्ट्र के लिए संघठित होकर कार्य करना है यह प्रेरणा राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ देता है। जिस सांस्क्रतिक आध्यात्मिक राष्ट्रीयता से देश की पहचान है उशी राष्ट्रीयता को जगाने के काम में संघ लगा है। उसी संघ को भी सांप्रदायिक करार दिया जाता है क्योंकि आधुनिक भारत में वह ठीक नहीं बैठता है ।


सत्ता का मोह ही राष्ट्र के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है। गाँधी जी राम राज्य चाहते थे कुछ लोग कहते है रोम राज्य आ गया है में रोम राज्य नहीं कहूँगा यहाँ तो राडिया राज्य आ गया है। राष्ट्र के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती सत्ता का स्वार्थ है।

कार्यक्रम की v/;{krk funs’kd vkbZ lh vkj ,l ¼iwoZ v/;{k ,l , lh&bljks½ izksQslj Jh vks ih ,u dYyk th ने की. धन्यवाद ज्ञापन महानगर संघचालक श्री कान्ति लाल जी ठाकुर ने किया।

खबरे समाचार पत्रों से

‘तिरंगे से कैसे भंग होगी शांति’

जोधपुर & राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य राम माधव ने कहा कि कश्मीर में पुलिस पर पत्थर फेंकने वालों को यह कह कर इनाम दिया जाता है कि वे बेरोजगार युवा है। लेकिन तिरंगा फहराने के लिए कहा जाता है कि इससे शांति भंग हो जाएगी। आखिर इससे कैसे शांति भंग होगी? श्रीनगर के लाल चौक में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के मुद्दे पर कहा कि उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग नहीं है, कश्मीर का संविधान अलग है, जबकि 1956 में बने कश्मीर के संविधान की पहली लाइन इसे भारत का अभिन्न अंग बताती है।
source:
http://epaper.bhaskar.com/epapermain.aspx?eddate=1/24/2011&edcode=17

हिंदू आतंकवादी होता तो भारत का नक्शा यह नहीं होता: माधव

भास्कर न्यूज. जोधपुर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य राम माधव ने कहा कि राष्ट्रीयता एक अनुभूति है, भावना है। लेकिन देश में स्वार्थ की राजनीति के चलते राष्ट्रीयता के मायने बदल गए हैं। अब राष्ट्रीयता की अलख जगाने वालों को सांप्रदायिक कहा जाने लगा है। राष्ट्रीय ध्वज फहराने की बात कहते हैं तो उन्हें देशद्रोही के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। हिंदू आतंकी नहीं होता, यह सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ के लिए दुष्प्रचार है, मगर इसके किसी के पास कोई पुख्ता प्रमाण नहीं हैं। अगर हिंदू आतंकवादी होता तो भारत का नक्शा यह नहीं होता।

वे रविवार को यहां टाउन हॉल में आरएसएस जोधपुर महानगर की ओर से आयोजित प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन में राष्ट्रीयता और उसके समक्ष चुनौतियां: अपनी भूमिका विषयक संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने एक घंटे के उद्बोधन में श्रीनगर (कश्मीर) में लाल चौक में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के मुद्दे व राम मंदिर को लेकर देश में चल रहे विवाद को प्रमुखता से उठाया। साथ ही भ्रष्टाचार के मामले में केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए बोले कि अब देश में राडिया राज है। कॉर्पोरेट्स ही देश

राष्ट्रीयता की पहचान का संकट

माधव ने कहा कि आज देश में राष्ट्रीयता की पहचान का संकट है। ओबामा भारत आते है तो उन्हें दिल्ली में हुमायूं का मकबरा दिखाया जाता है। क्या यही राष्ट्रीयता की पहचान है? विडंबना है कि देश के लेखक आधुनिक भारत के निर्माण में स्वामी विवेकानंद व अरविंद के विचारों को महत्व नहीं दे रहे हैं, जिन्होंने इस देश को पहचान दिलाई थी।
source: http://epaper.bhaskar.com/epapermain.aspx?edcode=17&eddate=1/24/2011&querypage=9
सत्ता प्राप्ति के लिए सब जायज :राम माधव

जोधपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता राम माधव का कहना है कि देश में राष्ट्रीयता की बजाय अब सत्ता प्राप्ति सर्वोपरि हो गई हैं। इसके लिए सब जायज है और कोई देशभक्ति की बात करे तो उसे सांप्रदायिक या आतंककारी ठहरा दिया जाता है। जबकि देश को तोड़ने वाले महान नेता बन गए हैं।

वे रविवार को यहां टाउन हॉल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जोधपुर इकाई द्वारा "राष्ट्रीयता और उसके समक्ष चुनौतियां-अपनी भूमिका" विषय पर आयोजित व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा कि राष्ट्र के सम्मान पर हमला करने वाले अफजल गुरू को फांसी पर लटकाने की बजाय आरएसएस को हिन्दू आतंकवाद से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।जबकि कोई हिन्दू आतंकवाद नहीं हैं, ये सब झूठी कहानियां हैं। राजनीतिक स्वार्थ के लिए कुचक्र चल रहा है।

फिर जोधपुर भी अंग नहीं
राम माधव ने कहा कि राष्ट्र में आज इससे बड़ा संकट क्या होगा कि हम श्रीनगर में राष्ट्रीयध्वज नहीं फहरा सकते। तर्क दिए जा रहे हैं कि इससे शांति भंग होगी, कश्मीर भारत का अंग नहीं हैं। क्योंकि महाराज हरी सिंह ने 1948 में जिस विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए, वह सर्शत और दबावपूर्वक थे। ऎसा है तो फिर जोधपुर या दूसरे स्टेट भी भारत का अंग नहीं हैं, क्योंकि इसी विलय नीति के तहत महाराजा जोधपुर ने भी हस्ताक्षर किए थे।

अब पब्लिक "सर्वेन्ट"
राम माधव ने कटाक्ष किया कि शासकीय सेवकों को पब्लिक सर्वेन्ट कहा जाता है, लेकिन सत्ता के लिए सब कुछ जायज की व्यवस्था में पब्लिक अब सर्वेन्ट हो गई है।

राष्ट्रीयता एक धर्म है
व्याख्यामाला की अध्यक्षता कर रहे एसईसी-ईसरो के पूर्व अध्यक्ष प्रो. ओपीएन कल्ला ने कहा कि राष्ट्रीयता धर्म हैं और उस धर्म को निभाने के लिए कई तरह की चुनौतियां सामने आती हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयता का धर्म निभाने के लिए हमें अंतिम व्यक्ति की चिंता करनी होगी। अंत में महानगर संघचालक कांतिलाल ठाकुर ने आभार व्यक्त किया।
source:

http://www.patrika.com/news.aspx?id=519489

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित