बुधवार, 18 अगस्त 2010

लेह त्रासदी व राहत कार्य












दिनांक १७ अगस्त २०१०
हमेशा शांत रहने वाला व बर्फीले रेगीस्तान के नाम से जाने जाने वाला लद्धाख पिछले दिनों प्राकृति आपदा का शिकार हो गया। लेह में मध्यरात्रि को भारी वारिश के चलते आई बाढ़ में लोगों की जानमाल का काफी नुकसान हुआ है। इस भयंकर त्रासदी में मरने वालों की संख्या 205 तक पहुंच गई है जिनमे सेना के नौ जवान भी शामिल हैं। 26 लापता जवानों में से तीन के शव मिल चुके हैं जो मलबे का ढेर बनी चैकी के नीचे दबे थे। अभी भी लापता लोगों की सख्या लगभग 500 के करीब बताई जा रही है। लेह व उसके आस पास के गांवों में इस त्रासदी ने भयंकर कहर ढाया है।
दिनांक 5 व 6 अगस्त की मध्य रात्रि 12:15 बजे लद्धाख के कई गांवों में आसमान से मौत बरसी। लेह श्रीनगर मार्ग पूरी तरह बंद हो गय क्योंकि बास्गों व निमों क्षेत्र का पुल टूट गया था। जब तक लोग कुछ समझ पाते, 15 मिनट में चोगलमसर, साबू, फियांग गांव, लेह का बस स्टैण्ड, रेडियों स्टेशन, जिला अस्पताल, बीएसएनएल कार्यालय पूरी तरह से तबाह हो चुका था। रात्रि 12:30 बजे हर जगह हाहाकार मच गया, चारों ओर पानी ही पानी फैल गया जो मलबे सहित लोगों के घरों को तबाह करते हुये कईं की जाने ले गया।
चोंगलमसर में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्राथमिक शिक्षा वर्ग चल रहा था जिसका समापन 6 अगस्त को होना था, वर्ग में रात्रि को 12:30 बजे ही खबर चोगंलमसर स्टेट बैंक के पास रहने वाले बब्बू ठेकेदार से मिली। बिना देरी किये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता राहत व बचाव कार्य में जुट गये। पानी के साथ बह रहे मलबे का बहाव इतना तेज था कि बड़ी-बड़ी इमारते भी धरासायी हो गयीं। प्रचारक रहे अजीत शर्मा व उनकी पत्नी आग्मों ने अपनी जान पर खेल कर कईं जाने प्रलय की इस काली रात में बचाईं।
प्रातः होते-होते चोगंलमसर में 11 शव संघ कार्यकत्र्ताओं ने निकाले व कई फंसे लोगों को उनके घरों से बाहर निकाला। सुबह 6:45 बजे आईटीबीपी घटना स्थल पर पहुंच गई। उनकी 24 बीं बटालियन के कई जवान व उनके परिवार इस बाढ़ के चपेट में आ गये थे। सुबह 10 बजे तक लद्धाख स्काउट व विकास के जवान तथा सेना राहत कार्य में जुट गई।
सामाजिक संस्थायें पहले से ही राहत व बचाव कार्य में लगी हुई थीं जिसमें लद्धाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन, अंजुमन इमामिया, हिन्दू ट्रस्ट व लद्धाख कल्याण संघ प्रमुख रूप से शामिल थीं।
इस बाढ़ ने लेह चोगलमसर मार्ग को दो जगह से तोड़ दिया, वहीं लगभग 20 गांव भी प्रभावित हुये। कई घर ऐसे भी हैं जिनके परिवार में से कोई नहीं बचा जैसे -साबू गांव के हण्डंग, गोला, थास्कंग आदि के परिवार पूरी तरह समाप्त हो गये।
इस तबाही ने रिहाशी जगह को मैदान के रूप में बदल दिया। इस तबाही में प्रभावित हुये गांवो में लेह, चोगलमसर, साबू, आयु, शे, सुसोत, इगु, शारा, फियांग, ने, तारू, उमला, तिया, तिमसगम, शचपोछे, ने, निमों, बास्गों, नुरूला स्कबुचन, हनुथांग, अचनाथांग आदि प्रमुख हैं। इन गांवों में भारी तादात में जान-मान व सम्पति आदि का भारी नुकसान हुआ है जिसकी भरपाई करना नामुमकिन हैं।

6 अगस्त को संघ के स्वयंसेवकों ने पूरा दिन चोगंलमसर, शे व लेह शहर में बचाव कार्य किया। जिला अस्पताल से सामान व मरीजों को बाहर निकालकर आर्मी अस्पताल व पास की नई इमारतों में पहुंचाया।

7 अगस्त को सह-प्रांत प्रचारक श्री रमेश पप्पा जी जम्मू से लेह पहुंचे और सभी प्रभावित जगहों का मुआयना किया। उस वक्त वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय अधिकारी सुरेश कुलकर्णी जी भी वहां मौजूद थे।
चोगंलगसर में स्थिति भारती विद्या मंदिर में स्वयंसेवको द्वारा राहत शिविर लगा दिया गया जिसमें लोगों के भोजन-नाश्ते-पानपान की व्यवस्था के साथ-साथ दबाईयों का प्रबंध किया गया। इस दौरान राहत कार्य में जुटे बहादुर कार्यकर्ताओं ने कमर तक दलदल में जाकर कई जानें बचाई। 9 अगस्त को सह प्रांत प्रचारक की उपस्थिति में संघ परिवार की बैठक लद्धाख कल्याण संघ के कार्यालय में हुई जिसमें सभी संगठनों के प्रमुख लोगों ने भाग लिया। इस अवसर पर स्वयंसेवकों की अलग-अलग टीमें बनाई गई व राहत कार्य को और व्यापकता के साथ चलाने का निर्णय लिया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, लद्धाख कल्याण संघ, सेवा भारती व राष्ट्र सेविका समिति की बहनों की मिश्रित टीम बनाई गई जो राहत कार्य में जुटी हुई है।

कार्यकर्ताओं की एक टीम ब्रि. एस. दत्ता व कर्नल अनुराग खन्ना से मिली व मरीजों के लिए कपड़े व अन्य सामाग्री को सौंपा गया। सेना की अपेक्षा के अनुसार यह टीम सेना अस्पताल में ही राहत कार्य कर रही है व 90 मरीजों को नये कपड़े दिये गये हैं।
10 अगस्त को साबू गांव की पूरी जानकारी तैयार की गई व आपदा सहायता कार्यालय भी पुराने बस स्टैंड में खोला गया। जिसके प्रमुख मनु मित्तल व गोपाल ठाकुर जी हैं तथा उनके साथ पांच लोगों की टीम इस कार्य को अंजाम दे रही है।
11 अगस्त को कार्यकत्र्ताओं की एक टीम डिवीजनल कमीशनर लेह से मिली व अपना पत्र उनको सौंपा, उनके राहत कार्य के प्रमुख जिगमित टाक्पा ने कार्यकत्र्ताओं के साथ आधे घंटे की बैठक कर कुछ गांव गोद लेकर कार्य करने पर निर्णय हुआ है जिसके तहत लोगों को अस्थाई शेड बनाकर दिये जायें ताकि सर्दी में थोड़ी राहत मिल सके। स्वयंसेवक इस कार्य को पूरा करने में जुटे हुये हैं।

12 अगस्त को स्वयंसेवकों की एक टीम इगु गांव पहुंची जहां बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी। जिसमें लगभग 50 घरों को नुकसान हुआ था। साथ ही ना गांव का भी मुआयना किया गया। सबसे ज्यादा बुरा हाल यहां बाहरी राज्यों से आये हुये मजदूरो का है जिनमें से कईं लापता हैं। वे सभी भयग्रस्त दिखते है क्योंकि उनका सब कुछ तबाह हो गया है। एक अन्य टीम शे गांव का मुआयना कर राहत कार्य में जुट गई है।
हिल कोंसिल के काउंसलर के साथ बैठक साथ मिलकर ही राहत सामग्री लोगों तक पहुचाई जा रही है तांकि हर प्रभावित व्यक्ति तक पहुंचा जा सके। स्वयंसेवक अभी बास्गोउमला, तारू गावों में राहत कार्य में जुटें हैं।
जम्मू में सेवा भारती द्वारा लद्धाख आपदा सहायता समिति का गठन कर लद्धाख आपदा सहायता कोष बनाया गया है। लेह की इस त्रासदी से लोगों को राहत पहंचाने का कार्य जम्मू में जोरो छोरों से चल रहा है। इस कोष के माध्यम से 500 जूते, 1000 मास्क लेह भेज दिये गये हैं। वहीं चंडीगढ़ से 500 पूरूषों, 500 महलाओं व 1000 बच्चों के गर्म कपड़े सेवा भारती के माध्यम से लेह पहुंचाये जा चुके हैं। जगादरी से 500 परिवारों के लिए रसोई का पूरा सामान भेजा गया है। पानी पत से 2000 हजार कंबल पहुंचाये गये हैं तथा अस्थायी निवास बनाने के लिए राहत साम्रगी हेतु प्रयास जारी हैं।
लेह से जम्मू पहुंचे लगभग 20 मरीजों की सेवा में सेवा भारती पूरे तन-मन-धन से जुटी हुई है। इन्हें कपड़े, तेल, साबुन, व अन्य जरूरी सामान मुहैया करवाया जा रहा है।
- जम्मू विश्व संवाद केंद्र

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित