सामान्य ज्ञान का भी सर्वोच्च पुरस्कार श्रीमती अरुंधती रॉय को देकर पुरस्कृत करना चाहिए आप की भी यही धरना होगी क्यों ?
रॉय ने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं रहा है और भारत सरकार ने भी इस तथ्य को माना है।
बुकर पुरस्कार विजेता अरुंधति रॉय ने पिछले महीने रांची में भी ऐसी ही टिप्पणी की थी जिसके बाद उनके खिलाफ मामला दायर किया गया है। इस मामले पर सीजेएम की कोर्ट में कल सुनवाई होगी।
तुष्टिकरण के नीति की हिमायती कांग्रेस सरकार ने वार्ताकार भी चुन चुन कर भेजे है . कश्मीर मसले पर केंद्र के वार्ताकार दिलीप पडगांवकर की टिप्पणी भी जोरदार (कांग्रेस के हिसाब से ) थी . पडगांवकर ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे का समाधान पाकिस्तान को इस वार्ता में शामिल किए बिना संभव नहीं है।
सरकार के मंत्री कहते है कि कश्मीर मसला हमारा अन्दुरुनी मसला है और अंदर के लोग मतलब कि वार्ताकार है कि पाकिस्तान के बिना मसला हल होने कि गुन्जाईस नहीं देखते.
वार्ताकार कि नियुक्ति भारत साकार ने की है या फिर अलगाववादियों ने या फिर पाकिस्तान ने गुगली, समज से परे है .
विश्व के अनेक देशो से जिनसे पाकिस्तान गुहार लगाता है की कश्मीर मसले पर आप मध्यस्तता करे वे सब कहते की नहीं यह भारत का अंदुरनी मामला है और सोनिया जी के नेत्रत्व वाली यु पी ऐ सरकार द्वारा नियुक्त वार्ताकार इसे अंतर्राष्ट्रीय मसला बनाने पर तुले लगते है .
गवर्नेंस कहा खो गयी है कोई तारतम्य नज़र नहीं आ रहा है सरकार और उनके वार्ताकारो में. वार्ताकारो के कर्मो का परिणाम क्या रहेगा - कही उलझा न दे यह मसला .
मसले को उलझाने में माहिर कांग्रेस सरकार का मंतव्य स्पष्ट लग रहा है .
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